पशु स्वास्थ्य पर प्लास्टिक/ पॉलिथीन का दुष्प्रभाव
डॉ० कौशल कुमार 1, डॉ० राज किशोर शर्मा 2, डॉ० गोविंद कुमार चौधरी 3, डॉ० पंकज कुमार 4, डॉ० मनोज कुमार सिंह 5
सह प्रध्यापक, पशु व्याधि रोग विज्ञान विभाग 1, प्रध्यापक, परजीवी विज्ञान विभाग 2,4, औषधि एवं विष विज्ञान विभाग 3,
सहायक प्रध्यापक पशु शरीर रचना विभाग 5
बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय पटना – 14
पॉलिथीन के अत्यधिक उपयोग या दुरूपयोग ने आज पशुओं में एक ज्वलंत, गम्भीर एवं चिंतनीय स्वास्थ्य संबंधी समस्या उत्पन्न कर दी है। पॉलिथीन एक ऐसा पदार्थ है जिसे इंसान ने बनाया तो अवश्य है पर इसे नष्ट करना काफी मुश्किल है। प्लास्टिक या इससे बने उत्पाद विशेष रूप से पॉलिथीन, दुधारू पशुओं जैसे गाय, भैंस आदि जानवरों के लिए बेहद खतरनाक है। पॉलिथीन खाने की वजह से बड़ी संख्या में पशुओं की मृत्यु हो रही है।
पॉलिथीन के पशुओं के शरीर में प्रवेश करने के स्त्रोत:
- हल्काहोने के कारण पॉलिथीन का दूरदराज के खेत, खलिहानों एवं चारागाहों में पहुँच जाना।
- बचेहुए भोजन,सब्जियों के पत्ते एवं अन्य किचेन वेस्ट को पॉलिथीन के थैले में बंधाकर कूड़ेदान या सड़क के किनारे फेंक देना।
- शादी-विवाहएवं अन्य समारोहों,आयोजनों आदि में भी पॉलिथीन से बने थैलाों में बचे हुए खाद्य पदार्थ आदि को बहा दिया जाना।
- विभिन्नमंदिरों/धार्मिक स्थलों के किनारे नदियों में पॉलिथीन में भरकर फल के छिलके, हरे पत्ते, भोज्य पदार्थ आदि को बहा दिया जाना जो कई किलोमीटर तक बहकर उस जगह पर जमा हो जाता है जहा विभिन्न पालतू एवं अन्य जंगली जानवर इसे खा लेते हैं एवं दूषित पानी को पी लेते हैं।
पॉलिथीन के अवगुण :
- पॉलिथीनका सबसे बड़ा अवगुण यह है कि वह पर्यावरण में गलता नहीं है।
- इसकोगलकर समायोजित होने में तीन सौ से पांच सौ वर्ष तक का समय लग सकता है।
- 40 माइक्रोनसे नीचे वाले पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये विषैले रसायन भी छोड़ते हैं। ये रसायन पशु के रक्त में समाहित हो जाते हैं जिससे पशु मे विषाक्तता हो सकती है।
पशुओं की पाचन क्रिया :
हमारे पशुओं में विशेष कर दुधारू पशु अखाद्य पदार्थ को खाद्य पदार्थ से छांटकर अलग नहीं कर पाते हैं। खाने की सामग्री के साथ-साथ अन्य चीजें जैसे- कागज, सूई, काँटी, कपड़ा, पॉलिथीन आदि भी ग्रहण कर लेते हैं। जब पशु पॉलिथीन खा लेते हैं तो जल्द या अचानक उनकी मौत नहीं होती है बल्कि पशुओं की पाचन संबंधी समस्याए उत्पन्न होने लगती है। पॉलिथीन चिकना,लचीला एवं स्वादरहित होता है जिसे पशु आसानी से अन्य सामाग्रियों के साथ इसे निगल लेते हैं।
पॉलिथीन का पशुओं के शरीर में दुष्प्रभाव:
- पॉलिथीनपशुओं के पेट/आँत में इकट्ठा हो जाता है, कभी कभी गोबर से बाहर आ जाता है नहीं तो अंदर ही चिपक जाता है।
- लंबेसमय के सेवन से पशुओं के पेट में पॉलिथीन धीरे-धीरे जमा होते जाता है एवं धीरे धीरे जमा होकर कड़ा गेंद या रस्से का रूप ले लेता है।
- जैसे-जैसेसमय बीतता है पेट की जगह कम होते जाती है। इससे पशु की पाचन क्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है।
- पशुओंको पाचन संबंधी समस्याएँ जैसे भूख न लगना, दस्त एवं गैस (अफरा) जैसी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होने लगती है।
- धीरे-धीरेपशुओं का स्वास्थ्य खराब होने लगता हैं। पशु बेचैनी महसूस करता है एवं पेट दर्द की भी शिकायत होती है।
- पॉलिथीनपशुओं के लिए साइलेन्ट किलर (Silent Killer) के रूप में कार्य करता है।
उपचार:
प्रथम दृष्टि में ईलाज हेतु इस तथ्य की जानकारी नहीं हो पाती है कि बीमारी का कारण पॉलिथीन है एवं वह कितनी मात्रा में इसके अंदर है। अंततः पशु कमजोर होने लगता है, दुग्ध का उत्पादन घटने लगता है एवं पशुपालकों को आर्थिक क्षति होने लगती है। जब किसी पशु के पेट में प्रचुर मात्रा में पॉलिथीन इकट्ठा हो जाता है तो अन्य बीमारियों की तरह इसका कोई दवा, सूई, गोली या चूरण आदि से उपचार नहीं किया जा सकता है। पॉलिथीन एवं इसके साथ अन्य सामग्रियों को आँपरेशन के द्वारा पेट से निकालना ही इसका एकमात्र उपचार है।
सुझाव :
ईलाज से बेहतर है बचाव के सिद्धांत को अपनाते हुए पशुओं में पॉलिथीन के प्रकोप को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाना । हमें अपने चारों तरफ पॉलिथीन मुक्त समाज बनाने की आवश्यक है हमें पॉलिथीन का विकल्प ढूंढने की भी आवश्यकता है। जनमानस को जागरूक करने एवं सरकार के तरफ से भी कुछ सख्त कानून लाए जाने पर ही हम इस भयावह स्थिति से अपने एवं पशुओं के चारों तरफ फैले पॉलिथीन के दुष्प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।
- खाद्यपदार्थो, हरी सब्जी के छिलके आदि को पॉलिथीन में बंद कर सड़क किनारे, रेल पटरी के किनारे या खेत-खलिहान, नदी-तालाब में या उनके किनारे नहीं फेंकना चाहिए।
- पॉलिथीनके कैरी बैग एवं लिफाफे पर कानूनी रूप् से लगाए गए प्रतिबंध का पालन किया जाना चाहिए।
- पॉलिथीनका प्रयोग कम-से-कम या बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए एवं सही ढ़ंग से उसका निष्पादन करना चाहिए।
- यथासंभवअपने पशुओं को ऐसे स्थानों के आस-पास नहीं चरने देना चाहिए जहा पॉलिथीन की बहुलता वाले कचड़े हों।
- सड़ककिनारे आवारा पशुओं में इसका खतरा कुछ ज्यादा ही होता है पशुपालकों को अपने पशुओं को आवारा नहीं छोड़ना चाहिए।