हिमीकृत बीर्य का वितरण एवं रख-रखाव
वीर्य उत्पादन केन्द्र से वीर्यकोश या कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र तक हिमीकृत वीर्य के स्थानान्तरण या कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र में वीर्य के रख-रखाव के दौरान तापमान के उतार- चढ़ाव के कारण शुक्राणुओं के नष्ट होने या वीर्य के खराब होने का खतरा बना रहता है। विभिन्न केन्द्रों पर बार-बार वीर्य वितरण के दौरान कन्टेनर में तरल नाईट्रोजन की मात्रा कम होने या अन्य कारणों से भी हिमीकृत वीर्य खराब हो सकता है। अतः वीर्य वितरण तथा रख-रखाव के दौरान निम्न मुख्य बातों का बचाया जा सकता है:
1. वीर्य वितरण से पहले नाईट्रोजन सिलेण्डरों को तरल नाईट्रोजन से भरा होना चाहिए।
2. वीर्य प्राप्ति के दौरान नाईट्रोजन सिलेण्डरों को पास-पास रखना चाहिए।
3. एक सिलेण्डर से दूसरे सिलेण्डर में वीर्य का स्थानान्तरण केवल नाईट्रोजन से भरे गोबलैट्स के द्वारा ही व जल्दी से जल्दी करना चाहिए तथा इस कार्य में पांच सैकेंड से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए।
4. गिनती करने या स्थानान्तरण के लिए एक-एक स्ट्रॉ को हाथ से स्पर्श करने से बचना चाहिए।
5. विभिन्न गर्भाधान केन्द्रों की जरूरत के अनुसार ही हिमीकृत वीर्य को गोबलैटस में भरना चाहिए।
6. प्रत्येक गोबलैट तथा केनिस्टर में रखे वीर्य की सही पहचान अंकित होनी चाहिए।
7. सिलेण्डरों में नाइट्रोजन की मात्रा समय-समय पर जांच कर, उचित स्तर तक रखें।
हिमीकृत वीर्य की थाइंग (पिंघलाना):
हिमीकृत वीर्य को गर्म करके ठोस अवस्था (हिमीकृत अवस्था) से तरल अवस्था में लाने की प्रक्रिया को थाइंग कहते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान हिमीकत वीर्य को उचित तापमान वाले पानी में एक निश्चित समय के लिए डुबोया जाता है। कृत्रिम गर्भाधान के समय यह एक मुख्य व सर्वाधिक संवेदनशील प्रक्रिया है। यदि थाइंग सही तरीके से न की जाए या इस प्रक्रिया के दौरान मुख्य बातों का ध्यान रखने से वीर्य को खराब होने से ध्यान न रखा जाए तो इस से शक्राणुओं पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। अतः थाइंग के समय निम्न मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. एक समय में एक ही स्ट्रा की थाइंग करें।
2. स्ट्रा को कन्टेनर से निकालने के लिए हमेशा लम्बी चिमटी का प्रयोग करें तथा हाथ से कभी स्ट्रा न निकालें।
3. थाइंग के लिए स्वच्छ ताजे पानी का प्रयोग करें।
4. पानी की मात्रा इतनी रखें की पूरा स्ट्रा पानी में डूब जाए।
5. इस कार्य के लिए किसी थर्मस, बिजली चालित थाइंग यूनिट या चौड़े मुँह के बर्तन का प्रयोग किया जा सकता है।
6. थाइंग के लिए पानी का तापमान 35° सें. रखें तथा इसमें 50 से 60 सैंकेंड तक थाइंग करें।
7. केनिस्टर को नाइट्रोजन सिलेन्डर की गर्दन के निचले वाले हिस्से से उपर न उठाएं।
8. सिलेण्डर से निकालने के बाद स्ट्रा को हल्का से झटका दें तथा जल्द से जल्द थाइग वाले पानी में डालें।
9. थाइंग व गर्भाधान के बीच 15 मिनट से ज्यादा का समय न लें।
10. एक बार थाइंग करने के बाद स्ट्रॉ को वापिस हिमीकृत वीर्य कन्टेनर में कभी न रखें क्योंकि इसे दोबारा हिमीकृत नहीं किया जा सकता है।
11. थाइंग के लिए जेब, हवा, बर्फ, हथेली, ए.आई. गन आदि का प्रयोग न करें।
12. घर द्वार पर कृत्रिम गर्भाधान के लिए हिमीकृत वीर्य को तरल नाईट्रोजन कन्टेनर या थर्मश जिसमें 35° सें. तापमान का पानी हो, में ले कर लाएं तथा कभी भी बर्फ, ठण्डे पानी या जेब में न ले जाएं।
13. धूप, गर्मी, हवा, धूल, मिट्टी आदि से वीर्य को बचाकर रखें।
14. थाइंग के बाद स्टा को अच्छी तरह से किसी साफ कपड़े या रूमाल से सुखा लें।
वीर्य वितरण, रख-रखाव तथा थाइंग के दौरान यदि उपरोक्त मुख्य बातों का ध्यान रखा जाए तो मादा जननांगों तक पहुंचने वाले वीर्य की गुणवत्ता अच्छी होगी तथा इससे मादा पशु के गर्भधारण की सम्भावना भी बढ़ जाती है।