भारत में स्वाइन फार्मिंग का महत्व और दायरा

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भारत में स्वाइन फार्मिंग का महत्व और दायरा

करिश्मा चौधरी और विनोद कुमार पलसानिया

M.V. Sc. (LPM), CVAS, Navania, Udaipur.

भारत एक बड़े और विविधतापूर्ण देश है, जहां कृषि और पशुपालन व्यापार का बहुत महत्व है। इस विविधतापूर्णता के साथ-साथ, आधुनिक युग में स्वास्थ्य और पोषण के मामले में एक स्थिर बदलाव आया है। इस बदलाव के साथ, खासकर भारत में स्वाइन फार्मिंग का महत्व भी बढ़ गया है।स्वाइन फार्मिंग का महत्व आजकल भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जा रहा है। यह व्यवसाय न केवल खाद्य संरक्षण में मदद करता है, बल्कि लाभकारी व्यवसाय के रूप में भी प्रतिष्ठित है।

महतव

  1. आहारसुरक्षा – स्वाइन मांस आजकल भारतीय जनता के लिए मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है। इसकी मांग में वृद्धि देखी जा रही है, जिससे इस उत्पाद की महत्वता और बढ़ जाती है। स्वाइन फार्मिंग इस खाद्य संबंधी मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  2. रोजगारका अवसर – स्वाइन फार्मिंग व्यवसाय में लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त होता है। यह किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिससे गरीबी की समस्या का समाधान हो सकता है।
  3. आर्थिकविकास – स्वाइन फार्मिंग उद्यम एक अच्छा आर्थिक विकास का माध्यम है। यह न केवल किसानों को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, बल्कि कृषि सेक्टर में निवेश को भी बढ़ावा देता है।

दायरा

  1. खाद्यसंबंधित उत्पादों की वृद्धि – स्वाइन फार्मिंग का दायरा आहार संबंधित उत्पादों के विस्तार में मदद करता है। इससे न केवल स्वाइन मांस की मांग को पूरा किया जा सकता है, बल्कि इससे संबंधित उत्पादों की बढ़ती मांग को भी ध्यान में रखा जा सकता है।
  2. अनुप्रयोगिताऔर तकनीकी उन्नति – आधुनिक तकनीकी उन्नति के साथ, स्वाइन फार्मिंग की प्रणालियों में भी सुधार किया जा सकता है। यह उत्पादकता में वृद्धि करके और उत्पादन की गुणवत्ता को बढ़ाकर किसानों को अधिक लाभ प्रदान कर सकता है।
  3. उत्पादकताऔर गुणवत्ता – स्वाइन फार्मिंग का दायरा उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि कर सकता है। अधिक उत्पादन और उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता के कारण यह सेक्टर आर्थिक रूप से प्रभावशाली हो सकता है।

स्वाइन फार्मिंग एक उत्कृष्ट विकल्प है जो आज के समय में भारत में खासतौर पर कृषि और पशुपालन क्षेत्र में अधिक आवश्यक हो रहा है। इसके माध्यम से न केवल खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है, बल्कि रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाया जा सकता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया जा सकता है।

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