गाय भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं : घरेलू तरीके
कई बार गाय-भैंस कम दूध देने लगती हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए पशुपालक कई तरह के उपाय करने शुरू कर देते हैं. ऐसे में पशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ता.इन स्थितियों से बचने और पशुओं का दुग्ध उत्पादन औसत से बेहतर रखने के लिए पशुपालक कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं.
भारत में कृषि के साथ-साथ पशुपालन प्राचीन काल से होता आ रहा है और आज भी किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। भारत का डेयरी उध्योग दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक होने के बावजूद लोगों के बीच दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लगातार चुनौती का सामना कर रहा है। यह मुख्य रूप से भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में पशुपालक के सामने सबसे बड़ी समस्या दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की है .
कई बार देखा गया है, कि पशुपालक अपने पशुओं से अधिक दूध प्राप्त करने के लिए अपनी गायों और भैंसों को हार्मोन के इंजेक्शन देते हैं, जिससे वह अधिक दूध देने लगते हैं। लेकिन आपको बता दें, कि ऐसा करने से न सिर्फ जानवर की सेहत पर असर पड़ता है बल्कि ऐसे दूध का सेवन दूसरों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। गाय भैंस का दूध कैसे बढ़ाएं ? इसकी जानकारी देने के साथ ही आपको यहाँ दूध बढानें के घरेलू उपाय [तरीका] व आयुर्वेदिक दवा क्या खिलाए
गाय भैंस का दूध बढ़ाने के घरेलू उपाय (Cow Buffalo Milk Increase Home Remedies)
दुधारू पशुओं अर्थात गाय और भैंस आदि का दूध बढ़ाने के लिए हमें सदैव हानि रहित उपाय करने चाहिए ताकि दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य पर किसी तरह का कोई प्रभाव न पड़े और दूध भी अधिक मात्रा में प्राप्त किया जा सके| इस तरह के उपायों को अपनाकर अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण दूध प्राप्त कर सकते हैं।
हालाँकि इसके लिए सबसे आवश्यक चीज यह है, कि हमें गाय और भैंस के आहार पर भी ध्यान देना चाहिए | इसके साथ-साथ उनके रखरखाव और देखभाल पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। पशुओं का दूध बढ़ाने के घरेलू उपाय इस प्रकार है-
दुधारू पशुओं को लोबिया खिलाये (Feed Lobia to Milch Animals)
पशुपालन विभाग के अनुसार लोबिया घास खिलाने से गाय के दूध में वृद्धि होती है। लोबिया में पाए जाने वाले औषधीय गुण गायों की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हैं। इसका गाय-भैंस के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। लोबिया घास की विशेषता यह है, कि यह घास अन्य घासों की अपेक्षा अधिक सुपाच्य होती है। यह प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है जो दुधारू पशुओं के लिए आवश्यक होता है। ऐसे में यदि हम अपने दुधारू पशुओं को लोबिया घास खिलाएं तो प्राकृतिक रूप से दूध की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
सरसों के तेल और आटे से बनी घरेलू दवा (Household Medicine Made from Mustard Oil and Flour)
आटे और शुद्ध सरसों के तेल से घरेलु ओषधि बनाकर गाय, भैंस को खिलाकर उनकी दूध की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। इस औषधि को तैयार करने का तरीका इस प्रकार है-
सबसे पहले आपको सरसों का तेल का तेल लगभग 200-300 ग्राम और गेहूं का आटा लगभग 250 ग्राम लेना है | अब गेहूं और सरसों के तेल को अच्छी तरह से मिश्रित कर सायं में गाय, भैंस के चारा पानी के बाद खिलाएं। आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है, कि इस दवा को खिलाने के बाद उन्हें पानी बिलकुल भी नहीं देना है | साथ में यह भी ध्यान रखे कि इस दवा को पानी के साथ नही देना है |
पानी के साथ इस दवा को देने से पशुओं को खांसी की समस्या हो सकती है। आपको इस दवा को सिर्फ 1 सप्ताह तक खिलाना है, इसके पश्चात इस दवा को बंद कर देना है | इसके अलावा आप पशुओं को जो पहले से हरा चारा और बिनौला की जो खुराक देते आ रहे है, उसे निरंतर जारी रखना है अर्थात उसे बंद नही करना है |
दूध बढ़ाने की आयुर्वेदिक औषधि कैसे बनाएं (Ayurvedic Medicine to Increase Milk)
गाय भैंस की दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए आप अपने घर पर ही उपलब्ध चीजों से औषधि बना सकते है| इस औषधि को बनानें के लिए जिन चीजों की आवश्यकता होगी, उनकी जानकारी देने के साथ ही आपको यहाँ औषधि बनानें की विधि के बारें में बताया जा रहा है, जो इस प्रकार है-
सामग्री | मात्रा |
गेहूं का दलिया | 250 ग्राम |
गुड़ सर्बत (आवटी) | 100 ग्राम |
मैथी | 50 ग्राम |
कच्चा नारियल | 1 |
जीरा | 25 ग्राम |
अजवाईन | 25 ग्राम |
इन चीजों का उपयोग कैसे करना है (How to Use These Things)
- सबसे पहले आपको गुड़, दलिया और मेथी को एक साथ आग पर पकाना होगा | इसके पश्चात उसमें नारियल को पीसकर डालना होगा | जब यह मिश्रण पूरी तरह से ठंडा हो जाये तो इसे अपने पशुओं को खिलाएं।
- आपको यह मिश्रण सुबह खाली पेट सिर्फ 2 महीने तक ही खिलाना है |
- इस बात का विशेष ध्यान रखे कि इस दवा को पशु के बच्चा देने से 1 माह पहले शुरू करना है और बच्चा देने के 1 माह बाद तक नियमित रूप से खिलाना है |
- पशु के बच्चा देने के बाद 25-25 ग्राम अजवाईन व जीरा सिर्फ 3 दिन ही खिलाना है | ऐसा करने से आपको बहुत जल्द ही अच्छे परिणाम मिलने लगेंगे।
- पशु के बच्चा देने के 21 दिन उन्हें सामान्य आहार ही दिया जाना चाहिए।
- जैसे ही बच्चा 3 माह का हो जाता है या आपके पशु का दूध कम हो जाए तो उसे रोजाना लगभग 30 ग्राम जवस औषधि खिलाएं, इसका सेवन कराने से आपके पशु का दूध कम नहीं होगा।
गाय भैंस के दूध में वसा कैसे बढ़ाएं
पशुओं के दूध में वसा की मात्रा सही आहार पर निर्भर करती है। जानवरों की चरनी कभी खाली नहीं होनी चाहिए। पशु को हर बार खाने के लिए हरा चारा और पर्याप्त आहार मिश्रण उपलब्ध होना चाहिए, इससे चर्बी भी प्रभावित होगी। सफल डेयरी किसानों के लिए प्रतिदिन 4-5 सर्विंग ग्रीन/फीड देना आवश्यक है। कई डेयरी किसान जानवरों को गीला चारा खिलाते हैं, जो पशु वसा में कमी का एक कारण है। कभी-कभी, जब हरा चारा, सूखा चारा और आहार मिश्रण उपलब्ध नहीं होता है और जानवरों को गीला चारा खिलाया जाता है, जिसके कारण एक पांड कम हो जाता है और वसा का गुरुत्वाकर्षण भी कम हो जाता है।
पशुओं के चारे में तत्काल कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। पशुओं में चर्बी बढ़ाने के लिए चारे के भूसे के आकार पर भी ध्यान देना चाहिए। इन दिनों चारे का अचार बनाने वाले कुछ किसान भूसे का आकार 1 इंच से भी कम रखते हैं, जिससे चर्बी कम होने की शिकायत होती है | वसा बढ़ाने के लिए पशुओं को कपास के बीज भी खिलाए जा सकते हैं। 250 ग्राम से अधिक कपास के बीज की मात्रा पशुओं में मोटापे का कारण बन सकती है।देशी कपास के बीजों का प्रयोग किया जाए तो अच्छा है। अतः यदि संतुलित आहार और ऊर्जा हो, वसा और प्रोटीन पूर्ण मात्रा में पाए जाते हैं, तो वसा और गुरुत्वाकर्षण भी सुनिश्चित होता है।
दुधारू पशु गाय, भैंस की देखभाल पर भी दें ध्यान
- उपरोक्त घरेलू उपाय के अलावा पशुपालक किसान को दुधारू पशु गाय, भैंस के उचित रखरखाव और देखभाल पर भी ध्यान देना चाहिए। इससे भी दूध का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
- दूधारू पशु गाय, भैंस के रहने का बाड़ा साफ-सुधरा होना चाहिए जिसमें प्रकाश और हवा का उचित प्रबंध होना चाहिए।
- पशु के लिए पक्की जगह भी होनी चाहिए जहां वह बारिश के समय आराम से बैठ सके।
- पशुओं के रहने के लिए विशेष घर और चारा खाने वाला स्थान अपेक्षाकृत ऊंचा और समतल होना चाहिए।
- गर्मियों में पशुओं के लिए पंखे या कूलर की सुविधा रखनी चाहिए ताकि भीषण गर्मी से पशु को राहत मिल सकें।
- पशु को हरा चारा जरूर खिलाना चाहिए। इससे दूध की मात्रा बढ़ती है।
- पशु का समय-समय पर टीकाकरण करना चाहिए ताकि पशु जल्दी रोग की चपेट में नहीं आ पाएं।
- पशु को कभी खुले में नहीं छोड़ना चाहिए। खुले में छोडऩे से पशु इधर-उधर घूमना शुरू कर देते हैं और कई तरह की हानिकारक चीजें खा जाते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
Compiled & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the
Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)
Image-Courtesy-Google
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