परिवहन के दौरान पशु कल्याण की आवश्यकता

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परिवहन के दौरान पशु कल्याण की आवश्यकता

ममता’, रजनीश सिरोही, दीप नारायण सिंह, अजय कुमार एवं यजुवेंद्र सिंह

पशुओं को उनके जीवन के किसी ना किसी स्तर पर यातायात के माध्यम से गुजरना पड़ता है, चाहे वह विक्रय के पश्चात किसी अन्य मालिक के स्थान पर हो अथवा पशुवध हेतु। अतः पशुओं के परिवहन की प्रक्रिया को देखना महत्वपूर्ण होता है जबकि पशु प्रबंधन में यह एक उपेक्षित पहलू रहा है। कई बार परिवहन के दौरान कई जानवर घायल हो जाते हैं या मर जाते हैं। इसके अलावा, पशुवध के लिए नियत पशु घायल हो जाते हैं जिससे उनके माँस की गुणवत्ता मे गिरावट आती है और इससे पशुधन उद्योग को भारी नुकसान होता है। परिवहन के दौरान पशु कल्याण की आवश्यकता को समझने के लिए पहले खराब परिवहन के दुष्परिणामों को जानना आवश्यक है, जोकि निम्लिखित हैं-

खराब परिवहन और इसके परिणाम

  • जब पशुओं को वध के लिए ले जाया जाता है, तो अल्पकालिक परिणाम जैसे कि शारीरिक, व्यवहार संबंधी, चोट या मृत्यु दर आदि को यातायात के परिणामों के आकलन के मापदंड के रूप मे उपयोग किया जाता है।
  • परिवहन किए गए पशुओं में अंग खंडन तथा अन्य शारीरिक क्षति हो सकती है।
  • जहा एक ओर यातायात के कारण रोगों का संचरण जैसे की एफ एम् डी या स्वाइन फीवर होता है। वहीं दूसरी ओर लंबी दूरी का परिवहन अव्यक्त संक्रमणों को भड़काने का कारण हो सकता है उदहारण के लिए पस्चुरेल्ला प्रजातियों के कारण होने वाले बुखार और गोजातीय श्वसन संक्रमणीय वायरस, आईबीआर वायरस और पैरेन्फ्लुएंजा वायरस आदि के संक्रमण का प्रवाह हो सकता है।
  •  लंबी यात्रा मे घंटों की खराब परिवहन स्थितियों में विशेष रूप से पशु का शारीरिक वजन कम हो सकता है।
  •  खराब हैंडलिंग और परिवहन के कारण पशुओं मे लड़ाई का खतरा बढ़ता है जिसके कारण पशु घायल हो सकते हैं और यहां तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है अक्सर ग्लाइकोजन की कमी, माँस की गुणवत्ता मे गिरावट के रूप मे परिणत होती है।
    पशुओं के परिवहन से जुड़ी सुगढ़ कल्याणकारी पदतियों को अपनाने से तत्काल लाभ होता है क्योंकि जहाँ एक ओर मृत्यु दर में कमी आती है वहीँ दूसरी ओर प्राप्त होने वाले माँस की गुणवत्ता मे होने वाले ह््रास मे भी कमी आती है। अतः यह आवश्यक है की परिवहन और हैंडलिंग में शामिल लोगों को संबंधित जानवरों की जैविक क्रियाओं का ज्ञान हो, जिससे एक अनुकूल दृष्टिकोण विकसित हो सके। परिवहन के दौरान जानवरों का कल्याण, इस प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों की संयुक्त जिम्मेदारी है, जिसमें पशु के मालिक और व्यापारी, व्यावसायिक एजेंट आदि शामिल होते है। उन सभी को अपनी जिम्मेदारी का वहन करना चाहिए।
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पशु परिवहन संबंधित कल्याणकारी मुद्दे-

  • पशु परिवहन बिचौलिये, कसाई, मालिक आदि आम तौर पर एक ही समय में विभिन्न स्थानों से पशुओं की खरीद करते हैं, जो विभिन्न श्रेणियों के जानवरों (युवा, बीमार, गर्भवती) को एक साथ ले जाते हैं। वे स्थानीय वाणिज्यिक वाहनों में बिना किसी आवश्यक परिवर्तन के द्वारा इन पशुओं को ले जाने का प्रयास करते हैं।
  • अधिक लाभ तथा खर्च बचाने के लिए परिवहक प्राय विभिन्न आयु वर्ग के पशुओं की ओवरलोडिंग करते हैं।
  •  प्रायः अंतरराज्यीय सीमाओं को पार करते समय किसी प्रकार की जटिलता से बचने के लिए, पशुओं को वाहन के चारों ओर तिरपाल कवरेज के साथ छुपाया जाता है जिससे जोकी वेंटिलेशन खराब होता है और अंततः पशु के खराब स्वास्थ का कारण बनता है।
  •  यहाँ तक की बिचौलिए उत्पादक और प्रतिबंधित पशुओं को भी अवैध रूप से तेल टैंकरों में ले जाने तक की चेष्टा करते हैं।
  •  परिवहन के दौरान पशुओं को बिना चारा और पानी की व्यवस्था के भी ले जाया जाना साथ ही नौसिखिए चालक और परिचालक ऐसी स्थिति को और भी जटिल बना देते हैं। जिस तरह से एक वाहन को चलाया जाता है, उससे पशुओं के परिवहन पर बहुत प्रभाव पड़ सकता है। चार पैरों पर खड़े जानवर कम गड़बड़ी से निपटने में सक्षम होते हैं जैसे कि कोनों के आसपास झूलने या अचानक ब्रेक लगाने के कारण। स्थानीय ड्राइवर को एक परिचित मार्ग के साथ सहज ड्राइविंग के लिए चुना जाना चाहिए।

परिवहन की प्रक्रिया में निम्नलिखित कारक शामिल हैं जो उनके कल्याण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं-

परिवहन से पूर्व पशुओं से व्यवहार-

पशुओं को आमतौर पर परिवहन से पूर्व गहनता से नियंत्रित किया जाता है। जिससे उन्हे नियंत्रित करने वाले की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। जानवरों के प्रति सही दृष्टिकोण का परिवहन के दौरान पशु कल्याण पर मुख्य तौर पर प्रभाव पड़ता है। हैंडलर के रवैये के परिणामस्वरूप जहाँ एक व्यक्ति जानवर में उच्च स्तर का तनाव पैदा कर सकता है, जबकि यही काम करने वाला दूसरा व्यक्ति बहुत कम या कोई तनाव पैदा किये बिना यह कार्य कर सकता है। लोग पशु व्यवहार का ज्ञान न होने के कारण पशुओं की मृत्यु का और अनावश्यक दर्द और चोट का कारण बन सकते हैं। कर्मचारियों के प्रशिक्षण से पशु के प्रति दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव लाकर पशु कल्याण को सुदृढ़ किया जा सकता है। पूर्व यात्रा की अवधि-पर्याप्त योजना एक यात्रा के दौरान जानवरों के कल्याण को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है। यात्रा शुरू होने से पहले यात्रा के लिए जानवरों की तैयारी, सड़क या रेल की पसंद, यात्रा की प्रकृति और अवधि, वाहन और कंटेनर डिजाइन और रखरखाव, आवश्यक दस्तावेज सहित, की तैयारी के संबंध में योजना बनाई जानी चाहिए।

  • एक बार परिवहन की योजना पूर्ण कर लेने के पश्चात, कुछ ऐसी क्रियाएं होती हैं जो जानवरों को लादने से पहले होनी चाहिए, जिसमें परिवहन सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए पशुओं के उचित समूह का चयन भी शामिल है।
  • अपरिचित समूहीकरण- उन्हें एक ट्रक पर लोड करने के लिए तैयार अपरिचित समूहों में अक्सर एक साथ रखा जाता है। यह पाया गया है कि अपरिचित पशुओं को एक साथ रखने से उन्हें एगोनिस्टिक मुठभेड़ का सामना करना पड़ता है जोकी जानवरों के खराब कल्याण के लिए उत्तरदायी होता है क्यूंकि यह अनावश्यक पीड़ा का कारण बनता है जिससे अंततः मांस की गुणवत्ता भी खराब होती है।
  • अतः यह आवश्यक है की विभिन्न प्रजाति के पशुओं को परिवहन से पूर्व एक साथ रखना चाहिए ताकि उनमे एक प्रकार का परिचय स्थापित हो सके। यदि मवेशी, भेड़, सूअर को परिवहन से पहले 2-3 दिनों के लिए एक साथ रखा जाए तो वे एक दूसरे से परिचित हो जाते हैं और इससे परिवहन का तनाव बहुत कम हो जाता है।
  • सींग वाले मवेशियों में होने वाली सभी चोटों का आधा कारण सींगों का होना होता है। इससे बचने के लिए आवश्यक है की एक मिश्रित समूह में सींग रहित पशुओं को परिवहन के लिए रखना चाहिए।
  •  यदि पशु हैंडलिंग क्षेत्र और क्रियाओं से परिचित हों तो यह तनाव को काफी कम कर सकता है। परिवहन से पूर्व विश्राम की व्यवस्था पशुओं की शारीरिक या सामाजिक समस्याओं को कम करने में सहायक होती है।
  • परिवहन के लिए पशुओं के समूह समान आकार के होने चाहिए।
  •  पशुओं की मृदुलता से हैंडलिंग पशुओं में होने वाले अनावश्यक तनाव को काम करती है।
  • यदि यात्रा की अवधि जानवरों के लिए सामान्य अंतराल (5-6 घंटे) से अधिक हो तो यात्रा पूर्व अवधि में चारा और पानी प्रदान किया जाना चाहिए ।
  • जब पशु को परिवहन के दौरान या बाद में एक नवीन आहार या पानी के प्रावधान की विधि प्रदान की जानी हो तो आवश्यक है की पशुओं को उस प्रणाली से थोड़ा परिचित होने का समय दिया जाना चाहिए।
  •  प्रत्येक यात्रा से पहले वाहनों और कंटेनरों को अच्छी तरह से साफ किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो पशु स्वास्थ्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए उनका इलाज किया जाना चाहिए। परिवहन किए जाने वाले पशुओं का निरीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि क्या जानवर परिवहन के लिए फिट है या कहीं उनके कारण रोगों को प्रसारित करने की संभावना है (ऐसे जानवरों को परिवहन नहीं किया जाना चाहिए )।
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2. लादने और उतारने की व्यवस्थायें

  • परिवहन की प्रक्रिया में लादना और उतारना एक महत्वपूर्ण आयाम है। खराब तरह से डिजाइन किए गए लोडिंग रैंप, हैंडलिंग के दौरान बल का अनावश्यक और अति प्रयोग और साथ ही पशु व्यवहार की समझ न होना पशुओं की शारीरिक क्षति और तनाव दोनों दोनों को बढ़ाता है।
  • यदि संभव हो तो लोडिंग और उतराई के लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के पशुधन को उतारने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ढलान चौड़ा और सीधा होना चाहिए ताकि अवरुद्ध मार्ग न दिखै।
  • पशु को बाहर देखने से रोकने के लिए लोडिंग व्यवस्था में ऊँची ओट (मवेशियों के लिए 1.5 मीटर ऊँची) होनी चाहिए।
  •  अत्यधिक खड़ी रैंप पशुओं को घायल कर सकती हैं। अधिकतम ढलान 20व होना चाहिए। ठोस रैंप पर सीढ़ी चरणों की भी सिफारिश की जाती है।

3 यात्रा के बाद पशुओं का उपचार

  • पशुओं को उतारते समय सामान्य तौर पर अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है क्योंकि इस समय पशुओं के थके होने, घायल या रोगग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है। इन पशुओं की देखभाल और उपचार में आवश्यक पशु चिकित्सक सेवाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • उतारने के बाद बीमार या घायल पशुओं के लिए पर्याप्त चारा और पानी की व्यवस्था के साथ अलग आवास और अन्य उपयुक्त सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
  • परिवहन शारीरिक चोट और क्षति के अलावा विभिन्न समस्याओं का कारण बन सकता है जिनमें ट्रांसिएंट एरिथमा, ट्रांसिएंट टिटनी, और शिपिंग बुखार शामिल हैं।

Name- Dr. Mamta

Designation- Assistant Professor

Department of LPM, DUVASU Mathura

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