संतुलित आहार से दुध उत्पादन पर प्रभाव
हम सब जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि के अलावा पशुपालन भारत में दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है। इसलिए पशुपालकों के लिए सबसे बड़ा धन उसके पशु हैं। उनके स्वास्थ्य को अच्छा व बेहतर रखऩे के लिए किसान भाइयों को संतुलित आहार के बारे में जानकारी होना अनिर्वाय है। इसलिए इस लेख में हम किसान भाइयों को संतुलित आहार से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
सबसे पहले बात करते हैं संतुलित आहार की, कि संतुलित आहार क्या है व कैसे बनाया जाता है। जो भोजन सामाग्री पशुओं को पूरे दिन में निर्धारित पौषणिक आवश्यकताओं को पूरा करता है उसे संतुलित आहार कहते है। जिसमें कार्बोहार्इड्रेट, वसा ,प्रोटीन और खनिज लवण के आपसी विशेष अनुपात पशुओं को प्राप्त होते हैं।
लेकिन अक्सर देखा जाता है बदलते मौसम व समय के बाद भी पशुपालक उसके पास उपलब्ध आहार ही अपने पशुओं को खिलाता है, जिससे उनके स्वास्थय पर गहरा असर पड़ता है जिसका सीधा असर दुग्ध उत्पादन पर देखा जाता है। इसलिए संतुलित आहार पशुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है। संतुलित आहार वह है जो है पशुओं को 24 घंटों तक आवश्यक सभी पोषत तत्वों की पूर्ति करवाता है। इसलिए संतुलित आहार ध्यान में रखकर खिलाना चाहिए जिसमें शुष्क पदार्थ, पाचक प्रोटीन व अन्य जरूरी तत्व प्राप्त हो। उदाहरण के लिए भैंस में शुष्क पदार्थ की खपत प्रतिदिन2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति 100 किलोग्राम शरीर भार के अनुसार होती है। यानि कि 400 किलोग्राम वजन की भैंस को रोजाना 10-12 किलोग्राम शुष्क पदार्थ की आवश्यकता होती है। इसे ध्यान में रखते हुए हम शुष्क पदार्थ का आपूर्ति भैंस को चारे व दाने के माध्यम से कर सकते हैं।
इसी के साथ पशु आहार में सही मात्रा में पाचक तत्वों की पहचान करना किसान भाईयों के लिए संभव नहीं है क्योंकि किसान चारे को कभी भी तोलकर नहीं खिलाता है। ऐसी परिस्थितियों में सबसे सही तरीका है कि पाचक तत्वों में कमी की मात्रा को दाना मिश्रण देकर पूरा कर दिया जाता है। इस प्रकार भैंस को खिलाया संतुलित हो जाता है।
- संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनाया जाता है-
सबसे किस तत्वों से मिलकर संतुलित आहार बनाया जाता है उनके नाम जान लेना जरूरी है। जिससे राशऩ परिकलन के लिए आसानी होती है। इसके लिए कच्ची प्रोटीन, कुल पाचक तत्व और चयापचयी ऊर्जा की जानकारी होना भी बेहद आवश्यक है। नीचे दिए गये किसी भी एक तरीके से यह दाना मिश्रण बनाया जा सकता है, परन्तु यह इस पर भी निर्भर करता है कि कौन सी चीज सस्ती व आसानी से उपलब्ध है-
ऊपर दिए गए कोई भी संतुलित आहार भूसे के साथ सानी करके आसानी से खिलाया जा सकता है। इसके साक कम से कम4-5 किलों हरा चारा देना भी जरूरी है।
दुधारू पशुओं के आहार ,दाना मिश्रण के गुण व लाभ
- यह स्वादिष्ट व पौष्टिक है।
- ज्यादा पाचक है।
- अकेले खल, बिनौला या चने से यह सस्ता पड़ता हैं।
- पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है।
- बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं।
- दूध व घी में भी बढौतरी करता है।
- भैंस ब्यांत नहीं मारती।
- भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं।
- कटडे या कटड़ियों को जल्द यौवन प्रदान करता है।
दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा
हरा चारा पशुओं को काफी अच्छा भी लगता है व सूखे चारे की अपेक्षा जल्दी पचता भी है। हरे चारे से दुध उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी होती है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।
- पशुओं के लिए आठ से 10 घंटे के अंतर पर चारा ज़रूरी
खाने में सूखा चारा, हरा चारा, और पशु आहार को शामिल करें ताकि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में मिल सकें। फलीदार सब्जी भी लाभकारी होती है। बरसीम, रिजका, ग्वार आदि सूखे चारे में मिला कर खिलाएं। इन फलियों को बिना चारे के खिलाने से पाचन क्रिया में गड़बडी और अफारा रोग होने की संभावना होती है। पशु एक दिन में35 से 40 लीटर पानी पीता है। इसलिए साफ पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए। आहार में प्रोटीन पशुओं की बढ़त और अच्छी सेहत के लिए, कार्बोहाइडे्रट शक्ति देता है और शरीर को गर्म रखने में मदद करता है। ये तन्दुरूस्ती व उचित प्रजनन के लिए जरूरी होता है। टूटे हुए गेहूं, ज्वार या बाजरे की दलिया को अच्छी तरह उबाल कर नमक, गुड़ या शीरे में मिलाकर खली, खनिज लवण के साथ देने से अच्छा उत्पादन मिल सकता है।