दुधारू पशुओं को कैसे पहचानें?
अच्छी डेयरी नस्ल का चयन एक डेयरी यूनिट की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है । दूध उत्पादन हेतु पशुओं का चुनाव करते समय पशुपालकों को इन बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा|
1. शारीरिक बनावट के आधार पर :
दुधारू पशुओं का चनाव, उनकी बाह्य आकृति के अनुसार किया जाता है. इसमें कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिये |
दुधारू गाय का पिछला भाग आकार में बड़ा और भारी, परन्तु अग्रिम भाग अपेक्षाकृत पतला और छोटा होता है. दुधारू गाय की त्वचा पतली, ढीली, और मुलायम होती है|
दुधारू पशुओं की छाती चौड़ी, आकर्षक और उर्जावान शरीर , सभी अंगों में समानता व सामंजस्य, सही उठाना बैठना साथ ही उसकी आंखें चमकदार होती हैं।
अयन एवं थन का आकार—
दुधारू गाय का अयन यानी (Udder) शरीर से अच्छी तरह जुड़ा हो और स्पर्श करने पर वह मुलायम प्रतीत हो
सभी स्तन एक समान, सीधे और सामान दूरी पर होने चाहिए
चारों स्तनों में सामान मात्रा में दूध आना चाहिए और दूध की धार मोटी होना चाहिए
जिस गाय का थन 5-6 से.मी. लम्बा और 20-25 मि.मी. व्यास (diameter) का हो, वह गाय अच्छी समझी जाती है. झूलते या लपकते हुए अयन अच्छे नहीं माने जाते हैं, क्योंकि जब गाय व भैंस चरने हेतु छोड़ी जाती हैं तो कांटे या नुकीले पदार्थ से तन को जख्म होने की संभावना रहती है और थनैला रोग की समस्या बढ़ जाती है. यदि थनों में सूजन या दर्द हो तो ऐसे गायों का चयन नहीं करना चाहिए.
2. उम्र के आधार पर :
पशुओं की उम्र उनके दांत तथा सींग पर उभरे घेरों द्वारा ज्ञात की जा सकती है
गाय और भैंस में 24 या 30 महीने में 2 स्थायी दांत विकसित होते है। 4 दांत 36 से 42 महीने में और 6 स्थायी दांत 4 -5 साल की उम्र में विकसित होते हैं । पशुओं का विकास 8 स्थायी दांतों के विकसित होने के साथ 5 1/2 से 6 साल तक होता है।.
सींग पर उभरे घेरों की संख्या में दो और जोड़ देने पर उसकी उम्र का अनुमान लगाना संभव है
3. वंशावली(Genealogy) के आधार पर :
प्रत्येक नस्ल के शारीरिक विकास उनकी वंशावली के आधार पर होता है. माता-पिता से गुण बच्चों में जाते हैं, अत: दुधारू पशु के बच्चे भी अधिक दूध देने की क्षमता रखते हैं, बशर्ते उन्हें अच्छा आहार तथा उनके अनुरूप वातावरण प्राप्त हो. इसलिए किसी भी पशु की इतिहास और वंशावली देखी जानी चाहिये क्योंकि अच्छे कृषि फार्मों द्वारा ये हिसाब रखा जाता है।
4. संतान के उत्पादन के आधार पर :
दुधारू पशुओं का चुनाव उनकी संतान के उत्पादन के आधार पर किया जाना अधिक लाभकारी होता है. अत: जिन पशुओं की संतान की उत्पादन क्षमता अधिक रहती है, उन्हीं के आधार पर चयन किया जा सकता है. दो ब्यातों का अन्तराल करीबन 15 माह होना चाहिए ब्याने के तीन माह पश्चात ही गाय का गर्भधारण करना अच्छा माना जाता है।
इन बिंदुओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये-
• जब भी किसी पशु मेले से कोई मवेशी खरीदा जाता है तो उसे उसकी नस्ल की विशेषताओं और दुग्ध उत्पादन की क्षमता के आधार पर परखा जाना चाहिये।
• 3 से 4 चार साल की उम्र के पशु का चयन करें जो की अच्छा दूध उपज के साथ विनम्र स्वभाव का हो
दुग्ध उत्पादन 1, 2 ब्यांत के बाद बढ़ता चला जाता है अतः 1 -2 बयातों बाद ही पशु ले
• कोई भी जानवर अक्टूबर व नवंबर माह में खरीदा जाना सही माना जाता है।
• डेरी किसानों तथा उद्यमियों को सुझाव दिया जाता है कि दुधारू पशु का चुनाव करते समय उनकी शारीरिक बनावट, नस्ल, उत्पादन क्षमता, उम्र इत्यादि बिन्दुओं पर विशेषरूप से ध्यान दिया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त यह भी देखना चाहिए कि पशु पूर्णरूप से रोगमुक्त हो जहाँ तक संभव हो, गर्भवती गाय, भैंसों का चुनाव उचित रहता है
by-डॉ राजेश कुमार सिंह , जमशेदपुर , 9431309542
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