केंद्रीय पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य-पालन मंत्रालय के सचिव के मुताबिक सरकार ने इस दिशा में जो कदम उठाए हैं उससे आने वाले दिनों यह क्षेत्र गेम चेंजर साबित होने वाला है।
Pashudhan Praharee Network,Oct 17,2019
नई दिल्ली. केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य-पालन मंत्रालय के सचिव अतुल चतुर्वेदी ने किसानों की आमदनी को बढ़ाने का फॉर्मूला दिया है। चतुर्वेदी की मानें तो पशुपालन के जरिए किसानों की आय में चार गुनी बढ़ोत्तरी हो सकती है और इससे पीएम मोदी के साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
गेम चेंजर साबित होगा पशुपालन
एजेंसी को दिए इंटरव्यू में अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि पशुपालन क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए सरकार इस पर विशेष ध्यान दे रही है। उनकी मानें तो इस क्षेत्र में किसानों की आय में चार गुनी बढ़ाने की ताकत है और आने वाले दिनों में यह क्षेत्र ‘गेम चेंजर’ साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 12 फीसदी है, जबकि इसकी सालाना वृद्धि दर करीबन तीन फीसदी है। वहीं, पशुपालन और डेयरी की सालाना वृद्धि दर छह फीसदी है, जबकि जीडीपी में इसका योगदान महज चार फीसदी है। दरअसल, इस क्षेत्र में जितना ध्यान दिया जाना चाहिए उतना अब तक नहीं दिया गया था।
पीएम मोदी ने लॉन्च किया था कृत्रिम गर्भाधान और टीकाकरण अभियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मथुरा में राष्ट्रीय पशु रोक नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीडीपी) और राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम शुरू किया था। चतुर्वेदी के मतुबाकि पशुपालन के क्षेत्र में इतना बड़ा कार्यक्रम अब तक दुनिया के किसी देश में कहीं नहीं हुआ है। देश में करीब 51 करोड़ पशुधन को साल में दो बार फुट एंड माउथ डिसीज (पशुओं में होने वाली पैर और मुहं की बीमारी) के टीके लगवाए जाएंगे। इस तरह किसी एक बीमारी के लिए साल में 102 करोड़ बार टीके लगवाए जाएंगे। इसके साथ-साथ ब्रूसीलोसिस के 3.6 करोड़ टीके लगवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह दो बीमारियों के लिए साल में पशुधन को 105.6 करोड़ टीके लगवाए जाएंगे।
पशुओं की बीमारी से बड़ा नुकसान
फुट एंड माउथ डिजीज (एफएंडडी) पशुओं की एक लाइलाज बीमारी है, जिससे किसानों का सालाना करीब 20,000 करोड़ का नुकसान होता है और ब्रूसीलोसिस के कारण 30,000 करोड़ का नुकसान होता है, इसलिए टीकाकरण से इन दोनों बीमारियों पर नियंत्रण कर किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए 2022 तक एफएंडडी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
क्या होता है ब्रूसीलोसिस
ब्रूसीलोसिस में पशुओं में समय से पहले और मृत बच्चे पैदा होते हैं जबकि एफएंडी में पशु बुखार से पीड़ित होते हैं और उनके मुंह व पैर में छाले पड़ जाते हैं। इससे गाय या भैंस कम दूध देती है और कमजोर हो जाती हैं। ये टीके अब गाय और भैंस के अलावा भेड़, बकरी और सूअर में भी लगेंगे।
रोगमुक्त होकर बढ़ाया जा सकता है दूध का उत्पादन
इन दोनों बीमारियों पर नियंत्रण के लिए पांच साल के इन दोनों टीकाकरण पर पांच साल में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जाएगी, जिससे किसानों को 50,000 करोड़ रुपये सालाना के नुकसान से बचाया जाएगा। दुधारू पशु अगर रोगमुक्त होंगे और भारत से इन बीमारियों का उन्मूलन हो जाएगा तो दुग्ध उत्पादों की विदेशों में मांग बढ़ेगी जिससे हमारा निर्यात बढ़ेगा जो अभी बहुत कम है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है।