रोग- जैर का अटकना (Retention of placenta)
सामान्यतया प्रसव के 6-8 घंटा मे जैर या प्लेसेन्टा स्वतः ही बाहर आ जाती है,किन्तु यदि ये 10-12 घंटो बाद भी नही गिरा दी जाये तो उस दशा को रिटेन्शन आँफ प्लेसेन्टा कहा जाता है,
,समय पर ईलाज न होने पर पशु का दुग्ध उत्पादन घट जाता है, गर्भाशय/बच्चेदानी मे संक्रमण हो जाता है व कभी-कभी पशु बांझ भी हो सकता है !
रोग कारक/etiology
इस रोग का मूल कारण गर्भाशय की भित्ति पर पाए जाने वाले करेनकल (caruncles) भ्रूण से सम्बन्धित कोटिलिडोन (cotyledons) के तन्तु ( villi) का पृथक नही हो पाना होता है !
वैसे प्रसव के 3 घण्टे बाद तक अगर जैर/placenta नही निकलता है तो इसे retained placenta कहते है, तथा अगले 3 से 10 घण्टे मे भी नही निकले तो रोगकारक मान लेना चाहिए क्योकि इससे metritis ,laminitis,व toxicity जैसे रोग हो सकते है !
ROP के निम्न कारण हो सकते है #
,,संक्रामक कारक (infectious causes)
e.g. Brucella abortus,mycobacterium tuberculosis,vibrio fetus ,fungal infections etc,
,,पोषण सम्बन्धी कमी
जैसे-vit-A,vit-E, selenium,copper,iodine,calcium etc,
#वे रोग जो uterine inertia उत्पन्न करके गर्भाशय के संकुचन को कम कर देते है, जैसे- Dystocia(बच्चे को गर्भाशय से खीचकर बाहर निकालना ),uterine torsion ,dropsy of foetal membranes etc.
# हार्मोनो की असामान्यताए
e.g-oxytocin( गर्भाशय मे संकुचन बढाने का कार्य ), progesterone etc.
लक्षण /symptoms
1.स्पष्ट लक्षण है कि प्लेसेन्टा का कुछ भाग वल्वा से बाहर लटकता हुआ रहता है,
2. कभी -कभी यह पूरी तरह से अंदर ही रहता है या खुद गाय भैस द्वारा मुँह से खीच लिया जाताहै,और खा लिया जाता है या गिरने के बाद खाया जा सकता है !
3. इसमे बदबू आने लग जाती है और कई बार टाँक्सिमिया व सेप्टिसिमिया भी होने लगता है !
4. रोगी पशु तनावग्रस्त हो जाता है !
5. बुखार
6. 48-72 घंटे बाद सर्विक्स के सिकुडने से अॉस बंद जाती है फिर हाथ द्वारा जैर निकालना मुश्किल हो जाता है !
उपचार /treatment
जैर के कभी वजन नही बाँधे !
,, अजवाइन +गुड़ दे जो रोगी प्राणी की नस्ल पर निर्भर करता है! (मात्रा )
हार्मोनल उपचार – प्रोस्टाग्लाडिन ,जैसे- lutalyse,vetmate,iliren,pragana, !
# एकबोलिक्स ( गर्भाशय मे संकुचन बढाने वाली औषधि ) जैसे- यूटेरोटोन लिक्विड़ , हिमरोप, रिप्लान्टा !
उपरोक्त दवा से भी जैर नही गिरे तो जैर को हाथ से निकालना चाहिए , क्योकि इससे गर्भाशय मे संक्रमण होने की सम्भावनाए 100% होती है |
पशु चिकित्सा के क्षेत्र मे यह रोग व गर्भपात दो ऐसी स्थितीया है, जिनका सामना करते समय पशु चिकित्साकर्मी को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए |
R.O.P.के दुष्प्रभाव
1. दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है |
2. प्रसव के बाद metritis, endometritis, pyometra,आदि बीमारियो के होने कि संभावनाऐ होती है |
3. यूटेरस का इनवोलेसन देरी से होता है |
4. दो ब्यात के बीच की अवधि बढ़ जाती है |