पशुओं को हीटस्ट्रोक ( लू ) से बचाव के उपाय और लक्षण : लू का घरेलू और प्राकृतिक उपचार

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पशुओं को हीटस्ट्रोक ( लू ) से बचाव के उपाय और लक्षण : लू का घरेलू और प्राकृतिक उपचार

गम्भीर ताप तनाव (heat stress) की वजह से पशुओं के शरीर का तापमान, दिल की धड़कनें, रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ जाता है। चारे का सेवन 35 प्रतिशत तक कम हो सकता है। देसी नस्ल के पशु तो फिर भी ज़्यादा तापमान सहन कर लेते हैं लेकिन विदेशी और संकर नस्लों में इसे बर्दाश्त करने की क्षमता भी कम होती है।देश के ज़्यादातर इलाके इन दिनों ज़बरदस्त गर्मी झेल रहे हैं। ऐसा मौसम दुधारू पशुओं और पशुपालकों के लिए भी बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि डेयरी पशुओं की अधिकतम उत्पादकता के लिए 5 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे मुफ़ीद माना गया है।इसी तरह, जब हवा में नमी यानी, तापमान आर्द्रता सूचकांक (Temperature Humidity Index) 72 अंक से ज़्यादा होता है तो डेयरी पशुओं पर गर्मी के तनाव (heat stress) का प्रभाव दिखायी देता है।गर्मी की वजह से मवेशियों की प्रजनन क्षमता और दूध उत्पादन में तो गिरावट आती ही है, सेहत के अन्य पहलू भी प्रभावित होते हैं।

 Heatstroke से पशुओं को कैसे बचाए

भीषण गर्मी में सभी के हल बेहाल है, इस झूलसा देने वाली गर्मी से इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी समेत सभी प्रकार के जीव-जंतु पीड़ित हैं। गर्मी में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता, भोजन की मात्रा और व्यवहार में भी बदलाव आया है। ऐसे में सभी पशुपालक और किसान भाई गर्मी के मौसम में Milch Animals का विशेष ध्यान रखें, ताकि दूध का उत्पादन कम न हो।गर्मियों में लू का प्रकोप बना रहता है। इससे दूधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता, भोजन की मात्रा और व्यवहार में भी बदलाव आता है।हालांकि गर्मियों में सर्दियों की तुलना में गाय, भैंस कम दूध देना शुरू कर देती हैं, जिसके कारण दूध का उत्पादन कम हो जाता है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए की अगर उन्हें आवास, आहार और इलाज की समुचित व्यवस्था की जाए तो दूध उत्पादन में ज्यादा गिरावट नहीं आती है।

कैसे होते है हीटस्ट्रोक के लक्षण?

दूधारू पशुओं के शरीर और व्यवहार में परिवर्तन तब देखा जाता है जब वे Lu के संपर्क में आता है। कई बार लू लगने से पशु की मौत भी हो जाती है। पशु को लू लगने पर जो लक्षण दिखाई देते हैं वे इस प्रकार हैं।

जब जानवर Heatstroke के संपर्क में आता है, तो 106 से 108 डिग्री फ़ारेनहाइट का तेज़ बुखार होता है।लू से पशु सुस्त हो जाता है और खाना-पीना बंद कर देता है। Heatstroke के कारण पशुओं के मुंह से जीभ चिपक जाती है और उसके लिए ठीक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। उसी समय मवेशी के मुंह के आसपास झाग आ जाता है। लू लगने से Animals की आंख और नाक लाल हो जाती है।

ऐसे में अक्सर जानवर की नाक से खून आने लगता है। जब रक्तस्राव होता है, तो जानवर का दिल तेजी से धड़कता है और उसे सांस लेने में कठिनाई का अनुभव होता है। जिससे पशु चक्कर आने से गिर जाता है और बेहोशी की हालत में उसकी मौत हो जाती है।

डेयरी पशुओं पर गर्मी के तनाव का प्रभाव

ज़्यादा गर्मी से जैसे इंसान को लू लग जाती है, वैसे ही पशुओं का थर्मोरेग्युलेटरी फिजियोलॉजिकल मैकेनिज्म भी गड़बड़ा जाता है। यही थर्मोरेगुलेटरी तंत्र पशुओं के शरीर को ज़्यादा सर्दी या ज़्यादा गर्मी से सुरक्षित रखता है ताकि उनकी जैविक, रासायनिक, शारीरिक और पाचन की प्रक्रियाएँ सही ढंग से चलती रहें। इसीलिए गम्भीर ताप तनाव (heat stress) की वजह से पशुओं के शरीर का तापमान, दिल की धड़कनें, रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ जाता है।चारे का सेवन 35 प्रतिशत तक कम हो सकता है। इससे दूध उत्पादन क्षमता तेज़ी से गिरने लगती है और पशुपालकों को बहुत नुकसान होता है। देसी नस्ल के पशु तो फिर भी ज़्यादा तापमान सहन कर लेते हैं लेकिन विदेशी और संकर नस्लों में इसे बर्दाश्त करने की क्षमता भी कम होती है।

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 पशुओं को Heatstroke से बचाने के लिए क्या करें?

लू लगने की स्थिति में Milch Animals को बचाने के लिए हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जो इस प्रकार हैं-

  • दुधारू पशु घर में एक रोशनदान होना चाहिए ताकि स्वच्छ हवा अंदर जा सके और प्रदूषित हवा बाहर निकल सके।
  • गर्मी के दिनों मेंदूधारू पशुओं को दिन में नहलाना चाहिए, खासकर भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना चाहिए।
  • गर्मी के दिनों में पशु को पर्याप्त मात्रा में ठंडा पानी देना चाहिए।
  • क्रॉसब्रेड पशुओं के आवास में पंखे या कूलर लगाए जाने चाहिए जो अत्यधिक गर्मी बर्दाश्त नहीं करते हैं।
  • पशुओं को सुबह जल्दी और देर शाम को चरने के लिए भेजना चाहिए।

 गर्मियों में बदलना चाहिए पशुओं का आहार

गर्मी के मौसम में दूधारू पशुओं के आहार में परिवर्तन करना भी आवश्यक होता है, क्योंकि इन दिनों पशुओं को भोजन कम और पानी की आवश्यकता अधिक होती है। गर्मी के मौसम में पशुओं को सूखे चारे की जगह हरा चारा अधिक मात्रा में देना चाहिए। हरे चारे के दो फायदे होते हैं, एक मवेशी स्वादिष्ट और पौष्टिक चारा ज्यादा चाव से खाता है।दूसरा, हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी होता है, जो समय-समय पर पशु के शरीर की पूर्ति करता है। ऐसा देखा गया है कि गर्मी के मौसम में आमतौर पर हरे चारे की कमी होती है। इसलिए पशुपालन को चाहिए कि गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च और अप्रैल के महीने में हरा चारा बोयें,ताकि गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराया जा सके। ऐसे पशुपालन, जिनके पास सिंचित भूमि न हो, हरी घास को समय से पहले काट कर सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए। यह घास प्रोटीन से भरपूर, हल्की और पौष्टिक होती है।

 गर्मी में पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था

गर्मी के मौसम में मवेशियों को भूख कम और प्यास ज्यादा लगती है। इसलिए पशुपालकों को दूधारू पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए, पशु को दिन में कम से कम तीन बार पानी अवश्य देना चाहिए। यह जानवर को अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा पानी में थोड़ा सा नमक और आटा मिलाकर जानवर को पानी पिलाना चाहिए।

पशु को लू लग जाए तो क्या करें?

अगर पशु को लू लग गई है तो इसके लिए आप ये उपाय कर सकते हैं जिससे जानवर को राहत मिलेगी। इन उपायों को पशुपालन विभाग ने साझा किया है।

  • लू लगने की स्थिति में पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखना चाहिए और ठंडे पानी के साथ छिड़कना चाहिए।
  • पशु के शरीर पर बर्फ या शराब मलनी चाहिए। इससे जानवर को राहत मिलेगी।
  • पशु को प्याज और पुदीना से बना अर्क खिलाना चाहिए।
  • पशु को ठंडे पानी में चीनी, भुना जौ और नमक मिलाकर पिलाना चाहिए। यह हीटस्ट्रोक से भी बचाता है।
  • अगर इन उपायों के बाद भीदूधारू पशुओं को आराम नहीं मिलता है तो उसे नजदीकी डॉक्टर से संपर्क कर उचित इलाज कराना चाहिए।
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लू लगने के लक्षण (heat stroke symptoms)

  • पशुु को 106 से 108 डिग्री फेरनहाइट तेज बुुखार आना।
  • सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देना।
  • लू लगने पर पशु की मुंह से जीभ बाहर निकलने लगती है।
  • सांस लेने में कठिनाई होना।
  • पशु के मुंह के आसपास झाग आ जाना।
  • पशु की आंख व नाक लाल हो जाना।
  • पशु की नाक से खून आना।
  • पशु चक्कर खाकर गिर जाना।

लू से बचाव (heat protection)

  • पशु आवास में वायु के आवागमन के लिए रोशनदान रखें।
  • पशु को दिन में नहलाए।
  • पशु को ठंडा पानी पिलाएं।
  • संकर नस्ल के पशु के आवास में पंखे या कूलर लगाएं।
  • पशुओं को चराई के लिए सुबह जल्दी और शाम को देर से भेजे।

लू से ऐसे करें उपचार (heat treatment) 

  • लू लगने पर पशु को पानी से भरे गड्ढे में रखकर, ठंडे पानी का छिड़काव करें।
  • पशु के शरीर पर बर्फ या ऐल्कोहॉल को रगड़ सकते हैं।
  • पशु को प्याज और पुदीने से बना अर्क पिलाएं।
  • ठंडे पानी में चीनी, भुने हुए जौ और नमक का मिश्रण पिला सकते हैं।

गर्मी से पशुओं को बचाने के लिए अपनायें ऐसे 10 घरेलू नुस्ख़े

आमतौर पर पशुपालक इस बात को जानते हैं कि पशु यदि गर्मी के तनाव से पीड़ित हो तो उसका उपचार कैसे करें?

मुमकिन है कि आगे बताये जा रहे नुस्ख़ों के बारे में पशुपालक पहले से ही जानते हों। इसके बावजूद उन्हें ये जानना चाहिए कि ऐसा और क्या-क्या है जिसे वो जानते नहीं, जबकि इन्हें अपनाना बहुत आसान है?

  1. दैनिक उपाय:गर्मी के दिनों में पशुओं को रात में खाना खिलाएँ। उन्हें आसानी से पचने लायक और अच्छी गुणवत्ता वाला चारा दें। हरे चारे की मात्रा बढ़ाएँ। नियमित रूप से खनिजों का मिश्रण दें। जैसे, नमक को उनके नाद या चरनी में डालें। चारे में 100 ग्राम सोडियम बाइकार्बोनेट भी मिलाएँ। यह गर्मी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करता है। उन्हें रोज़ाना 100 ग्राम तेल भी दें। अगर पशु एक जगह बँधे रहते हों तो उनके लिए दिन के कम से कम पाँच बार पानी पीने का इन्तज़ाम होना चाहिए।
  • पशुओं को छायादार जगह पर रखें।
  • हर समय पशुओं के लिए साफ़ पानी की उपलब्धता रखें।
  • पशुओं को बार-बार नहलाएँ। धूप कम होने या मौसम ठंडा होने पर ही गायों को चरायें।
  • गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए आहार की समय-सीमा बदलें।
  • गायों के खुरों के स्वास्थ्य का ख़्याल रखें।

लू का घरेलू और प्राकृतिक उपचार:

  1. गायों के शरीर पर और कान के पीछे प्याज़ का रस लगाना हीट स्ट्रोक के लिए सबसे अधिक प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है।
  2. कड़ाही में कुछ कटा हुआ प्याज भूनकर उसमें थोड़ा सा जीरा पाउडर और थोड़ा सी चीनी मिलाकर तैयार मिश्रण को पशुओं को देना भी एक मूल्यवान घरेलू उपाय है।
  3. तुलसी के पत्तों का रस निकालें और इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाएँ। इस घोल को गायों को पिलाने से हीट स्ट्रोक के उपचार में मदद मिलती है।
  4. कच्चा आम भी हीट स्ट्रोक से बचाव के साथ-साथ इलाज़ के लिए सबसे लोकप्रिय प्राकृतिक घरेलू उपचारों में से एक है। इसके लिए कुछ कच्चे आम लें, उन्हें उबालें और फिर उन्हें ठंडे पानी में भिगो दें। फिर इन आमों का गूदा लें और उसमें कुछ धनिया, जीरा, गुड़, नमक और काली मिर्च डालकर मिलाएँ। हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए इस मिश्रण को दिन में 3-4 बार पशु को दें।
  5. थोड़े से नारियल पानी में पिसी हुई कालीमिर्च डालकर इसका पेस्ट तैयार करें। इसे ठंडा करके गायों के शरीर पर लगाने से भी हीट स्ट्रोक से बचाव होता है।
  6. पानी में एलोवेरा का जूस मिलाकर पिलाना भी हीट स्ट्रोक के लिए सबसे आसान प्राकृतिक घरेलू उपचार है।
  7. 10 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों, 25 ग्राम सौंफ, 10 ग्राम गोजुवा के फूल और 10 ग्राम जावा फूल को मिलाकर पीस लें। फिर इसमें थोड़ा सी चीनी या दूध मिला लें। हीट स्ट्रोक से निपटने के लिए इस मिश्रण को पशु को 3-4 दिन तक दें।
  8. चीनी के साथ धनिया का रस लेना एक सरल प्राकृतिक घरेलू उपचार है। इसका उपयोग भी हीट स्ट्रोक और अन्य गर्मी सम्बन्धी लक्षण दिखने पर किया जाता है।
  9. कुछ बेरों को पानी में तब तक भिगोकर रखें, जब तक वे नरम ना हो जाएँ। फिर नरम बेरों को पानी में मसल लें। इसे छानकर और इसका काढा बनाकर भी गायों को देने से गर्मी से पैदा हुए तनाव से राहत देता है।
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गर्मियों के मौसम में हवा के गर्म थपेड़ों और बढ़ते हुए तापमान से पशुओं में लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। लू लगने से पशुओं की त्वचा तो सिकुड़ जाती है साथ ही दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन भी घट सकता है। गर्मी के मौसम में पशुपालकों को अपने पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए भी सावधान रहने की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में चलने वाली गर्म हवाएं (लू) जिस तरह हमें नुकसान पहुंचती हैं ठीक उसी तरह ये हवाएं पशुओं को भी बीमार कर देती हैं। अगर पशुपालक उन लक्षणों को पहचान लें तो वह अपने पशुओं का सही समय पर उपचार कर उन्हें बचा सकते हैं। अगर पशु गंभीर अवस्था मे हो तो तुरंत निकट के पशुचिकित्सालय में जाए। क्योंकि लू से पीड़ित पशु में पानी की कमी हो जाती है। इसकी पूर्ति के लिए पशु को ग्लूकोज की बोतल ड्रिप चढ़वानी चाहिए और बुखार को कम करने व नक्सीर के उपचार के लिए तुरन्त पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

Compiled  & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

Image-Courtesy-Google

Reference-On Request.

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