पशुओं द्वारा दिखाए जाने वाले संकेत तथा उनका पशु स्वास्थ्य एवं पशुधन प्रबंधन के साथ संबंध

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पशु स्वास्थ्य एवं पशुधन प्रबंधन
पशु स्वास्थ्य एवं पशुधन प्रबंधन

पशुओं द्वारा दिखाए जाने वाले संकेत तथा उनका पशु स्वास्थ्य एवं पशुधन प्रबंधन के साथ संबंध

एक स्वस्थ जानवर अपने परिवेश के प्रति सतर्क और जागरूक हैं। ये देखना होता है कि पशु अपने सिर को ऊपर रखता है और देखता है कि उसके आसपास क्या हो रहा है। वो अच्छे से खड़ा है कि नहीं, अगर कोई पशु दूसरे पशुओें के झुंड से अलग खड़ा है तो समझिए आपका पशु बीमार है। एक जानवर जो अपने परिवेश में दिलचस्पी नहीं रखता है और स्थानांतरित नहीं करना चाहता है, उसे स्वास्थ्य समस्याएं हैं। बहती हुई नाक या सुस्त आंखें भी बीमारी का संकेत होती हैं।
एक स्वस्थ जानवर अपने सभी पैरों पर अपने वजन को संतुलित करते हुए आसानी से और स्थिर रूप से चलेगा। नियमित होना चाहिए। पैरों या अंगों में दर्द के कारण अनियमित आंदोलनों का परिणाम होता है। यदि आप किसी ऐसे जानवर के पास जाते हैं जो लेटा हुआ है, तो उसे जल्दी खड़ा होना चाहिए – अगर यह नहीं होता है, तो इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। कोई भी जानवर जो ठीक से नहीं चल सकता है या ठीक से नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि वह बीमार स्वास्थ्य से पीड़ित हो सकता है। जब आप देखते हैं कि जानवर चलने पर एक पैर का सहारा ले रहा है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप इसे रोकें जब तक कि आपको इसका कारण पता न चले, और प्रभावी ढंग से इसका इलाज करें। सुअर के शरीर के तापमान को उसके कान को छूकर जांचा जा सकता है।

किसानों की आजीविका मुख्य रूप से इनके द्वारा दिए गए एक या दो पशुओं के दूध से अर्जित आय पर निर्भर है। लाभकारी डेरी व्यवसाय में स्वस्थ पशु की भूमिका किसी से छुपी नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड ने दुग्ध उत्पादन की अच्छी विधियाँ नाम से एक लघु पुस्तिका विकसित की है जो कि पशु स्वस्थ्य, प्रजनन, आहार, चारा उत्पादन एवं संरक्षण से संबंधित समस्त मूलभूत जानकारियों से परिपूर्ण है।

डेरी किसानों को दुग्ध उत्पादन की वैज्ञानिक जानकारी होने के साथ – साथ यह भी आवश्यक है कि वो पशुओं द्वारा समय समय पर दिए जाने वाले संकेतों को भी समझे, क्योंकि पशु संकेतों की सही समझ पशु के स्वास्थय, प्रबंधन, आहार, साफ – सफाई एवं पशु को हो रही असुविधा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकती है। लघु पुस्तिका अपने पशुओं को समझे इस उद्देश्य के साथ तैयार की गई है कि हम पशुओं द्वारा दिए गए संकेतों को आसानी से समझें, ताकि उचित सुधारात्मक कदम उठाकर भविष्य में होने वाली हानि को टाला जा सके।

एक पशु बहुत से संकेतों द्वारा अपनी सेहत के बारे में जानकारी व्यक्त कर सकता है जिसे कि पशुपालक चेतन अवचेतन में अच्छे या बुरे रूप में परिभाषित करता है।

इस संकेतों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकी ये संकेत समय के साथ खरे उतरे है और इनको मापा जा सकता है, साथ ही ये पशुपालक की अपने पशु स्वास्थय एवं सेहत से संबंधित एक आंतरिक अनुभूति भी विकसित करते हैं जिससे वह पशु की अवस्था के बारे में सही – सही अनुमान लगा सकता है।

विविध प्रकार के संकेत पशु प्रबंधन के विभिन्न आयामों जैसे कि आहार, आवास, जगह की उपलब्धता, दिनचर्या में बदलाव, स्वास्थय, साफ सफाई एवं सामान्य क्रियाविधि को प्रतिबिम्बित  करते हैं और इनमें कोई भी बदलाव दिखे तो तुरंत पशु चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

इन सभी संकेतों का सार एवं उनकी प्रांसगिकता नीचे सारणी में दर्शाई गयी है

क्रम संख्या संकेत प्रासंगिकता
1 स्वास्थ्य आहार और रख – रखाव के तरीकों को दर्शाता है।
2 शरीर क्रिया सामान्य स्वास्थय, आहार आदतें, रोग, चयापचय की स्थिति, गर्मी/ठंड से तनाव, दिनचर्या में परिवर्तन, पोषक तत्वों की कमी, आवास, कीट समस्या आदि को दर्शाता है।
3 शरीर की दशा सामान्य स्वास्थय, ब्यात की अवस्था, आहार आदतें, चयापचय रोगों की संभावना या ब्याने के बाद प्रजनन संबंधी समस्याएँ।
4 ब्याना/प्रसव ऐसे असामान्य संकेत जिनके मिलने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
5 नवजात ऐसे असामान्य संकेत जिनके मिलने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
6 पैर एवं चाल यह आहार, खुरों के रख – रखाव, फर्श, आवास  दर्शाता है।
7 प्रथम आमाशय  का भराव/तुष्टि बीमारियों, अप्रयाप्त आहार आदि को इंगित करता है।
8 आहार एवं निष्ठा आहार निर्माण, चयापचय रोगों आदि को इंगित करता है।
9 स्वच्छता पशुशाला में साफ – सफाई को इंगित करता है।
10 स्तनाग्र दूध दुहने की आदतों को दर्शाता है।
11 गर्मी से तनाव गर्मी के कारण तनाव के स्तर को दर्शाता है।
12 आवास फर्श, वायु- संचालन स्थान की आवश्यकता, आवास में नाद एवं रेलिंग की स्थिति, कचरे के निष्पादन, कीट समस्या आदि को इंगित करता है।
13 तनाव और दर्द में उत्पन्न स्वर मनोवैज्ञानिक स्थिति, बीमारी की हालत और दर्द के स्रोत को इंगित करता है।

स्वास्थ्य संकेत

एक स्वस्थ पशु स्वास्थ्य संकेतों माध्यम से अपनी तंदुरूस्ती जता सकता है, जिसे किसान आसानी से समझ सकता है।

पशु का थूथन हमेशा ठंडा और नम होना चाहिए।

स्वास्थ्य संकेतों संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।

विवरण स्वास्थ्य संकेत
थूथन ठंडा एवं नम, साथ ही पशु द्वारा बार – बार  चाटा जाना
आंखे चमकदार, साफ बिना किसी स्राव, परत और रक्तिम निशान के
साँस लेना नियमित, बिना किसी अतिरिक्त प्रयत्न के
चमड़ी चमकदार, साफ एवं मुलायम, चिचड़ी/ जूँ, अन्य परजीवी या फोड़े से रहित। त्वचा का बदरंग होना खनिज लवणों की कमी का एक संकेत है। रूखी/ खुरदरी त्वचा कीड़ों के प्रकोप का एक संकेत है
आकार/रंग – रूप पशु का वजन उसकी नस्ल के औसत के अनुसार होना चाहिए एवं पशु  बहुत कमजोर या दुर्बल नहीं होना
चाल चाल सामान्य एवं स्वच्छंद होनी चाहिए, चाल धीमी अथवा असामान्य नहीं हो, स्थ ही पशु के बैठते समय लचक नहीं होनी चाहिए। पशु को बैठी हुए अवस्था से खड़े होने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, सामान्य पशु चलते मय अपने पिछले पैरों को ठीक उस जगह रखता है जहाँ उसका अगला पैर पड़ा था, लंगड़े पशु का पैर इससे पीछे या आगे पड़ सकता है
थन थन का आकार मात्र, अच्छे थन की निशानी नहीं है, इसमें दुग्ध शिराएँ उभरी हुई हों और यह मजबूती से पशु के शरीर जुडा हो। यह बहुत शिथिल  और बहुत माँसल नहीं होना चाहिए। पशु के चलते समय थन बगलों में बहुत झूलना नहीं चाहिए।
व्यवहार पशु जिज्ञासु, सतर्क और संतुष्ट दिखना चाहिए। पशु झुंड से अलग खड़ा नहीं  होना चाहिए और उदासीन या गुस्से में नहीं होना चाहिए।
शरीर अवस्था गुणाक यह पशुओं  के स्वास्थय का एक महत्वपूर्ण सूचक है। एक स्वस्थ पशु का शारीरिक गुणांक 2-3 के बीच होना चाहिए (ब्यांत और गर्भावस्था स्थिति पर आधारित )

सुझाव – जानवर के वजन का आकलन

एक पशु के शरीर का वजन निम्न सूत्र द्वारा नापा जा सकता है।

शरीर का वजन (किग्रा) = सीने का घेरा (इंच)2 x शरीर की लंबाई (एबी) (इंच)

शारीरिक क्रिया संकेत

शारीरिक संकेत पशुओं में होने वाली सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रतिबिंबित करते हैं। सामान्य परिणाम से पशु के स्वस्थ होने का संकेत मिलता है। शारीरिक क्रिया असामान्य होने पर पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

तापमान, श्वसन और जुगाली हमेशा सामान्य दर पर होने चाहिए।

शारीरिक संकेत संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।

तापमान क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
  • सामान्य शरीर का तापमान 38 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए  (101.5 + 5+1 डिग्री फारेनहाइट)
  • आदर्श रूप में. तापमान सुबह जल्दी या देर शाम/राग के दौरान लिया जाता है
  • उच्च तापमान  (बुखार)
  • साँस तेज, कंपकपी और कभी – कभी दस्त हो सकता है
  • कान, सिंग और पैर चुने पर ठंडे लगते है, जबकि शरीर बहुत गर्म रहता है।
  • संक्रमण
  • गर्मी तनाव,
  • अति – उत्तेजन
  • कम तापमान (हैपोथेर्मिया
  • कैल्सियम की कमी (दूध ज्वर)
  • गंभीर संक्रमणों/ विषाक्त्तता से उत्पन्न आघात
  • अत्यधिक ठंडे तापमान का जोखिम
श्वसन दर
  • वयस्कों में श्वसन की सामान्य दर 10 – 30 बार (सांस  लेना और छोड़ना मिलाके) एवं बछड़ों में 30-50 बार प्रति मिनट होती है
  • श्वसन दर में वृद्धि
  • बुखार
  • गर्मी से तनाव
  • पशु को दर्द या उत्तेजना है
  • साँस का निरीक्षण पशु के पीछे से उसके दावें पार्श्व से सबसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
  • श्वसन दर में कमी
  • दूध ज्वर, आघात आदि
  • श्वसन लेने में परेशानी
  • नासिक मार्ग में roरूकावट
  • आघात

 

सुझाव – डिजिटल थर्ममीटर द्वारा मलाशय से तापमान लेना।

  1. उपयोग करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि रीडिंग शून्य है।
  2. मलाशय में थर्ममीटर की नोक एक कोण बना के डालें ताकि यह मलाशय की दिवार  को छु लें।
  3. कम से कम 1 मिनट के लिए ऐसे रखें।
  4. थर्ममीटर साफ कर लें और रीडिंग नोट कर लें।

सुझाव – श्वसन दर अवलोकन के समय –

  1. सुनिश्चित करने कि पशु शांत है।
  2. पशु के पीछे एक सुरक्षित दूरी पर खड़े रहें।
  3. पशु के पीछे से दाएँ पार्श्व – भाग से सांसों की दर का निरीक्षण करें।

 

क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
  • प्रतिदिन 7-10 घंटे तक 5-25 चक्र में चलती है और प्रत्येक चक्र 10-60 मिनट का होता है
  • जुगाली करते समय पशु खाने को 45 – 60 सेकेंड में 40-70 बार चबाता है।
  • प्रथम आमाशय में प्रत्येक मिनट में 1-3 बार तक गतिविधि होती है
  • जुगाली में कमी
  • असंतुलित आहार
  • आहार में ज्यादा अनाज/दाना
  • रेशेदार आहार की कमी
  • अपर्याप्त आहार
  • अन्य बीमारियाँ

 

  • प्रथम आमाशय की गतिविधि में कमी
  • दुग्ध ज्वर
  • अम्लता
  • संक्रमण
आहार
  • पशु प्रतिदिन 5 घंटे तक चरता है
  • आहार को 10 – 15 हिस्सों में खाता है
  • प्रथम आमाशय के भराव का गुणांक पशु की ब्यांत की अवस्था के अनुरूप होना चाहिए (प्रथम आमाशय भराव गुनांक देखें)
  • निम्न प्रथम आमाशय भराव गुणांक
  • आहार खाने के समय में कमी
  • अपर्याप्त आहार या बीमारी की अवस्था
  • अखाद्य आहार आदतें (पशु/मिट्टी/पत्थर/लकड़ी या कुछ भी खाता है)
  • पाइका नमक बीमारी का संकेत (फास्फोरस की कमी)
पानी
  • पशु को हर समय स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध होना चाहिए
  • एक लीटर दूध देने के लिए पशु को 3-5 लीटर पानी की आवश्यकता होती है
  • गरमी के मौसम में पानी की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है
  • दूध उत्पादन में कमी
  • कब्ज
  • पशु पानी नहीं पीता है
  • पशु को पर्याप्त मात्रा 24 घंटे पीने का पानी नहीं उपलब्ध हो
  • पानी गंदा, मटमैला, बदबूदार अथवा शैवाल युक्त हो।
  • पानी में कीड़े या लार्वा हो
  • अतिपूरित (पशु अत्यधिक पानी पिता है जिससे उसके मूत्र में रक्त आने लगता है और मूत्र कॉफ़ी के रंग का हो जाता है।)
  • पशु को लंबे समय तक पीने का पानी उपलब्ध नहीं हुआ हो

 

उपयोगी बातें

  1. मुट्ठी बंद कर पशु के बाएँ पार्श्व में आमाशय गड्ढे में रखें।
  2. मुट्ठी को थोड़ा दबाएँ और करीब एक मिनट के लिए दबाकर रखें।
  3. प्रथम आमाशय के संकुचन से आप मुट्ठी पर दबाव महसूस करेंगे।

 

मल-त्याग क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
  • पशु प्रतिदिन 10-25 बार मल त्यागता है।
  • गोबर की मात्रा पशु के वजन पर निर्भर करती है
  • 350-400 किलोग्राम का एक पशु प्रतिदिन लगभग 20-25 किलो गोबर करता
  • विष्ठा संगठन का गुणांक लगभग 3 होना चाहिए (विष्ठा संगठन गुणांक देखें)
  • माल की मात्रा/ दर/कब्ज/अत्यधिक ठोस
  • दस्त
  • आफरा
  • दुग्ध
  • किटोसिस
  • अपर्याप्त पानी पीना
  • जहर  का असर
  • आहार नाल का संक्रमण
  • आन्तरिक परजीवी
  • लैक्टिक एसिड की अम्लता ( पीला – भूरा झागदार माल)
  • जान्स रोग (माल में बहुत अधिक गैस के बूलबूले)
  • आहार में अचानक किया गया बदलाव, विशेषकर दलहन
  • आंतरिक परजीवी
  • पानी भरे हुए इलाके जहाँ घोघों की जनसंख्या अधिक हो वहां अम्फीस्टोम परजीवी होने की संभवाना ज्यादा होती है अत: उनका विशेष इलाज जरूरी है
  • दुर्गन्ध युक्त दस्त जिसमें पशु का जबड़ा बोतलनुमा हो जाता है
  • दस्त, वजन में कमी, खून की कमी एवं गोबर में खून आना
  • अम्फिस्टोम  परजीवी
  • शिस्टोसोमा परजीवी ( उपदैनिक संक्रमण जिसमें पशु की वृद्धि एवं उत्पादन दोनों प्रभावित होते हैं)
  • ब्याने के तुरंत बाद किटोसिस या दुग्ध जावर की वजह से शुष्क पदार्थ खाने में कमी से चतुर्थ आमाशय का विस्थापन हो जाता है
  • अत्यधिक चिकना और पेस्ट जैसा मल जो कि एक पतली तैलीय परत से ढका रहता है
  • अबोमेसम/चतुर्थ आमाशय का बायीं ओर विस्थापन
  • आहार या प्रबंधन में आये अचानक बदलाव, अपर्याप्त पानी, परजीवी  संक्रमण, दांतों में परेशानी, अत्यधिक मोटा आहार या अत्यधिक किण्वित/फ्रेमेंटेड आहार से आंतें अवरूद्ध हो जाती है।
  • मल त्यागने में परेशानी और श्लेष्मा व रक्त युक्त मल
  • आहार नाल में अवरोध
  • मल सुपाच्यता गुणांक 1, दुधारू एवं शुष्क पशुओं के लिए आदर्श है। (मल पाच्यता गुणांक देखिये)
  • मल में अपचित कण (1-2सें मी)
  • मल में माचिस की तीली के आकार के टुकड़े
  • अपच
  • आहार नाल का संक्रमण
  • दांत/आमाशय की बीमारी

 

 

मूत्र त्यागने

क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
  • एक पशु दिन में 10 बार मूत्र त्यागता है।
  • मूत्र की मात्रा पशु के वजन पर निर्भर करती है (लगभग 1 एमएल/किलो भार/घंटे)
  • 350-400 किलो का एक पशु दिन भर में 8.5- 10 लीटर मूत्र त्यागता है
मूत्र की मात्रा में कमी
  • दुग्ध ज्वर
  • मूत्र के रंग बदलाव
  • बबेसीओसिस
  • अतिपूरित
  • मूत्र मार्ग में संक्रमण
  • मूत्र विसर्जन में परेशानी
  • मूत्रमार्ग में पथरी
  • गुर्दे की समस्याएँ

 

दुग्ध उत्पादन

क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
  • पशु अपने शिखर उत्पादन पर ब्याने के 1-2 महीने बाद पहुंचता है।
  • बछड़ीयां अपने शिखर उत्पादन का प्रथम व्यांत में 75% एवं द्वितीय ब्यांत में 90% उत्पादन करती हैं
  • दुग्ध उत्पादन में अचानक गिरावट
  • दूहने के समय/व्यक्ति में बदलाव (भैंसे नए बदलाव के प्रति अभयस्त  होने में ज्यादा समय लेती है।)
  • विपरीत पर्यावरण दशाएँ
  • आहार में बदलाव
  • पशु का मद में होना
  • दुग्ध ज्वर
  • किटोसिस
  • दूध के रंग में परिवर्तन
  • थनैला रोग
  • फास्फोरस की कमी
  • स्तन में चोट
  • दूध के वसा/फेट% में कमी
  • अप्रत्यक्ष थनैला
  • दुर्बल या अधिक मोटा पशु
  • अत्यधिक ऊर्जा युक्त आहार
  • आहार में रेशेदार पदार्थो की कमी
  • वसा रहित ठोस पदार्थ में (एस. एन. एफ) % कमी
  • प्रत्यक्ष थनैला
  • कम ऊर्जा युक्त आहार
  • गर्मी का तनाव
  • अपर्याप्त आहार
  • घटिया चारा

 

क्या आप जानते हैं ?

एक लीटर दुग्ध उत्पादन के लिए पशु के थन में 500 लीटर रक्त का प्रवाह आवश्यक है।

मद/हीट के लक्षण

क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
यौवन की औसत उम्र

  • संकर गायें – 18 महीने
  • देशी गायें – 2.5 साल
  • भैंसे – 2.5- 3 साल
  • भैंसों में मद कम स्पष्ट होता है
  • ब्याने के बाद प्रथम मद करीब 40 दिन बाद आता है
  • पशु यौवन के सामान्य उम्र पर आने के भी मद में नहीं आता है
  • कुपोषण
  • खनिज लवणों की कमी
  • कृमि संक्रमण
  • गुप्त/अस्पष्ट मद चक्र (भैसों में)
  • शारीरिक विकृती
  • जन्मजात विकार
  • बार – बार गर्भाधान के बाद भी पशु का गर्भधारण नहीं करना है
  • गर्भाशय में संक्रमण
  • हॉर्मोन्स का विकार
  • शारीरिकी विकार और जन्मजात विकार
  • ब्याने  के बाद पशु का मद में नहीं आना
  • शरीर में ऊर्जा की कमी
  • खनिज लवणों की कमी

 

लार श्रवण

क्या जानना है क्या असामान्य है संभावित कारण
  • आहार के प्रकार के अनुसार एक पशु में दिन में औसतन 40-150 लीटर लार बनती है
  • रूखा चारा/रुक्षांश लार के उत्पदान को बढ़ाते हैं जबकि अधिक दाने युक्त आहार लार उत्पादन को कम दर देना
  • लार का अधिक उत्पादन, लार का मुंह से गिरना एवं मुंह से झाग निकलना
  • सूखे चारे का ज्यादा उपयोग
  • मुंह/ जीभ में छाले
  • खुरपका/मुंहपका रोग
  • जहर खुरानी
  • रेबीज

 

क्या आप जानते हैं ? अप्रत्यक्ष अम्लता

शरीर में कम लार बनने से पशु में अप्रत्यक्ष अम्लता उत्पन्न होती है, जिससे उसके खाने में गिरावट, वजन में कमी, दुस्त तथा थकान होती है इससे पशु में लंगड़ापन आ सकता है।

क्या आप जानते हैं ? मद को जांचने के तरीके

एक पशु जो की मद महीन, वह अपनी पीठ सहलाने पर कमर को झूका लेती है और अपनी पूँछ को उठाकर एक ओर कर लेती है।

गतिविधि चक्र

पशुओं के गतिविधि चक्र के बारे में जानकारी से पशु के आराम के स्तर के बारे में जाना जा   सकता है। एक पशु जो कि आराम से है, वह सामान्य गतिविधियाँ जाहिर करता है। गतिविधियों में कोई असामान्य परिवर्तन दिखाई देने पर गंभीरता से उसका निदान करना चाहिए।

पशुओं को उनकी सामान्य गतिविधियाँ प्रकट करने देना चाहिए।

पशुओं का एक दिन का सामान्य गतिविधि चक्र निम्नानुसार होता है –

  • खाने में (3-5 घंटे)
  • आराम करने में (12-14 घंटे)
  • सोने में (20-30 मिनट)
  • साज – संवार ( 2-3 घंटे)
  • जुगाली (7-10 घंटे)
  • पानी पीने में (20-30 मिनट)

क्या आप जानते है?

जब पशु बैठता है तो उसके थनों में रक्त प्रवाह 30% तक बढ़ जाता है और दूध उत्पादन व थनों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। पशुओं को उनकी सामान्य गतिविधियाँ प्रकट करने देना चाहिए।

क्या असामान्य है संभावित कारण
अति उत्तेजना
  • दिनचर्या या व्यक्ति में बदलाव
  • मैग्नीशियम की कमी
  • किटोसिस का मानसिक प्रकार
  • काटने वाली मक्खियों या गर्मी से परेशानी
  • केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के रोग जैसे – रेबीज
  • गतिविधि प्रकार में गंभीर बदलाव
  • दुग्ध ज्वर
  • गंभीर संक्रमण
  • आघात
  • अनुचित आहार प्रबंधन
  • जगह की कमी
  • अनुचित प्रबंधन के तरीके (पशु को हमेशा रस्सी से बांध कर रखना)

 

ब्याने के संकेत

ब्याने के संकेतों को समझने से पशुपालक को या जानने में मदद मिलती है कि पशु चिकित्सा सहायता की कब आवश्यकता होगी। ब्याने के संकेतों को मूल रूप से 3 अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है। (1) ब्याने से पहले के संकेत (ब्याने से 24 घंटे पहले) (2) ब्याना (3) गर्भनाल/जेर का निष्कासन।

(iii) प्रथम चरण – ब्याने से पहले के संकेत (ब्याने से 24 घंटे पहले)

योनि द्वारा से स्वच्छ श्लेष्मा का रिसाव और थनों का दूध से भर जाना ही ब्याने की शूरूआत के आसन्न लक्षण हैं।

अन्य लक्षण

  • पशु समूह से अलग रहने की कोशिश करता है।
  • पशु की भूख खत्म हो जाती है।
  • पशु बेचैन होता है और पेट पर लातें मारता है या अपने पार्श्व/बगलों को किसी चीज से रगड़ने लगता है।
  • श्रोणि स्नायु/पीठ की मांशपेशियां ढीली पड़ जाती है जिस से पूँछ ऊपर उठ जाती है।
  • योनि का आकार बड़ा एवं मांसल हो जाता है।
  • थनों में दूध का भराव ब्याने के 3 सप्ताह पहले से लेकर ब्याने के कुछ दिन बाद तक हो सकता है।
  • बच्चा जैसे-जैसे प्रसव की स्थिति में आता है, वैसे-वैसे पशु के पेट का आकार बदलता है।

उपयोगी बात –  ब्याने के दिन का पता लगाना

  • हमेशा गर्भाधान की तारीख लिखकर रखें।
  • अगर पशु पुन: मद में नहीं आता है तो गर्भाधान के 3 माह पश्चात् गर्भ की जाँच अवश्य करवाएं।

क्या आप जानते है?

गाय का औसत गर्भकाल 280-290 दिन एवं भैंस 305 – 318 दिन।

(ii)  द्वितीय चरण: ब्याने के संकेत (ब्याने के 30 मिनट पहले से लेकर 4 घंटे तक)

सामान्य रूप से ब्याते समय बछड़े के आगे के पैर और सिर सबसे पहले दिखाई देते हैं।

  • ब्याने की शुरूआत पानी का थैला दिखाई देने से होती है।
  • यदि बछड़े की स्थिति सामान्य है तो पानी का थैला फटने के 30 मिनट के अंदर पशु बछड़े को जन्म दे देता है।
  • प्रथम बार ब्याने वाली बछड़ियों में यह समय 4 घंटे तक हो सकता है।
  • पशु खड़े खड़े या बैठकर ब्या सकता है।

ध्यान दें

यदि पशु को प्रसव पीड़ा शुरु हुए एक से ज्यादा समय हो जाएँ  और पानी का थैला दिखाई न दे  तो तुरंत पशु चिकित्सा सहायता बुलानी चाहिए।

(iii)  तृतीय चरण: गर्भनाल/जेर का निष्कासन (ब्याने के 3-8 घंटे बाद)

  • सामान्यतया गर्भनाल/जेर पशु के ब्याने के 3-8 घंटे बाद निष्कासित हो जाती है।
  • अगर ब्याने के 12 घंटे बाद तक भी गर्भनाल न गिरे तो इसे गर्भनाल का रुकाव कहते हैं।

ध्यान दें

कभी भी रुकी हुई गर्भनाल को ताकत लगाकर नहीं खींचे, इससे तीव्र रक्तस्राव हो सकता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो सकती है।

स्वस्थ नवजात के संकेत

किसी भी पशुपालक को स्वस्थ नवजात बछड़े के संकेतों के बारे में जानना अत्यावश्यक है ताकि जरूरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

स्वस्थ बछड़ा पैदा होने के बाद कुछ ही मिनटों में अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है और 1-2 घंटे में दूध पीना शुरू कर देता है।

  • स्वस्थ बछड़ा जन्म के कुछ मिनटों में ही खड़ा हो जाता है।
  • दूध पीते समय बछड़े का पूँछ ऊपर उठाना इस बाद का संकेत है कि ग्रासनाल उचित तरीके से बंद हुई है।
  • जो बछड़े असामान्य तरीके से पैदा होते हैं उनके सिर में सूजन होती है, वो प्रथम विष्ठा में सने होते हैं, उनमें ताकत की कमी होती है और दूध पीने इच्छा शक्ति नहीं होती। उन्हें विशेष देख रेख की आवश्यकता होती है।
ख़राब सेहत के संकेत संभावत कारण
लंबे आराम के बाद जब पशु उठता है तो अंगड़ाई नहीं लेता। सामान्यतया ख़राब सेहत का प्रथम लक्षण हैं।
पीछे के पैरों से पेट पर लात मारना पशु के पेट में दर्द
कराहना निमोनिया/दस्त/आफ़रा जो कि गंभीर रूप से चुके हैं।
खड़े होने में असमर्थता
  • घुटने में चोट
  • जोड़ का खिसकना
  • नाभि में संक्रमण
  • कमजोरी
  • विटामिन ई/सेलेनियम की कमी
धंसी हुई आंखे एवं त्वचा में लचीलेपन का अभाव निर्जलीकरण (विशेषकर दस्त के कारण)
फूला हुआ पेट एवं खुरदरी त्वचा
  • अधिक रेशेदार एवं कम ऊर्जा युक्त आहार
  • आंतरिक परजीवी
दूध पीने के बाद का आफ़रा
  • सही सार संभाल ने होने की वजह से ग्रासनाल का उचित तरीके से बंद नहीं होना।
  • बहुत ठंडा/बहुत गर्म दूध पिलाना।
  • जबरजस्ती/जरूरत से ज्यादा आहार खिलाना
सूखी थूथन, लटके हुए कान।
  • बुखार/ज्वर
पैर फैलाकर व गर्दन लंबी कर खड़े होना।
  • लंबे समय से जारी निमोनिया।
दस्त/अतिसार
  • आंतों का संक्रमण
  • ग्रासनाल का उचित तरीके से बंद होना।

 

क्या आप जानते हैं? नवजात बछड़े के स्वस्थ जीवन के 3 प्रमुख स्तंभ

  1. जन्म के तुरंत बाद नाभि नाल को उचित कीटाणुनाशक घोल में डुबोएँ।
  2. समय पर पर्याप्त मात्रा में खीस पिलाएं।
  3. उचित कृमिनाशक सारणी का अनुसरण।

क्या आप जानते हैं ? ग्रासनाल खांच

इसे रेटीकुलर खांच भी कहते हैं, जो कि ग्रासनाल के निचले हिस्से में एक मांसल संरचना होती है। यह जब बंद रहती है तो एक नलिका जैसी रचना बनाती है जो कि दूध को बिना रूमेन में गए सीधा अबोमेसम (आमाशय) में ले जाती है। यह बछड़ों में दूध को रूमेन की किण्वित होने से बचाता हा।

पैर एवं संचालन संकेत

ये संकेत फर्श की दशा, जगह की उपलब्धता एवं आहार व्यवस्था के बारे में इंगित करता है।

पशु का संचलन गुणांक एक एवं पैरों का गुणांक होना चाहिए।

क्या जाने क्या असामान्य है संभावित कारण
  • पशु कि सामान्य चाल (जिसका संचलन गुणांक 1 है) : पशु चलते समय अपनी पीठ सीधी रखता है, सभी पैरों पर समान भार रखता है, जोड़ स्वतंत्र रूप से मुड़ते हैं और पशु का सिर स्थिर रहता है।
  • पीछे के पैरों की सामान्य स्थिति (पैरों का गुणांक 1)- पीछे से देखने पर पिछले पैर मेरूदंड के समानान्तर रहते हैं और बाहर की तरफ मुड़े हुए नहीं होते।
  • किसी भी प्रकार का लंगड़ापन (संचालन एवं पैर गुणांक देखें)
  • पशु के बैठने एवं घूमने के लिए पर्याप्त जगह की कमी।
  • आहार में सूखे चारे की कमी एवं दाने की अधिकता की वजह से अप्रत्यक्ष अम्लता।
    • पशुशाला के फर्श पर चलते समय संशय की स्थिति।
    • फिसलने वाला फर्श
    • घुटने टखने या पैर में चोट
    • असमतल या खुरदरा फर्श
    • बढ़े हुए खुर
    • खराब खुर प्रबंधन

 

आहार संकेत

आहार संकेत आहार प्रबंधन को प्रदर्शित करते हैं, जिनकी समझ किसान को उचित मुनाफ़ा दिलाने में मदद करती है। क्योंकी डेरी व्यवसाय में 70% खर्च पशु आहार पर होता है।

शरीर की अवस्था, विष्ठा संगठन एवं विष्ठा पाच्यता गुणांक, ब्यांत की स्थिति के अनुसार उपयुक्त होना चाहिए।

क्या जानना चाहिए क्या असामान्य है संभावित कारण
  • पशु का उसके ब्यांत की अवस्था के अनुसार एक उचित प्रथम आमाशय तुष्टि गुणांक होना चाहिए
ब्यांत की अवस्था के अनुसार उचित प्रथम आमाशय तुष्टि गुणांक न होना
  • चयापचय की बीमारियाँ
  • अपर्याप्त आहार
  • पशु के ब्याते समय उसका शरीर अवस्था गुणांक 3 होना चाहिए, न कम न ज्यादा (शरीर अवस्था गुणांक देखिए)
  • अच्छे परिणाम के लिए, पशु के ब्याने एवं प्रथम गर्भाधान दे बीच शरीर अवस्था गुणांक में परिवर्तन 0.5 से अधिक नहीं होना चाहिए)
  • निम्न शरीर  अवस्था गुणांक
    • ख़राब सेहत/पुरानी बीमारी
    • अपर्याप्त आहार
    • उच्च शरीर अवस्था गुणांक
    • जरूरत से ज्यादा आहार
    • विष्ठा संगठन का गुणांक लगभग 3 होना चाहिए। (विष्ठा संगठन गुणांक देखिए)
    • उच्च विष्ठा संस्थान का गुणांक
    • अत्यधिक रुक्षांश
    • कैल्शियम की कमी
    • किटोसिस
    • निम्न विष्ठा संस्थान का गुणांक
    • अम्लता
    • आहार में दाने की अधिकता
    • आंत की पुरानी बीमारी (जोन रोग इत्यादि)
    • ब्यांत की अवस्था के अनुसार पाच्यता गुणांक 2-3 के बीच होना चाहिए (विष्ठा पाच्यता गुणांक देखिए)
    • निम्न विष्ठा संस्थान का गुणांक
    • असंतुलित आहार

 

क्या आप जानते हैं? शरीर अवस्था गुणांक 3 से ज्यादा नहीं होना चाहिए

उच्च शरीर अवस्था गुणांक (3 से ज्यादा) पशु के शरीर में चयापचय  से संबंधित बीमारियाँ जैसे कीटोसीस, फेटी लिवर सिंड्रोम, गर्भनाल का रूकव या अन्य प्रजनन से संबंधित बीमारियाँ की ओर इंगित करता है।

आरोग्यता एवं स्तन स्वास्थ्य संकेत

आरोग्यता एवं स्तन स्वास्थय को मापने से हमें पशुशाला में साफ – सफाई के स्तर एवं दूध दूहने के तरीकें के बारे में जानने में मदद मिलती है।

क्या जाने क्या असामान्य है संभावित कारण
  • आरोग्यता गुणांक 1 होना चाहिए: पशु के पिछले पैरों के निचले हिस्से, पूँछ या थनों कोई गंदगी नहीं होनी चाहिए, केवल ताजा/सूखे हुए छींटे हो सकते है।
  • पशु के पिछले पैरों के निचले हिस्से, पूँछ या थनों लर सूखी हुई गंदगी
  • पर्याप्त जगह की कमी
  • पशुशाला की अपर्याप्त सफाई
  • अनुचित विष्ठा संगठन गुणांक
  • स्तन स्वास्थ्य गुणांक 1 होना चाहिए: स्तनाग्र मुलायम होना चाहिए एवं वहाँ कोई कठोर पपड़ी नहीं हो
  • स्तन पर खरोंच के निशान
  • अनुचित दूध दूहने के तरीका
  • दूध दूहने की मशीन का गलत प्रयोग
  • स्तन की त्वचा में दरारें
  • रूखापन

 

गर्मी से तनाव के संकेत

पशु के हांफने के गुणांक से गर्मी से तनाव के स्तर का पाता लगाया जा सकता है।

पशु के हांफने का गुणांक कभी भी 2 से अधिक नहीं होना चाहिए।

हांफने का गुणांक स्वसन दर/मिनट पशु की अवस्था
0 40 से कम सामान्य
1 40 -70 हल्का हांफना, लार नहीं गिरती तथा सीने में हलचल नहीं होती।
2 70-120 तेजी से हांफना, लार गिरती है लेकिन मुंह बंद रहता है।
2.5 70-120 गुणांक 2 के सामान लेकीन मुंह खुला लेकिन जीभ बाहर नहीं निकलती।
3 120-160 मुंह खुला होता है, लार गिरती है। गर्दन लंबी एवं सिर ऊपर रहता है।
3.5 120-160 गुणांक 3 की तरह लिकं जीभ कुछ बाहर निकलती है और कभी कभी पूरी बाहर आती है, साथ ही बहुत अधिक लार गिरती है।
4 >160 मुंह खुला, साथ ही जीभ लंबे समय तक पूरी बाहर निकली हुई, अत्यधिक लार गिरती है।

 

आवास संबंधी संकेत

आवास से संबंधित कुछ संकेत पशु के आराम से सीधे संबंधित होते हैं।

विवरण क्या जानें महत्व
पशुशाला  की स्थिति
  • आस – पास की जगह से थोड़ी ऊँची उठी होने चाहिए ताकि पानी का उचित निकास संभव हो
  • इससे जल भराव एवं पशुशाला में नमी की समस्या खत्म हो जाती है
  • रोग वाहक कीटों की संख्या में कमी होती है।
पशुशाला का अभिविन्यास
  • जहाँ तापमान 5 घंटे या उससे ज्यादा समय तक 30 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक रहता है, वहां पूर्व – पश्चिम दिशा अभिविन्यास लाभकारी होता है।
  • इससे पशु के चारे एवं पानी के नांद हमेशा छाया में रहती है और पशु को चारा या पानी हमेशा छाया में उपलब्ध होता है
पशुशाला की दीवारें
  • दीवारें हवा के प्राकृतिक दौरे को अवरूद्ध नहीं करती हो
  • गर्म  स्थानों पर पशुशाला में दीवारों की आवश्यकता नहीं होती
  • बहुत गर्म स्थानों पर गर्म हवा के प्रवाह को रोकने के लिए पश्चिम दिशा में दिवार आवश्यक होती है
  • ठंडे स्थानों पर पशुशाला का उत्तर – दक्षिण अभिविन्यास उचित रहता है
  • गलत तरीके से बनाई  हुई दीवारें पशुशाला में हवा के प्राकृतिक बहाव को अवरूद्ध  करती हैं जिससे पशु को गर्मी से तनाव होता है।
  • सूर्य की रोशनी पशुशाला को हर कोने में पहूँचती है जिससे फर्श को सूखा रखने में मदद मिलती है
  • अगर पशुओं को पूरे दिन चरागाह में रखा जाता है तो यह अभिविन्यास लाभकारी है।
वायु संचार
  • पशुशाला में अमोनिया की दुर्गंध नहीं होनी चाहिए
  • पशुशाला के मध्य में खड़े व्यक्ति को घुटन महसूस नहीं होनी चाहिए
  • पर्याप्त वायु संचार से पशु गर्मी के कारण उत्पन्न तनाव में नहीं आता है
  • पर्याप्त वायु संचार से श्वसन संबंधी रोग होने का खतरा कम हो जाता है
रोशनी
  • दिन के समय पशुशाला में पढ़ सकने योग्य पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए
  • प्रतिदिन कम से कम 8 घंटे  पशुशाला में पर्याप्त रोशनी रहनी चाहिए
फर्श
  • एक व्यक्ति नंगे पैर पशुशाला में घूम सके
  • पशु के आराम के स्तर में वृद्धि होती है
  • खुरों में समस्याएँ कम होती हैं
  • फर्श पर खुरों से बने फिसलने के कोई निशान नहीं होने चाहिए
  • फिसलने की वजह से पशु को कूल्हे पर चोट लग सकती है जिससे वह स्थायी तौर पर लाचार हो सकता है
  • खुरों में समस्या कि वजह से पशु को चलने समस्या आती है और वह आनाकानी करता है
अपवाही (तरल कचरा) प्रबंधन
  • पशुशाला से निकला तरल कचरा पशुशाला के आस – पास इकट्ठा नहीं होना चाहिए
  • तरल कचरा इकट्ठा होने से कीट जनित बीमारियाँ बन जाती है जिससे पशु का गतिविधि चक्र प्रभावित  होता है और पशु का उत्पादन घट जाता है
जगह की आवश्यकता
  • खुले प्रकार के पशु आवास में प्रत्येक पशु के लिए 160 वर्ग फीट स्थान आवश्यक है जिसमें से 40 वर्ग फीट स्थान छतदार होना चाहिए।
  • प्रत्येक पशु को चराने के लिए नांद में 2 वर्गफीट स्थान उपलब्ध होना चाहिए
  • प्रत्येक पशु को पानी पीने के लिए नांद में 3 घन फीट स्थान उपलब्ध होना चहिए।
  • पशु को उचित स्थान उपलब्ध होने पर वह अपने प्राकृतिक व्यवहार को प्रकट करता है और खुला रहने से उसके खुर की दशा सही रहती है व उसके उत्पादन में सुधार आता है।
नांद एवं रेलिंग
  • गर्दन के ऊपर या नीचे किसी घाव या खरोंट की उपस्थिति दर्शाती है कि नांद में लगी हुई रेलिंग की ऊँचाई सही नहीं है।
  • अगर पशु को गहरा घाव लगा हुआ है तो इसकी वजह से  उसके आहार की मात्रा कम हो सकती है जिससे उसके उत्पादन में कमी आती है।

 

तनाव या दर्द के समय पशु द्वारा उत्पन्न स्वर

वयस्क पशु केवल आहार खाते समय, दूध देते समय, मद/हीट में या उसके बछड़े अथवा बछड़े की मौत होने पर ही आवाज निकलते हैं। सामान्य आवाजों और दर्द या तनाव के समय उत्पन्न आवाजों में अंतर समझना बहुत जरूरी है जिससे कि समस्या की गंभीरता को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। दर्द के समय उत्पन्न कुछ आवाजें निम्न प्रकार से होती है:

उत्पन्न आवाज जुड़ी हुई परिस्थितियाँ महत्व
  • तेज रंभाना (डकारना)
  • मुहं खुला हुआ, सिर आगे या ऊपर की ओर तना हुआ
  • बछड़े को पुकारने, दूहने के लिए पुकार (दूध से भरे हुए थन), भूख या प्यास मद के समय या झुंड के अन्य सदस्यों को पुकारने पर
  • संक्षिप्त चिंघाड़ने की आवाज
  • संभावित कारण के तुरंत बाद (जैसे चोट लगने आ दरवाजे से टकराने के बाद), सिर समान्यतया ऊपर उठा हुआ
  • भय या दर्द की वजह से
  • लगातार चिंघाड़ना
  • वयस्क स्वस्थ मादा पशु जो कि किसी भी मानसिक बीमारी से मुक्त हो
  • पशु के लगातार मद में रहने के लक्षण
  • किसी भी उम्र का पशु जिसमें मानसिक विकार के लक्षण भी हो साथ ही उसकी बार बार टूट रही हो और शरीर के पिछले हिस्से में लकवे के लक्षण हो
  • रेबीज के लक्षण
  • संक्षिप्त गूर्गूराहट
  • या तो स्वत: खड़े होते समय या ढलान पर उतरते समय या दबाव की प्रतिक्रिया
  • पेट  में दर्द के लक्षण
  • अगर दर्द सीने के अगले भाग में केन्द्रित हो तो लोहे के नुकीले टुकड़े खाने से हुई दर्द हृदय कि एक बीमारी का लक्षण हैं
  • लंबे समय तक करहने की आवाज, साथ में श्वास बाहर छोड़ना
  • स्वत: या फिर थोड़ी मेहनत के बाद सिर और गर्दन तनी हुई श्वास छोड़ने में परेशानी
  • वक्ष गुहा में कोई गांठ इत्यादि रोग जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता हो।
  • साँस लेते समय खर्राटे /दहा-ड़ने या कराहने की आवाज
  • साँस लेने में स्पष्ट परेशानी
  • ऊपरी श्वसन प्रणाली के संकुचित होने का लक्षण
  • नासिका तंत्र से संबंधित कोई बीमारी जैसे कि नासिका परजीवी इत्यादि
  • खांसना
  • सूखी एवं ताकतवर खाँसी जो कि खाना खाने के अलावा होती है
  • ऊपरी श्वसन तंत्र में रोग के लक्षण
  • नम और हल्की खाँसी
  • निमोनिया के लक्षण
  • फेफड़ों में कृमि के लक्षण

 

स्त्रोत: राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड

 स्वस्थ एवं अस्वस्थ पशुओं के लक्षण की जानकारी

पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए एक अच्छा प्रबंधन कार्यक्रम किसी भी पशुधन के उत्पादन के लिए बुनियादी है। पशुओं और पूरे झुंड को स्वस्थ और उत्पादक बनाए रखने के लिए पशु पालको को व्यक्तिगत रूप से  नियमित रूप से  प्रत्येक पशु को बारीकी से निरीक्षण करना चाहिए और सामान्य स्वास्थ्य का आकलन करना चाहिए। यदि एक झुंड की स्वास्थ्य स्थिति से समझौता किया जाता है, तो वह संचालन कुशल नहीं होगा। पशुधन के लिए आम बीमारियों के नैदानिक संकेतों को पहचानने के लिए, सामान्य या स्वस्थ पशु के लक्षण के साथ परिचित होना महत्वपूर्ण है। चूंकि पशु-पक्षी मनुष्यों की तरह अस्वस्थता के संबंध में बोलकर वर्णन नहीं कर सकते हैं इसलिए पशुपालक को पशु के व्यवहार तथा हरकतों पर ध्यान देना चाहिए पशु द्वारा प्रदर्शित लक्षणों को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है की पशु स्वस्थ है या अस्वस्थ पशुओं को इंगित करने वाले प्रमुख संकेत निम्नवत है।

  • पशु की दिखावट (प्रतीति)

स्वस्थ पशु अपने आस पास  के प्रति सतर्क और जागरूक रहते है। यह सक्रियता से नजर रखते  है कि उनके  चारों ओर क्या हो रहा है, अगर ऐसा नहीं है तो पशु अस्वस्थ हो सकता है। स्वस्थ पशु को अपने सभी पैरों पर बराबर वजन देकर खड़ा होना चाहिए। अपने समूह में से पशु का अलग होना अक्सर बीमारी  का संकेत होता है।

  •  आंखें

आँखों के कोनों पर कोई श्राव नहीं होने के साथ आँखें चमकदार, उज्ज्वल और चौकन्नी  होनी चाहिए।

  • कान

अधिकांश पशुओं के कान खड़े होते हैं, जो किसी भी ध्वनि की दिशा में मुड़ जाते हैं। पशु कान के संचलन से मक्खियों से छुटकारा पाने के लिए त्वरित होगा, अगर कान गिरे हुए है, पशु के कान में समस्या, बुखार या फेफड़ो का संक्रमण (नेमोनिया) आदि हो सकता है।

  • चाल

स्वस्थ पशु चलते समय आसानी से और लगातार अपने चारो पैरों के साथ पर अपना वजन लेता है । पशु के कदम नियमित होने चाहिए। पैरों या अंगों में दर्द के चाल के कारण चाल अनियमित होती  है। यदि आप किसी ऐसे पशु के पास जाते हैं जो जमीन पर  लेटा या बैठा हुआ है तो उसे जल्दी से खड़ा होना चाहिए अन्यथा उसे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

  • नाक और थूथन

नाक को श्राव रहित और  साफ होना चाहिए, थूथन को नम नहीं होना चाहिए। स्वस्थ पशु अक्सर अपनी जीभ से अपनी नाक चाटते हैं।

  • मुंह

मुंह से कोई लार नहीं टपकनी चाहिए, न ही चारा गिरना चाहिए और मुह दुर्गंध रहित होना चाहिए। पशु अक्सर जुगाली की स्तिथि में ही रहता है ,अगर चबाना धीमा या अधूरा है तो दांतों के साथ कोई समस्या हो सकती है।

  • बाहरी त्वचा आवरण

स्वस्थ पशु का आवरण चिकना  और चमकदार होंता है। मवेशी, भैंस उनके बछड़े त्वचा को चाटते रहते  हैं इसलिए  चाटने  के निशान  आसानी से दिख जाएंगे। स्वस्थ पशु के बालों में स्वाभाविक चमक होती है। अस्वस्थ पशु की त्वचा खुशक एवं खुरदरी सी होती है।

  • सामान्य व्यवहार

अधिकांश रोग प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप पशो के व्यवहार में असामान्यताएं आएगी, अगर कोई पशु सामान्य से अधिक या कम उत्तरदायी है, तो यह कहीं न कहीं बीमारी का प्रतिनिधित्व कर सकता है। यदि कोई गाय या भैंस अपने पेट की ओर देखता है या पेट पर लात मारता है तो उसे पेट में दर्द हो सकता  है।

  • श्वशन

श्वशन आराम से और नियमित रूप से होना चाहिए । याद रखें कि चलते समय और गर्म मौसम में सांस लेने की दर बढ़ जाएगी। यदि पशु छाया में आराम कर रहा है, तो यह पता लगाना मुश्किल  होता है कि पशु साँस लेने में छाती को हिला रहा या नहीं । जब कोई पशु लगातार खांसता है, तो यह दर्शाता है कि कोई चीज उसके गले को परेशान कर रही है और, यह पता लगाना जरुरी होगा कि ऐसा क्यों हो रहा  है। खांसी अच्छे स्वास्थ्य का एक अच्छा संकेत है, लेकिन यह लगातार  खांसी नहीं होनी चाहिए।

  • नाड़ी

पशु की जांच करते समय नाड़ी परीक्षण  करना अति महत्वपूर्ण है। मनुष्य में नाड़ी आसानी से ली जा सकती है लेकिन पशुओं में यह अधिक कठिन है और अभ्यास की आवश्यकता होती है। मवेशियों की नब्ज पूंछ के आधार के नीचे ली जाती  है, वयस्क  गाय में सामान्य दर 40 – 80 प्रति मिनट है। भैंस में नाड़ी की दर 40 – 60 प्रति मिनट है। याद रखें कि युवा पशु में नाड़ी दर वयस्क की तुलना में अधिक होगी।

  • गोबर

स्वस्थ पशु का गोबर  दृढ़ होंता है । बहुत नरम गोबर (दस्त) बीमार स्वास्थ्य का संकेत है। यदि पशु का गोबर बहुत सख्त है या पशु को कब्ज है या गोबर करने में कठिनाई होती है तो यह एक खराब स्वास्थ्य का संकेत है।

  • मूत्र

पेशाब साफ होना चाहिए और पशु को पेशाब में दर्द या कठिनाई के कोई लक्षण दिखाई नहीं चाहिए।

  • भूख और जुगाली

यदि आहार उपलब्ध है, तो स्वस्थ पशु का पेट भरा हुआ  होगा। मवेशी, भैंस और ऊंट प्रत्येक दिन 6 से 8 घंटे के लिए जुगाली करते हैं। जब ये पशु जुगाली करना बंद कर देते हैं, इनके बीमार होने का संकेत हॉता है ।

  • दूध

दुधारू पशु में, उत्पादित दूध की मात्रा में अचानक बदलाव का मतलब स्वास्थ्य समस्या हो सकता है। दूध में रक्त या अन्य पदार्थ का कोई भी संकेत, थनों में संक्रमण की ओर इशारा करता है। थन को छूने पर सूजन और दर्द का कोई संकेत नहीं होना चाहिए। थन के अग्रभाग पर चोट नहीं होनी चाहिए।

  • शरीर का तापमान

यदि आपको संदेह है कि एक पशु बीमार है, तो आपको उसका तापमान लेना चाहिए। पशु की गुदा से तापमान लेना  चाहिए, जो  शरीर के सामान्य तापमान से अधिक हो सकता है और  संक्रमण का संकेत  होता है।

  •  अन्य पशुओं के साथ मेल-जोल
  1. स्वस्थ पशु हमेशा अन्य पशुओं के साथ रहना पसन्द करता है और सामूहिक रूप से चरने, घूमने तथा आपस में लड़-लड़कर खेलने में विशेष आन्नद पाता है।
  2. रोगी पशु अन्य पशुओं को छोड़कर चुपचाप अलग जा खड़ा होता है और अन्य पशुओं से अलग रहना पसन्द करता है। यह लक्ष्ण देखकर तुरन्त समझ लेना चाहिए कि पशु बीमार है।
  •  शरीर पर सूजन/ गांठ
  1. स्वस्थ पशु के शरीर में कही पर भी सूजन या गांठ नही दिखायी देती है।
  2. रोगी पशु के शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे कि जबड़े के नीचे, टांगों पर, अगली टांगों के बीच व शरीर के अन्य भागों पर सूजन आ जाती है। कई बार ग्याभिन पशु या तुरंत व्याये के शरीर के निचले हिस्से जैसे कि लेवटी, पेट व छाती पर सूजन आ जाती है।
  •  श्वसन दर

यह गाय की पसलियों को देखकर चुपचाप मूल्यांकन किया जा सकता है, 15 सेकंड में प्रेरणा पर वे कितनी बार बाहर निकलते हैं और फिर 4 से गुणा करें। एक गाय की श्वसन दर परिवेश के तापमान के साथ भिन्न हो सकती है और यदि गाय तनावग्रस्त है, लेकिन वयस्क गाय श्वसन दर 26 और 50 सांस प्रति मिनट के बीच होनी चाहिए।

अवस्था स्वस्थ पशुधन अस्वस्थ पशुधन
सतर्कता चुस्त, दुरुस्त और सुफूर्तियुक्त उदासीन
सिर सीधा उठाये हुए नीचे के तरफ झुका हुआ
मुह गीला व् गंधरहित सुखा या अत्यधिक लार, ख़राब गंध
नाक श्राव रहित श्राव (पानी जैसा/गाढ़ा/ बदबूदार )
जुगाली करना करेगा नहीं करेगा
थूथुन गीला सुखा
उपरी आवरण चिकना कोट रफ हेयर कोट
आँखे चमकदार आँखें, आँख की झिल्ली गुलाबी सुस्त आँखें
गोबर सामान्य गोबर (अर्ध ठोस) असामान्य गोबर  (दस्त या बहुत सुखा और कड़ा)
मूत्र सामान्य थोडा पीला

पेशाब करने में कोई कष्ट नहीं

अत्यधिक पीला या लाल खून जैसा

पीड़ायुक्त पेशाब करना

तापक्रम सामान्य तापमान उच्च या निम्न तापमान
चाल ठीक चाल, कोई लंगडाहट नहीं अनियमित चाल , लंगडाहट हो सकती
श्वशन सामान्य सांस लेना श्वशन दर में बदलाव, खाँसी
झुंड का साथ झुंड में रहता है झुंड से अलग
खाने पीने में रूचि अच्छी भूख, प्यास में कमी
दुग्ध उत्पादन सामान्य कमी
पूँछ का हिलाना जल्दी जल्दी देरी से घुमाना
रूमेन गति  की दर पांच मिनट में तीन बार असामान्य रूप से कम या ज्यादा

 

अपने पशु के संकेतों को समझें

 Compiled  & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 

Image-Courtesy-Google

 

Reference-On Request.

जैविक पशुधन उत्पादन और पशु स्वास्थ्य प्रबंधन से अधिक उत्पादन एवं आमदनी

 

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