बदलते मौसम में बकरियों के पोषण विषय पर कार्यशाला का आयोजन 

0
295

 

बदलते मौसम में बकरियों के पोषण विषय पर कार्यशाला का आयोजन 

पशुधन प्रहरी नेटवर्क , 17/11/2019

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसमे विशेषज्ञों द्वारा बदलते मौसम में बकरियों के पोषण और उनके रख-रखाव पर चर्चा हुई। भा०कृ०अ०प० के नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजुकेशन प्रोजेक्ट के तहत आयोजित इस कार्यशाला में बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे। कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने किया। विशेषज्ञों और अन्य लोगो का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसन्धान डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा की बिहार में बकरी पालन जीविकोपार्जन का एक बहुत सफल और बेहतर माध्यम है, कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली व्यवसायी होने के कारण ये निम्न वर्ग के किसानों और गरीबो के लिए आय का बढ़िया साधन मन जाता रहा है। कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा बताया जायेगा की कैसे बकरियों का रख-रखाव होना चाहिए, उनका पोषण क्या होना चाहिए और कैसे कम लागत में अधिक उत्पादन किया जाये। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की बकरी को पुअर मेन्स काऊ (गरीबों की गाय) कहा जाता रहा हैं, बिहार बकरी पालन में सर्वोच्च स्थान रखता है, इस क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरुरत है, लोगो को बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, यह कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा बताया जाएगा की कैसे बकरियों के विभिन्न प्रजातियों का ख्याल रखना है, कैसे उनका उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है साथ ही कम जगह और पूंजी में कैसे एक गरीब पशुपालक के आय को बढ़ाया जा सकता है। इस कार्यशाला में प्रशिक्षित होकर हमारे शिक्षक और विद्यार्थी फील्ड में जाकर किसानों-पशुपालकों को बकरी पालन के लिए प्रोत्साहित कर पाएंगे और सही सुझाव देने में सक्षम होंगे। विशेषज्ञ के तौर पर मौजूद सी.एस.डब्ल्यू.आर.आई, अविकानगर, राजस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुरेंदर संख्यान ने बकरियों के प्रजाति जिनमे मीट ब्रीड और पश्मीना ब्रीड के बारे में बताया, उन्होंने बकरियों के भोजन पर विशेष तौर पर अपनी बातें रखी, उन्होंने कहा की हरा चारा बकरियों के लिए पोषण का बेहतरीन और प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है, जो अत्यधिक पोषण देने वाला होता है, इसमें बकरियों के लिए प्रचुर मात्रा में मिनरल, विटामिन और मैक्रो और माइक्रो नुट्रिएंट्स पाया जाता है साथ ही यह सबसे सस्ता चारा होता है जिसे प्रयोग में लाया जाना चाहिए। उन्होंने अपने व्याख्यान में वर्तमान समय में फीड और चारे की उपलब्ध्ता पर भी बाते रखी साथ ही भेड़ पालन और बकरी पालन के बीच अंतर को भी समझाया।  भा०कृ०अ०प०, भारतीय पशु अनुसन्धान संस्थान, बर्रैकपोर, पश्चिम बंगाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ रासबिहारी भार ने कम से कम लागत वाली समेकित बकरी पालन और उसके उपयोग जो एक नवीनतम मॉडल बनकर आया है उसपर व्याख्यान दिया। सी.आई.आर.जी मखदूम, उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन. रामचंद्रन द्वारा शेल्टर मैनेजमेंट पर अपनी बातें रखी उन्होंने बकरी पालन के लिए जगह, शेल्टर की बनावट, लंबाई-चौड़ाई, उच्चाई, फर्श की बनावट, बेडिंग, साफ-सफाई के तरीके, वेंटिलेशन जैसे चीज़ो पर अपनी प्रस्तुति दी वहीं सी.आई.आर.जी मखदूम, उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार ने बकरियों के स्वास्थ्य प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. ए.के. ठाकुर, डीन डॉ. जे.के प्रसाद, कार्यशाला के को-ऑर्डिनेटर डॉ संजय सहित अन्य मौजूद थे।
Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON
READ MORE :  Cabinet approves Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana for boosting fisheries sector