सेक्स सॉर्टेड सीमेन : पशुपालन के क्षेत्र मे एक वरदान
डॉ आदित्य अग्रवाल1, डॉ भाबेश चंद्र दास1, डॉ रोहिणी गुप्ता2, डॉ स्वागतिका प्रियदर्शिनी1,
डॉ शैलेश कुमार पटेल1, डॉ आदेश कुमार3, डॉ मनोज कुमार अहिरवार1
- पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा, (म.प्र.)
- पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर, (म.प्र.)
- पशुपालन विभाग, (म.प्र.)
भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा भारत के प्रधानमंत्री किसानों की आय को दुगना करने हेतु संकल्पित हैं। किसान की आय तभी दुगनी हो सकती है, जब बछिया पैदा हो एवं उनके दुग्ध से किसानों की आय हो। उसके लिए सेक्स शॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी एक क्रांति की तरह है, जिसके अंतर्गत बछड़ों के जन्म दर को कम करके बछिया के जन्म दर को बढ़ाया जा सकेगा। सेक्स सॉर्टेड सीमेन कृत्रिम गर्भाधान की वह नवीनतम तकनीक है, जिसके अंतर्गत सीमेन की सॉर्टिंग करके उसमें से मेल (वाई) क्रोमोजोम को अलग कर केवल फीमेल (एक्स) क्रोमोजोम को रखा जाता है तथा कृत्रिम गर्भाधान करने के उपरांत इससे केवल बछिया पैदा होती हैं। आज के समय में देश में बछड़ों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तथा दूसरी तरफ खेतों में बैलों का इस्तेमाल न्यूनतम होने लगा है, जिसकी वजह से यह अनुपयोगी हो गए हैं तथा सड़कों पर आवारा पशुओं के रूप में घूमते रहते हैं।
क्या है सेक्स सॉर्टेड सीमेन
सेक्स सॉर्टेड सीमेन अथवा “लिंग वर्गीकृत वीर्य” जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इसमें वीर्य से लिंग वर्गीकृत करने वाले शुक्राणुओं को अलग किया जाता है। सामान्यतः वीर्य में एक्स तथा वाई शुक्राणु बराबर अनुपात में उपस्थित रहते हैं तथा वाई शुक्राणु से नर तथा एक्स शुक्राणु से मादा संतान पैदा होती हैं। सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक में प्रयोगशाला में वीर्य से एक्स शुक्राणु को वाई शुक्राणु से पृथक किया जाता है। जिससे कृत्रिम गर्भाधान के दौरान अधिक से अधिक एक्स शुक्राणु मादा अंडे को निषेचित कर सकें। सेक्स सॉर्टेड सीमेन से मादा बछिया होने की संभावना 90% से अधिक हो जाती है, जबकि सामान्य कृत्रिम गर्भाधान सीमेन में एक्स एवं वाई शुक्राणु सामान मात्रा में होते हैं, जिसकी वजह से मादा बछिया होने की संभावना 50% ही रहती है।
सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक का इतिहास
सर्वप्रथम 90 के दशक में, सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा Beltsville, मैरीलैंड में विकसित की गई थी और इसे Beltsville sperm sexing टेक्नोलॉजी के रूप में पेटेंट कराया गया था। जिसके उपरांत सन 2001 में सेक्स सॉर्टेड सीमेन का व्यवसायीकरण sexing technologies नामक फर्म के द्वारा किया गया। वर्तमान में यह फर्म यूरोप, कनाडा, अमेरिका, ब्राजील, चीन, जापान तथा भारत सहित अन्य कई देशों में सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन करता है।
भारत में सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी
भारत में सर्वप्रथम केंद्र सरकार ने उत्तराखंड राज्य को राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत सेक्स सॉर्टेड सीमेन प्रयोगशाला स्थापित कर सेक्स सॉर्टेड सीमेन बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस तरह उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया, जिसने अमेरिका की sexing technologies फर्म के साथ अनुबंध किया तथा अप्रैल 2019 से उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक सेक्स सॉर्टेड सीमेन प्रयोगशाला में सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन भी शुरू हो गया। वर्तमान में गायों के लिए होल्सटीन, जर्सी, साहीवाल, रेड सिंधी, गिर, क्रॉस बेड तथा भैंसों के लिए मुर्रा और मेहसाना के सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन व्यवसायिक रूप से कर रही है।
मध्यप्रदेश में सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक एवं प्रयोगशाला
उत्तराखंड के पश्चात मध्यप्रदेश भारत का ऐसा केवल दूसरा राज्य है, जहां सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक है। 1 मार्च 2021 से सेंट्रल सीमेन स्टेशन भदभदा, भोपाल में मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं पोल्ट्री डेवलपमेंट कारपोरेशन के सहयोग से राष्ट्रीय गोकुल मिशन अंतर्गत सेक्स सॉर्टेड सीमेन प्रयोगशाला की शुरुआत की गई तथा वहां से गिर, साहीवाल, थारपारकर, एचएफ जर्सी तथा मुर्रा भैंसों के सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन हो रहा है।
सेक्स सॉर्टेड सीमेन इस्तेमाल करने के लाभ
सेक्स सॉर्टेड सीमेन का मुख्य लाभ यह है कि इससे केवल मादा बछिया पैदा होंगी, जिससे नर बछड़ों पर होने वाला खर्च कम अथवा नहीं होगा। ज्यादा बछिया होने से डेयरी को बढ़ाने के लिए बाहर से अतिरिक्त मादा गाय नहीं खरीदनी पड़ेगी। इसके अलावा मादा बच्चे को बेचकर भी मुनाफा कमाया जा सकता है। उच्च गुणवत्ता वाले सीमेन के उपयोग करने से उच्च गुणवत्ता वाली गाय पैदा होंगी, जो दूध भी अधिक देंगे जिसे बेचकर किसानों की आय भी बढ़ेगी। अच्छी गुणवत्ता वाला सीमेन का उपयोग करने से अच्छी बछिया पैदा होंगी, साथ ही उनके नस्ल सुधार में भी तेजी आएगी।
सेक्स सॉर्टेड सीमेन के क्रियान्वयन की सीमाएं
सेक्स सॉर्टेड सीमेन के उत्पादन में प्रयोगशाला तकनीक का उपयोग होता है, जिसकी लागत उच्च है। साथ ही साथ पेटेंट के अधिकार की लागत भी इसमें शामिल होती है, जिसके कारण सेक्स सॉर्टेड सीमेन की कीमत बढ़ जाती है। वर्तमान में सेक्स सॉर्टेड सीमेन की एक स्ट्रा की कीमत 1000 से 1200 रुपए आती है, जबकि पारंपरिक सीमेन 20 से 50 रुपए की लागत में मिल जाता है। साथ ही साथ सेक्स सॉर्टेड सीमेन के द्वारा किए गए कृत्रिम गर्भाधान में गर्भाधान दर भी पारंपरिक सीमेन की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत की कमी रहती है। सरकार द्वारा किसानों को सीमेन खरीदने हेतु सब्सिडी प्रोवाइड की जा रही है, जिसके कारण उन्हें केवल 400 से 450 रुपए में सेक्स सॉर्टेड सीमेन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। सेक्स सॉर्टेड सीमेन गायों में कृत्रिम गर्भाधान के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है, हालांकि सेक्स सॉर्टेड सीमेन में वाई शुक्राणु हटाए जाने के कारण उसमें शुक्राणुओं की संख्या में कुछ कमी होती है तथा प्रयोगशाला में छटाई की प्रक्रिया के दौरान कुछ शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचता है। इसी वजह से पारंपरिक सीमेन की तुलना में सेक्स सॉर्टेड सीमेन के इस्तेमाल में गर्भाधान की दर कुछ कम रहती है।
सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी भारत में पशुपालन के क्षेत्र में एक वरदान की तरह साबित हो सकती है क्योंकि इस तकनीक के द्वारा मादा पशुओं के दर में बढ़ोतरी होगी एवं आवारा नर पशुओं की संख्या में कमी आएगी जो कि हमेशा पशुपालन की लागत को बढ़ाते हैं, जिसकी वजह से किसान परेशान होता है और पशुपालन छोड़ने की ओर प्रेरित रहता है। ज्यादा संख्या में मादा पशुओं के पैदा होने पर उनके उत्पादन में वृद्धि होगी, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। वर्तमान में यह तकनीक महंगी है, जिसकी वजह से सामान्य किसानों की पहुंच से बाहर हो जाती है। सरकार किसानों को निरंतर सब्सिडी देकर इसे सामान्य किसानों की पहुंच में लाना चाह रही है, साथ ही साथ नए अनुसंधान के माध्यम से वैकल्पिक तकनीकों को विकसित करने के लिए प्रयासरत है, ताकि सेक्स सॉर्टेड सीमेन न्यूनतम दर पर किसान तक पहुंच सके। आने वाले दिनों में यह तकनीक किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी।