पशुओं में बाँझपन: कारण, बचाव तथा उपचार

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पशुओं में बाँझपन: कारण, बचाव तथा उपचार

डॉ. प्रिया सिंह1, डॉ. शैलेश पटेल1, डॉ. कुमार गोविल1, डॉ. अंजली गौतम2, डॉ. भावना कुशवाहा2, डॉ. अर्चना राजे2 , डॉ. रोहिणी गुप्ता3

  • पशु चिकित्सा विज्ञान एव् पशुपालन महाविधालय रीवा (म. प्र.), 2- मध्यप्रदेश शासन, पशुपालन एव् डेय्ररी विभाग, 3- पी. एच. डी. स्कालर, पशु चिकित्सा विज्ञान एव् पशुपालन महाविधालय, जबलपुर (म. प्र.)

परिचय

ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के पशु पालन और डेयरी उद्योग में पशुओं का बांझपन काफी हद तक बड़े नुकसान के लिए ज़िम्मेदार है। बांझ पशु को पालना किसान के लिए आर्थिक बोझ साबित हो रहा है, हालाँकि विदेशों में ऐसे जानवरों को बूचड़खानों में भेज दिया जाता है।

दूध देने वाले 10-30 प्रतिशत पशु बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित हो सकते हैं। इनके उपचार में होने वाला खर्च तथा भविष्य में होने वाले बछड़ा या बछड़ी का नुकसान पशुपालन के आर्थिक लाभांश को कम करता है, इसलिये अगर हम पशु पालन को नये आयाम तक पहुंचना चाहते है, तथा हमारे किसान की आर्थिक दशा में सुधार चाहते है, तो हमे हमारे पशुओ को प्रजनन की द्रष्टि से अधिक गुणवान बनाना होगा, उनकी प्रजनन दर को उचित वांछनीय पैमाने तक लाना होगा। उचित प्रजनन दर हासिल करने के लिए नर और मादा दोनों पशुओं को अच्छी तरह से खिलाया-पिलाया जाना चाहिए और रोगों से मुक्त रखा जाना चाहिए।

बाँझपन के कारण

बांझपन के कई सामान्य और जटिल कारण हो सकते हैं। मुख्य रूप से मादा में कुपोषण, बच्चेदानी या जननागों का संक्रमण, जन्मजात दोष, प्रबंधन त्रुटि, अंडाणुओं के विकास में बाधा तथा शरीर में हार्मोनों का असंतुलन पशुओ में विभिन्न प्रकार एवं स्तर का बाँझपन पैदा कर सकते है। इन सब के अलावा नर पशु का वीर्य भी उत्कृष्ट गुणवता का होना चाहिए।

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गायों और भैंसों दोनों का  यौन चक्र 18-21 दिन का होता है। जिसमे एक बार 18-24 घंटे के लिए पशु गर्मी के लक्षण दिखता है, जो की पशु के प्रजनन का सही समय होता है। गाय में भैंस की तुलना में गर्मी के लक्षणों की पहचान करना आसान है क्योंकि भैंस में यह चक्र काफी बार शांत अवस्था में निकल जाता है, जिसे मूक मद भी कहते है। यह किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके लिए किसानों को सुबह से देर रात तक 4-5 बार जानवरों  की सघन निगरानी करनी चाहिए। उत्तेजना का गलत अनुमान बांझपन के स्तर में वृद्धि कर सकता है। उत्तेजित पशुओं में मद के लक्षणों का अनुमान लगाना  काफी कौशलपूर्ण  बात है। जो किसान अच्छा रिकॉर्ड बनाए रखते हैं और जानवरों की हरकतें देखने में अधिक समय बिताते हैं, बेहतर परिणाम प्राप्त करते हैं।

बाँझपन से बचाव

  • ब्रीडिंग मद के लक्षणों के दौरान की जानी चाहिए।
  • जो पशुकामोत्तेजना नहीं दिखाते हैं या जिन्हें चक्र नहीं आ रहा हो, उनकी जाँच कर इलाज किया जाना चाहिए।
  • कीड़ों से प्रभावित होने पर छः महीने में एक बार पशुओं का डीवर्मिंग कर उनका स्वास्थ्य ठीक रखा जाना चाहिए। डीवर्मिंग में एक छोटा सा खर्च, पशु पालन या डेयरी के लिए अधिक लाभकारी है।
  • पशुओंको ऊर्जा के साथ प्रोटीन, खनिज और विटामिन की आपूर्ति करने वाला संतुलित आहार दिया जाना चाहिए। संतुलित आहार गर्भाधान की दर में वृद्धि करता है, स्वस्थ गर्भावस्था एवं सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करता है। साथ ही संक्रमण की सम्भावनाओं को कम करता है और एक स्वस्थ बछड़ा या बछड़ी जन्म में मदद करता है।
  • उचित पोषण युवामादा पशुओ को 230-250 किलोग्राम इष्टतम शारीरिक वजन के साथ सही समय में यौवन प्राप्त करने में मदद करता है, जो प्रजनन और बेहतर गर्भाधान के लिए उपयुक्त होता है।
  • बछड़े कोजन्मजात दोष और संक्रमण से बचाने के लिए नर पशु से सेवा लेते समय सांड के प्रजनन इतिहास की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।
  • स्वास्थ्यकर परिस्थितियों में गायों की सेवा (सर्विस या मेटिंग) अथवा कृत्रिम गर्भादान करने और बछड़े पैदा करने से गर्भाशय के संक्रमण को काफी हद तकरोका जा सकता है, जो की भविष्य में होने वाली बाँझपन की समस्याओ से बचाता है।
  • गर्भाधान के 60-90 दिनों के बाद गर्भावस्था की पुष्टि के लिए जानवरों की जाँच योग्य पशु चिकित्सकों द्वाराकराई जानी चाहिए।
  • जब गर्भाधान होता है, तोगर्भावस्था के दौरान मादा यौन उदासीनता की अवधि में प्रवेश करती है (नियमित कामोत्तेजना का प्रदर्शन नहीं करती), गाय के लिए गर्भावस्था अवधि लगभग 285 दिनों की होती है और भैंसों के लिए 310 दिनों की होती है।
  • गर्भावस्था के अंतिम चरण के दौरान अनुचित तनाव और परिवहन से परहेज किया जाना चाहिए।
  • पशु को गाभित करवाने के आधा से एक घंटे पूर्व एवं पश्चात पशु को अतिउत्साहित नही करना चाहिए, पशु के स्वभाव को सामान्य बनाये रखना चाहिए।
  • गर्भवती पशु को बेहतर खिलाई-पिलाई प्रबंधन और प्रसव देखभाल के लिए सामान्य पशुओ के समूह से अलग रखना चाहिए।
  • गर्भवती जानवरों का प्रसव से दो महीने पूर्व दूध निकल कर थनों को सुखा देना चाहिए तथा उन्हें पर्याप्त पोषण और व्यायाम दिया जाना चाहिए। इससेमाँ के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।  औसत वजन के साथ एक स्वस्थ बछड़े या बछड़ी का प्रजनन होता है, रोगों में कमी होती है और यौन चक्र की शीघ्र वापसी होती है।
  • पशु को गाभित करवाने का सही समय
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पशु में मद के लक्षण का समय पशु को गाभित करवाने का समय
सुबह उसी दिन शाम को
दोपहर में उसी दिन देर शाम या रात तक
शाम को या रात को अगले दिन सुबह तक

 

बाँझपन का उपचार

  • यह सर्व विदित है की बचाव उपचार से बेहतर है। इसलिए बचाव के सभी प्रयासों को अपनाना चाहिए। अगर फिर भी किसी कारण वश पशु में बाँझपन की समस्या आ जाती है, तो फिर पशु का उचित समय पर प्रशिक्षित पशु चिकित्सक से उचित उपचार करवाना चाहिए। उपचार के लिए सामान्य दिशा-निर्देश निम्न है।
  • यदि पशु के जननांगो में कोई आनुवांशिक व्याधि है तो फिर ऐसे पशुओं को प्रजनन के समूह से निकाल देना चाहिए। क्योकि ऐसे पशु का उपचार व्यर्थ है एवं भविष्य की संततियो में भी इस आनुवांशिक बीमारी के आने का खतरा बना रहता है।
  • पशु में किसी प्रकार के पोषण की कमी है तो उचित आहार के साथ खनिज मिश्रण (मिनरल मिश्रण), विटामिन तथा एंटीओक्सिडेंट अनुपूरक देना चाहिए।

·         पशु के जननागों की उचित जाँच करवानी चाहिए। यदि बच्चेदानी (गर्भाशय) में किसी प्रकार का संक्रमण है तो पशु चिकित्सक की निगरानी में सही एंटीबायोटिक से वांछित समय अवधि तक उपचार करवाना चाहिए।·         यदि पशु के मद, अंडाणु निर्माण या अंडोत्सर्जन तथा भ्रूण के शीघ्रपतन से सम्बन्धित कोई समस्या है तो उचित हार्मोन (जीनआरएच तथा प्रोजेस्टेरोन अथवा दोनों) के उपचार से इसका निवारण संभव है। परन्तु यह उचित चिकित्सा परामर्श एवं पशु चिकित्सक की निगरानी में ही होना चाहिए।·         नर पशु से गभित करवाने अथवा कृत्रिम गर्भाधान के पश्चात क्लाइटोरिस की मसाज एवं पशु की पीठ पे ठंडा पानी डालने से शुक्राणुओं को अंडे तक पहुँचने में मदद मिलती है।

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 http://i.vikaspedia.in/agriculture/animal-husbandry/92e935947936940-914930-92d948902938/92e93594793693f92f93e902/92a9369419139

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