सीमेन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है ।

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2017

सीमेन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है ।

By -सविन भौगरा

वीर्य की जांच का सामान्य रिजल्ट –

जब डॉक्टर सीमेन टेस्ट के रिजल्ट को पढ़ते हैं तो उनको बहुत सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन बांझपन या प्रजनन संबंधी समस्याओं के लिए किये जाने वाले वीर्य के टेस्ट में वीर्य की काफी गहराई से जांच की जाती है। वीर्य की जांच में डॉक्टर निम्न सभी कारकों की ध्यानपूर्वक जांच करते हैं।

शुक्राणुओं की आकृति – वीर्य की जांच का रिजल्ट सामान्य होने के लिए 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु सामान्य आकृति में होने चाहिए। यदि किसी बुल के वीर्य के सेंपल में 50 – 60 प्रतिशत से भी अधिक ऐसे शुक्राणु हैं जिनकी आकृति असामान्य है तो उससे उसकी प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है। टेस्ट के दौरान शुक्राणुओं के सिर, बीच का हिस्सा और पूंछ की जांच की जाती है। यह भी संभव है कि शुक्राणु पूरी तरह से परिपक्व ना हों जिसके कारण वह अंडे को निषेचित नहीं कर पाते हैं।
शुक्राणुओं की गतिशीलता – स्खलन के 1 घंटे के बाद भी वीर्य में 50- 60 प्रतिशत से भी अधिक शुक्राणुओं का सामान्य रूप से गतिशील रहना जरूरी होता है क्योंकि शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचना पड़ता है। एक मशीन शुक्राणुओं की गतिशीलता का मूल्यांकन करती है और उनकी गतिशीलता की स्थिति 0 से 4 के पैमाने पर मापती है। अंक 0 का मतलब है कि शुक्राणु बिलकुल भी नहीं हिल रहे और 3 व 4 अंक बताते हैं कि शुक्राणु सामान्य रूप से गतिशील हैं।
पीएच स्तर – वीर्य की जांच के सामान्य रिजल्ट में पीएच का स्तर 7.2 ले 7.8 होता है। यदि पीएच का स्तर 8.0 से ऊपर है तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। यदि पीएच का स्तर 7.0 से नीचे आए तो यह वीर्य का सेंपल दूषित होने का या पुरुष की स्खलन करने वाली नलिकाएं रुकी हुई होने का संकेत देता है।
वीर्य की मात्रा – वीर्य की जांच का सटीक और सामान्य रिजल्ट पाने के लिए वीर्य का कम से कम 2 मिलीमीटर सेंपल लिया जाना चाहिए। यदि सेंपल की मात्रा कम है तो उसमें अंडे को निषेचित करने वाले शुक्राणुओं की संख्या भी कम होगी।
पतला होना (Liquefaction) – वीर्य पतला होने से पहले 15 से 30 मिनट का समय लेता है। वैसे तो वीर्य काफी गाढ़ा होता है लेकिन इसके पतला हो जाने की क्षमता शुक्राणुओं को हिलने में मदद करती है। यदि वीर्य 15 से 30 मिनट तक तरल रूप में ना बदल पाए तो इसका असर बुल की प्रजनन शक्ति पर पड़ता है।
शुक्राणुओं की संख्या – वीर्य की जांच के सामान्य रिजल्ट में शुक्राणुओं की संख्या 2 करोड़ से 20 करोड़ होती है। शुक्राणु की संख्या की जांच करने वाले टेस्ट को स्पर्म डेंसिटी (Sperm density) के नाम से भी जाना जाता है। वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या जितनी कम होती है, गर्भधारण धारण करने में उतनी ही मुश्किल होती है।
शुक्राणु कैसे दिखते हैं (Appearance) – वीर्य की जांच के सामान्य रिजल्ट में शुक्राणु धुंधले सफेद या धुंधले-पारदर्शी होते हैं। यदि शुक्राणुओं में लाल या ब्राउन रंग के धब्बे दिखाई देते हैं तो यह खून की उपस्थिति का संकेत होता है। यदि शुक्राणुओं में पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं तो यह पीलिया या किसी दवाई के साइड इफेक्ट का संकेत देते हैं।
वीर्य की जांच के असामान्य रिजल्ट –

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यदि शुक्राणु असामान्य हैं तो उनको अंडे तक पहुंचने और उसे निषेचित करने में परेशानी होती है जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। वीर्य का जांच का असामान्य रिजल्ट निम्न का संकेत दे सकता है:

बांझपन
संक्रमण
हार्मोन असंतुलन

रेडिएशन के संपर्क में आना
यदि आपका रिजल्ट असामान्य आया है तो डॉक्टर आपको कुछ अन्य टेस्ट करवाने के सुझाव दे सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

जेनेटिक्स टेस्ट (जैसे डीएनए टेस्ट)
हार्मोन की जांच
स्खलन के बाद यूरिन टेस्ट
वृषणों के ऊतक का सेंपल लेना (बायोप्सी)
एंटी स्पर्म इम्यून सेल्स टेस्टिंग (Anti-sperm immune cells testing)

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