पशुओं में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक

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पशुओं में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक
भारत में पशुओं की संख्या विश्व में किसी भी देश से अधिक है, तथा दुग्ध उत्पादन की स्थिति विश्व में प्रथम होते हुए भी अत्यंत चिंताजनक है। भारत में प्रति पशु दुग्ध उत्पादन कम होने के कारण दूध के मूल्य में बृद्धि होने के उपरान्त भी उत्पादन लागत के सापेक्ष्य आर्थिक लाभ कम है। पशुपालक के आर्थिक हित के लिए एवं प्रति पशु दुग्ध उत्पादन विश्व स्तर पर लाने के लिए जानी पहचानी नस्ल एवं उच्च अनुवांशिकी गुणों वाली संतति को उत्पन्न करना है। इसके लिए राष्टज्डीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय ने पशु नस्ल सुधार क्षेत्र में भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक को सफलतापूर्ण संचालित करने की पहल की है।

भ्रूण प्रत्यारोपण क्या है?
अति विशिष्ट नस्ल की गायों को हारमोन्स की सूई लगाकर बहुडीक्ब क्षरण द्वारा एक से अधिक अण्डें तैयार किये जाते है। इन अंडों को दाता गाय के गर्भाशय में अति विशिष्ट सांड के वीर्य से कृत्तिम गर्भाधान या नैसर्गिक विधि द्वारा निबेचन कराया जाता है। इसके पश्चात् भ्रूणों का संग्रह कर अन्य पालक गाय में प्रत्यारोपण कर संतति प्राप्त की जाती है। इस प्रक्रिया को भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक कहते हैं।
1.भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से लाभ – एक गाय से उसके जीवन काल में 5-10 बच्चे ही उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक द्वारा एक गाय से औसतन 5-8 भ्रूण प्राप्त कर उन्हें अन्य पालतू गाय में प्रत्यारोपित कर एक वर्ष में 5 से 10 उन्नतशील नस्ल की संततिया° प्राप्त की जा सकती है।
2. इस विधि द्वारा जुड़वा बछडे़ं या बछिया° प्राप्त किये जा सकते है।
3. कम आयु के नर व मादा पशु का चयन कर उनसे संततिया° प्राप्त की जा सकती है।
4. भ्रूण को एक शहर, राज्य या देश से दूसरे शहर, राज्य या देश में ले जाना आसान है।
5. भ्रूण को हिमीकृत कर वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
6. सांड में अनुवांशिक गुण व दोषों की पहचान की जा सकती है।
7. गाय का शीघ्र संतति परीक्षण किया जा सकता है।अति विशिष्ट नस्ल की गायों को हारमोन्स की सूई लगाकर बहुडीक्ब क्षरण द्वारा एक से अधिक अण्डें तैयार किये जाते है। इन अंडों को दाता गाय के गर्भाशय में अति विशिष्ट सांड के वीर्य से कृत्तिम गर्भाधान या नैसर्गिक विधि द्वारा निबेचन कराया जाता है। इसके पश्चात् भ्रूणों को संग्रह कर अन्य पालक गाय में प्रत्यारोपण कर संतति प्राप्त की जाती है। इस प्रक्रिया को भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक कहते हैं।
8. इस विधि के द्वारा संक्रामक रोगों की रोकथाम आसानी से की जा सकती है।
9. इस विधि से रोग-रोधक क्षमता वाले संतति उत्पन्न की जा सकती है।
10. पशुओं में बा°झपन की समस्या का समाधान आसानी से हो जाता है।
11. इस विधि से संकर नस्ल के पशु बाजार के अनुरुप उत्पन्न किये जा सकते है।
12. चयनित पशुओं की संख्या में तीव्र गति से बृद्धि की जा सकता है।
13. उम्रदराज पशु या बूचड़खाने में भेजी जाने वाली उच्च गुणवत्ता वाली मादा पशु से असाइट संकलित कर उन्हें परखनली विधि से निषेचित कर भ्रूण प्राप्त कर भ्रूण प्रत्यारोपित कर संतति प्राप्त किया जा सकता है।

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भ्रूण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया
1. दाता तथा पालतू गायों का चयन वांछित तथा पालतू गायों पर दाता गाय का चयन किया जा सकता है। भ्रूण प्रत्यारोपण की सीमा
2. पालतू गाय स्वस्थ, सामान्य प्रजनन अंगों तथा सामान्य ऋतुचक्र वाली चयन करनी चाहिए।
3. दाता गाय को गोनेडोटोपिन हारमोन के द्वारा बहुडिम्ब क्षरण से एक से अधिक अण्डे़ उत्पन्न करवाए° जाते हैं।
4.बहुडिम्ब क्षरण आरम्भ होने के 5 वें दिन 12 घंटों के अन्तराल पर 2-3 बार कृत्तिम गर्भाधान या नैसर्गिक विधि द्वारा अंडों को निबेचन कराया जाता है।

5. दाता गाय के ऋतुचक्र में आने के 7 दिन बाद गर्भाशय से भ्रूण निकाल लिए जाते है।
6. संकलित भ्रूण की सूक्ष्मदर्शी यंत्र से जा°च कर सामान्य भ्रूण को अलग कर बफर मीडिया में संरक्षित किया जाता है।
7. पालतू गाय जिसका मदकाल दाता गाय के साथ आया हो उसमें भ्रूण का प्रत्यारोपण शैल्य क्रिया द्वारा किया जाता है।
8. यदि पालतू गाय तुरन्त उपलब्ध नहीं हो या प्रत्यारोपण तुरन्त नहीं करना हो तो भ्रूण की हिमीकृत कर तरल नेत्रजन में अनिश्चित काल के लिए संचय किया जा सकता है।

भ्रूण प्रत्यारोपण की सीमा
1. निपुण पशु चिकित्सक एवं विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है।
2. दाता गाय से भ्रूण प्राप्त करना खर्चीला एवं जटिल प्रक्रिया है।
3. पालतू गाय के बृद्धि एवं चारे पर खर्च करना पड़ता है।बहुडिम्ब क्षरण आरम्भ होने के 5 वें दिन 12 घंटों के अन्तराल पर 2-3 बार कृत्तिम गर्भाधान या नैसर्गिक विधि द्वारा अंडों को निबेचन कराया जाता है।
4. दाता एवं पालतू गाय के लिए उच्च मानक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।

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पशु पालक भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का लाभ लेकर अनुवांशिक गुणों वाले पशु से अतिविशिष्ट अनुवांशिक गुणों वाले संतति प्राप्त कर कम लागत में गौपालन या भैंस पालन व्यवसाय आरम्भ कर सकते हैं।

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