पशुओं की स्वास्थ्य जांच हेतु नमूने भेजने संबंधित संलेख
1डॉ. सुदेश कुमार, 1*डॉ. सुविधि, 2डॉ. उपेन्द्र
1सीनियर रिसर्च फेलो, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार, हरियाणा–125001
2पशुचिकित्सा जन स्वास्थ्य एवं महामारी विभाग, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली, उत्तर प्रदेश-243122
अनुरूपी लेखक* : suvidhichoudhary455@gmail.com
पशु के उत्तम स्वास्थ्य एवं उनकी उत्पादकता को बनाये रखने के लिए पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने पशुओं की नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहे। पशुओं में विभिन्न बीमारियों का पता प्रयोगशाला में जांच करवा कर किया जा सकता है और समय पर उपचार करवा कर अपने पशुओं को विभिन्न रोगों से बचा सकते है एवं आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं। पशुपालकों को ये जानकारी होना आवश्यक है कि पशु की जांच कब अथवा कैसे करवाएं। पशुओं की जांच नवजात अवस्था में, प्रजनन अवस्था में, दुग्ध उत्पादन में गिरावट में होने पर, पशु का असामान्य व्यवहार, भूख व प्यास कम लगने अथवा ना लगने पर, असामान्य मल मुत्र होने पर, अधिक व असामान्य लार गिरने तथा चमड़ी रोग होने पर करवानी चाहिए।
जांच हेतु एकत्रित किए जाने वाले विभिन्न नमूने
1 खून:-
खून के नमूने से विभिन्न प्रकार के जीवाणु , विषाणु , प्रोटोजोआ जनित बीमारियों एवं शारीरिक व उपापचय सम्बन्धित बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए खून का नमूना थक्का रोधी वाली सीसी में लेना चाहिए ताकि खून का थक्का ना बने तथा जाँच का उचित निष्कर्ष मिल सके। सिरम में एंटीबॉडी या एंटीजन की जांच हेतु खून का नमूना बिना किसी थक्का रोधी वाली सीसी में लेना चाहिए।
विधि :- खून का नमूना बहुत सावधानी तथा साफ-सुथरी विधि से लेना चाहिए। पशु जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी, घोड़ा आदि का खून जुगल नाड़ी (गले की नाड़ी) अथवा पूंछ की नाड़ी से बड़ी सावधानी से लेना चाहिए। थक्का रोधी सीसी में तीन चौथाई भाग तक ही खून लेना होता है। सीसी को पूरा रक्त से नहीं भरना चाहिए। सीसी में रक्त लेने के बाद दोनों हाथों के बीच रखकर धीरे-धीरे मिलाना चाहिए ताकि रक्त कोशिकाएं टूट ना जाए जिसके कारण सही जांच नहीं हो पाती है।
खून में परजीवी जांच कांच की स्लाइड पर खून रखकर उसकी मोटी या पतली फ़िल्म बनाकर की जा सकती है। सीरम जांच हेतु यदि रक्त बिना थक्का रोधी शीशी में लिया जाता है तो कुछ देर तक खून को जमने देवें। ततपश्चात सीरम पृथक कर सकते हैं। खून अथवा सीरम को 4 डिग्री सेल्सियस पर रखकर प्रयोगशाला भेजना चाहिए जिससे नमूना खराब ना हो।
- दूध:-
दूध की जांच थनैला रोग, दूध में रक्त आना, थनो में गांठ होना , दूध की गुणवत्ता कम होना, दही का सही से ना जमना आदि स्थिति में कराई जा सकती है । दूध का नमूना लेने के लिए थनों को पहले अच्छे से साफ करके और सूखा कर उसके पश्चात लेना चाहिए। दूध की पहली धार को छोड़कर अगली धार का नमूना लेना चाहिए। चारों थनों का अलग-अलग नमूना भी भेज सकते हैं। दूध का नमूना लेने के बाद दूध को उबालना, जोर-जोर से मिलाना अथवा बर्फ़ पर जमाना नहीं चाहिए। दूध को 4 डिग्री सेल्सियस पर रखकर तुरंत जांच हेतु भेजना चाहिए।
- पेशाब:-
पेशाब का नमूना पशुपालक स्वयं ले सकता है । नमूना साफ शीशी में लेना चाहिए तथा संभव हो तो प्रातः कालीन पेशाब का नमूना लेना चाहिए।
- गोबर:-
परजीवी जांच हेतु कम से कम 10 ग्राम गोबर शीशी में भरकर प्रयोगशाला में भेजना चाहिए । नमूना 4 डिग्री सेल्सियस पर रखकर भेजना चाहिए । जीवाणुवीय जांच हेतु गोबर का नमूना स्वैब द्वारा मल मार्ग से लिया जाना चाहिए । स्वैब बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। स्वैब सुखा ना हो इसलिए स्टेराइल वाटर इंजेक्शन मिला देवें।
- चमड़ी रोग जांच हेतु नमूना:-
चमड़ी रोग जांच हेतु बाल, मवाद, खाल, खाल की पपड़ी, खाल का रेशा आदि का उपयोग किया जाता है। इन जांचों से परजीवी, जुं, चिंचड़, फफूंद आदि रोगों की जांच की जा सकती हैं। ब्लेड, रेजर आदि से चमड़ी की ऊपरी सतह तथा अन्तः परजीवी के लिए थोड़ा गहराई से चमड़ी का भाग लेते हैं। नमूने को स्टेराइल वाटर, फास्फेट बफर ग्लिसरीन इत्यादि में मिलाकर भेजा जाता है।
- मुंह तथा नाक से स्रावित द्रव्य की जांच :-
मुंह से असामान्य लार तथा नाक से द्रव्य या मवाद बहने पर उसको स्वैब से नमूना लिया जाता है। इन नमूनों से जीवाणु, विषाणु जनित रोगों का पता लगाया जा सकता है। इन स्वैब को ट्रांसपोर्ट मीडिया में भेजना चाहिए। यह ट्रांसपोर्ट मीडिया बाजार में उपलब्ध है।
- आंख की जांच:-
आंख से आने वाले मैले पदार्थ को स्वैब से आंख खोल कर लेना चाहिए। इससे जीवाणु, विषाणु जनित रोगों का पता लगाया जा सकता है।
- गर्भाशय एवं लिंगों के नमूने:-
प्रजनन संबंधित बीमारियों के लिए मादा पशु के ताव में आने पर स्त्रावित द्रव का तथा स्वैब द्वारा भी नमूना ले सकते हैं । नर पशु की प्रजनन सबंधित बीमारी के लिए स्वैब से नमूना ले सकते है तथा वीर्य की भी जांच करा सकते हैं।
नमूने के साथ निम्न आवश्यक जानकारियां भी जरूर भेजें:-
पशुपालक का विवरण | ||||
नाम:- | पता :-
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मोबाइल नंबर:- | ||
नमूना लेने की दिनांक व समय:-
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नमूने का प्रकार:-
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जांच के प्रकार :-
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पशु संबंधी विवरण | ||||
पशु की जाति:- | नस्ल:- | लिंग:- | उम्र:- | वजन:- |
पशु का रखरखाव आवास तथा खान-पान का विवरण:- | पशु के स्वास्थ्य का विवरण:- | टीकाकरण का विवरण:- | महामारी हो तो उसका विवरण:- | |
पशु चिकित्सक द्वारा जांच अथवा उपचार हो तो उसका विवरण:- | पशु चिकित्सक का नाम व पता:- |