रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- गेहूं की सिंचित दशा वाली फसल में पांचवीं सिंचाई 75-85 दिन बाद दूधिया अवस्था के समय एवं छठी सिंचाई 85-95 दिन बाद दाने भराव की अवस्था में करें।
- गेहूं की फसल में कंडवा रोग दिखाई देने पर ग्रसित बालियों को सवधानीपूर्वक तोड़कर खेत से निकालें।
- सरसों फसल में चेपा या माहु कीट के नियंत्रण हेतु डायमिथिएट दवा का 5 मिली/लिटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- चने, मसूर फसल की कटाई पौधों की पत्तियाँ पीली या हल्के भूरे रंग की हो जायें, फसल में फलियां अगर 90 से 95 प्रतिशत पक गई हो और पत्तियां सूख कर झडऩे लग गई हो तब फसल की कटाई कर लेना चाहिए। यदि फसल अधिक पाक जाएगी, तो फल्लियां टूटकर गिरने लगती है। जिससे फसल का नुकसान होता है।
- चने, मसूर, गेहूं की फसल को खलिहान में सुखाये और मड़ाई करने के बाद 8 से 10 प्रतिशत नमी हो जाने पर भंडार कर सुरक्षित रखें।
- ग्रीष्मकालीन मूँग की फसल की बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच करें। मूँग की उन्नत किस्में- जवाहर मूँग-3, जवाहर मूँग-721, हम-1, पीडीएम-11, पूसा विशाल, के.-851 हैं।
- नवम्बर माह में बोयी गयी गन्ने की फसल मे निंदाई-गुड़ाई करें तथा जिन खेतों में गन्ने की फसल घुटने तक आ गयी है, उन खेतों में निंदाई-गुड़ाई करने के उपरांत नत्रजन की शेष मात्रा का आधा हिस्सा डालकर मिट्टी चढ़ाने के बाद सिंचाई करें।
उद्यानिकी
- ग्रीष्मकालीन लोकी की उन्नत किस्में समर प्रोलिपिक लाँग, पूसा समर प्रोलिपिक राउंड, पंजाब गोल, अर्का बहार ओर अन्य उन्नतशील किस्मों की बुआई करना चाहिए।
- लोकी की फसल को औसतन गोबर की खाद 250 क्विंटल, नाइट्रोजन 60 किलो, स्फुर 30 किलो तथा पोटाश 100 किलो ग्राम प्रति हेक्टर दें।
- आम, नींबू, संतरा और मोसंबी मैं गमोसिस तथा एन्थ्रेक्नोज के नियंत्रण के लिए 5 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें एवं रसचूसक कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 5 मि.ली. को प्रति 15 लिटर पानी में घोल बनाकर व्रक्ष पर छिड़काव करें।
पशुपालन
- दुधारु पशुओं को हरा चारा 25 किलो प्रति पशु प्रति दिन व संतुलित आहार एवं मिनरल की आपूर्ति हेतू 35 से 40 ग्राम प्रति पशु के हिसाब से मिनरल मिश्रण की खुराक दें।
- आदर्श डेरी फार्म में पशुशाला की बनावट हेड टू हेड सिस्टम में पशु एक दुसरे के सर की तरफ खड़े रहते हैं मलमूत्र की निकासी के लिए दोनों तरफ नालियों होती है। पशु का दूध निकलने के लिए रबर मेट का उपयोग करना चाहिए, इससे पशु की दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
By Dr.Rajesh kr singh
Livestock consultant,
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