पशुचिकित्सक को मानव चिकित्सक के समरूप मानते हुए सेवा नियमावली मे पांच पदसोपान एवं प्रोन्नत पद 50 प्रतिशत के साथ अन्य सुविधा की मांग को उचित बताया -करवाई की जाएगी आश्वस्त किया – श्री रविन्द्र नाथ महतो,अध्यक्ष झारखण्ड विधानसभा
झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ का शिष्टमण्डल श्री रविन्द्र नाथ महतो ,माननीय अध्यक्ष ,झारखण्ड विधान सभा से मिला और 5th 6th 7th वेतन आयोग की अनुशंसा एवं माननीय उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली के निर्देश के आलोक मे पशुचिकित्साको को मानव चिकित्सकों को एक समान मानते हुए संघ की बहुप्रतीक्षित मांग पशु चिकित्सा सेवा के पदों के पुनर्गठन के साथ पांच पद सोपान, प्रोन्नत पद 50 प्रतिशत के साथ अन्य सुविधा देने की मांग रखी गई!वर्तमान मे पशुचिकित्साको का मात्र दो पदसोपान एवं 9 प्रतिशत प्रोन्नत पद है जिसके कारण 91% पशुचिकित्सक मूल कोटि के पद से सेवानिवृत हो रहे है.जिससे उनमे घोर निराशा व्याप्त है जिसका सीधा असर उनकी कार्यक्षमता पर पड़ता है नये पूनर्गठन प्रस्ताव अधिसूचित हो जाने पर पशुचिकित्साकों की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और अपना सर्वस्व पशु की सेवा में देंगे जिससे पशु उत्पाद में जैसे दूध मांस अंडा उन उत्पादन में झारखण्ड आने वाले दिनों में आत्मनिर्भर होगा , कुपोषण से भी मुक्ति मिलेगी तथा लोगों को पशु उत्पाद आधारित व्यवसाय कर अतिरिक्त आय होगी साथ ही अवगत कराया गया की नेशनल कमीशन ऑन एग्रीकल्चर रिपोर्ट 1976 में अनुशंसित 5000 कैटल यूनिट पर एक पशुचिकित्सक की आवश्यकता है जिसके अनुसार झारखण्ड मे 2800 पशुचिकित्सक होना है जिसके विरुद्ध 798 पद ही स्वीकृत है!पुनर्गठन प्रस्ताव में प्रखंड में एनिमल हेल्थ सेंटर बनेगा जिसमे
पशुचिकित्सालय को सुदृढ़ करना,मानव संसाधन युक्त बनाना ,अत्याधुनिक उपस्कर उपकरण के साथ सुसज्जीत किया जाना है जिससे पशुपालक को तुरंत प्रखंड स्तर पर ही उनके पशु के रोग का निदान हो जायेगा .
अध्यक्ष महोदय ने आश्वस्त किया की पशुचिकित्सको की मांग उचित है इस पर आवश्यक करवाई किया जायेगा !जिससे झारखण्ड मे रोजगार सृजन के साथ साथ पशुपालक आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर होंगे और उनका पलायन भी रुकेगा!शिस्टमण्डल मे डॉ सेमसन संजय टोप्पो, डॉ शिवानंद कांशी, डॉ राजीव कुमार, डॉ मनोज कुमार, डॉ सुनील टोप्पो, डॉ नविन आर्य, डॉ हरेराम जी दिनकर, डॉ थानेस उराव, डॉ किशोर हांसदा आदि थे!
डॉ शिवानंद कांशी
महामंत्री
झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ