आवारा पशुओं का प्रबंधन

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 आवारा पशुओं का प्रबंधन

डॉ. बबिता कुमारी ( सहायक आचार्य )

IIVER, रोहतक, हरियाणा

(Email – choudharybabita446@gmail.com

डॉ. राकेश गेना ( सहायक आचार्य )

एम बी वेटेनरी कॉलेज, डूंगरपुर, राजस्थान                                                                                                                     

 (Email – rakeshgena777@gmail.com)

 

सामाजिक एवं राजनितिक रूप से आवारा पशुओं का मुद्दा आज के समय बहुत बड़ी बहस का हिस्सा हो गया है। लेकिन इसके निवारण के लिए आज तक किसी संगठन एवं  किसी सरकार ने कोई प्रभावी कदम नही उठाया है । ये जानवर अक्सर यातायात प्रवाह को रोकते हैंजिसके परिणामस्वरूप अनावश्यक समय की बर्बादी होती है तथा अनेक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। स्थिति और भी खराब तब हो जाती है जब ये पशु रात में स्वतंत्र रूप से सड़कों पर घूमते है या बैठ जाते है,वाहन चालकों के लिए अंधेरे केकारण अचानक पशु को स्पॉट करना मुश्किल हो जाता है आवारा पशुओं के कारण हर वर्ष हज़ारों की संख्या में दुर्घटना होती है तथा सैंकड़ों लोग अपनी जान से हाथ गवां बैठते है,और कई और घायल हो गए हैं। कुते व् सांड़  जैसे आवारा जानवर शहरों के लिए एक प्रमुख मुद्दा बन गया है अत्यधिक भौंकने और काटने के कारण न केवल ध्वनि प्रदूषण बल्कि मानव समाज के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी पैदा हो गई हैं।

 

आवारा जानवर क्या हैं?

आवारा पशु या सड़क के जानवर को निम्नाकिंत तरीके से परिभाषित किया जा सकता है –

  • आवारा जानवरों को सड़क के जानवरों के रूप में परिभाषित किया गया है जो सड़क पर पैदा होते हैं और प्रजनन करते हैं और कभी भी स्वामित्व में नहीं होते हैं
  • खोए हुए जानवर जो घर का रास्ता नहीं ढूंढ सकते हैंतथा सड़क पर ही विचरण करने लग जाते है
  • मालिक द्वारा परित्यक्त जानवर जोघर से निकाल दिए जाते है या सड़क पर छोड़ दिया जाता है
  • किसी सरकारी या गैरसरकारी संगठन, पशु चिकित्सालय, गोशाला अथवा डेयरी फार्म के द्वारा अनुपयोगी पशु के रुप में जो निकल दिया जाता है।
  • आवारा जानवर जंगली जानवर नहीं हैं; वे जहां भी जाते हैं, वे घरेलू जानवरों के रूप में रहते हैं।
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आवारा पशुबढ़ने के कारण

  • आवारा जानवरों का मुख्य कारण परित्याग हैजिसके बाद उनके बीच अनियंत्रित प्रजनन होता है, जिसके परिणामस्वरूप सड़क के जानवरों की अनेकों पीढ़िया बन जाती है जो और जनसंख्या को बढ़ाती है।
  • समय की कमी के कारण लोग अपने पालतू जानवरों की ठीक से देखभाल देखभाल नही कर सकते है तथा पालतू जानवर का परित्याग कर देते है।
  • आक्रामकता, चिकित्सा समस्याओं, पालतू जानवरों के स्वामित्व की लागत, प्रजनन में जटिलताओं,जीवन शैली में बदलाव के कारण स्वास्थ्य जैसे कठिनाइयों के कारण आवारा जानवरों को पालतू बनाने मेंलोग हिचकिचाते है।
  • मालिकों के लिए वित्तीय मुद्दों, आवास की समस्याओं, परित्यागऔर पंजीकरण के लिए कानूनकार्यवाहीके कारण भी लोग जानवर पालने में घबराते है
  • एक बड़े आवारा जानवर विशेष रूप से गायें एवं सांड़ अधिक चुनौतियों का सामना करती हैं। इनमें से अधिकांश गायें अवैध या अपंजीकृत डेयरियों और मवेशियों के शेड के मालिकों द्वारा छोड़ दी जाती है।पशु की प्रजनन क्षमता का नुकसान, बुढ़ापा, दूध उत्पादन की समाप्ति, खूंखारपन बर्दाश्त करने में असमर्थता के कारण मालिकों द्वारा छोड़ दिए जाते हैं।
  • दूध न देने वाले मवेशियों को तथा छोटे बछड़ों को दूध पिलाने के मालिक उन्हें बाहर जाने देते हैं ताकि वे बाहरखुले में चर सके व् घर का चारा बच जायें ।

आवारा जानवरों से मानव स्वास्थ्य संबंधित चिंताएं

  • मानव समाज के लिए आवारा जानवरों से संबंधित कईआर्थिक, धार्मिक, राजनितिक एवं स्वास्थ्य चिंताएं हैं।
  • शहरों की सड़कों पर घूमने वाले अधिकांश जानवर अस्वस्थ हैं; जिससे मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं।
  • वे घास या अन्य स्वच्छखाद्य भोजन न खाकर के सड़े गले व् बचे हुए भोजन तथा कचरे से गुजारा कर रहे है
  • जानवर सबसे खतरनाक खाद्य-जनित और जल जनित रोगजनकों में से कई के लिए जलाशयों के रूप में कार्य करते हैं।
  • पशु आहार संचालन से जल में एंटीबायोटिक्स, पोषक तत्व (नाइट्रोजन और फास्फोरस), हार्मोन, तलछट, भारी धातु, कार्बनिक पदार्थ, अमोनिया औरमीथेन सहितबहुत सेरोगजनक व् प्रदूषक पर्यावरण खाद्य श्रंखला को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते है रोगजनकों और पर्यावरण में को पेश करने की क्षमता है।
  • इन प्रदूषकों के कारण होने वाली बीमारियों के परिणामस्वरूप न केवल अस्थायी स्वास्थ्य समस्या पैदा होती हैं बल्कि गंभीर संकट और यहां तक कि मृत्यु भी होती है।
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समाधान की दिशा में कदम

  • बड़े जानवर, विशेष रूप से गायें, आवारा जानवरों की आबादी में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
  • इसका समाधान अनाधिकृत डेयरी फार्मों को बंद करना है।
  • बड़ी संख्या में आवारा मवेशियों की देखभाल करने में सक्षम उपयुक्त स्थानों पर बड़ी गौशालाओं की स्थापना को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • किसी डेयरी फार्म या मवेशी शेड के परिसर से पशु बाहर जाते हैं तो उसका लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए।

*एक डेयरी या मवेशी शेड का लाइसेंस रद्द कर दिया जाना चाहिए यदि उसके मवेशी अपने परिसर से बाहर जाते हैं और इन डेयरियों को शहर के बाहर स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए।

  • मवेशी मालिक जो अपने मवेशियों को शहर की सड़कों पर स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देते हैंउन पर उचित जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
  • कुत्तों जैसे आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए नगर निगम को पशु पकड़ने वाले दस्ते को नियुक्त करना चाहिए।
  • पालतू जानवरों के स्वामित्व, आवारा जानवरों की आबादी नियंत्रण, पशु व्यापार और कचरा प्रबंधन आदिको नियमित किया जाना चाहिए।
  • पशु स्वास्थ्य कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए क्योंकि आवारा जानवरों का मनुष्यों और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • बड़े पैमाने पर पशु मुख्यतः नियंत्रण कार्यक्रमों को लागू किया जाना चाहिए।
  • जिम्मेदार पालतू स्वामित्व के बारे में शिक्षा को आम जनता के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • मुख्यतः सार्वजनिक भागीदारी की बहुत सराहना की जाएगी।

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