जापानी बुखार: कारण, लक्षण, और रोकथाम
गौरी चंद्रात्रे और पंकज कुमार
पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान विभाग, लुवास, हिसार
परिचय
जापानी बुखार, जिसे जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) के नाम से भी जाना जाता है, एक वायरल बीमारी है, जो मस्तिष्क की सूजन का कारण बनती है। यह बीमारी मुख्य रूप से एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है और फ्लैविवायरस परिवार के वायरस द्वारा होती है। इसका प्रमुख वाहक क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर हैं, जो संक्रमित जानवरों से वायरस को मनुष्यों में फैलाते हैं ।
जापानी बुखार का कारण
जापानी बुखार का मुख्य कारण जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) है। यह वायरस जंगली पक्षियों और सूअरों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। संक्रमित मच्छर इन जानवरों से वायरस प्राप्त कर मनुष्यों को संक्रमित करते हैं। यह वायरस मुख्य रूप से ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में फैलता है, जहाँ मच्छरों का प्रजनन जलभराव वाले इलाकों में होता है ।
वायरस का जीवन चक्र
- मच्छरवाहक: क्यूलेक्स मच्छर, विशेषकर क्यूलेक्स ट्राइटेनिओरहिनकस, इस वायरस के प्रमुख वाहक हैं।
- प्राकृतिकमेजबान: जंगली पक्षी और सूअर इस वायरस के प्राथमिक मेजबान होते हैं, जहाँ यह बिना लक्षणों के जीवित रह सकता है ।
मानसून के मौसम में, जब जलभराव और मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है, तो वायरस का संक्रमण तेज़ी से फैलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां लोग कृषि कार्यों में व्यस्त रहते हैं, यह बीमारी अधिक देखने को मिलती है।
लक्षण और जटिलताएँ
जापानी बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 5 से 15 दिनों के भीतर प्रकट होते हैं। प्रारंभिक लक्षण सामान्य वायरल बुखार जैसे हो सकते हैं, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर ये मस्तिष्क को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रारंभिक लक्षण
- तेजबुखार
- सिरदर्द
- उल्टी
- थकानऔर मांसपेशियों में दर्द
गंभीर लक्षण
- भ्रमऔर चक्कर
- मस्तिष्ककी सूजन
- दौरे
- बेहोशीऔर कोमा
लगभग 1% संक्रमित लोग ही गंभीर लक्षणों का अनुभव करते हैं, लेकिन उनमें से भी कई की स्थिति गंभीर हो जाती है। यह बीमारी बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष रूप से घातक साबित हो सकती है। बचे हुए रोगियों में मानसिक विकलांगता, मांसपेशियों की कमजोरी, और दीर्घकालिक तंत्रिका संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं ।
निदान और उपचार
जापानी बुखार का निदान करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर रक्त परीक्षण और सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF) परीक्षण करते हैं, जिनसे शरीर में वायरस के खिलाफ उत्पन्न एंटीबॉडी का पता चलता है चूंकि यह वायरस मस्तिष्क को प्रभावित करता है, कभी-कभी डॉक्टर मस्तिष्क की जांच (जैसे CT या MRI स्कैन) की सलाह भी देते हैं ।
उपचार
इस बीमारी का कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। चिकित्सा उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने पर केंद्रित होता है:
- तेजबुखार और सूजन को कम करने के लिए दवाइयाँ
- मस्तिष्कमें सूजन को नियंत्रित करना
- दौरेको रोकने के लिए एंटीकोन्वल्सेंट्स का उपयोग
गंभीर मामलों में रोगी को ICU में गहन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है , उचित देखभाल और समय पर उपचार से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
रोकथाम के उपाय
जापानी बुखार से बचाव के लिए मच्छरों से बचाव करना सबसे महत्वपूर्ण है, इसके लिए सामुदायिक स्तर पर और व्यक्तिगत तौर पर दोनों स्तरों पर उपाय किए जा सकते हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर बचाव
- मच्छरदानीका उपयोग
- मच्छर-रोधीक्रीम और स्प्रे लगाना
- पूरीआस्तीन के कपड़े पहनना, खासकर शाम और रात के समय
सामुदायिक स्तर पर प्रयास
- मच्छरोंके प्रजनन स्थलों को नष्ट करना
- जलभरावको रोकने के उपाय
- मच्छरनियंत्रण अभियान
टीकाकरण
जापानी बुखार के लिए प्रभावी टीके उपलब्ध हैं, जो जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और यात्रा करने वालों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। भारत सरकार भी कई प्रभावित राज्यों में नियमित टीकाकरण अभियान चलाती है । यह टीका मुख्य रूप से बच्चों को लगाया जाता है, ताकि उन्हें इस जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके।
निष्कर्ष
जापानी बुखार एक गंभीर बीमारी है, जो मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती है और घातक साबित हो सकती है। यह बीमारी उन क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है, जहाँ मच्छरों की संख्या अधिक है। इसलिए, मच्छरों से बचाव के उपाय और टीकाकरण ही इसका सबसे प्रभावी समाधान हैं। सामुदायिक जागरूकता और सरकार की ओर से समय-समय पर उठाए गए कदम इस बीमारी पर काबू पाने में सहायक हो सकते हैं। सही समय पर निदान और उपचार से इसके गंभीर प्रभावों को कम किया जा सकता है।