प्योमेट्रा (PYOMETRA) : मादा कुत्तों में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या
संजू मंडल, अनिल गट्टानी, शुभ्रदल नाथ, आनंद कुमार जैन, प्रगति पटेल, पूर्णिमा सिंह
अमित कुमार, आफरीन खान एवं आदित्य मिश्रा
पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर
अन्य नाम- गर्भाशय मवाद, गर्भाशय, संक्रमण सवंमित गर्भाशय, गर्भाशय पुस्टुला
प्योमेट्रा क्या हैः-
प्योमेट्रा कुत्तों में होने वाली गंभीर गर्भाशय का संक्रमण है जिससे गर्भाशय में मवाद भर जाता है। यह स्थिति स्वस्थ युवा कुत्तों से लेकर मध्यम आयु के कुत्तों में हो सकती है। यदि इसका इलाज समय पर न किया जाए तो प्योमेट्रा घातक हो सकता है।
यह स्थिति कुत्तों के प्रजनन पथ (ऋतुचक्र) में हार्मोनल परिवर्तनों के साथ-साथ प्रवेश किये गये जीवाणु जैसे – म्ण् ब्वसपए के द्वारा होता है।
रोग कारकः-
हार्मोनल परिवर्तनः ऋतुचक्र के बाद प्रोजेस्टेरोन की मात्रा लगभग 8-10 सप्ताह तक उच्च स्तर पर बना रहता है यदि कई ऋतु चक्र के बाद भी गर्भधारण नहीं होता है तो इससे गर्भाशय की दीवार मोटी एवं सिस्टिक हो जाती है जो कि जीवाणु के विकास के लिये अनुकूल परिस्थिति बनाता है।
अन्य कारणः-
गर्भधारण की रोकथाम के लिए उपयोग किये गए इस्ट्रोजन इंजेक्सन
प्रसव के बाद गर्भाशय की दीवार में सूजन
नसबंदी नहीं कराना
गर्भाशय का संक्रमण
मूत्रमार्ग में संक्रमण
प्योमेट्रो के प्रकार – यह दो प्रकार के होते हैं –
- खुला प्योमेट्रो –(Open Pyometra)
गर्भाशय ग्रीवा खुली रहती है जिससे मवाद बाहर निकल जाता है। मादा कुत्ते की योनि से दुर्गंधमय स्त्राव होता है।
- बंद प्योमेट्रो–(Closed Pyometra)
मवाद गर्भाशय में एकत्रित हो जाता है। जीवाणु विषाक्त पदार्थों को छोड़ देते है, जो रक्त स्तर में अवशोषित हो जाते है।
लक्षणः-
भूख कम लगना, बुखार, सुस्ती
प्यास लगना, हाँफना
उल्टी अना, वजन में कमी, दस्त, पेट फूलना
मूत्र उत्सर्जन में तकलीफ
गर्भाशय में सूजन
पीले मसूड़े
निदानः-
- शारीरिक परीक्षण – लक्षण देखकर पाइमेट्रा की पहचान करना जैसे- योनि से दुर्गंधयुक्त स्त्राव, अधिक पानी पीना,
- रक्त परीक्षण – सफेद रक्त कोशिका बढ़ जाती है।
– ग्लोब्युलिन प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।
– रक्त यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है।
- रेडियोग्राफी – गर्भाशय का आकार बढ़ा हुआ मिलता है।
- सोनोग्राफी – गर्भाशय की परत मोटी एवं मवाद युक्त गर्भाशय।
उपचारः-
लक्षण दिखने पर तुरंत पशुचिकित्सक से परामर्श करें।
औषधीय उपचारः-
- जीवाणुरोधी – जीवाणु के संक्रमण रोकने के लिए
जैसे- सेफट्राइक्जोन – 10-25 मि.ग्रा/कि.ग्रा. ठण्ॅजण् 5-7 दिन के लिए
एमोक्सीसिलीन – 10-20 मि.ग्रा./कि.ग्रा. ठण्ूज दिन में 2 बार (5-7 दिन के लिए)
- दर्द निवारक – एन.एस.ए.आई.डी. ;छै।प्क्द्ध
- द्रव चिकित्सा ;सिनपक जीमतंचलद्ध -निर्जलीकरण को रोकने के लिए
- गर्भाशय की सफाई – बीटाडीन एवं मेट्रोनिडाजोल से सफाई करते हैं।
शल्य चिकित्सा – गर्भाशय को शल्यक्रिया द्वारा निकाला (ओवेरियो हिस्टेरेक्टोमी) जाता है।
रोकथामः-
नसबंदी कराना।
हार्मोनल संतुलन बनाए रखना।
नियमित स्वास्थ जांच।
स्वस्थ आहार।
नियमित व्यायाम और खेल।
गर्भधारण के बाद कुत्ते की देखभा।