होम्योपैथीक उपचार से मादा कुत्तों में मिथ्यगर्भावस्था का सफल प्रबंधन

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” होम्योपैथीउपचार से मादा कुत्तों में मिथ्यगर्भावस्था का सफल प्रबंधन”

डॉ.मीनाक्षी एस. बावस्कर, डॉ. प्राजक्ता जे. बर्गे, डॉ. गौतम आर. भोजने और डॉ. प्रभाकर ए. टेंभुर्णे

सार :              वर्तमान अध्ययन अप्रैल से नवंबर २०२१ की अवधि के दौरान पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स, नागपुर पशु चिकित्सा कॉलेज, नागपुर में प्रस्तुत मिथ्यगर्भावस्था के लिए संदिग्ध व्यवहार संकेतों और लक्षणों के साथ नस्ल, उम्र और आकार को अनदेखा करते हुए कुल १२ मादा कुत्तों पर आयोजित किया गया था। इन १२ मादा कुत्तों को मिथ्य गर्भावस्था के नैदानिक ​​लक्षणों के साथ चुना गया था तथा वर्तमान अध्ययन के लिए उनके अंतिम मद (एस्ट्रस) अवधि से लगभग ३०-९० दिनों के आसपास चुना गया था। कुल १२ मादा कुत्तों को २ समूहों में समान रूप से विभाजित किया गया था, जिनमें से हर एक समूह मे ६ मादा कुत्ते शामिल थे। अल्ट्रासाउंड अथवा रेडियोलॉजी की उपलब्ध सुविधा के अनुसार नैदानिक ​​​​विधि द्वारा मिथ्य गर्भावस्था की पुष्टि की गई थी। समूह १ के छह मादा कुत्तों को होम्योपैथीक सिरप आहार के साथ प्रशासित किया गया, जबकि समूह २ के मादा कुत्तों को नियंत्रण समूह के रूप में रखा गया था।

मुख्य शब्द: होम्योपैथी, मिथ्य गर्भावस्था , मादा कुत्ते, सिरका, नियंत्रण समूह

परिचय :        झूठी गर्भावस्था, प्रेत गर्भावस्था, मिथ्य गर्भावस्था या स्यूडोसाइसिस ऐसे सभी शब्द हैं जो एक अवैतनिक मादा कुत्तों मे एस्ट्रस (“गर्मी”) के बाद गर्भावस्था के शारीरिक लक्षणों के साथ संयुक्त मातृत्व व्यवहार के प्रदर्शन को संदर्भित करते हैं, जो वास्तव में गर्भवती नहीं रहती। मादा कुत्तों में झूठी गर्भावस्था हो सकती है, भले ही उनका मिलन कोई नर के साथ हुवा हो या नहीं। अधिकांश बरकरार मादा कुत्ते मद चक्र के बाद झूठी गर्भावस्था के कुछ अंश तक लक्षण दिखाते ही है।        एक बिन गर्भवती मादा कुत्तों में गर्भावस्था के संकेतों की उपस्थिति की विशेषता वाली स्थिति को मिथ्य गर्भावस्था या झूठी गर्भावस्था या स्यूडोसाइसिस परिभाषित किया जाता है। इस स्थिति को झुठा स्तनपान या तंत्रिक दुध निकालना ये रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह अक्सर दूध उत्पादन के साथ होता है। हमेशा सभी स्तन ग्रंथिया इसमे शमिल नही रहती बलकी ज्यादातर वंक्षण और पेट के तरफ वाली स्तन ग्रंथियोनसे ही दूध निकलता है (रोमाग्नोली, २००९)। इसके लिए नियमित रूप से बहुत से चिकित्सीय उपचारों का उपयोग किया जाता है।        मिथ्यगर्भावस्था के उपचार हेतु बहोतांश बार स्टेरॉईड शामिल किये जाते है जो अस्थि मज्जा दमन का भी कारण बन सकते है और तो और इसके अन्य भी कई दुष्प्रभाव होणेके आसार रहते है। मिथ्यगर्भावस्था के लक्षणों को खत्म करने के लिए बार-बार कठोर या अपर्याप्त उपचार जादा तर स्तन ट्यूमर में परिवर्तीत हो जाते हैं। मिथ्यगर्भावस्था के बारे में ये सभी चिजे ध्यान में रखते हुए तथा इसकी पृष्ठभूमि देखते हुए, कुछ किफायती और स्व-उपचार उपयोग करणे हेतु आसान और तो और कम से कम या बीना कोई बुरा परिणाम वाले चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता है। इसलिए यह अध्ययन मुख्य रूप से मादा कुत्तों में मिथ्यगर्भावस्था के होम्योपैथिक चिकित्सीय प्रबंधन पर केंद्रित कीया है।

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सामग्री और विधियां        वर्तमान अध्ययन अप्रैल से नवंबर २०२१ की अवधि के दौरान मिथ्यगर्भावस्था के लक्षणों के साथ पशु चिकित्सा क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स, नागपुर पशु चिकित्सा कॉलेज, नागपुर में प्रस्तुत ६ मादा कुत्तों पर आयोजित किया गया था। जिसमे १२ मादा कुत्तों को मिथ्य गर्भावस्था के नैदानिक ​​लक्षणों के साथ और आसपास चुना गया था। नस्ल, उम्र, समानता, पिछले एस्ट्रस से प्रस्तुति की तारीख तक की अवधि, पिछले चक्र में मिथ्यगर्भावस्था का नर मिलन इतिहास, मिथ्य प्रसार को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का अध्ययन करने के लिए वर्तमान अध्ययन के लिए उनके अंतिम एस्ट्रस अवधि से ३०-९० दिन के आसपास के मादा कुत्तों को चुना गया।                कुल १२ मादा कुत्तों को समान रूप से २ समूहों में विभाजित किया गया था, जिनमें से हर एक समूह मे ६ मादा कुत्ते शामिल थे। इन २ समूहों में से सभी १२ चुनी गई मादा कुत्तों को पेट के तालमेल तथा अल्ट्रासाउंड या फिर रेडियोलॉजी उपलब्धी के अनुसार निदान पद्धती द्वारा मिथ्यगर्भावस्था के लिए पुष्टि की गई।        मिथ्यगर्भावस्था के इतिहास और नैदानिक ​​​​लक्षणों के साथ समूह १ मे प्रस्तुत छह कुत्तों को १० दिनों के लिए दिन में तीन बार १ मिली होम्योपैथिक सिरप डॉ. गोयल्स-फर्टिगो की खुराक दि गयी। होम्योपैथी सिरप में एग्नस कास्टस २००, सेपिया २००, पैलेडियम २००, बोरेक्स २००, एपिस मेल २००, म्यूरेक्स पुरपुरिया २०० और ऑरम मेटालिकम २०० ये सामग्री शमिल थी।        समूह २ में मादा कुत्तों को एक नियंत्रण समूह के रूप में रखा गया था, जिसमें मादा कुत्तों के स्तन ग्रंथियों पर सिरका लगाने की सलाह उनके मालिकोंको दी गई थी और पूर्ण स्वास्थ लाभ के लिए ली गई अवधि को मामलों के उचित अनुवर्ती के साथ दर्ज किया गया था।

 परिणाम और चर्चा :

तालिका १ में मिथ्यगर्भवती मादा कुत्तों के उपचार में होम्योपैथिक दवा की प्रभावकारिता के मूल्यों को दर्शाया गया है। समूह १ के ६ मादा कुतिया में से, यानी होम्योपैथिक रूप से इलाज की गई मादा कुत्तों मे १०० % सफलता दर प्राप्त हुवा। सभी ६ मादा कुत्ते सभी लक्षणों की सीमा के साथ सफलतापूर्वक ठीक हुए और लक्षणों की वापसी औसतन ९ से १२ दिन तथा औसत अवधि मध्य १०.५ ± ०.४ इतने दिनोंकी प्राप्ती हुई ।        जबकि नियंत्रण समूह २ जिसमें ६ मादा कुत्तों पे सिरका उपयोग मे लाया गया था उनमे ६६.६६ प्रतिशत की सफलता दर के साथ चार मादा कुत्ते सफलतापूर्वक बरामद हुए। सभी लक्षणों के ठीक होने की औसतन अवधि १० से १५ दिन तथा औसतन अवधि मध्य १३.५ ± ०.५ दिनों का पाया गया।         मिथ्यगर्भावस्था के लिए इलाज किए गए कुल १२ में से १० कुत्तों मे कुल सफलता दर ८३.३३ प्रतिशत पाया गया, उन सभी मादा कुत्तों का स्वास्थ लाभ अवधि औसतन ९ से १५ दिनों की मिलि जबकी औसत मध्य स्वास्थ लाभ अवधि १२.० ± ०.५ इतनी प्राप्त हुई (तालिका-1)।

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तालिका : मिथ्यगर्भावस्था  के लिए होम्योपैथी उपचार की प्रभावकारिता (एन=१२)

क्र.सं उपचार समूह मादा  कुत्तों की संख्या स्वास्थ्य लाभ प्राप्त   मादा  कुत्तोंकी  संख्या स्वास्थ्य

लाभ प्राप्ती   मादा  कुत्तोंका प्रातिशत (%)

मादा  कुत्तों की  स्वास्थ्य लाभप्राप्ती  औसत अवधि मादा  कुत्तों की  स्वास्थ्य लाभ प्राप्ती का अवधि औसत मध्य

(माध्य ± एस.ई)

महत्व पी

मान

समूह-१ (होम्योपैथी) १०० % ९-१२ दिन १०.५ ± ०.४ गैर महत्वपूर्ण ०.४९
समूह-२ (नियंत्रण) ६६.६६ % १२-१५ दिन १३.५ ± ०.५ गैर महत्वपूर्ण
कुल १२ १२ ८३.३३ % ९-१५ दिन १२.० ± ०.५ गैर महत्वपूर्ण

 

एन.एस-गैरमहत्वपूर्ण पी मान > ०.०५

वर्तमान परिणामों के अनुरूप (ओज़्युर्ट्लु ,२००४) ने ३० मादा कुत्तों में मिथ्यगर्भावस्था पर होम्योपैथी के प्रभावों का अध्ययन किया। होम्योपैथी द्वारा पंद्रह मादा कुत्तों में उपचार किया गया और शेष १५ कुत्तों को प्लेसबो उपचार प्रबंधन कीया। इस दौरान उन्होंने होम्योपैथिक एजेंट के रूप में थूजा डी३० ग्लोब्यूल्स का इस्तेमाल किया, जिसमें थूजा ऑक्सीडेंटलिस होते हैं, मौखिक रूप से दिन में ३ बार ८ ग्लोब्यूल्स की खुराक मादा कुत्तों को खिलाई गयी। हर ५ दिनों में नैदानिक ​​​​प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया गया।थुजा डी ३० का उपयोग करके मादा कुत्तों में १०० प्रतिशत सफलता होमेओपाथी से प्रस्तुत की गयी।उपचार की अधिकतम अवधि ३ सप्ताह थी तथा उपचार की मध्य औसत अवधि १३.६७ ± ५.५० दिन थी। अध्ययन के बाद संशोधक ने निष्कर्ष निकाला कि होम्योपैथिक थूजा डी३० मिथ्य गर्भवती मादा कुत्तों में आम औषधीय एजेंटों के विकल्प के रूप में प्रभावी और सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।        असलन और अन्य(२००४) भी हमारे निष्कर्षों के अनुरूप ही आपणा संशोधन दर्शते है। जिसमें थूजा डी३० और अर्टिका यूरेन्स डी६ के मिथ्यगर्भावस्था के उपचार हेतु औसत अवधि क्रमशः१३.३ और १४.१ दिन प्रस्तुत की गयी है। उन्होने उनके संशोधन मे ये भी लिखा है की भले ही उपचार २० दिनों से अधिक चलता हो पर सफलता के साथ साथ ही होम्योपैथी का कोई साइड इफेक्ट भी उनको दिखाई नही दिया।         प्राकृतिक या पौधेसे बनी स्रोत मूल की दवाएं, विशेष रूप से होम्योपैथिक एजेंट, वैकल्पिक रूप से मादा कुत्तों में मिथ्यगर्भावस्था के उपचार में उपयोग किए जाते हैं (ओज़्युर्टलु और अलाकैम २००५)। हालांकि ये उपचार सुरक्षित रूप से ठीक तो होते हैं लेकीन अगर कमजोर पड़ने या गलत खुराक के चलते उपयोग मे लाये गये तो इसके प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं (असलान और अन्य, २००४)।               वर्तमान निष्कर्ष (बेसरिक्लिसॉय और अन्य,२००८) के भी समान हैं, जिन्होंने ३० नैदानिक ​​​​रूप से मिथ्यगर्भावस्था वाली मादा कुत्तों का अध्ययन किया था, जिन्हें थुजा ऑसीडेंटलिस थुजा डी३० और यूर्टिका यूरेन्स डी६ दोनोके भी प्रती ८ ग्लोब्यूल्स दिन में 3 बार के दर से १५ मादा कुत्तों में खुराक के तोर पर उपयोग मे लाये गये, जिसके बाद १०० प्रतिशत सफलता दर के साथ सभी ३० मादा कुत्तों में पुरी तरह से लक्षणो मे वापसी प्राप्त हुई। अंतिम निष्कर्ष संशोधन कर्ता ने ये प्रस्तुत कीया की, मिथ्यगर्भावस्था को ठीक करणे हेतु होम्योपैथिक दवा एलोपैथिक और आयुर्वेदिक की तुलना में अधिक प्रभावी है।        नैदानिक ​​​​संकेतों की पूर्ण वसूली के लिए आवश्यक दिनों की संख्या में फर्टिगो सिरप मादा कुत्तों के नियंत्रण समूह की तुलना में जादा प्रभावी पाया गया। कई संशोधको द्वारा प्रस्तुत विभिन्न संदर्भों के अनुसार अन्य दवाओं की तुलना में फर्टिगो लिक्विड के दुष्प्रभाव भी नहीं देखे गए। नैदानिक ​​लक्षणों की पूर्ण छूट के लिए थोड़ी अधिक औसत अवधि के साथ मिथ्यगर्भावस्था के इलाज में सिरका लगाने से प्रबंधनीय चिकित्सा भी कूछ अंश तक प्रभावी रही।        कुत्तों में गंध की बहुत ही अविश्वसनीय पेहचान भावना होती है और गंध की अपनी बेहतर समझ के कारण, वे आसानी से सिरका सूंघ लेते हैं। सिरका उन चीजों में से एक है जो कुत्तों को दूर भगाने के लिए उपयोग मे लाया जाता है। इसमें एक तीखी गंध होती है जो विशेष रूप से मनुष्यों को पसंद नहीं आती है, लेकिन यह एक प्राकृतिक गंध है जिसे आपके कुत्ते निश्चित रूप से पसंद नहीं करेंगे (https://wagwalking.com/behavior/why-dogs-dont-like-vinegar)। मिथ्य गर्भावस्था वाले मादा कुत्तों के स्तन ग्रंथियों पर सिरका लगानेसे स्तन ग्रंथियों को चाटने जैसे मनोवैज्ञानिक या व्यवहार संबंधी संकेतों को आसानी से रोका जा सकता है।

निष्कर्ष:         वर्तमान अध्ययन से, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मिथ्यगर्भावस्था एक शारीरिक सिंड्रोम है जहां मादा गैर-गर्भवती कुत्ते प्रसवोत्तर चरण (एनएस्ट्रस) या स्तनपान के चरण के संकेतों की नकल करते हैं। भौगोलिक स्थिति और अध्ययन समूह के साथ स्थिति की व्यापकता व्यापक रूप से भिन्न होगी। कुत्ते की नस्ल पूर्व-निपटान वाले जानवरों में एक अंतर्निहित आनुवंशिक घटक के कारण नैदानिक ​​​​संकेतों की प्रदर्शनी को प्रभावित कर सकती है। नैदानिक ​​​​संकेतों की तीव्रता और प्रकार व्यक्तियों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होते हैं जो व्यक्तिगत प्रोलैक्टिन बायोएक्टिविटी में अंतर के कारण हो सकते हैं।

संदर्भ :  

Ø  असलान, एस., बेसरिक्लिसॉय एच.बी., ओज़्युर्ट्लु.एन., कानका एच., और जे. हैंडलर। (२००४) मादा कुत्तों में स्यूडोप्रेग्नेंसी पर थुजा ऑक्सिडेंटलिस डी ३० और यूर्टिका यूरेन्स डी६ के साथ उपचार का प्रभाव। वेटेरिनरी मेड.ऑस्ट्रिया/वीएन टियरर्झ्ट्ल.मशर,:९१।Ø  ओज़्युर्ट्लु निहत और अलकम ई.(२००५) मादा कुत्तों में छद्म गर्भावस्था के उपचार के लिए होम्योपैथी की प्रभावशीलता। टर्किश जर्नल ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेस,२९(३)९०३-९०८।Ø  बेसरिक्लिसॉय, एच.बी., ओज़्युर्ट्लु,एन., काय ए.डी., हैंडलर जे.और असलान, एस.(२००८) स्यूडोप्रेग्नेंट मादा कुत्तों में थुजा ओक्सीडेंटलिस और अर्टिका यूरेन की प्रभावशीलता। वेटेरिनरी मेड.ऑस्ट्रिया/वीएन टियरर्झ्ट्ल.मशर,:९५;२६३-२६८।Ø  रोमाग्नोली, एस.(२००९) स्यूडोप्रेग्नेंसी पर एक अपडेट। ३४वां विश्व लघु पशु चिकित्सा संघ।WSAVA कांग्रेस। साओ पाउलो ब्राजील.२००९; जुलाई,२१-२४।Ø  https://wagwalking.com/behavior/why-dogs-dont-like-vinegar

https://www.pashudhanpraharee.com/how-to-manage-your-dogs-properly/

https://www.myupchar.com/pet-health/dog/pyometra-in-dogs

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