ग्रामीण मुर्गियों (कड़कनाथ वनराजा तथा सोनाली इत्यादि) को बैकयार्ड में पालने हेतु संपूर्ण जानकारी

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ग्रामीण मुर्गियों (कड़कनाथ वनराजा तथा सोनाली इत्यादि) को बैकयार्ड में पालने हेतु संपूर्ण जानकारी

 भारत जैसे विकासशील देश में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। यहां के निवासियों का जीवन स्तर शहरों में रहने वालों की तुलना में अपेक्षाकृत समृद्ध नहीं है। विगत वर्षो में भारत सरकार ने कुक्कुट पालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधारने का एक उत्तम साधन मानते हुए इसके विकास हेतु अनेक प्रयास किये है। आज मुर्गीपालन एक दृढ़ उद्योग का रूप ले चुका है। वैज्ञानिकों द्वारा किये जा रहे अनुसंधानों से विकसित नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाने से मुर्गीपालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है।

मुर्गी पालन (Chicken Farm) कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यवसायों में से एक मुख्य व्यवसाय है. भारत में मुर्गी पालन (Poultry Farm) काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. मुर्गीपालन (chicken farm) व्यवसाय पर गौर किया जाये तो यह किसानो के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके जरिये घर व गांव की महिलाओं को भी रोजगर के अवसर प्राप्त हो सकते है. सरकार भी पोल्ट्री फार्मिंग (hen farm) को बढ़ावा देने के उदेश्य से प्रोसेसिंग, प्रजनन, पालन और हैचिंग प्रक्रियाओं निवेश कर रही है. भारत में लहभग 50 लाख किसान और 2 करोड़ कृषि किसान पोल्ट्री व्यवसाय में काम कर रहे हैं, जिससे वे राष्ट्रीय आय में करीब 126,000 करोड़ रुपये का योगदान कर रहे हैं.

भारत की आबादी 1.4 अरब के करीब पहुंच चुकी है और भारत की करीब 75% जनसंख्या मांसाहारी है. इस आंकड़े से पता लगाया जा सकता है पोल्ट्री फार्म के उत्पादनो की मांग कितनी हो सकती है. इसको देखते हुए पोल्ट्री फार्म खोल सकते है. देश प्रदेश की सरकारें भी पोल्ट्री फार्म को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन शुरू किया गया है. जिसके तहत पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकार बीपीएल परिवारों को निवेश और वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है

बैकयार्ड मुर्गी पालन क्या है?

बैकयार्ड मुर्गी पालन में मुर्गियों को आंगन या घर के पिछवाड़े में पड़ी खाली जगह में आसानी से पाला जा सकता है. इसमें आप देसी मुर्गियों का चयन कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. ये मुर्गियां आहार के रूप में हरे चारे और घर की बची फल-सब्जियों के छिलके, अनाज, खरपतवार के बीच दाने और कीड़े मकोड़े आदि खाकर अपना जीवन यापन कर लेती हैं. लेकिन अधिक उत्पादन के लिए इन मुर्गियों को कुछ अतिरिक्त आहार की भी आवश्यकता होती है. इसलिए उनको मक्का, बाजरा, चावल खली, कैल्शियम आदि दिया जाना चाहिए.

कैसे करें बैकयार्ड मुर्गी पालन की शुरुआत?

आप 20 से 30 देसी मुर्गियों से इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं. इन मुर्गियों के 1 दिन के चूजों की कीमत लगभग 30 से 60 रुपये तक हो सकती है. देसी मुर्गियों में अंडे सेने का गुण होता है, जिसका लाभ यह होता है कि किसानों को बार-बार चूजे खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. देसी मुर्गी साल में 160 से 180 अंडे देती हैं, जिनका बाजार में मूल्य अधिक होता है. देसी मुर्गी के अंडे की मांग भी बहुत ज्यादा है. आजकल इसको जैविक अंडा के रूप मे इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी कीमत आमतौर पर साधारण अंडे के मुकाबले ज्यादा होती है और इसकी मार्केटिंग मे कोई परेशानी नहीं होती है.

किन नस्लों का मुर्गी पालना बेहतर?

बैकयार्ड पोल्ट्री में असील, कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, केरी श्यामा, निर्भीक, श्रीनिधि, वनराजा, कारी उज्जवल और कारी उत्तम जैसी नस्लों का पालन किया जाता है.

बैकयार्ड मुर्गी पालन से जुड़े पॉजिटिव पॉइंट

  1. लघु सीमांत और भूमिहीन किसानों, जिनके पास बजट कम होता है, वे आसानी से कम लागत में अतिरिक्त पैसे कमा सकते हैं
  2. 2.  पोषक तत्वों से भरपूर अंडा प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है जो घर-परिवार पोषण स्तर में भी सुधार करता है.
  3. 3.  रसोई से निकले हुए अवशिष्ट पदार्थ जिन्हें फेंक दिया जाता है, बैकयार्ड मुर्गी पालन में इसका उपयोग मुर्गियों के चारे के लिए किया जा सकता है.
  4. 4.  घर के आस-पास पड़े खाली स्थानों का सदुपयोग होता है और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरी करने में योगदान देता है.
  5. 5.  देसी मुर्गा का बाजार मूल्य ज्यादा और मांग भी अधिक होती है.

कुछ बातों का रखना होता है ध्यान?

डॉ विवेक बताते हैं कि वर्तमान बाजार परिदृश्य में कुक्कुट उत्पाद उच्च जैविकीय मूल्य के प्राणी प्रोटीन का सबसे सस्ता उत्पाद है. मुर्गीपालन व्यवसाय से भारत में बेरोजगारी भी काफी हद तक कम हुई है. इसमें कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि इसमें आपकी मेहनत और लगन पर सब कुछ निर्भर है.

किसान इन व्यवसायों को अपना लेते हैं लेकिन उस व्यवसाय के बारे में उचित जानकारी के अभाव में सही मुनाफा नहीं उठा पाते हैं. अगर मुर्गी पालन में सही प्रजाति के चूजे, देखभाल, पौष्टिक आहार, बिमारियों से बचने का टीका और साफ-सफाई सही ढंग से किया जाए तो बंपर मुनाफा कमाया जा सकता है.

मुर्गी पालन के लाभ – Poultry Farming Benefits

  • मुर्गी पालन कमाई का एक उत्कृष्ट स्रोत है.
  • मुर्गी पालन में कम निवेश की आवश्यकता पड़ती है.
  • इससे रोजगार के अवसर में बढ़ावा
  • इसके लिए व्यापार लाइसेंस आसानी से मिल जाता हैं.
  • यह कारोबार जल्दी रिटर्न मिलने लगता है.
  • बाजार में अंडे और मांस की मांग हमेशा बनी रहती है. जिससे निरंतर कमाई होती रहती है.
  • यह जल्द ब्रेक-ईवन प्वाइंट पर पहुंच जाता है. जिसके फलस्वरूप कारोबार में कोई लाभ-हानि नहीं होती है
  • इस व्यवसाय के लिए बैंक ऋण आसानी से मिल जाता है.
  • इस व्यवसाय के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है
  • पोल्ट्री उत्पादनो से अधिक पोषण प्रदान प्राप्त होता है.
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पोल्ट्री फार्म के लिए बेहतर प्लानिंग (Planning for Poultry Farm)

किसी भी कारोबार को शुरू करने से पहले उसके लिए एक बेहतर प्लांनिंग की आवश्यकता पड़ती है, बिना प्लांनिंग के व्यवसाय किया जाये तो उसके फैले होने की संभावना अधिक होती है. अगर आप पोल्ट्री फार्म खोलना चाहते है तो उसके लिए एक अच्छी बिजनेस प्लांनिंग बनाना अत्यंत आवश्यक है.

  • पोल्ट्री फार्म (poultry farm) के लिए उपयुक्त जगह
  • इस कारोबार सम्बंधित आवश्यक उपकरण
  • विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए सटीक योजनाएं बनाना
  • आवश्यक लाइसेंस और अनुमति प्राप्त करना.

मुर्गी पालन के प्रकार – Types of Poultry Farming

मुर्गी पालन शुरू करने से पहले आपको यह सुनिचित करना होगा कि आप किस तरह का मुर्गी पालन संचालित करना चाहते है. क्या आप मीट के लिए या अण्डों या फिर दोनों के लिए पोल्ट्री फार्म शुरू करना चाहते है. हम आपकी जानकरी के लिए बता दे मुर्गी पालन तीन प्रकार से किया जा सकता है. जिसकी जानकारी हम आपके साथ साझा कर रहे है. जिसको पढ़ कर आप यह निर्णय ले सकते है कि प्रकार का मुर्गी फार्म खोलें.

लेयर मुर्गी पालन

लेयर मुर्गी फार्म की शुरुआत केवल अंडे उत्पादन के लिए की जाती है. इस तरह के फार्म में पलने वाली मुर्गियाँ 4 से 5 महीने की होने के बाद अंडे देना शुरू कर देती है और यह करीब 16 महीने तक अंडा देती रहती है उसके बाद इनका मीट बेच दिया जाता है

ब्रॉयलर मुर्गी पालन

इस तरह के मुर्गी फार्म में पलने वाली मुर्गियाँ का विकास अन्य मुर्गी फार्म में पलने वाली मुर्गियों की अपेछा तेजी होता है. यह 7 से 8 सप्ताह में पूरी तरह विकसित हो जाती है. इनमें मास की मात्रा अन्य के मुकाबले अधिक होती है.

देसी मुर्गी पालन

इस प्रकार का मुर्गी पालन अंडे और मांस दोनों के लिए किया जाता है.

पोल्ट्री फार्म की बनावट (Poultry Farm Design)

बैटरी केज पोल्ट्री फार्म

इस प्रकार के पोल्ट्री फार्म को शुरू करने के लिए 4,000 वर्ग फुट भूमि की आवश्यकता होती है तथा फार्म से सम्बंधित अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए 2,000 वर्ग फुट अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता होती है. बैटरी केज पोल्ट्री फार्म में मुर्गियाँ स्वतंत्र रूप दौड़ने या चलने में सक्षम नहीं होती है.

फ्री-रेंज पोल्ट्री फार्म

इस प्रकार के फार्म को शुरू करने के लिए करीब 12,000 से 36,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल जरूरत पड़ती है. इस प्रकार के फार्म में मुर्गियाँ स्वतंत्र रूप दौड़ने या चलने में सक्षम होती है.

सेमी-रेंज पोल्ट्री फार्म

इस तरह का मुर्गी पालन शुरू करने के लिए लगभग 8,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है. सेमी-रेंज पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के लिए एक पैडॉक या छोटा पेन बनाया जाता है.

जंगली पोल्ट्री फार्म

इस प्रकार के मुर्गी पालन प्राकृतिक वातावरण किया जाता है. इसके लिए आपको करीब 44,000 वर्ग फुट भूमि की आवश्यकता होती है. इस तरह के पोल्ट्री फार्म में एक पक्षी के पास करीब 2 वर्ग फुट का कॉप स्पेस और 15-20 वर्ग फुट फ्री-रेंज स्पेस होता है.

पोल्ट्री फार्म के लिए धनराशि की व्यवस्था (Fund Arrangement for Poultry Farm)

किसी भी कारोबार को शुरू करने के लिए धनराशि का एक अहम रोल होता है इसके बिना कोई व्यवसाय नहीं किया जा सकता है. पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए एक अच्छे फण्ड की जरुरत होती है. इसकी व्यवस्था के लिए आप कृषि लोन ले सकते हैं जोकि बहुत का ब्याज दर पर दिया जाता है. सरकारें भी मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अलग अलग योजनाओं का संचालन कर रही है और साथ में पोल्ट्री फार्म शुरू करने पर सब्सिडी भी दे रही है.

पोल्ट्री फार्म के लिए लोन (Loan for Poultry Farm)

एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आईडीबीआई बैंक, फेडरल बैंक, करूर वैश्य बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और कई अन्य बैंक पोल्ट्री फार्म संचालन के लिए लोन मुहैया कराती है.

मुर्गी पालन शुरू करने के लिए कितना फंड चाहिए

पोल्ट्री फार्म की लागत
पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए कितना खर्च आएगा. इसकी एक अनुमानित लागत के बारें में बताने जा रहे है.

  • छोटे स्तर के मुर्गी पालन के लिए – लगभग 50,000 रुपए से 1,50,000 रुपए.
  • मध्यम स्तर के मुर्गी पालन के लिए – लगभग 1,50,000 रुपए से 3,50,000 रुपए तक.
  • बड़े स्तर पर मुर्गी पालन के लिए – लगभग 7,00,000 रुपए से 10,00,000 रुपए.
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मुर्गी पालन के लिए जरुरी लाइसेंस

पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए कौन कौन से आवश्यक लाइसेंस लेने की जरुरत पड़ती है इस जानकारी निम्लिखित है.

  • स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर पालिका और प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी)
  • विद्युत कनेक्शन – पोल्ट्री फार्म के आकार के आधार पर ट्रांसफार्मर की जरुरत.
  • भूजल विभाग से लाइसेंस.
  • कारोबार पंजीकरण, जैसे, स्वामित्व वाली फर्म, साझेदारी वाली फर्म या कंपनी.

मुर्गी पालन के लिए ध्यान दें प्रमुख बातें

  • शुरुआत में मुर्गी पालन को छोटे स्तर से शुरू करना चाहिए.
  • मुर्गी पालन के लिए अच्छी नस्ल ( असेल नस्ल, कड़कनाथ नस्ल, चिटागोंग नस्ल, स्वरनाथ नस्ल, वनराजा नस्ल आदि) की मुर्गियों का चयन करें .
  • उत्तम नस्ल के चूजों का चयन करें जिससे मुर्गी उत्पादों में नुकसान नहीं होगा.
  • पोल्ट्री फार्म शुरू करने से पहले मुर्गी के आवास, उपकरण, एवं चारा दाना का उचित प्रबंध करना चाहिए.
  • मुर्गियों में होने वाली बीमारियों (रानीखेत रोग. बर्ड फ्लू, फाउल पॉक्स आदि) से बचाव और ट्रीटमेंट
  • अंडा देने वाली उत्तम नस्ल की मुर्गियों का ही चुनाव करें.
  • सरकारी मुर्गी फार्म या प्रमाणित मुर्गी फार्म से उत्तम नस्ल की मुर्गियाँ खरीदें
  • मुर्गियों का आवास ऊँचे स्थान पर बनाना चाहिए ताकि जमीन पर नमी न रहे, चूंकि नमी से बीमारी फैलती है.
  • मुर्गियों के आवास का दरवाजा पूर्व या दक्षिण पूर्व होना चाहिए. जिससे तेज़ चलने वाली पिछवा हवा सीधी आवास में नहीं आएगी.
  • मुर्गियां खरीदते समय उनका उचित डॉक्टरी परिक्षण करना चाहिए.
  • एक मुर्गी फ़ार्म को दूसरे मुर्गी फ़ार्म से उचित दूरी पर बनाना चाहिए जिससे बीमारी फैलाने का खतरा काम हो जाता है.
  • मुर्गी फार्म के लिए बिजली एवं स्वच्छ पानी का उचित प्रबंध होना चाहिए.
  • अंडा एवं मुर्गा फार्म शहर के नजदीक होना चाहिए जिससे आपके उत्पादनो की खपत आसानी से हो जाएगी.

पोल्ट्री फार्म सब्सिडी

सरकार मुर्गी पालन के लिए 25% तक सब्सिडी दी जाती है तथा एससी/एसटी श्रेणी के लोगों के लिए सरकार द्वारा 35% तक सब्सिडी दी जाती है. कोई भी व्यक्ति पोल्ट्री फार्म के लिए अप्लाई कर सकता है.

पोल्ट्री फार्म के लिए बाजार

मुर्गी पालन शुरू करने के बाद एक बाजार की जरुरत पड़ती है. अपने व्यवसाय का ऑनलाइन व सोशल मिडिया के
जरिये प्रचार करना चाहिए जिससे लोगो को आपके कारोबार के बारें में पता चलेगा. एक बार आपका व्यवसाय लोगो की नजर में आ जायेगा तो आपके ग्राहक खुद बनने लगेंगे.

पोल्ट्री फार्म ट्रेनिंग (Poultry Farm Training)

किसी भी व्यवसाय को खोलने के लिए उस कारोबार सम्बंधित ट्रेनिंग लेना जरुरी है. अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग प्रशिक्षण लेना चाहते है तो हमने आपके लिए कुछ पोल्ट्री फार्मिंग प्रशिक्षण केंद्र की जानकारी दी है.

नस्ल का चुनाव

वास्तव में पारम्परिक कुक्कुट पालन की भारत में अधिक प्रांसगिकता है। इस पद्धति से मुर्गी पालन के लिए उपलब्ध 11 प्रजातियों में कडक़नाथ, नर्मदा निधि वनराजा, ग्रामप्रिया, कृष्णा जे, नन्दनम-ग्रामलक्ष्मी प्रमुख है। देशी प्रजाति के पक्षियों की वृद्धि दर व उत्पादन कम होने की वजह से इनकी लोकप्रियता घटती गई। हाल ही में केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर, बरेली में देशी और उन्नत नस्ल की विदेशी प्रजाति की मुर्गियों को मिलाकर कुछ संकर प्रजातियॉ विकसित की गई है। इनमें कैरी श्यामा, कैरी निर्भीक, हितकारी एवं उपकारी प्रमुख है। ये प्रजातियां भारत के वातावरण एवं परिस्थितियों में अच्छा उत्पादन देने में सक्षम साबित हुई है और इनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 180-200 अंडे की है।

वनराजा मुर्गी भारत की एक प्रमुख देसी नस्ल है। इसे मांस के लिए पाला जाता है। इसके अंडे पोष्टिक होने के कारण महेंगे बिकते हैं। इसका पालन ग्रामीण क्षेत्रों में काफी आसानी से किया जा सकता है। इसका व्यावसायिक पालन करने पर केवल 1000 मुर्गियों से 1 लाख तक कमाई की जा सकती है। 

अत्यधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण वनराज मुर्गे का व्यवसाय देशी मुर्गे के व्यवसाय को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा है। कड़कनाथ मुर्गा की कीमत अधिक होने के कारण वनराज मुर्गा की ओर ग्रामीणों का रुझान अधिक तेजी से हो रहा है ।  वनराजा मुर्गा की खास बात यह है कि यहां का वातावरण उसे खूब पंसद है । इस प्रजाति की मुर्गियां साल में 140 अंडे देती है। जो देशी मुर्गियों से अत्यधिक है। इनका रख रखाव बिल्कुल देशी मुर्गियों के समान होता है। ये मुर्गियां देशी मुर्गियों से दो माह कम आयु में ही अंडा देना शुरू कर देती है। जो किसानों के लिए लाभदायक है।

वनराजा मुर्गी की विशेषताएं (Features of Vanaraja Chicken)

  • वनराजा मुर्गी नस्ल कत्थई रंग की देखने में काफी आकर्षक होती है।
  • इसमें रोगों के प्रतिरोधकता अधिक होती है।
  • इसका मांस काफी स्वादिष्ट माना जाता है।
  • वनराजा मुर्गी के मांस में ज्यादा चर्बी भी नहीं होती।
  • वनराजा मुर्गी नस्ल थोड़ी झगड़ालू होती है।
  • खुले में पालने के लिए यह मुर्गी सबसे अच्छी मानी जाती है।
  • एक चूजे का वजन करीब 34 से 40 ग्राम होता है।
  • 6 सप्ताह में इसका वजन 700 से 850 ग्राम तक हो जाती है।
  • वनराजा मुर्गी 175 से 180 दिन में अंडे देना शुरू करती है।
  • इसके अंडों से 80 प्रतिशत चूजे निकलते ही हैं।
  • एक वर्ष में वनराजा मुर्गी 90 से 100 अंडे दे सकती है।
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सेहत के लिए लाभकारी (Beneficial for health)

वनराज का सेवन ब्लड प्रेशर को करने में सहायक है. इसके साथ ही वो प्रोटीन, विटामिन और मिनरल से भरपूर है. हड्डियों और दांतों को वो कैल्शियम की कमी से दूर रखता है. इसका हड्डी युक्त सेवन कैल्शियम की पूर्ति करता है शरीर को मजबूती प्रदान करता है

बनराजा मुर्गी पालन कैसे करें

बनराजा मुर्गी का पालन आप देसी मुर्गी की तरह ही कर सकते हैं। इसका पालन आप बंद या खुले दोनों प्रकार की स्थानों पर आसानी से की जा सकती है। अच्छी आवास और अच्छा आहार बनराजा मुर्गी पालन में काफी सफलता दिलाती है। इसके चूजों का टीकाकरण अवश्य कराएं। यदि आप इसके अंडों का उत्पादन करने के लिए पालन कर रहे हैं तो आप मादा बच्चों की संख्या ज्यादा रखें।

आहार व्यवस्था

अच्छा उत्पादन एवं अधिक लाभ प्राप्त करने के लिये कुक्कुट पालकों को मुर्गियों के आहार पर ध्यान देना चाहिए। प्राय: देखा गया है कि किसी विशेष मौसम में उत्पादित होने वाला एक विशेष प्रकार का अनाज ही मुर्गियों को खिलाया जाता है, जिससे पक्षियों को आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में प्राप्त नही होते है। अत: पक्षियों को वर्ष के दौरान पैदा होने वाले अनाजों को मिश्रित करके खिलाना चाहिए। यदि सम्भव हो तो सम्पूर्ण आहार के रूप में उन्हें प्रोटीन, खनिज लवण व विटामिन भी दे।

प्रजनन व्यवस्था

प्राय: ऐसा देखा जाता है, कि एक बार मुर्गी खरीदने के बाद एक झुंड में उन्हीं से बार-बार प्रजनन करवाया जाता है, जिससे इन ब्रीडिंग (अन्त: प्रजनन) के दुष्प्रभाव सामने आते है। इससे अण्डों की संख्या निषेचन एवं प्रस्फुटन में कमी आती है तथा बच्चों की मृत्यु दर बढ़ती है। अत: इन्हें प्रतिवर्ष बदल देना चाहिए।
मुर्गियों की सुरक्षा के आवश्यक उपाय: बीमारियों से बचाव के सम्बन्ध में जानकारी रखना प्रत्येक मुर्गी पालक के लिए आवश्यक हो जाता है।

  • मुर्गियों के आवास का द्वार पूर्व या दक्षिण पूर्व की ओर होना अधिक ठीक रहता है जिससे तेज चलने वाली पिछवा हवा सीधी आवास में न आ सके।
  • आवास के सामने छायादार वृक्ष लगवा दे ताकि मुर्गियों को छाया मिल सके।
  • मुर्गियों का बचाव हिंसक प्राणी कुत्ते, गीदड़, बिलाव, चील आदि से करना चाहिए।
  • आवास का आकार बड़ा हो ताकि उसमें पर्याप्त शुद्ध हवा पहुँच सके और सीलन न रहे।
  • मुर्गियाँ समय पर चारा चुग सकें इसलिए बड़े-बड़े टोकरे बनाकर रख लेने चाहिए।
  • कुछ व्याधियाँ मुर्गियों में बड़े वर्ग से फैलकर भंयकर प्रभाव दिखाती है जिसमें वे बहुत बड़ी संख्या में मर जाती है। अत: बीमार मुर्गियों को अलग कर देना चाहिए। उनमें वैक्सीन का टीका लगवा देना चाहिए।
  • मुर्गी फार्म की मिट्टी समय-समय पर बदलते रह और जिस स्थान पर रोगी कीटाणुओं की संभावना हो वहॉं से मुर्गियों को हटा दे।
  • एक मुर्गी फार्म से दूसरे मुर्गी फार्म में दूरी रहनी चाहिए।\
  • मुर्गियॉ खरीदते समय उनका उचित डॉक्टरी परिक्षण करा लेना चाहिए तथा नई मुर्गियों को कुछ दिनों तक अलग रखकर यह निश्चय कर लेना चाहिए कि वह किसी रोग से ग्रस्त तो नहीं है।
  • पूर्ण सावधानी बरतने पर भी कुछ रोग हो ही जाये तो रोगानुसार चिकित्सा करें।

रोगों से बचाव एवं रोकथाम

मुर्गियों को विभिन्न प्रकार से संक्रामक रोगों से बचाने के लिए कुक्कुट पालकों को मुर्गियों में टीकाकरण अवश्य करा देना चाहिए। जहां तक संभव हो एक गांव या क्षेत्र के सभी कुक्कुट पालाकों को एक साथ टीकाकरण करवाने का प्रबन्ध करना चाहिए, इससे टीकाकरण की लागत में कमी आती है। बर्ड फलू जैसी भयानक बीमारीयों से बचने के लिए मुर्गीयों को बाहरी पक्षियों/पशुओं के संपर्क से बचाना चाहिए। इस प्रकार आधुनिक तकनीक अपनाकर पारम्परिक ढंग से मुर्गी पालन कर ग्रामीण परिवारों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है।

डॉ. बी.वी. राव कुक्कुट प्रबंधन और प्रौद्योगिकी संस्थान

पद : उरुली कसंझान-412 202,
जिला: पुणे,
महाराष्ट्र
फोन: +91-20-26926320-21
फैक्स: +91-20-26926508, 24332287, 24337760
ई-मेल: ipmtpune@vsnl.net
वेबसाइट: http://education.vsnl.com/bvripmt/

सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (CARI)

कैरी, इज्जतनगर
उत्तर प्रदेश
पिन: 243 122
फोन: ९१-५८१-२३०१२६१ (ओ); ९१-५८१-२३०१२२०; २३०१३२०
फैक्स: 91-581-2301321
हमें ई-मेल करें: cari_director@rediffmail
वेबसाइट: http://www.icar.org।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय

मैदान गढ़ी,
नई दिल्ली-110068
फोन: 29533869-870; २९५३५७१४
फैक्स: 29536588
वेबसाइट: http://www.ignou.ac.in/

नेशनल स्कूल ऑफ ओपन स्कूलिंग

बी-31बी,
कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली
फोन: 29231181-85, 29241458
वेबसाइट: http://www.nios.ac.in/

कड़कनाथ कुक्कुट पालन संस्थान बिहार

पता: मलाही पकड़ी रोड, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पूर्वी इंदिरा नगर, कंकड़बाग, पटना, बिहार 800020

केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन

इंडस्ट्रियल एरिया फेज I, चंडीगढ़, 160002

असम लाइव स्टॉक एंड पोल्ट्री कॉर्पोरेशन लिमिटेड

ग्रामीण विकास कार्यालय की पंजाबी रोड साइड स्ट्रीट पंजाबी, खानापारा, गुवाहाटी, असम 781037

ग्रामीण मुर्गी पालन

घर के पिछवाड़े में मुर्गी पालन

बैकयार्ड मुर्गी पालन हेतु मुफ्त आहार व्यवस्था

वनराजा मुर्गी पालन

Compiled  & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

Image-Courtesy-Google

Reference-On Request.

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