दिसंबर / अगहन माह में पशुपालकों हेतु महत्वपूर्ण दिशा निर्देश
डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चोमूहां,मथुरा, उत्तर प्रदेश
दिसंबर/ अगहन:
१. पशुओं का ठंडक से बचाव करें परंतु झूल डालने के पश्चात आग से दूर रखें।
२. पशु तथा नवजात बच्चों को अंतः क्रमि नाशक औषधि अवश्य पिलाएं।
३. अवशेष पशुओं में खुर पका मुंह पका का टीका अवश्य लगवाएं।
४. सूकरो मैं स्वाइन फीवर का टीका अवश्य लगवाएं।
५. दुधारू पशुओं को थनैला रोग से बचाने के लिए पूरा दूध निकालें और दूध दोहन के बाद थनों को कीटाणुनाशक घोल जैसे पोटेशियम परमैंगनेट1:1000 के घोल से धो लें।
६. यदि इस समय वातावरण में बादल नहीं है और पशुओं को खिलाने के लिए अतिरिक्त हरा चारा बचा हुआ है तो उसे छाया में सुखाकर “हे” के रूप में भविष्य के लिए संरक्षित कर लें।
७. बुवाई के 50 से 55 दिन बाद बरसीम एवं 55 से 60 दिन बाद जई के चारे की कटाई करें।
८. 3 महीने पूर्व कृत्रिम गर्भाधान किए हुए पशुओं का गर्भ परीक्षण कराए।
९. नवजात शिशु को विशेष रुप से ठंड से बचाएं एवं उन्हें खीस अर्थात कोलोस्ट्रम अवश्य पिलाएं। जिससे कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो सके।