शरद ऋतु में कुक्कुट पक्षियों का रखरखाव एवं प्रबंधन
डॉ० सूर्य कान्त1, डॉ० के. डी. सिंह2, डॉ० अजीत कुमार वर्मा2, डॉ० आर. के. वर्मा1 एवं
डॉ० पी. एस. प्रामाणिक1
पशुधन उत्पादन प्रबन्धन विभाग1
पशुधन प्रक्षेत्र विभाग2
पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, एएनडीयूएटी, कुमारगंज, अयोध्या, उ.प्र.
मुर्गी पालन अच्छे मुनाफे वाले व्यवसाय में से एक है। मुर्गी पालन अंडा और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है, जिनके लिए हमें अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना होता है। इस व्यवसाय की यह खासियत है कि इसे कम लागत से शुरू किया जा सकता है और इसमें कमाई जल्दी शुरू हो जाती है क्योंकि मांस के लिए पाले जाने वाली मुर्गियां 30 से 35 दिन में तैयार हो जाती हैं। शरद ऋतु में हमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है, जिस कारण हम अपने खाने में मांस का ज्यादा उपयोग करते हैं। इस कारण बाजार में मांस के लिए पाले जाने वाली कुक्कुट पक्षियों की मांग बढ़ जाती है। बाजार में बढ़ती हुई ब्रायलर पक्षियों की मांग को देखते हुए कुक्कुट पालक, शरद ऋतु में अच्छे मुनाफे के उम्मीद में ज्यादा से ज्यादा मुर्गी पालन करता है, परंतु वह ठंड से बचाव के उपाय को सही तरीके से ना कर पाने के कारण कुक्कुट पक्षियों के बहुत प्रतिकूल वातावरण परिस्थितियों में भारी संख्या में मृत्यु भी होती है, जिस कारण किसान को इस व्यवसाय में कभी-कभी भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है।
शीत ऋतु में वातावरणीय तापमान के गिरावट से कुक्कुट उत्पादन प्रभावित होता है। सर्दियों में तापमान कम होने से अंडे के उत्पादन में कमी, पानी की खपत में कमी, प्रजनन क्षमता में कमी और अंडे सेने की क्षमता में कमी आदि समस्याएं पैदा होती हैं। कुक्कुट पालन से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए कुक्कुट को तनाव से दूर रखना चाहिए। मुर्गी घर में सर्दियों में मुर्गी पालन करते समय तापमान को नियंत्रित करना एक महत्वपूर्ण है, जो कुक्कुट पक्षियों की प्रजनन क्षमता को उच्च स्तर पर एवं उनकी वृद्धि दर को अच्छा बनाए रखने के लिए अति आवश्यक है। ठण्ड के मौसम में मुर्गी को कठोर ठंड का सामना करना पड़ता है, कुक्कुट पक्षियों की उत्पादकता बनाए रखने के लिए तापमान, आर्द्रता, लिट्टर, अमोनिया, फीड, पानी, प्रकाश और हवा के उचित प्रबंधन की जरूरत होती है। ये कुक्कुट पक्षियों के उत्पादन और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, इसलिए पक्षियों का प्रबंधन करते समय ये सब बहुत महत्वपूर्ण हैं। सर्दी के मौसम में वातावरण तापमान बहुत गिर जाता है, जो पक्षियों के उत्पादन और स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। सर्दियों में बहुत सी परेशनियां होती है, जब तापमान 150 से कम रहता है। इसलिए सर्दियों के मौसम में अधिक उत्पादन के लिए पोल्ट्री उत्पादकों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- घर की दिशा निर्धारण (उन्मुखीकरण)
- तापमान प्रबंधन
- हवा का आना जाना (वेंटीलेशन)
- लिट्टर प्रबंधन
- फीड प्रबंधन
- जल प्रबंधन
- स्वास्थ प्रबंधन
घर की दिशा निर्धारण (उन्मुखीकरण) –
चित्र आभार : https://www.vetextension.com/
- सर्दी के मौसम मे पोल्ट्री फार्म का निर्माण पक्षियों की सुविधा को ध्यान में रखकर करना चाहिए, जिससे पक्षियों को आवश्यक सभी आराम मिल सकें।
- घर के अंदर हवा, धूप एवं रौशनी चारों ओर से आनी चाहिए ताकि बाहरी सतहों का तापमान नियमित रहे।
- सर्दियों में सूरज की रौशनी और धूप कम समय के लिए आती है। एक आयताकार शेड अधिक से अधिक सौर ऊर्जा को ग्रहण करता है, इसलिए शेड ऐसा बनाना चाहिए जिसमें दिन के समय अधिक से अधिक रौशनी और धूप अंदर आ सके।
तापमान प्रबंधन –
- पक्षियों को ठंडी हवा से बचाने के लिए चटाई बैग या बोरियों (टाटों) को चारों तरफ टांग देना चाहिए। इन बोरियों को रात में दिन का उजाला चले जाने से लेकर अगली सुबह का उजाला होने तक लटका देना चाहिए।
- प्रति 250 से 500 पक्षियों के लिए एक बुखारी का इस्तेमाल करें। सर्दियों में तापमान को नियमित रखने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। जहाँ तक हो सके, बुखारी का प्रयोग केवल रात में करें। दिन के समय धूप का प्रयोग कर पोल्ट्री फार्म को गरम रखें और जरूरत पड़ने पर यदि बुखारी उपलब्ध न हो तो प्रति 20 पक्षियों के लिए एक 200 वाट बिजली के बल्ब का प्रयोग करें।
- पोल्ट्री हाउस में चूजों के आने से पहले भी तापमान का बहुत महत्व होता है। यह कहना चाहिए कि बड़े चूजों की तुलना में युवा चूजों के लिए इष्टतम तापमान की आवश्यकताएं अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बड़े पक्षी पंखों से बेहतर रूप से सुरक्षित रहते हैं, उनका सतह क्षेत्र कम होता है और युवा चूजों की तुलना में अधिक गर्मी पैदा करते हैं। एक दिन के चूजों के लिए शेड को चूजों के आने से एक दिन पहले ही गर्म कर लेना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है, तो हवा और लिट्टर चूजों के शरीर से गर्मी सोख लेगा और पक्षी ठंड से कांपना शुरू कर सकते हैं। इससे पक्षियों के विकास पर असर पड़ेगा।
- पूरे शेड में तापमान एक समान है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए पक्षियों का व्यवहार एक अच्छा पैरामीटर है। यदि पक्षी हीटिंग स्रोत के करीब इकट्ठा होते हैं, तो यह ठंडे वातावरण का संकेत देता है। कुछ स्थितियों में, पक्षी टुकड़ों में पाए जाते हैं, जिन्हें ‘आराम क्षेत्र‘ कहा जाता है। वायु के निरंतर संचलन और पुनः-परिसंचरण द्वारा आरामदायक क्षेत्रों के निर्माण से बचा जाना चाहिए। सर्दियों में सही ढंग से चिन्तन करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
हवा का आना जाना (वेंटीलेशन) –
- सर्दी के मौसम में शेड में प्रवेश करने वाली ठंडी हवा के आने जाने का उचित प्रबंध होना चाहिए। पक्षी के जीवन में पहले 24 से 48 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि यह पूरे उत्पादन चक्र में स्वास्थ्य और प्रदर्शन को प्रभावित करता है।
- पक्षी अपनी सांस एवं मल-मूत्र के द्वारा बहुत सी नमी बाहर छोड़ते हैं, जिससे अमोनिआ उत्पन्न होता है और अगर वातावरण में आमेनिया की मात्रा बढ़ जाए तो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए उन्हें घर के चारों ओर भरपूर ताजी हवा की जरूरत होती है।
- अगर शेड में हवा के आने जाने का उचित प्रबंध नहीं होगा तो अमोनिया का निर्माण भी अधिक होगा जो पक्षियों में श्वास तथा पाचन संबंधी परेशनियों को बढ़ाएगा।
- इसके लिए रपट (स्लाइडिंग) खिड़कियों का प्रयोग उचित होता है जिन्हें दिन मे खोल दिया जाना चाहिए और रात में बंद कर देना चाहिए।
- अशुद्ध वायु को बाहर निकालने के लिए निकास प्रशंसकीय पंखों (एग्जॉस्ट पंखों) का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- कुकुट पक्षियों को ठंड के मौसम में अपने शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए और अन्य क्रियाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए अधिक राशन की जरूरत पड़ती है, इसलिए हमें ठंड के मौसम में ज्यादा फीडर की संख्या बढ़ानी चाहिए।
- सर्दियों के कम तापमान के कारण घर में प्रवेश करने वाली हवा घर में गर्म हवा के साथ मिश्रित होने के बजाय नमी के बढ़ते वजन के कारण बहुत तेजी से फर्श पर गिरती है और अधिक धीरे-धीरे गिरती है।
- उम्र के अनुसार वेंटिलेशन दर बढ़ाएँ। यदि अमोनिया या गीले लिट्टर की समस्या हो तो वेंटिलेशन दर को और बढ़ाया जा सकता है। यदि घर गर्म है, तो केवल अतिरिक्त गर्मी को समायोजित करें लेकिन पंखे को न चलाएं क्योंकि नमी और अमोनिया को हटाने के लिए पंखे की आवश्यकता होती है।
लिट्टर प्रबंधन –
- चूजो को शेड के अंदर रखने से पहले फर्श की उपरी सतह को लिट्टर या भूसे के बिस्तर या बिछावन से ढक देना चाहिए। यह पक्षियों को आराम देता है। एक गुणवत्ता वाला लिट्टर एक अच्छे विसंवाहक का काम करता है। यह वातावरण के तापमान को संतुलित रखता है और नमी को सोख कर वातावरण को सूखा बनाता है।
- जाड़ें में कम से कम 3 से 5 इंच की बिछाली (लिट्टर) मुर्गीघर के फर्श पर डालें जो की अच्छी गुणवत्ता की हो, अच्छी गुणवत्ता की बिछाली मुर्गियों को फर्श की ठंड से बचाता है और तापमान को नियंत्रित किये रहता है।
- लिट्टर पक्षियों के मल की नमी को अबशोषित कर लेता है जिससे पक्षी और मल का संपर्क नहीं हो पाता।
- आम तौर पर लिट्टर में नमी 25-35 प्रतिशत के बीच बनी रहती है। नमी का इष्टतम स्तर सुनिश्चित करने के लिए हीटिंग और वेंटिलेशन सिस्टम की लगातार निगरानी की जानी चाहिए।
- कोशिश करें की सर्दियों में पक्षियों के अतिरिक्त बिछावन उपलब्ध रहे क्योंकि सर्दियों में बिछावन देरी से सूखता है और गीला होने की स्तिथि में इसे तुरंत बदल देना चाहिए।
- बिछावन के लिए लकड़ी की छीलन, चूरा, पुआल, भूसा और अन्य सूखी अबशोषक कम लागत वाली जैविक सामग्री का उपयोग किया जा सकता है।
- लिट्टर को अत्यधिक सर्दी के मौसम में कभी न बदलें। अगर लिट्टर प्रबंध उचित होगा तो पक्षियों का तापमान भी उचित रहेगा।
- लिट्टर को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने की आवश्यकता है क्योंकि यह ढीले पानी के पाइप कनेक्शन, कूड़े और छत से आने वाले पानी से काफी आसानी से गीला हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप लिट्टर में केक बनेगा जो अवायवीय (अनाक्सीय) जीवाणु वृद्धि और अमोनिया उत्पादन के लिए अच्छा माध्यम बन जाएगा।
- बढ़ती चिंता का एक अन्य मुद्दा दुर्गंध का उत्पादन है, खासकर जो फार्म्स आबादी के करीब है। यह भी गीले लिट्टर का परिणाम है। यदि लिट्टर को सूखा रखा जाए और कुशल वेंटिलेशन सिस्टम हो तो यह समस्या अपने आप हल हो जाती है। कम पीएच भी कार्बनिक पदार्थ के क्षरण को रोकता है।
चित्र आभार :https://www.pashudhanpraharee.com/
फीड प्रबंधन –
- सर्दियों में मुर्गीदाना की खपत बढ़ जाती है। यदि मुर्गीदाना की खपत बढ़ नही रही है तो इसका मतलब है कि मुर्गियों में किसी बीमारी का प्रकोप चल रहा है। जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गियों के पास मुर्गीदाना हर समय उपलब्ध रहना चाहिए।
- मुर्गियों में फीड का प्रयोग दो उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है – शरीर के तापमान को संतुलित रखने के लिए ऊर्जा स्त्रोत के रूप में और सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं, मजबूत हड्डियों, मांस उत्पादन एवं पंखो के लिए निर्माण सामग्री के रूप में।
- मौसम के बदलाव के साथ साथ फीड में भी सामान्य बदलाव करना चाहिए।
- निम्न तापमान में अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है जोकि अधिक फीड तथा आक्सीजन सेवन से पूरी होती है।
- फीडर में फीड की उपलब्धता दिन के साथ साथ रात में भी बनाये रखें।
- जब पक्षी अधिक फीड खाते हैं तो ऊर्जा के साथ साथ अन्य पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता नहीं होती वह भी अंदर जाते हैं लेकिन उनका कोई उपयोग नहीं होता। कोशिश करें कि सर्दियों के मौसम में अधिक ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ जैसे आयल केक (खल), चरबी, शीरा आदि को फीड में मिलाकर देना चाहिए, ताकि पक्षियों में शारीरिक तापमान का संतुलन बना रहें।
- सर्दियों में गर्मियों की अपेक्षा फीडरों की संख्या बढ़ा देनी चाहिए और इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि पक्षी भरपेट फीड एवं दाने का सेवन करें।
- यह प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध हो चुका है कि गर्मी के दौरान ब्रॉयलर की उचित वृद्धि के लिए 23 प्रतिशत प्रोटीन और 3100 किलो कैलोरी एमई पर किलोग्राम युक्त आहार की आवश्यकता होती है। जबकि सर्दियों में 3400 किलो कैलोरी पर किलो एमई और 23 प्रतिशत प्रोटीन की जरूरत होती है।
- अनुशंसित स्तर से भी ऊपर अमीनो एसिड के स्तर को बढ़ाने से बेहतर एफसीआर, उच्च विकास दर और उच्च स्तन मांस की पैदावार का समर्थन मिलेगा। उच्च प्रोटीन आहार के परिणामस्वरूप अधिक पानी का सेवन, अधिक जल उत्सर्जन और कूड़े में नाइट्रोजन का अधिक जमाव होगा। इसलिए कम से कम पहले दिन से लेकर बीसवें दिन तक अमीनो पावर खिलाना जरूरी है।
जल प्रबंधन –
- सर्दियों के मौसम में पानी की खपत बहुत ही कम हो जाती है क्योंकि इस मौसम में पानी हमेशा ठंडा ही बना रहता है इसलिए मुर्गी इसे कम मात्रा में पी पाती हैं इसलिए पानी की मात्रा को शरीर में संतुलित रखने के लिए मुर्गीयों को बार-बार शुद्ध और ताजा पानी देते रहना चाहिए।
- अगर पानी पर्याप्त ठंडा है तो इसमें उबलता गर्म पानी डालकर मुर्गियों को पिलाना चाहिए, ताकि पानी सामान्य तापमान पर आ जाए।
- पीने का पानी साफ और ताजा होना चाहिए।
- जिन इलाकों में बर्फ गिरती है और तापमान शून्य से नीचे हो जाता है और पाईपों में पानी जम जाता है वहाँ पाईपों की जाँच करते रहना चाहिए क्योंकि इन पाईपों के द्वारा ही पक्षियों को कई टीके, दवा, एंटीस्ट्रेस विटामिन पानी के माध्यम से दिए जाते हैं।
- पानी द्वारा दवा एवं टीका देने से पूर्व कुछ समय के लिए पानी की सप्लाई बंद कर देनी चाहिए।
- दवा और टीके में पानी की मात्रा कम होनी चाहिए ताकि प्रत्येक पक्षी को दवा, वैक्सीन या अन्य पूरक का लाभ मिल सके।
स्वास्थ प्रबंधन –
- सामान्यता अधिक सर्दियों में कुक्कुट पक्षियों की मृत्यु दर सामान्य से ज्यादा हो जाती है लेकिन उचित देखभाल की जाए तो वह सुरक्षित रहते हैं और उनमें उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।
- कुक्कुट आवास में चूहे और चुहिया सबसे बड़ी मुसीबत होते है। यह जन्तु केवल बीमारियाँ ही नहीं फैलाते साथ-साथ दूषित मल भी छोड़ते हैं जो पक्षियों में फीड के द्वारा उनके अंदर जाता है। फीड को इससे बचाने के लिए धातु से बने डिब्बे में रखना चाहिए।
- फीड को खुले बैग में रखने से छोटे-छोटे कीट उत्पन्न हो जाते है। इसलिए लकड़ी और प्लास्टिक के बैगों का प्रयोग करना चाहिए जो थोड़े समय के लिए इन छोटे-छोटे कीटों को फीड से दूर रखते है।
- हालांकि सर्दियों में संक्रमण कम होता है परन्तु कुछ रोग जैसे की रानीखेत बीमारी, कोलिबैसिलोसिस, गम्बोरो रोग, चूजों में ब्रूडर न्यूमोनिया, सीआरडी, कॉक्सीडीओसिस इत्यादि पाए जाते हैं।
- समय पर वैक्सीनेशन करने से तथा उचित प्रबंधन से इन रोगों से पक्षियों को बचाया जा सकता है।
- पक्षियों को स्वस्थ रखने के लिए समय पर पानी में उचित मात्रा मे विटामिन-इलैक्ट्रोलाईट मिलाकर देना चाहिए।
- भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षियों को उनकी जरूरत के अनुसार ही उचित मात्रा में फीड देनी चाहिए।
- पक्षियों में उत्पन्न होने वाली अनियमित्ताओं और विसंगतियों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
- सर्दी के मौसम में पक्षियों की साँस की आवाज पर ध्यान देना चाहिए। अगर सासें में भारीपान या घरघराहट हो तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है।
- बीमार पक्षियों को अलग रखें तथा ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिकस जैसे कि टैरामायसिन, एनरोफलोक्सेसिन आदि का प्रयोग पशु चिकित्सक (पंजीकृत) की सलाह के बाद करें।
- सब विसंमतियों का वर्णन एक रिकार्ड बुक में करना अनिवार्य है। जितना ही हम अपनी रिकार्ड बुक को सही रखेंगे उतना ही हम आने वाली समस्याओं से दूर रह सकते हैं।
उपरोक्त वर्णित बातों के अलावा हमें सर्दियों के मौसम में मुर्गी पालन हेतु कुक्कुट पक्षी आवास की साफ सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। सर्दियाँ आने से पहले ही पुराना बुरादा, पुराने बोरे, पुराना आहार एवं पुराने खराब पर्दे आदि बदल देना चाहिए। वर्षा का पानी यदि मुर्गीघर के आसपास इक्क्ठा हो तो इसको निकाल देना चाहिए और उस जगह पर ब्लीचिंग पावडर या चूना का छिड़काव कर देना चाहिए। कुंआ, दीवार आदि की सफाई भी ब्लीचिंग पावड़र से कर लेना चाहिए। मुर्गीघर के चारों तरफ उगी घास, झाड़, पेड़ आदि को नष्ट कर देना चाहिए। दाना गोदाम की सफाई समय समय पर कर देनी चाहिए एवं कॉपर सल्फेट युक्त चूने के घोल से पुताई करनी चाहिए ऐसा करने से फंगस का प्रकोप मुर्गीदाना गोदाम में नहीं होगा।
सर्दी का मौसम कुक्कुट पालन के साथ-साथ कुक्कुट पालकों के लाभ के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर कुक्कुट पालक उपरोक्त वाले तथ्यों को अच्छे से अपने कुक्कुट पालन की प्रबंधन की क्रियाओं में सम्मिलित करें तो उन्हें अच्छे लाभ की उम्मीद रहेगी। कुक्कुट पक्षियों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, उनके उत्पादकता अच्छी रहेगी और अच्छे उत्पादन से जो कुक्कुट पालक है वो अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपके पास सही जानकारी है, सही सावधानी बरतें और उच्च गुणवत्ता वाले पोल्ट्री स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों का उपयोग करें, तो सर्दियों में मुर्गी पालन करना मुश्किल नहीं है।
स्रोत: पशुधन प्रहरी, ग्रोवेल एग्रोवेट, पोल्ट्री ट्रेंड्स