- जैसे-जैसे तरल दूध की माँग बढ़ती जा रही है, उतनी ही तेजी से इस माँग को पूरा करने के लिए अपराधिक प्रवृति के लोगों द्वारा कृत्रिम (सिन्थेटिक) दूध बनाना शुरू कर रखा है। त्योंहारों के दिनों में तो इसका प्रचलन और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यह मिलावटी दूध हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है।
- कृत्रिम दुध के रासायानिक घटक
- कृत्रिम दूध बनाने में प्राय: रिफाइन्ड ऑयल, माल्टोज, यूरिया, सोडियम सल्फेट, अरारोट, डिटर्जेंट, सस्ता शैम्पू, चीनी, पेंट, मोबिल ऑल आदि पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। इस कृत्रिम दूध में वसा की मात्रा 5-5.0 प्रतिशत तथा एस.एन.एफ. की मात्रा लगभग 9.0 प्रतिशत रखी जाती है। कृत्रिम दूध देखने तथा सूँघने में असली दूध की तरह ही होता है। इस दूध में थोड़ा कड़वापन अवश्य होता है। अत: इस कड़वाहट को समाप्त करने के लिए इसमें 20-25 प्रतिशत तक असली दूध मिलाया जाता है। अत: इस दूध की जाँच करना आवश्यक हो जाता है ताकि हमारी सेहत के साथ खिलवाड़ होने बचा जा सके।
- कृत्रिम दूध की जाँच
- कृत्रिम दूध की जाँच निम्न प्रकार की जा सकती है।
- दूध में सोडा तथा डिटर्जेंट की जाँच (Testing of Soda and Detergent in milk): मिलावटी दूध की जाँच के लिए दूध के सैम्पल को ध्यानपूर्वक देखना चाहिए एवं इसकी गन्ध को सूँघना चाहिए। कृत्रिम दूध की जाँच के लिए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड एवं राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा) द्वारा विकसित ‘मिल्क टेस्टिंग किट’ में दिये गये स्टिप पेपर ‘बी’ में से एक टुकड़ा लेकर उस पर दूध डालें। यदि इसका रंग लाल हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि दूध में सोडा अथवा डिटर्जेंट मिलाया हो सकता है।
- सामान्य दूध में प्राकृतिक रूप से कोई खटास या क्षारीयपन का स्वाद नहीं होता है। परन्तु जब दूध में रिफान्ड ऑयल अथवा डिटर्जेंट मिलाया जाता है तो दूध का स्वाद क्षारीय तथा हल्का कड़वाहट लिए हुए साबुन के रंग जैसा हो जाता है। इसकी जाँच के लिए दूध का 0 मि.ली. दूध का सैम्पल लें और इसमें 5.0 मि.ली. रसायन (कृत्रिम दूध जाँच किट में उपलब्ध) एस.आर.-1 मिलायें। यदि इसका गुलाबी या लाल रंग हो जाये तो दूध में सोडा, कास्टिक सोडा या डिटर्जेंट की मिलावट हो सकती है। यदि इसका रंग भूरा या नारंगी रंग दिखायी दे तो यह समझना चाहिए कि इसमें सोडा नहीं मिला है।
- मिलावटी दूध में सोडा की जाँच के लिए परखनली में सबसे पहले 0 मि.ली. दूध का सैम्पल लें। फिर इसमें 5.0 मि.ली. इथाइल एल्कोहोल डालें। इसके बाद उसमें एक बूँद रोजेलिक एसिड का विलयन (1 प्रतिशत) हिलाकर मिलाएं व परखनली के द्रव के रंग का निरीक्षण करें। यदि द्रव का रंग गुलाबी लाल रंग का दिखायी दे तो मान लेना चाहिए कि दूध में सोडा मिला हुआ है। यदि द्रव पीलापन लिए हुए लाल रंग का दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए कि दूध में सोडा की मिलावट नहीं है।
- दूध में यूरिया की मिलावट की जाँच (Testing of Urea in milk): – दूध में यूरिया की मिलावट की जाँच करने के लिए 0 मि.ली. दूध के सैम्पल को एक परखनली में लें। दूण डालने के बाद उसमें डी.ए.एम.बी. विलयन (1.6 प्रतिशत) 5.0 मि.ली. डालें। इसके बाद परखनली को हिलाकर दूध तथा इस विलयन को मिश्रित करें। मिश्रित होने के बाद यदि परखनली में दूध का रंग गहरा पीला हो जाता है तो यह समझना चाहिए कि दूध में यूरिया मिलाया गया है। यदि दूध का रंग हल्का पीला हो तो इस दूध में यूरिया नहीं मिलाया गया है। दूध में ग्लूकोज के मिलावट की जाँच: – मिलावटी दूध में ग्लूकोज की जाँच के लिए 1.0 मि.ली. दूध परखनली में डालें। फिर इस परखनली के दूध में 1.0 मि.ली. ‘बारफायड रसायन’ मिलाकर तीन मिनट की अवधि के लिए परखनली को उबलते पानी में रखें। तीन मिनट के बाद परखनली को बाहर निकालकर उसे तुरन्त ठण्डा करें तथा उसमें 1.0 मि.ली. ‘फास्फोमालिब्डिक एसिड’ मिलायें। दोनों द्रवों का मिश्रण हो जाने के बाद परखनली में दूध के रंग की जाँच करें। यदि परखनली का द्रव हल्के नीले रंग का दिखायी दे तो इस सैम्पल के दूध में ग्लूकोज नही मिला है। यदि परखनली का द्रव का रंग गहरा नीला हो जाता है तो इस सैम्पल में ग्लूकोज मिलाया गया है।
- दूध में चीनी मिलावट की जाँच (Testing added sugars in milk): एक परखनली में 0 मि.ली. दूध का सैम्पल लेकर उसमें 1.0 मि.ली. ‘सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक एसिड तथा 100 मि.ग्रा. ‘रिसारसिनाल फ्लेक्स’ मिलाकर 10 मिनट तक उबलते पानी में परखनली को रखें। 10 मिनट बाद परखनली के द्रव की जाँच करें। यि द परखनली के द्रव का रंग ईंट के समान लाल दिखाई दे तो यह मान लेना चाहिए कि सैम्पल के दूध में चीनी मिली हुई है। यदि परखनली के द्रव में कोई रंग नहीं आता है तो यह संकेत करता है कि सैम्पल के दूध में चीनी की मिलावट नहीं है।
- दूध में नमक मिलावट की जाँच Testing of added salt in milk): – एक परखनली में 0 मि.ली. नाईट्रेट विलयन (1.0 प्रतिशत) लें। इसके बाद परखनली में 2 बूँद पोटेशियम क्रोमेट विलयन (1.0 प्रतिशत) मिलायें। इसके बाद परखनली में 1.0 मि.ली. दूध के सैम्पल को इस प्रकार धीरे-धीरे दूध में मिलाएं कि तीनों द्रव भली प्रकार मिश्रित हो जाएं। इसके बाद परखनली के द्रव का निरीक्षण करें। यदि दूध का रंग गहरा भूरा दिखयी दे तो यह मानना चाहिए कि दूध में नमक नहीं मिला है और यदि द्रव का रंग पीला अथवा हल्का पीला दिखयी दे तो यह मान लेना चाहिए कि दूध में नमक की मिलावट की गयी है।
- दूध में स्टार्च, आटा, अरारोट, आलू या साबूदाना मिलावट की जाँच (Testing of added starch] flour, ararot or sabudana in milk): – आटा, अरारोट, आलू तथा साबूदाना के चूर्ण में स्टार्च बहुतायत में पया जाता है। स्टार्च को दूध में मिलाने से दूध गाढ़ा हो जाता है। दूध में स्टार्च के परीक्षण के लिए सबसे पहले परखनली में 0 मि.ली. दूध के सैम्पल को डालकर उबालें व फिर ठण्डा कर लें। द्रव को ठण्डा करने के बाद उसमें 1-2 बूँद आयोडीन विलयन की (1.0 प्रतिशत) मिलाएं और परखनली को हिलाने के बाद इसके द्रव के रंग का निरीक्षण करें। यदि परखनली के द्रव का रंग हल्का भूरा दिखायी दे तो मान लेना चाहिए कि दूध में स्टार्चा का मिश्रण नहीं किया गया है। लेकिन यदि परखनली के द्रव का रंग हल्के से गहरा नीला दिखाई दे तो मान लेना चाहिए कि सैम्पल के दूध में स्टार्च मिला हुआ है।
- फॉरमेलिन मिलावट की दूध में जाँच (Testing of added formalin in milk): – एक परखनली में 0 मि.ली. दूध का सैम्पल लें। फिर उसमें 1.0 मि.ली. फेरिक क्लोराइड विलयन (1 प्रतिशत) मिलाकर परखनली की दीवार के साथ-साथ 5.0 मि.ली. सान्द्र सल्फ्यूरिक एसिड धीरे-धीरे डालें जिससे कि परखनली में एसिड व दूध की परत अलग-अलग बनी रहें। फिर दोनों परतों के मिलने की सतह का निरीक्षण करें। यदि मिलने वाली सतह पर बैंगनी रंग का घेरा दिखायी दे तो यह मान लेना चाहिए कि सैम्पल में फारमेलिन मिलाई गयी है। यदि दोनों परतों की सतह पर कोई रंग न दिखायी दे तो यह मानना चाहिए कि दूध के सैम्पल में फारमेलिन की मिलावट नहीं की गयी है।
- रिफाइन्ड ऑयल, वनस्पति तेल, घी की मिलावट की जाँच (Testing of added vegetable oil in milk): – एक परखनली में 0 मि.ली. दूग्ध वसा लें और उसमें 2.0 मि.ली. पी.आर. विलियन लें। यदि तत्काल लाल पारदर्शी रंग हो जाता है तो यह मान लेना चाहिए कि सैम्पल के दूध में दुग्ध वसा है, और यदि उसका रंग नीला दिखायी दे तो यह वनस्पति तेल मिले मिले होने का संकेत है।
- पशुओं की वसा तथा वनस्पति वसा की जाँच (Testing of animal/vegetable fat in milk): एक परखनली में 0 मि.ली. ‘टी.आर.-8’ मिलायें। इसे उबलते पानी में तब तक रखें जब इस विलयन कारंग पारदर्शी न हो जाये। परखनली को बाहर निकालें और उसमें थर्मामीटर डालकर प्रतीक्षा करें एवं यह तापमान देखें। जब विलयन पुन: आविलग (turbid) होता है, यदि 36-40 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच आविलग होता है तो शुद्ध वसा है और 40 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर आविलग होता है तो सैम्पल में पशु वसा अथवा वनस्पति वसा मिलाये जाने की आशंका है।
- 0 मि.ली. दूध का घी या 5.0 मि.ली. दूध में 3.0 मि.ली. (एफ.आर.-9) विलयन मिलाकर गर्म करें तथा उसे सूँघें। यदि पके फल जैसी सुगन्ध आती है तो दूध के सैम्पल में दूध की वसा है। यदि उसमें साबुन जैसी गन्ध आती है तो यह मान लेना चाहिए कि सैम्पल में दूध की वसा नहीं है।
- तालाब के पानी की जाँच (Testing of pond water in milk): पहले दूध को 10 प्रतिशत एसिटिक एसिड से फाड़ कर फिल्टर कर लें। फिल्टरेट से परखनली को धोकर 0 प्रतिशत ‘डाइफिनायल एमीन’ विलयन की कुछ बूँदें परखनली के किनारे से डालें। गहरे नीले रंग का होना तालाब के पानी की मिलावट को दर्शाता है।