डेयरी चलाने वाले ध्यान दें, डेयरियों में मनमानी पर NGT सख्त, देशभर में डेयरी संचालन के लिए बनेंगे कड़े नियम
पशुधन प्रहरी नेटवर्क,
नई दिल्ली, 6 फरवरी 2020
देशभर में डेयरी संचालकों के लिए ये खबर कुछ परेशानी पैदा कर सकती है। दरअसल डेयरी संचालकों की मनमानी पर अब लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है। दिल्ली सहित देशभर में पर्यावरण हितों की अनदेखी कर चलाई जा रही डेयरियां न सिर्फ हवा और पानी को, बल्कि मिट्टी को भी प्रदूषित कर रही हैं। डेयरियों से पर्यवारण, नदियों और आबोहवा को हो रहे नुकसान पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसके संचालन के लिए नए नियम-कानून बनाने का आदेश दिया है।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को देशभर में डेयरियों के संचालन के लिए नया दिशा-निर्देश तैयार करने का आदेश दिया है। पीठ ने सीपीसीबी से कहा है कि नया दिशा-निर्देश बनाते समय जल, वायु और पर्यावरण संरक्षण कानूनों का ध्यान में रखा जाए। साथ ही इसे लागू करने की शक्ति संबंधित राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय निकायों और नगर निगमों के अधीन रखने का निर्देश दिया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से डेयरियों के नियमन के लिए तैयार दिशा-निर्देश को अपर्याप्त बताते हुए यह आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि सीपीसीबी ने जो मसौदा तैयार किया है, उसमें न तो जल और वायु अधिनियम का ख्याल रखा गया है और न ही इसे लागू करने को लेकर स्पष्टता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनजीटी ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रदूषण नियंत्रण समिति को एक माह के भीतर अपने-अपने राज्यों में संचालित हो रही डेयरियों को लेकर समुचित आंकड़ा जुटाने का निर्देश दिया है। पीठ ने निजी और सहकारिता सोसायटियों द्वारा संचालित डेयरियों के बारे में जानकारी एकत्र करने का आदेश दिया है। इसके लिए दो सप्ताह में कवायद शुरू करने को कहा है।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा है कि देशभर के डेयरियों में एच श्रेणी की ड्रग्स, ऑक्सिटोसिन इंजेशक्शन, प्लास्टिक की सिरींज व अन्य दवाइयों को इस्तेमाल अवैज्ञानिक तरीके से खुलेआम हो रहा है। डेयरियों में भारतीय खाद्य सुरक्षा मानकों की अनदेखी भी की जा रही है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। सीपीसीबी ने ट्रिब्यूनल को ये भी बताया है कि देश के तमाम शहरों में डेयरियों से निकलने वाला गोबर ड्रेन को जाम करने के साथ-साथ मच्छर के प्रजनन में काफी बड़ा सहायक है। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोगों में बीमारियां होती हैं।