समस्त महाजन का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम समाप्त- इस साल तकरीबन 12 करोड़ रुपए का गौशाला अनुदान बांटा गया
हाइलाइट्स:
• “बैक्टीरियल कल्चर” मुफ्त में उपलब्ध कराने की घोषणा की
• समस्त महाजन ने इसे गौ क्रांति का नाम दिया
डॉ. आर. बी. चौधरी
विज्ञान लेखक एवं पत्रकार, पूर्व मीडिया प्रमुख एवं प्रधान संपादक- एडब्ल्यूबीआई,भारत सरकार
धर्मज ( गुजरात)
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त संस्था समस्त महाजन का आज तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम गुजरात के प्रख्यात चारा उत्पादक गांव धर्मज में समाप्त हो गया । संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि इस तीन दिवसीय भ्रमण यात्रा पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम में जहां बेसहारा पशुओं के रख-रखाव हेतु संचालित गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए एक ओर गांव के पारंपरिक जल संसाधनों के प्रबंधन, पौधरोपण एवं गोचर विकास से लेकर चारा उत्पादन के विधियों को पुनरजागृत करने की व्यवहारिक बातें बताई गई, वहीं पर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और रसायनिक खादों की विषाक्तता को कम करने के लिए गोबर की खाद का प्रयोग कर पौष्टिक एवं अधिक मुनाफा प्राप्त होने वाले खाद्यान्न प्राप्त कर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से सामना करने की तरकीब बताई गई। प्रशिक्षण के आखिरी दिन बंसी गिर गौशाला के संस्थापक ने “बैक्टीरियल कल्चर””गौ कृपा अमृतमय” मुफ्त मुहैया कराने का वचन दिया और शाह ने इसे गो क्रांति का नाम दिया और कहा कि अब गौ क्रांति से ही जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का समाधान ढूंढा जाएगा।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान सबसे महत्वपूर्ण सत्र रहा है अहमदाबाद के कर्णावती में स्थापित बंसी गिर गौशाला का जहां 250 किसान -पशुपालकों एवं गौशाला संचालकों को गौशाला के संचालक गोपाल सुतरिया ने बताया कि जहर से भरपूर मिट्टी आज फसल पैदा करने के लिए काबिल नहीं है। केमिकल फर्टिलाइजर एवं पेस्टिसाइड के उपयोग ने किसानों को कंगाल बना दिया है। इस विपत्ति से निपटने के लिए अब सिर्फ भारतीय इतिहास की धरोहर गाय ही इसे बचा सकती है। उन्होंने बताया कि हरित क्रांति के पहले हमारी 1 ग्राम मिट्टी में 2 करोड़ उपयोगी सूक्ष्म जीवाणु मिलते थे जो मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति को बढ़ाते थे आज मित्र सूक्ष्म जीवाणु 20 % से भी कम हो गए हैं। किसान की कमर टूट गई है और पंजाब तथा हरियाणा जैसे देश के प्रख्यात राज्य के किसान अपनी अनाज को खाने से कतरा रहे हैं क्योंकि कैंसर की घटनाएं अब मुंह उठाये खड़ी हैं। अपने संवाद में गोपाल सुथारिया ने गो आधारित कृषि अर्थात पारम्परिक कृषि तकनीक के तथ्यों की प्रमाणिकता को आधुनिक विज्ञान के कसौटी पर खरा उतरने के अनेक उदाहरण दिये। प्रशिक्षण में सभी प्रतिभागी मंत्रमुग्ध सुनते रहे। अपने संभाषण के अंत में उन्होंने अपने गौशाला की तरफ से तैयार की गई गोबर से निर्मित “बैक्टीरियल कल्चर” अर्थात “गो कृपा अमृतम” के निशुल्क नमूने भी उपहार स्वरूप दिए और बताया कि एक लीटर बैक्टीरियल कल्चर 1 एकड़ जमीन की उर्वरता बढ़ाने में सक्षम है। उन्होंने यह भी बताया कि बैक्टीरियल कल्चर में 40 से अधिक प्रकार के जीवाणु मिलते हैं जिसमें चार से 6 ऐसे जीवाणु होते हैं जो रोग नाशक एवं कीट नियंत्रक का काम करते हैं। गोपाल सुतरिया ने देश के इच्छुक ऑर्गेनिक किसानों को यह बैक्टीरियल कल्चर मुफ्त में मुहैया कराने जानकारी भी दी। सुतरिया ने कहा कि बंसी गिरी गौशाला के द्वारा प्रदत बैक्टीरियल कल्चर में नाइट्रोजन एवं फास्फोरस फिक्सेशन करने वाली बैक्टीरिया भी पाई जाती हैं जिससे किसानों को यूरिया और फास्फेट जैसी खादों के प्रयोग की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
समस्त महाजन के वरिष्ठ ट्रस्टी देवेंद्र जैन ने बताया कि प्रशिक्षण में शामिल प्रशिक्षुओं को जलाराम गौशाला भाभर खूब पसंद आई क्योंकि गौशाला में 10 हजार से अधिक निराश्रित एवं एक्सीडेंट से प्रभावित गोवंशीय पशुओं की देखभाल दिन रात चलने वाले 25 एंबुलेंस, आधे दर्जन से अधिक पशु चिकित्सक और 250 से अधिक सेवा कर्मियों के माध्यम से की जाती है। उन्होंने बताया कि सालाना 15 करोड रुपए का खर्च आता है जो विभिन्न प्रकार के फंड प्रबंधन के माध्यम से एकत्र किया जाता है। समस्त महाजन के फलोदीनिवासी राजस्थान राज्य कोऑर्डिनेटर रविंद्र जैन ने कहा कि सभी प्रतिभागियों को ऐसे मॉडल संस्थाएं दिखाई गई जहां देश की बेसहारा एवं निस्सहाय गायों के प्रबंधन का अभिनव प्रयास किया गया है। भाभर गोशाला के प्रबंधक ने बताया कि एक दाता ने अपने 52 एकड़ जमीन को गौशाला के लिए दान कर दिया जिसे वर्तमान में एक बेहतर गौशाला बनाई गई है। वहां एक बहुत बड़े तालाब की खुदाई कर जल प्रबंधन का अद्भुत कार्य संपन्न किया गया है इसमें समस्त महाजन संस्था का विशेष मार्गदर्शन एवं सहयोग रहा।इस बार के प्रशिक्षण में राजस्थान के गौशाला प्रतिनिधियों का बाहुल्य था जिसका बेहतर समन्वय देवेन्द्र जी वापी, प्रोफेसर हीराराम गोदारा(संत आंनद किरण), रवींद्र जैन, हरनारायण सोनी , गौतम चंद बाबेल ने किया ।उन्होंने बताया कि अब राजस्थान गौ संरक्षण के लिए जल संचय क्रांति की ओर आगे बढ़ चुका है जिसमें राज्य कोऑर्डिनेटर रविंद्र जैन (फलोदी)का उल्लेखनीय योगदान है। प्रोफेसर आनंद ने आशा व्यक्त की कि राजस्थान आने वाले दिनों में गौसंरक्षण में देश का अग्रणी राज्य होगा जहां की गौशालाएं स्वाबलंबन की दिशा में एक नया इतिहास बनाएंगी।
शिक्षण के समापन के अवसर पर गिरीश शाह ने बताया कि प्रशिक्षण में शामिल सभी गौशाला प्रतिनिधियों को संस्था की ओर से वर्षांत तक तकरीबन ₹ 12 करोड़ का अनुदान , जल प्रबंधन, वृक्षारोपण एवं चारागाह विकसित करने जैसे महत्वपूर्ण गौशाला विकास कार्यों के लिए प्रदान किया गया और अब तक तकरीबन 3,000 से अधिक गौशाला प्रतिनिधि अकेले राजस्थान से शामिल हो चुके हैं. शाह ने बताया कि राजस्थान के चितौड़ में जनवरी महीने में गौशाला प्रतिनिधियों का एक बहुत बड़ा सम्मेलन किया जाएगा जिसमें देशभर के बेहतर काम करने वाली गौशाला संस्थाएं अपने अपने कार्यों एवं उपलब्धियों की चर्चा करेंगे। राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में चलाए जा रहे इस गौशाला स्वावलंबन अभियान के बाद अब संस्था उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कार्य करेगी ताकि देश भर में गोवंशीय पशुओं पर होने वाले अत्याचार तथा अपराध को रोका जा सके।उन्होंने यह भी बताया कि समस्त महाजन गोवंशीय पशुओं की वर्तमान हालात बहुत चिंतित है एवं इस दिशा में देशभर में किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का लेखा-जोखा रखने वाली एक डाटा बैंक तैयार कर रहा है जो देश भर के गौशाला संचालकों से लेकर शिक्षा , अनुसंधान तथा नीति निर्माण में लगे विशेषज्ञों के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आखिरी सत्र धर्मज गांव में संपन्न हुआ जिसने चारा उत्पादन के मामले में एक गौरवशाली इतिहास की रचना की है जिसका नतीजा है कि गांव आधुनिक शहर में बदल गया है। धर्मज गांव में कोई पुलिस चौकी नहीं ,कोई चोरी डकैती नहीं है। आधे दर्जन से अधिक राष्ट्रीय कृत बैंक है।गांव में स्विमिंग पूल और डिजिटल भारत कि हर छवि मिलेगी। धर्मज गांव के विकास शिल्पी के पुत्र राजेश पटेल भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने धर्मज गांव के प्रगति का इतिहास बताया और कहा कि समस्त महाजन का प्रशिक्षण कार्यक्रम इस गांव को तीर्थ स्थल बना दिया है, जहां गांव की समृद्धि और गाय के योगदान की हर साल कई गहन चर्चा और आत्ममंथन किया जाता है जिसका संदेश देश के कोने-कोने में जाता है।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण के आखिर में सभी प्रशिक्षुओं को समस्त महाजन की ओर से घर लौटते समय इस बार भी जहां चेक प्रदान किया गया वहीं दूसरी तरफ तीन दिवसीय प्रशिक्षण यात्रा को याद रखने के लिए स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया गया।
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