अगस्त माह में पशुओं की देखभाल के उपाय
डा वाचस्पति नारायण हर्ष
टीचिंग एसोसिएट, उदयपुर
राजस्थान में इसबार मानसून की अच्छी बारिश होने से पिछले साल के मुकाबले अब तक औसत से 32% अधिक वर्षा हो चुकी है, इस मौसम में अधिक आर्द्रता और तापमान में अधिक उतार चढ़ाव के कारण पशुओं पर नकारात्मक प्रभाव अधिक पड़ता है। इस मौसम पर पशुओं के पोषण एवं प्रबंधन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। बारिश के बाद हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहती है, परंतु इस मौसम में पशुपालकों को कुछ समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। पशुओं में सबसे बड़ी समस्या आफरा तथा दस्त की होती है।इस परेशानी के लिए पशुपालकों को मुख्यतया पशु के आहार संबंधी ध्यान रखे, साथ ही अंतः परजीवी संक्रमण से बचाव के लिए पशु को बरसात एवं पोखर का पानी पीने से रोकना चाहिए। इस मौसम में पशु को खुले में चरने से बचना चाहिए। पशुपालक द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बाड़े के आसपास कहीं भी पानी एकत्रित नहीं होने दे इससे उत्पन्न मच्छर व मक्खियों से विषाणु और परजीवी जनित संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। नवजात पशु को जुकाम, बुखार एवं न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से रक्षा के लिए पानी में भीगने से बचाया जाए। मच्छर मक्खियों के लिए धुंए की समुचित व्यवस्था हो ताकि पशु को श्वास संबंधी कोई समस्या न हों। इस प्रकार पशुपालक को मानसून के मौसम में अतिरिक्त ध्यान देकर पशु को बीमारी से मुक्त रखा जा सकता है और पशु को किसी विषम परिस्थिति से बचाया जा सकता है।