गायों के संतिजनन (प्रसव) पूर्व लक्षण
डॉ दीपिका डायना सीज़र, डॉ. संजू मंडल, डॉ सुमन संत, डॉ मधु शिवहरे, डॉ. अनिल सिंह, डॉ. ज्योत्सना शक्कार्पुड़े एवं डॉ.माधुरी धुर्वे
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर
गायों की गर्भावधि या गर्भकाल की अवधि लगभग २८० दिन एवं भैंसों की लगभग ३१० दिनों की होती है | गर्भावधि के पूर्ण होने पर बच्चे/बछड़े को जन्म देने की क्रिया को प्रसव/ गाय का ब्यांना कहते हैं | गर्भावस्था पूर्ण होने के पश्चात या प्रसव के पूर्व पशुओं के सामान्य व्यवहार एवं सामान्य लक्षणों में अंतर प्रसव पूर्व लक्षण कहलाता है | इन अलग लक्षणों से पशु के ब्याने के समय का अनुमान लगाया जा सकता है | पशुपालको को प्रसव या गाय के ब्याने के पहले के लक्षणों का पता होना या उसकी पहचान करना आवश्यक है ताकि वह पशु को अलग कर रखे और प्रसव के दौरान एवं उसके उपरान्त की सम्पूर्ण व्यवस्था कर सकें | प्रसव के दौरान किसी भी प्रकार की मुश्किल या तकलीफ के होने को dystocia (डिस्टोकिया) कहा जाता है और इसका सीधा असर उसके दुग्ध उत्पादन पर हो सकता है | प्रसव के समय किसी भी तरह की परेशानी होने का पता उसके लक्षणों की सही जानकारी होने पर ही लग सकता है | अधिकांशतः बछिया और देसी नस्ल की छोटी गायें प्रसव के समय की परेशानियों का ज्यादातर शिकार होती हैं |
निम्न प्रकार के लक्षणों से प्रसव के समय का अनुमान लगाया जा सकता है एवं विपरीत परिस्थिति होने पर तुरंत सहायता एवं उपचार किया जा सकता है | लक्षण कुछ इस प्रकार के देखने को मिलते हैं :
- थनों में दूघ का भर जाने से थन का आकार बढ़ जाना | यह करीब प्रसव के २४-४८ घंटे पहले देखा जाता है |
- प्रजनन अंगो में सूजन आ जाना |
- योनिमुख से सफ़ेद पानी का स्त्राव होना |
- पुट्ठा टूटना |
- पेट का आकार बछड़े के पीछे (बाहर के तरफ) आने के कारण कम होने लगना |
- अपने झुण्ड से अलग होने का प्रयास करना |
- शारीरिक पीड़ा होने के कारण बार-बार बैठना-उठना, उदर पर लात मारना, गोल घूमना, पीछे के तरफ मुढ़कर देखना, कम-कम मात्रा में बार-बार पेशाब करना और पूँछ सरसराना |
- पेशाब करने की मुद्रा में बछड़े को जन्म देने के लिए ज़ोर लगाना |
- पानी की थैली का बाहर आना तथा कुछ समय बाद उसका फट जाना |
- सामान्यत: ब्याने के समय बछड़े के आगे के दोनों पैर पहले बाहर आते दिखते हैं |
बछड़े का सिर्फ एक पैर बाहर आना, सिर्फ नथुना बाहर दिखना या फिर गाय का प्रसव क्रिया की कोशिश करते-करते थक जाने पर यह समझ लेना चाहिए की बछड़ा फ़स गया है या गाय को डिस्टोकिया हो सकता है | ऐसे में पशुचिकित्सक की सहायता की ज़रुरत पड़ सकती है ताकि उसे सही तरीके से बाहर लाया जा सके | कई बार देखा जाता है की पशुपालक खुद बछड़े को निकलने की कोशिश करते हैं बिना पशुचिकित्सक की सलाह और निगरानी में जिससे यह तकलीफ और बढ़ जाती है और गाय और बछड़े दोनों की जान को खतरा हो जाता है |
गाय के ब्याने के करीबन ८ से १२ घंटे में जर गिरती है यदि समय के अन्दर जर न गिरे तब भी पशुचिकित्सक से सलाह लेना तथा उसका शीघ्र इलाज करवाना ज़रूरी है | अगर समय रहते इसका इलाज नही हुआ तो गाय के जननांगों में संक्रमण होने की सम्भावना बढ़ जाती है तथा उसके दूध में भी अंतर आ सकता है |
अनुभवी पशुपालक सामान्य प्रसव के दौरान पशु की सहायता में सक्षम हो सकते हैं लेकिन गंभीरजनक परेशानी में पशुचिकित्सक की निगरानी, जांच और सहायता अतिआवश्यक है|