सिंथेटिक दूध (नकली दूध) : मानव स्वास्थ्य के लिए एक चुनौती

0
496

भारत लगभग 165 मिलियन टन दूध का वार्षिक उत्पादन कर विश्व में शीर्ष दूध उत्पादक देश है। लेकिन देश में सिंथेटिक दूध के पकडे आने की घटनाये भारत की इस उपलब्धि को बेकार बना देती है । तरल दूध शिशुओं तथा वृद्धो के लिए एक अनिवार्य पोषण आहार है । प्राकृतिक दूध के स्थान पर रासायनिक रूप से संश्लेषित दूधिया तरल (सिंथेटिक दूध) गंभीर चिंता का विषय है, डेयरी उद्योग विभिन्न प्रकार से दूध का परीक्षण करता है,जैसे कि दूध में वसा तथा दूध के अन्य घटक जैसे प्रोटीन, लाक्टोस आदि का निर्धारण करना पर ये परीक्षण किसी भी स्थान पर नहीं किया जा सकते तथा इन घटकों के निर्धारण में समय भी अधिक लगता है ।

सिंथेटिक दूध,प्राकृतिक दूध का एक उत्कृष्ट अनुकरण (नकल) प्रस्तुत करता है । क्योंकि सिंथेटिक दूध तैयार करने में जो वनस्पति तेल मिलाया जाता है वह दूध के वसा की तरह नकल करता है जबकि सिंथेटिक दूध में मिलाया गया यूरिया दूध में उपस्थित नाइट्रोजन के जैसा व्यहार करता है, जबकि सिंथेटिक दूध में डिटर्जेंट इसमे झाग उत्पन्न करने के लिए डाला जाता है । यह मिश्रण इतनी कुशलता से तैयार किया जाता है कि सिंथेटिक दूध का विशिष्ट घनत्व प्राकृतिक दूध के समान हो जाता है । इस मिश्रण को बाद में प्राकृतिक दूध के साथ भिन्न अनुपात में मिश्रित किया जाता है, तथा इस तरह के दूध से विभिन्न तरह के दुग्ध उत्पाद अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से बनाये जाते हैं, हालिया रिपोर्ट में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने सुझाव दिया है, कि ऐसे सिंथेटिक दूध एवं इनसे बने उत्पादों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है तथा इस तरह के दूध में मिले विभिन्न घटक कैंसरकारक एवं मानव शरीर में जीर्णता उत्पन करने वाले भी हो सकते है।

सिंथेटिक दूध क्या है ?
प्राकृतिक दूध को निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है, यह एक ताजा, साफ, दुधारू पशुओ के अयन द्वारा (लैक्टियल) प्राप्त एक स्त्राव है जो कि स्वस्थ दूध देने वाले पशुओ से ब्यांत के 15 दिन पहले तथा ब्यांत के 5 बाद प्राप्त होता है। जबकि सिंथेटिक दूध, दूध ही नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से एक उच्च स्तर के साथ मिलावट किया हुआ अलग घटक है, जो कि दूध की मात्रा में वृद्धि करने के लिए और अंततः अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से तैयार किया हुआ पदार्थ है। आम तौर पर यह पानी का चूर्णित डिटर्जेंट या साबुन, सोडियम हाइड्रोक्साइड, वनस्पति तेल, नमक और यूरिया का मिश्रण है, जिसके साथ कुछ मात्रा में दूध हो सकता है । सिंथेटिक दूध का निर्माण तथा दूध में मिलावट आसानी से किया जा सकता है अतः दूध उत्पादन करता एवं छोटे दूध व्यापारी और दुग्ध उत्पादों के निर्माता अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से सिंथेटिक दूध का निर्माण करते है।

READ MORE :  CONCEPT OF PHASE FEEDING FOR MORE MILK YIELD IN DAIRY CATTLE

सिंथेटिक दूध के अवयव
पानी :- पानी का प्रयोग एक विलायक माध्यम की तरह किया जाता है जिसमे तैयारी के अन्य सभी घटकों को आसानी से मिलाया जाता है एवं जल मिलाये गये सभी घटकों कों प्राकृतिक दूध के समकक्ष स्थिरता प्रदान करता है ।
चीनी :- चीनी का उपयोग सिंथेटिक दूध में मिठास समायोजित करने तथा दूध के अधिक समय तक भण्डारण से उत्पन्न होने वाले खट्टेपन कों दूर करने के लिए किया जाता है ।
स्टार्च:- स्टार्च सिंथेटिक दूध में प्राकृतिक दूध की तरह गाढ़ापन तथा प्राकृतिक दूध से अधिक से अधिक सादृश्यता उत्पन्न करने के लिये दूध में मिलाया जाता है ।
यूरिया :- यह आम तौर पर सिंथेटिक दूध में इसकी नाइट्रोजन सामग्री को बढ़ाने के लिए समायोजित किया जाता है ताकि यह प्राकृतिक दूध में उपस्थित नाइट्रोजन की तरह व्यवहार प्रदर्शित कर सके। तथा सिंथेटिक दूध को दूधिया रंग प्रदान करने के लिए भी यूरिया का प्रयोग किया जाता है।
ग्लूकोज:- सिंथेटिक दूध में मिठास बढ़ाने के लिए ग्लूकोज मिलाया जाता है साथ ही साथ यह दूध में गाढ़ापन भी पैदा करता है जोकि सिंथेटिक दूध कों प्राकृतिक दूध जैसा दिखने में अधिक मददगार साबित होता है।
न्यूट्रलाइज़र:- सिंथेटिक दूध की अम्लता को दूर करने के लिए विभिन्न तत्व जैसे सोडियम कार्बोनेट और सोडियम हाइड्रोक्साइड मिलाया जाता है।
डिटर्जेंट:- डिटर्जेंट में झाग उत्पन्न करने का गुण होता है, अतः मिलावटखोर इसका उपयोग सिंथेटिक दूध में प्राकृतिक दूध कि तरह झाग उत्पन्न करने के लिए करते है।
वनस्पति तेल:- सिंथेटिक दूध में प्राकृतिक दूध कि तरह वसा कि उपस्थिति प्रदर्शित करने के किये यह घटक दूध में मिलाया जाता है ।
सिंथेटिक दूध के विभिन्न अवयवो का मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव
दूध में मिलावट के लिए पानी मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यह केवल दूध के घनत्व कों ही कम नहीं करता अपितु यह दूध में उपस्थित सभी प्राकृतिक वांछनीय पोषक तत्वों की मात्रा कों भी कम कर देता है। अगर मिलावट में इस्तेमाल किया जल दूषित है तो इसकी वजह से अन्य हानिकारक रोग जैसे हैजा, टाइफाइड, शिगेला, मेनिन्जाइटिस और हैपेटाइटिस ए और ई तथा अन्य बीमारियाँ हो सकती है। चीनी सिंथेटिक दूध में मिठास प्रदान करता है, सामान्य दूध मे उपस्थित लाक्टोस का मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव नहीं होता परन्तु सिंथेटिक दूध में खराब गुणवत्ता कि चीनी का प्रयोग हानिकारक हो सकता है, तथा मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह अत्यंत हानिकारक है।

READ MORE :  Managing Dairy Cattle  During Summer in India: Practical Approaches

यूरिया एक पानी में घुलनशील पदार्थ है, यूरिया सामान्यतः दूध में कम मात्रा में पाया जाता है परन्तु सिंथेटिक दूध में यह पदार्थ दूध कों गढ़ा बनाने के लिए किया जाता है, और इसकी अधिक मात्रा उपभोक्ताओ के लिए विषाक्तता का भी कारण हो सकती है । हाल ही में एक भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रिपोर्ट ने सुझाव दिया है, कि यूरिया का दूध में मिलावट मनवो में कैंसर का भी कारण हो सकता है सिंथेटिक दूध में डिटर्जेंट की उपस्थिति अत्यधिक हानिकारक हो सकती क्योंकि अधिकांश डिटर्जेंट डाइऑक्साइन उत्पन्न करते है जोकि एक कैंसर करक तत्व है। डाइऑक्साइन के अतिरिक्त डिटर्जेंट अन्य विषाक्त पदार्थ जैसे सोडियम लॉरिल सल्फेट (एसएलएस) नोनिलफेनोल एथोक्सिलेट, और फॉस्फेट भी डिटर्जेंट से उत्पन्न होते है, विभिन्न अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि सोडियम लॉरिल सल्फेट किसी भी रूप उपस्थित होने पपर यह आंख और त्वचा में जलन का कारण बनता है, साथ ही साथ यह अंग विषाक्तता, न्यूरोटॉक्सिसिटी, विकास और प्रजनन विषाक्तता, अंतःस्रावी व्यवधान, उत्परिवर्तन, शुक्राणुओं की संख्या में कमी , मृत्यु दर में वृद्धि और कैंसर कारक होते है । न्यूट्रलाइज़र के रूप में सबसे अधिक सोडियम हाइड्रोक्साइड का प्रयोग होता है जोकि बहुत हनिकारक हो सकता है, क्योंकि यह अन्तर्ग्रहण के पश्चात् पेट में जलन तथा दर्द उत्पन्न कर सकता है । सोडियम कार्बोनेट को भी के न्यूट्रलाइज़र रूप में प्रयोग किया जाता है जोकि सोडियम हाइड्रोक्साइड के सामान प्रभाव उत्पन्न कर सकता है ।

प्राकृतिक और सिंथेटिक दूध के भौतिक और रासायनिक गुण जिनके आधार पर दोनों में अंतर
गुण सिंथेटिक दूध प्राकृतिक दूध
भौतिक
रंग सफेद सफेद
स्वाद कड़वा स्वादिष्ट
भंडारण भंडारण कुछ देर के बाद पीली हो जाती है रंग में कोई परिवर्तन नहीं
बनावट रगड़ने के बाद साबुन जैसा महसूस होना रगड़ने के बाद साबुन जैसा महसूस नहीं होता है
उबलना पीला हो जाता है पीला नहीं होता है
रासायनिक
वसा 4.5% 4.5%
पीएच अत्यधिक क्षारीय, 10.5 थोड़ा अम्लीय, 6.4-6.8
यूरिया परीक्षण तीव्र पीला रंग हल्के पीले रंग का रंग
यूरिया 14 मिलीग्राम / मिलीलीटर 0.2-0.7 मिलीग्राम / मिलीलीटर
चीनी टेस्ट (Resorcinol) घनात्मक ऋणात्मक
न्यूट्रलाइज़र टेस्ट घनात्मक ऋणात्मक

READ MORE :  Effect of Flooring and Flooring Surfaces on Lameness Disorders in Dairy Cattle

निष्कर्ष
सिंथेटिक दूध के घटक जैसे यूरिया, डिटर्जेंट और न्यूट्रलाइज़र बहुत ही हानिकारक और विषाक्त प्रकृति के होते हैं । अन्य घटक जैसे कि पानी, चीनी और स्टार्च का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए गंभीर नहीं होता है पर इनकी खराब गुणवत्ता (भोजन या माइक्रोबियल) स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हो सकते है, नियमित रूप से प्राकृतिक दूध के स्थान पर सिंथेटिक दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर है, एवं ये उपभोक्ताओं में प्राकृतिक पोषक तत्वों की कमी का भी कारण हो सकते है, जिसके अन्य हानिकारक प्रभाव हो सकते है। उपभोक्ताओ कों जागरूक कर तथा सख्त खाद्य कानूनों को लागू कर सिंथेटिक दूध के वितरण कों प्रतिबंधित किया जाना चाहिये । सामान्य परीक्षण विधियों जोकि दूध के प्राकृतिक गुणों पर आधारित है का प्रयोग कर सिंथेटिक दूध और प्राकृतिक दूध में अंतर किया सकता है,एवं सिंथेटिक दूध के दुश्प्रभाओ से बचा जा सकता है ।

लेखक
डॉ.चूड़ामणि चंद्राकर, डॉ. संजय शाक्य, डॉ अजय कुमार चतुर्वेदानी, डॉ.सुधीर जायसवाल*
पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा, दुर्ग, छत्तीसगढ़- 491001

*भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़तनगर, बरेली, उत्तर प्रदेश

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON