दूध की जीवाणिक गुणवत्ता एवं दुग्ध प्रसंस्करण में स्वच्छ अभ्यास

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दूध की जीवाणिक गुणवत्ता एवं दुग्ध प्रसंस्करण में स्वच्छ अभ्यास

दूध और दूध उत्पाद सूक्ष्म जीवों के लिए अत्यंत पौष्टिक भोजन हैं, जिसमें कई गुणा तक सूक्ष्म जीव बढ़ सकते है और ये दूध की गुणवत्ता को बिगाड़ने का कारण बन सकता है। सूक्ष्म जीवों की मात्रा और प्रकार कच्चे दूध और दूध उत्पाद माल में सूक्ष्मजीव की मात्रा पर निर्भर करता हैं एवं जिन स्थितियों के तहत दूध उत्पादों का उत्पादन किया जाता है जैसे तापमान और भंडारण की अवधि। दूध एवं दूध उत्पाद को विकृत करने वाले सबसे आम सूक्ष्म जीव स्यूडोमोनस, कोलिफोर्म्स, बैसिलस, क्लस्ट्रिडियम, लैक्टिक एसिड उत्पादक बैक्टीरिया (उदाहरण के लिए स्ट्रेप्टोकोकस), खमीर और फफोंद है। डेयरी से संबंधित बीमारियां, अनुपयुक्त दूध में जीवाणिक उत्पत्ति (जैसे साल्मोनेला, लिस्टिरिया मोनोसाइटोजिन्स या कैंमपाईलोबैक्टर) एवं रोगजनक सूक्ष्म जीव युक्त दूध की खपत के कारण होती है।

इस लेख में दूध और तरल दूध उत्पादों के ऊष्मा प्रसंस्करण से संबंधित मुख्य जीवाणिक खतरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है एवं अच्छे स्वास्थ्य अभ्यास उपायों और डेयरी उत्पाद सुरक्षा प्रणालियों के महत्व पर चर्चा की गई है।

कच्चा दूध:

स्वस्थ गायों द्वारा स्त्रावित कच्चा दूध, सूक्ष्म जीवों से मुक्त होता हैं तथापि, थन की नलिका के साथ जुड़े सूक्ष्म जीव थन नलिका द्वारा थन के अंदर प्रवेश होते है।
कच्चे दूध में मौजूद अधिकांश जीवाणु बाहर और विभिन्न स्रोतों जैसे मिट्टी, बिस्तर, खाद, फीड आरै दुग्ध उपकरण से दूध में प्रवेश होते है इसलिए कच्चे दूध में जीवाणुओं का स्तर कुछ से कई हजारों तक होता है।
जीवाणिक गुणवत्ता और कच्चे दूध के जीवाणु की रचना ऋतु के साथ भिन्न होती है।
दूध की संभाल और प्रंसस्करण में सुधार जैसे कि बंद दूध देने की व्यवस्था में बिकास, कच्चे दूध के परिबाहन के लिए थोक टैंकों के उपयोग और रेफ्रिजरेशन सिस्टम में परिवर्तन से मुख्यतः दूध में ग्राम-नाकारात्मक साएक्रोट्रोपीक सूक्ष्म जीव मुख्यतः स्यूडोमोनस जीवाणु अधिक होते हैं। रेफ्रिजरेशन तापमान पर ये जीवाणु प्रशीतन तेजी से बढ़ते हैं और प्रोटीयोलायटिक और लाइपोलाइटिक एंजाइम का उत्पादन करते है जो कि ऊष्मा प्रसंस्करण में जीवित रहते हैं।
दुग्ध भंडारण के दौरान एंजाइम गतिविधि दूध में स्वाद, बनावट और स्थिरता में दोष उत्पन्न करता है।

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कई प्रकार के रोगजनक बैक्टीरिया को कच्चे दूध से पृथक किया गया हैं जैसे सलमोनेल्ला, लिस्टिरिया मोनोसाइटोजिनेस, माइकोबैक्टीरियम, बैसिलस सीरिएंस, कैम्पिलाबैक्टर, येर्सिनिया एन्स्ट्रोकलिटिका, एस्चेरिशिया कोली और स्टेिफलाकोकेस अरियस। कच्चे दूध में एक या अधिक सूचीबद्ध रोगजनक बैक्टीरिया, मूल, प्रजाति, देश की जलवायु और स्वच्छता की स्थिति पर निर्भर करते हैं।

पेस्टयुराइज दूध:

पेस्टयुराइजेशन प्रक्रिया को ऊष्मा-संवेदनशील विकृत और रागे जनक जीबाणुओं को नष्ट करने के लिए लागु किया जाता हैं. कच्चे दूध में मौजूद जीबाणु एवं रोगजनक सूक्ष्म जीबों की क्षमता को नष्ट करने के लिए दूध का पेस्टयुराइजेशन 71.7 डिग्री सेलसियस पर 15 सेकंड या 62.7 डिग्री सेलसियस 30 मिनट तक करते हैं. आंकड़े बताते हैं की बीजाणु पेस्टयुराइजेशन प्रक्रिया के लिए आत्यधिक प्रतिरोधी हैं, सूक्ष्म जीबों की तुलना में बीजाणु की निष्क्रिय करने के लिए थरमाइजेशन और पेस्टयुराइजेशन पर्याप्त नहीं हैं. पेस्टयुराइज दूध उत्पादों के ख़राब होने के प्रमुख कारण हैं —

पेस्टयुराइजेशन से पहले साइकोट्रोफ्स जीवाणु का विकास एवं एंजाइम का उत्पादन।
ऊष्मा-प्रतिरोधी साइकोट्रोफ्स का विकास।
पेस्टयुराइजेशन के बाद प्रदूषण (उपकरण के माध्यम से जैसे पंप, वाल्व, पाइप, पेस्टयुराइजर, भंडारण टैंक इत्यादि)।

सफाई और स्वच्छता प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता प्रदूषण के स्तर और सूक्ष्म जीवों के प्रकार को बहुत प्रभावित करती है। बीजाणु-गठन जीवाणु, मुख्य रूप से बैसिलस प्रजातियां, पेस्टयुराइज दूध और दूध उत्पादों के जीवन को सीमित करता है।

यूएचटी-दूध:

दूध को स्टेरलाईजेशन का उद्देश्य सभी सूक्ष्म जीवों एवं बीजाणुओं को नष्ट करना है, या कम से कम उन्हें वृद्धि के लिए असमर्थ बनाना है ताकि एक लंबे समय तक दूध की गुणवत्ता को रेफ्रिजरेटेड भंडारण के बिना प्राप्त किया जा सके।

यूएचटी-दूध के निर्माध के लिए तापमान न्यूनतम 135 डिग्री सेल्सियस पर 1 सेकंड होना चाहिए। डेयरी उद्योग में विशिष्ट समय-तापमान संयोजन कुछ ही सेकंड के क्रम में 135 से 150 डिग्री सेल्सियस लागू होते हैं।
यूएचटी-दूध की जीवाणु बीजाणु के परिणाम से हो सकती है, जो दूध के स्टेरलाईजेशन तापमान पर जीवित रहते है, या प्रसंस्करण के बाद दूषण जैसे पैकेजिंग सामग्री या ठंडे पानी के माध्यम से या ऊष्मा प्रक्रिया में विफलता के कारण।
बेसिलस स्टीयरओथरमोफिलस, यूएचटी प्रसंस्करण और डिब्बाबंद या यूएचटी-उत्पादों जैसे उत्पादों को प्रभावित कर सकता है और कई तरह के दोष उत्पन्न करता हैं जैसे गैस उत्पादन, एसिड उत्पादन, पतलापन, कड़वाहट और अनुचित गंध।
कच्चे दूध के भंडारण के दौरान उत्पादित प्रोटीयोलायटिक या लिपोलिटिक एंजाइम यूएचटी प्रक्रिया के बाद दूध में अनुचित गंध, प्रोटीन की जमावट जैसे कई तरह के दोष उत्पन्न करते है और ये एंजाइम यूएचटी प्रक्रिया में भी जीवित रहते है।

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स्वच्छ अभ्यास:

दूध प्रसंस्करण श्रृंखला के विभिन्न चरणों, गाय को दुग्ध करने से उपभोग तक दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा आश्वस्त करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता है इस को प्राप्त करने के लिए मूल विनिर्माण प्रथाओं का अनुपालन करना एक प्रथम प्रक्रिया है इसके अलावा, एचएसीसीपी को एक उपकरण के रूप में लागू किया जा सकता है। खतरों का आकलन करें और नियंत्रण प्रणाली स्थापित करें जो मुख्य रूप से अंत-उत्पाद परीक्षण पर निर्भर होने के बजाय प्रतिरक्षात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करती हैं। दूध और दूध उत्पादकों को महत्वपूर्ण पहलुओं पर यह सुनिश्चित करना है कि कच्चे माल की गुणवत्ता सबसे अच्छी बात है, कच्चे दूध और दूध उत्पादों में उपयोग होने वाला कच्चा माल विघटन और रोगजनक जीवाणु का पेस्टयुराइजेशन एवं स्टेरलाईजेशन प्रक्रिया द्वारा उन्मूलन, प्रसंस्करण के बाद में संदूषण की रोकथाम और भंडारण के दौरान एवं उपभोग से पहले अवांछनीय सूक्ष्म जीवों की सीमा पर नियंत्रण।

दुग्ध उत्पादन एवं प्रसंस्करण में स्वच्छता:

प्राकृतिक वातावरण मिट्टी, पानी, पौधों और जलाशयों में सूक्ष्म जीवों और बीजाणु बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं इसलिए उत्पादन के दौरान कुछ डिग्री तक कच्चे दूध का प्रदूषण निश्चित है, दूध भंडारण उपकरण भी प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोत हैं।

यह असंभव है कि कच्चे दूध से सभी जीवाणुओं को समाप्त किया जा सकता है। इसलिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डेयरी फार्म में उचित सफाई, प्रदूषण को कम करना और उच्च स्वास्थ्य प्रथाओं को बनाए रखना शामिल हैं। इसी प्रकार प्रसंस्करण में सभी चरणों में, विनिर्माण संयंत्र की स्वच्छता की आवश्यक है यह सुनिश्चित करने के लिए कि उत्पाद स्ट्रीम (पनु:) पस्र स्ं करण (पेस्टयुराइजेशन या यएूचटी) के बाद प्रदूषित नहीं है एवं दूध के पोस्ट-पेस्टयुराइजेशन दूषण के स्त्रोत जैसे उपकरण, पैकेजिंग सामग्री, वायु, एयरोसौल्ज, पानी, स्नेहक इत्यादि की पर भी स्वच्छता की आवश्यकता है। दुग्ध उत्पादन एवं प्रसंस्करण में स्वच्छता के उपाय इस प्रकार हैः-

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दुग्ध उपकरण को साफ करना और कच्चे दूध को 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम के तापमान पर तेजी से ठंडा करना और दूध को डेयरी में ऐसी स्थिति में ले जाया जाना चाहिए ताकि दूध में सूक्ष्मजीव की मात्रा से कम हो।
दूध संग्रह टैंकरों को आईडीएफ कोड अभ्यास के अनुसार डिजाइन और बनाया जाना चाहिए।
दूध संग्रह टैंकरों के परिबाहन के दौरान, दूध का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए।
दूध टैंकर को कम से कम हर रोज कीटाणुरहित और साफ किया जाना चाहिए या जब भी संग्रह के बीच 4 घंटे या इससे अधिक का अंतर हो।
सफाई और कीटाणुशोधन की पर्याप्तता की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए।
दुग्ध प्रसंस्करण उपकरण का ठीक से डिजाइन एवं संचालन स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि दूध कम से कम निर्देशानुसार सुनिश्चित तापमान एवं समय के लिए संसाधित किया जाए।
दूध और दूध उत्पादों की के संचालन के लिए उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उपकरण को कम से कम दैनिक सीआईपी तकनीक सिस्टम द्वारा साफ एवं कीटाणुरहित करना।
सफाई की दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सीआईपी तकनीक की निगरानी, यानी सफाई एजेंटों की सांद्रता, तापमान, प्रवाह, दबाव और परिसंचरण समय, आवश्यक है।
दूध और दूध उत्पादों में शामिल लोगों के प्रशिक्षण की जरूरत है। इन कार्यक्रम द्वारा यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रसंस्करण, वितरण और प्रबंधन में शामिल सभी लोग, व्यक्तिगत स्वच्छता, दुग्ध विकृति और दूध को लगातार ठंडा रखने के सिद्धांतों को समझते हैं।
दूध को ठंडा रखने के महत्व के रूप में उपभोक्ताओं को भी शिक्षित करना होगा।
पैकेज लेबल पर जानकारी दूध और दूध उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण हासिल करने में मदद कर सकती है।

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