बरसात के मौसम में पशुओं की देख-भाल 

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बरसात के मौसम में पशुओं की देख-भाल 
बरसात के मौसम में पशुओं की देख-भाल 

बरसात के मौसम में पशुओं की देख-भाल 

बरसात के इस मौसम में पशुओं की रखे कुछ इस तरह से देख-रेख, नही तो दूध उत्पादन होगा कम

देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है. इसलिए ज्यादातर क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है. इसलिए यह मौसम पशुओं की सेहत के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.

ऐसे में यह मौसम पशुओं की सेहत पर क्या प्रभाव डालता है. यह सबसे महत्वपूर्ण होता है. साथ ही उनकी दूध उत्पादन क्षमता पर मौसम का असर न पड़े, यह भी सबसे महत्वपूर्ण बात होती है. क्योकि यह नमी वाला मौसम पशुओं को कई तरह से प्रभावित करता है. इसलिए आइये जानते है पशुओं की बारिश के मौसम में कैसे देखभाल करे-

बारिश में ऐसे करे दुधारू पशुओं की देख-भाल 

बरसात का मौसम किसान भाइयों के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है. क्योकि धान की रोपाई से लेकर गन्ने की सिंचाई की आवश्यकता पूरी होती है. लेकिन नमी के कारण पशुओं को कई तरह के विषाणु, कीटाणु और जीवाणु का खतरा बना रहता है. क्योकि यह मौसम इनके पनपने के लिए अनुकूल होता है. इसलिए जैसे ही बारिश होती है. तो ये विषाणु हमारे पशुओं को प्रभावित करते है. जिससे हमारे पशुओं को कई तरह के रोग होने की संभावना बनी रहती है. उन रोगों का कम से कम प्रभाव हो इसके लिए किसान पशुपालक भाई अपने पशुओं का इस मौसम में कुछ इस तरह ध्यान रखे-

  • जब भी बारिश हो अपने पशुओं को खुले स्थान पर भीगते हुए न बांधे, क्योकि अधिक देर तक पशु भीगता है तो उसे ठण्ड लग सकती है. उन्हें बुखार भी हो सकता है.
  • पशुओं के शिशुओं के भीगने से उन्हें इस मौसम में निमोनिया की शिकायत हो सकती है. इसलिए उन्हें भी घर अन्दर या बाड़े में बांधना चाहिए.
  • जहाँ भी पशुओं को बांधना हो उस स्थान की विशेष साफ़ सफाई होनी चाहिए.
  • बरसात के मौसम में पशुओं को बाहर चरने नही भेजना चाहिए. क्योकि बारिश के मौसम में कई तरह के कीड़े जमीन से निकल कर घास पर बैठ जाते है. जिन्हें पशु खाकर बीमार पड़ जाते है.
  • किसान पशुपालक अगर घर में हरा चारा पशुओं को खिलाते है. तो उस हरे चारे में एक प्रतिशत लाल दवा (पोटेशियम परमैग्नेट) जरुर डालना चाहिए.
  • बारिश के मौसम में ज्यादा घास या गीला चारा देना पशुओं के पाचन के लिए सही नहीं होता. इससे पशुओं में दस्त लगने की शिकायत हो जाती है.जब पशु दस्त की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं तो शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं.
  • इसलिए पशुओं को गीला चारा यानी घास के साथ कम से कम 40% तक सूखा चारा जरूर दें.
  • पशुओं के बाड़े की सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • पशुओं को समय-समय पर कृमिनाशक दवा समय-समय पर देते रहना चाहिए.
  • इसके अलावा किसान पशुपालक अपने पशु बांधने वाले स्थान के आसपास पानी न जमा होने दे. समय-समय पर बाड़े की नालियों की सफाई करते रहना चाहिए.
  • बदलते मौसम में अपने पशुओं टीकाकरण जरुर कराएं.
  • पशुपालक किसान इस बात का जरुर ध्यान रखे कि पशुओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी समय-समय पर पशु विशेषज्ञ से जरुर ले.
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बारिश के इस मौसम में पशुओं को हो सकते है ये रोग 

बारिश के मौसम की शुरुवात होते ही पशुओं में कई रोगों के होने का खतरा बना रहता है. इसलिए इस मौसम में पशुओं की कुछ खास देखभाल और रोगों से बचाव जरुरी हो जाता है. साथ ही अगर वह किसी रोग से ग्रसित हो जाय तो तो उसकी प्रभावी रोकथाम के लिए उचित उपाय अपनाने चाहिए.

  • बरसात के इस मौसम में पशुओं में सबसे ज्यादा गलघोटू रोग फैलता है. यह एक संक्रामक रोग है. जिससे ग्रसित होने पर 24 घंटे के अंदर म्रत्यु तक हो जाती है. इसके बारे में अधिक जानने के लिए मेरे गलघोटू से बचाव वाले लेख को पढ़कर इस बीमारी से पशुओं को बचा सकते है.
  • खुरपका-मुंहपका भी एक संक्रामक रोग है. जो पशुओं में बहुत तेजी से फैलता है. यह भी अधिकतर बरसात के मौसम में ही पशुओं में फैलता है. जिसमें पशुओं के मुंह से लार गिरती रहती है और उसके मुंह और खुर में घाव बन जाते है. इस रोग से बचाव के के लिए पशुओं का टीकाकरण बहुत आवश्यक है.
  • बारिश के मौसम में पशुओं में परजीवियों जैसे जूं, चीचड़ और पिस्सू आदि से पशुओं को बचाया जाना चाहिए. इसके लिए पशुओं को खुले हवादार और सूखे इलाकों में रखना चाहिए. साथ ही बाड़े की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • थनैला रोग दुधारू पशुओं में होता है. लेकिन यह अधिकतर बरसात के मौसम में ही होता है. इस रोग के होने से पशुओं को दूध दुहने के समय थन में दर्द होने लगता है. इसके बचाव के लिए किसान भाई बारिश का मौसम हो या गर्मी या सर्दी, पशु को दूध दुहने के 30 से 40 मिनट तक बिल्कुल बैठने न दें. अगर कभी मवेशी थनैला रोग का शिकार हो जाता है तो साफ गर्म पानी में जंतु नाशक दवा की कुछ बूंदें घोलकर थनों की नियमित सफाई करें. इससे थनैला रोग का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है.
  • जुकाम और निमोनिया का ख़तरा बरसात के मौसम के साथ ही पशुओं में बढ़ जाता है. इसलिए पशुओं को बाहर न बांधे. उन्हें बाड़े के अन्दर ही बाँधा जाय जिससे वह होने वाली बारिश से बाख सके.
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Compiled  & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 Image-Courtesy-Google

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बरसात के मौसम में पशुओं का बेहतर प्रबंधन एवं देखभाल हेतु पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

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