संतुलित आहार उस खाद्य मिश्रण को कहते हैं जो पशुओं के शरीर को बनाये रखने के लिए तथा उनकी उचित बढ़ोतरी व दूध उत्पादन के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों द्वारा बनाया जाता है, जिसे 24 घंटों में एक पशु को खिलाया जाता है। इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्त्व जैसे उर्जा, प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि उचित मात्रा और सही अनुपात में प्राप्त होते हैं। किसी भी एक खाद्य पदार्थ से सारे पोषक तत्त्व तो मिल जायेंगें परन्तु उसकी मात्रा और अनुपात शरीर की जरूरत के मुताबिक नहीं होगा। इसलिए पशुओं के संतुलित आहार में विभिन्न प्रकार के हरे चारे, कई प्रकार के अनाज, खल, इत्यादि उत्पाद को मिलाकर बनाया हुआ दाना मिश्रण तथा सूखे चारे के प्रयोग में लाये जाते हैं।
संतुलित पशु आहार कैसा होना चाहिए –
1.संतुलित आहार रूचिकर होना चाहिए।
2.पेट भरने की क्षमता रखता हो।
3.सस्ता, गुणकारी, उत्पादक तथा बदबू और फफू°द रहित होना चाहिए।
4.वह अफारा ना करता हो, दस्तावार भी न हो और उस आहार में हरे चारे का समावेश हो।
संतुलित आहार कैसे बनाया जाता है ?
परिस्थितियों के अनुसार आप अपने पशुओं के लिए संतुलित आहार बनायें। जिन किसान भाईयो के पास हरा चारा उगाने के लिए जमीन और सिंचाई का साधन हो वे अपने पशुओं के लिए हरा चारा पूरे वर्ष उगायें। अच्छे गुण वाला हरा चारा पूरा वर्ष पशुओं को भर पेट खिलाया जाये तो दूध उत्पादन का खर्च बहुत कम हो जाता है तथा सभी आवश्यक पोषक तत्त्व प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हो जाते हैं।
हरे चारे को संतुलित कैसे बनाया जाये ?
किसान भाईयो, जैसा कि आप जानते हैं चारे वाली फसलें दो तरह की होती हैं। एक दाल फलीदार वाली:- जैसे – मक्का, मकचरी, ज्वार, बाजरा, जई आदि तथा दो दाल वाली जसैे – बरसीम, रिजका, लोबिया, ग्वार आदि। एक दाल वाली चारे में – उर्जा की मात्रा अधिक होती हैं। दो दाल वाले चारे में- प्रोटीन, विटामिन और खनिज की मात्रा अधिक होती है। यदि इन दोनों चारों को मिलाकर पशुओं को खिलाया जाये तो सभी तरह के पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में मिल जायेंगे। इस तरह के मिश्रित चारा उगाने के लिए आप एक कतार दो दाल वाले चारे और दो कतार एक दाल वाले चारे की बुआई करें। ऐसा करने से प्रचूर मात्रा में प्रोटीन और उर्जा युक्त हरा चारा मिलेगा आरै आप के खेत की उपजा≈ शक्ति भी बनी रहेगी।
पूरे साल हरा चारा मिलता रहे इसके लिए क्या करें ?
इसके लिए आप गर्मियों में दो कतार बाजरा और एक कतार लोबिया की बिजाई करें। उसके बाद बरसात के मौसम में दो कतार मक्का और एक कतार लोबिया की बुआई करें और सर्दियों में बरसीम के साथ सरसों की बुआई करें। इससे आप सर्दियों में 5 कटाई ले सकते हैं और इस तरह से पूरे साल आप को हरा चारा मिलता रहेगा। जमीन जलवायु और सिंचाई के सुविधानुसार कुछ अन्य फसल चक्रों को भी अपनाया जा सकता है जैसे – मक्का तथा लोबिया (गर्मी में) ज्वार तथा ग्वार (बरसात में) और बरसीम तथा सरसों (सर्दी में) या सूडान घास (गर्मी में) इससे 3 कटाई ले सकते है और बरसीम तथा सरसों (सर्दी में) इससे 5 कटाई ले सकते है या संकर हाथी घास आरै लोबिया (गर्मी में) आरै बरसीम सर्दी में बुआई करें अथवा संकर हाथी घास तथा रिजका की रोपाई (बुआई) करें यदि आपके पास सिंचाई की निश्चित सुविधा है।
जरूरत से ज्यादा चारा उपजे तो उसका क्या करें ?
नवम्बर-दिसम्बर आरै मई-जून के महीनों में चारे की कमी रहती हैं। जबकि अगस्त-सितम्बर आरै मार्च-अप्रलै में हरे चारे की उपज जरूरत से ज्यादा हो सकती हैं। जिनको कमी के महीनों के लिए सुखाकर ;हे बनाकरद्ध या साइलेज ;आचार की तरहद्ध बना कर रख लें। हे बनाने के लिए बरसीम, रिजका या जई का चारा ले आरै साइलेज के लिए मक्का, ज्वार, जई आदि को इस्तेमाल करें।
दुधारू पशुओं को कितना चारा और दाना देना चाहिये ?
यदि हरा चारा प्रचूर मात्रा में मिले तो 8 किलो प्रति दूध उत्पादन के लिए दाने की कोई जरूरत नहीं है। 5 किलो दूध देने वाले पशु को 30-35 किलो हरा चारा और 2-3 किलो भूसा चाहियें। हरे बरसीम में भूसा मिलाकर खिलाये नहीं तो अफारा होने का डर रहता है। 8 किलो से ऊपर दूध देने वाले पशुओं को एक किलो प्रति, ढ़ाई किलो गाय के दूध के लिए तथा दो किलो भैंस के दूध के लिए देना चाहिए। गाभिन गाय भैंसों को गर्भ में बच्चे की बढ़ोत्तरी और गर्भकाल के बाद प्रचूर दूध उत्पादन के लिए अंतिम दो महीनों में अतिरिक्त दो किलो दाना देना चाहिये। काम करने वाले बैलों को 2-3 किलो और सांड को 4-5 किलो दाना प्रतिदिन देना चाहिए। 6 महीने से पर के बछडे-़बछडिय़ों को 10 से 15 किलो हरा चारा, 1-2 किलो दाना आरै 2 किलो भूसा देंl
दाना मिश्रण कैसे बनाते है ?
अच्छा पशु दाना सस्ते तथा साफ चीजों को मिलाकर बनाया जाता है। दूध देने वाले पशुओं के दानें में पाच्य प्रोटीन 15, कुल पाचनीय उर्जा 70, कच्ची प्रोटीन 20, रेशा 17, राख ज्यादा से ज्यादा 4, खनिज मिश्रण 2 एवं नमक 1 प्रतिशत होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए मू°गफली या तील/बिनालैें/सरसों या अलसी का खल- 30-35 किलो तथा 2 किलो खनिज मिश्रण व एक किलो सादा नमक लेकर 100 किलो दाना बना लें।
हरे चारे के कमी के दिनों में पशुओं को संतुलित आहार कैसें दें ?
हरे चारे की कमी या सूखा पड़ने पर आप सूखे चारे का उपचार कर के पशुओं को खिला सकते हैं। सूखे चारे के रूप में अपने देश में अधिकतर गेहू° का भूसा, धान का पुआल और ज्वार, बाजरा के डंठल का उपयोग होता है। इन चारों में पाचक र्जा और प्रोटीन की मात्रा बहुत कम हैं आरै ये चारे पशु शरीर के बनाये रखने की क्षमता भी नहीं रखते। इसलिये इनका उपचार कर के खिलाना जरूरी हैं। इसके दो तरीके हैं-
पहली विधि – शिरा-10 किलो, यूरिया-2 किलो, खनिज मिश्रण-1 किलो, विटामिन मिश्रण-50 ग्राम लेकर 10 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें। उसे 90 किलो सूखे चारे में अच्छी तरह मिलाकर पशुओं को खिलायें।
दूसरी विधि – यूरिया चारा किलो को 60 लिटर पानी में मिलाकर अच्छी तरह 100 किलो भूसे पर छिडक़ाव करें आरै इस चारे की 3-4 सप्ताह के लिए पोलिथिन की चादर से ढक़ कर रख दें। इसके बाद रोज खिलाने की मात्रा को निकाल कर कुछ देर के लिए खुला छोड़ दें। फिर पशुओं को खिलायें। इस तरह से उपचारित भूसों में पशु के शरीर को बनाये रखने की क्षमता होती है तथा 2-3 लिटर तक दूध भी लिया जा सकता है।
क्या पशुओं को खनिज मिश्रण और नमक खिलाना जरूरी है ?
खनिज लवणों की कमी से र्कइ तरह की बिमारियों हात़ी हैं, दूध का उत्पादन घट जाता हैं आरै पज्रनन शक्ति भी कम हो जाती हैं। सादा नमक तो आसानी से मिलता है आरै खनिज, मिश्रण भी बाजार में सपुरमिडिफ, मिक्कमनै, विटामिन, मिनमिक्स आदि नामो से मिल रह है।
पशु को खिलाने-पिलाने में कौन-कौन सी सावधानिया° रखें ?
1.दाना दलिया किया हुआ होना चाहिए लेकिन बारीक पिसा हुआ न हो।
2.अगर चारे की फसल पर कीड़े मारने की दवाई का छिडक़ाव किया गया है तो उसे छिडक़ाव से 15 दिन बाद ही पशुओं को खिलायेंl
3.साइलेज हमेशा दूध निकालने के बाद खिलायें। इससे दूध में साईलेज की बदबू नहीं आयेगी।
4.पशु के लिए साफ पानी बराबर मिलना चाहिये।
5.सूखा ग्रस्त ज्वार जिसकी बढ़वार 5 फुट से कम हो और पत्ते पीले रंग के हो तो पशुओं को नहीं खिलानी चाहिए। यह ज़हरीला होता है। पशुओं के रहने व चरने की जगह कोई ज़हरीला पौधा हो तो उसे काट दें।
6.चारा दाना पशु को डालते समय ध्यान रखें कि कोई नुकिली वस्तु जैसे कील या लकड़ी का कोई टुकड़ा हो तो निकाल दें।
कुछ भ्रांतियाँ:
1.पशुपालकों को यह सलाह दी जाती है कि ऐसा न सोचे कि बिनौला खिलाने से अधिक मक्खन निकलता है और दूध बढ़ता हैं। बिनालैे की जगह बिनालैे का खल खिलाना ज्यादा लाभप्रद हैं। इससे पशु को ज्यादा प्रोटीन मिलता हैं।
2. इस तरह ग्वार की जगह ग्वार चूरी दाने में मिलाकर लाभप्रद हैं। ग्वार चूरी ग्वार से सस्ती आरै अधिक पाैिष्टक हैं।
3.किसान भाई रिजका को घोड़ो का चारा मानते हैं और इसे दूध घटाने वाला भी मानते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, पशुओं को रिजका थोड़ा-थोड़ा खिलाकर आदत डालें तो दूध नहीं घटता हैं।