BROILER SHED CONSTRUCTION

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ब्रायलर फ़ार्म की संरचना का फ़ार्म की मैनेजमेंट पर बहुत प्रभाव होता है, और सही दिशा, ऊंचाई, लंबाई, चौड़ाई और

सही मानको पर बने शेड में अच्छी फ्लॉक निकलने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं।

लेकिन, भारत की भौगोलिक और आर्थिक विविधता के चलते, फ़ार्म की संरचना के मानक तय करना बहुत ही कठिन

काम है। अत्यंत ठन्डे, अत्यंत गर्म, अत्यंत वर्षा वाले इलाको में एक ही तरह की फ़ार्म रचना नहीं की जा सकती। इसी

प्रकार जमीन की व धन की उपलब्धता व उपलब्ध भूखंड का आकार भी कई बार फ़ार्म की संरचना को प्रभावित करता

है।

फिर भी सही फ़ार्म रचना के उद्देश्य व मानक साझा करने की कोशिश कर रहा हूँ।

 फ़ार्म के प्लेटफार्म की ऊंचाई लगभग जमीन से 1.5 से 2 फ़ीट होनी चाहिए। कई जगहों पर यह रचना इस

तरह से की जाती है कि चूहे, नेवले और सांप की दिक्कत कम हो जाये।

 दिशा : फ़ार्म की लंबाई पूरब पश्चिम होनी चाहिए और लंबाई के दोनों अंत की तरफ इंट की दीवार होनी

चाहिये।

 ड्वार्फ वाल (छोटी दीवार/ साइड वाल): की ऊंचाई 1.5 फ़ीट होती है, ताकि बच्चो पर सीधी हवा न लगे।

 चौड़ाई : सामान्यतः 22-24 फ़ीट होनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर वेंटिलेशन की दिक्कत होती है और

वेंटिलेशन के कृतिम संसाधनों पर अवलंबन बढ़ जाता है।

 लंबाई: इसके लिए अनुबंध नहीं है, सामान्यतः 200 फ़ीट तक की लंबाई के फ़ार्म बनाने पर पानी की पाइप

लाइन में प्रेशर आसानी से बनता है। लेकिन जरूरत और उचित व्यवस्था होने पर इससे लंबे फ़ार्म बनाये जा

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सकते हैं। लेकिन उचित दूरी पर दरवाजे और पार्टीशन की व्यवस्था जरूरी है।

 साइड हाइट : फ़ार्म की साइड हाइट का सीधा संबंध वेंटिलेशन से होता है। यदि यह हाइट कम हो तो हवा का

प्रवाह अवरुद्ध होता है। यदि ये बहुत ज्यादा हो तो ख़राब मौसम में हवा और पानी को रोकने में दिक्कत हो

सकती है।

 सामान्यतः पुराने बने फ़ार्म की कुल साइड हाइट 8 फ़ीट तक होती थी। अब गर्म भूखंडों में इसे 10 फ़ीट तक

रखा जाता है, लेकिन बहुत ठन्डे या वर्षा वाले इलाको में अभी भी 8 फ़ीट की साइड हाइट ही उचित होगी।

 सेंट्रल हाइट: यानी केंद्र से ऊंचाई 12 से 13 फ़ीट रखने का प्रावधान है।

 फर्श : के लिए आम तौर पर मिटटी या खुरदुरा सीमेंट इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन 3 फ्लॉक के पहले

मिटटी से सीमेंट पर ले आने का प्रावधान है। इससे जमीन की नमी, इन्सेक्ट और समतल न होने से होने

वाली दिक्कत जैसे की लंगड़ापन से राहत मिलती है।

 छत: एस्बेस्टस शीट ,टाली या पुवाल आम तौर पर इस्तेमाल होता है।

 पुवाल की छत को हर वर्ष या आवश्यकता अनुसार बदली करने का प्रावधान है।

 फर्श पर बेडिंग के तौर पर भूसी सबसे प्रचलित और सफल वस्तु है। इसके अलावा कई जगह उपलब्धता के

आधार पर लकड़ी का बुरादा, बालू इत्यादि का उपयोग होता है, लेकिन सबके अपने फायदे नुकसान हैं।

 दो शेड के बीच कम से कम 30 फ़ीट खाली जगह छोड़ने का प्रावधान है। इससे वेंटिलेशन अच्छा होता है, और

बीमारी से बचाव होता है।

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 शेड के आस पास की 10 फ़ीट एरिया में पूरी सफाई होनी जरूरी है। इस जगह में झाडी होने से या पानी जमा

होने से बीमारी आने का खतरा बढ़ता है। मक्खी और इंसेक्ट्स की दिक्कत ज्यादा होती है।

 पानी की टंकी ऊंचाई पर लेकिन छाँव में रखनी जरूरी है। जहाँ तक संभव हो इसे शेड के भीतर ही लगवाना

चाहिए। टंकी में दवा मिलाने के लिए और साफ़ सफाई करने के लिए टंकी आसान पहुँच में होनी चाहिए।

 फ़ार्म के प्रवेश पर वेहिकल वाश, तथा शेड के प्रवेश पर फुट बाथ की व्यवस्था होनी चाहिए। फुट बाथ की

गहराई इतनी ही हो की जुते का सोल डूब जाये (लगभग 1 इंच)।

 फ़ार्म के चारो तरफ फेंसिंग हो और प्रवेश पर गेट हो ताकि जानवर या बाहरी आदमी बिना अनुमति के ना आ

सके।

 अच्छे फ़ार्म पर मोर्टेलिटी पिट और पोस्ट मार्टम एरिया भी होनी चाहिए। मोर्टेलिटी पिट की गहराई शेड की

कैपेसिटी के हिसाब से होती है लेकिन चौड़ाई ज्यादा नहीं होती। इससे कुत्ते और अन्य जानवर उसमे नहीं

जाते। सामान्यतः 6- 8 फ़ीट की गहराई और 2 फ़ीट व्यास की पिट 1000 वर्ग फ़ीट के फ़ार्म के लिए पर्याप्त

है। इस पर अच्छा सा ढक्कन भी लगाया जा सकता है, और यदि ब्लीचिंग, चुना, नमक या मिटटी डालते

रहेंगे तो कोई दिक्कत नहीं होती।

 फीड और दवाई स्टोर करने के लिए सही स्टोरेज व्यवस्था होनी चाहिए।

 फ़ार्म में फॉगेर, पंखा और स्प्रिंकलर जरूर लगवाएं।

 धुप और बरसात से बचने के लिए साइड पेंडल जरूर लगाएं। ऐसी स्थिति ना आये इस के लिए छत की साइड

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हैंग लंबी रखें।

 परदे नीचे से ऊपर उठाने की व्यवस्था हो। बच्चे को सीधे हवा नहीं लगनी चाहिए। हवा का प्रवाह ऊपर से हो।

नीचे जरूरत होने पर पर्दा लगना चाहिए।

 निर्माण के दौरान ऐसी व्यवस्था छोड़ें की आटोमेटिक ड्रिंकर, फीडर और पाइप लाइन को टांगने की उचित

व्यवस्था हो। भविष्य में ऑटोमेशन बढ़ाने का तय हो तो उसकी लिए संरचना में गुंजाईश रखें।

 ब्रूडिंग के लिए फ़ार्म के कुछ भाग में विशेष व्यवस्था बनायीं जा सकती है जहाँ तापमान, नमी और हवा को

नियंत्रित करना आसान हो।

यह मानक साधारण ब्रायलर फ़ार्म के लिए उचित हैं। जैसे जैसे इसमें वातानुकूलित करने की व्यवस्था या ऑटोमेशन

बढ़ता जाएगा, ये मानक बदलते जाएंगे।

धन्यवाद।

डॉ प्रवीण सिंह

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