पशुओ में कृत्रिम गर्भाधान और उसके लाभ
डॉ० हर्षिता सूद 1, डॉ० अजय पटियाल 2, डॉ० रोहित कुमार 3, डॉ० सुशील कुमार4
किसी भी देश के विकास में डेरी विकास एक प्रभावी उपकरण है। भारत में डेरी पशुओं की संख्या बहुत अत्यधिक होने के बाबजूद दूध उत्पादकता उस स्तर की नही है। इसके कई कारण है जैसे कि अच्छी नस्ल के पशुओ की कमी, संतुलित आहार का न होना, बेहतर प्रजनन तथा अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओ का अभाव इत्यादि। इन कमियो के साथ-साथ पशुओ में कृत्रिम गर्भाधान को लोगो द्वारा कम अपनाना और कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा का लोगो तक कम पहुंचना भी एक प्रमुख कारण है। कृत्रिम गर्भाधान नस्ल सुधार के लिये एक महत्वपूर्ण तकनीक है। इसको अपनाकर नस्ल सुधार से दूध उत्पादन में बढोतरी होगी। भारत सरकार भी पशुओ में कृत्रिम गर्भाधान पर जोर दे रही है ताकि पशुओ के कृत्रिम गर्भाधान में उच्च गुणवता वाले सांडो के वीर्य का प्रयोग करके नस्ल सुधार से दूध उत्पादन में बढोतरी हो ताकि किसानो की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सके। इसके लिये भारत सरकार ने 15 सितम्बर 2019 को एक राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का शुभआरंभ किया जिसमे गायों और भेंसो में उच्च गुणवत्ता वाले सांडो के वीर्य का प्रयोग करके नस्ल सुधार से दूध उत्पादन को बढाना है इस कार्यक्रम के तहत गायों और भेंसो में कृत्रिम गर्भाधान निशुल्क किया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान वह तकनीक है जिसमें जीवित शुक्राणुओं के साथ वीर्य को नर पशु से एकत्रित किया जाता है और उपकरणों की सहायता से मद चक्र के उचित समय पर मादा पशु के प्रजनन अंग में प्रवेश कराया जाता है।
पशुओ में कृत्रिम गर्भाधान के लाभ
- पशुपालको को सांडो की तलाश में भटकना नही पड़ता है
- कृत्रिम गर्भाधान नस्ल सुधार के लिये एक उपयुक्त विधि है
- पशुओ की दूध उत्पादकता पर धनात्मक प्रभाव
- समय और धन की बचत एवं अच्छे परिणाम
- कृत्रिम गर्भाधान के समय पर मादा के जननांगो का परीक्षण
- विभिन्न प्रकार के जनन संबंधी रोग लगने की संभावना कम होती है
- पशुपालको को सांडो को रखने का खर्चा नही उठाना पड़ता है
- अच्छी नस्ल के सांडो का वीर्य दूर-दूर तक पहुँच जाता है
- पशुपालको के घर पर ही गर्भाधान
पशुओं में गर्मी के लक्षण - मादा का दूसरी मादाओ पर चढना एवं दूसरी मादाओ को अपने उपर चढने देना
- पशु का बार-बार रम्भाना
- भग क्षेत्र में सूजन तथा संकुचन
- भग से पारदर्शी स्लेष्मा का स्त्राव
- दूध में कमी
- भूख में कमी
- पशु में बेचैनी की प्रवृति दिखाई देना
कृत्रिम गर्भाधान का सही समय
- गर्मी में आए पशु द्वारा अपने उपर दूसरे पशुओ को चढने देना तथा खडा रहना ।
- गायों में यदि गर्मी के पहले लक्षण प्रातःकाल दिखाई दे तो कृत्रिम गर्भाधान शाम के समय और यदि शाम के समय दिखाई दे तो कृत्रिम गर्भाधान प्रातःकाल किया जाना चाहिए ।
- भैंसो में गर्मी के पहले लक्षण देखने के 24 घंटे बाद कृत्रिम गर्भाधान किया जाना चाहिए ।
Authors Detail
डॉ० हर्षिता सूद
शोध छात्रा, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान,
इज्जतनगर (उतर प्रदेश)
डॉ० अजय पटियाल
ऍम०वी०एसी० (पशु उत्पादन, प्रवंधन)
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)
डॉ० रोहित कुमार
ऍम०वी०एसी० (पशु उत्पादन, प्रवंधन)
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)
डॉ० सुशील कुमार
ऍम०वी०एसी० (पशु मादा एवं प्रसूति रोग)
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा)