केचुआ खाद बनाने की बिधि एवं उससे होने वाली आय

0
8065

 

केंचुआ खाद (Vermicompost) एक जैव उर्वरक है, जो जैविक अपशिष्ट पदार्थो को केंचुआ या अन्य कीड़ो द्वारा विघटित कर के बनाई जाती है| केंचुआ खाद (Vermicompost) बिना गंध, स्वच्छ व कार्बनिक पदार्थ है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन, पोटाश और पोटाशियम और पौधों के विकास के लिए कई आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व शामिल है| केंचुआ खाद (Vermicompost) जैविक खेती के लिए सबसे पसंदीदा पोषक स्रोत है| यह फसल और पर्यावरण के लिए अनुकूल है, और यह एक पुनर्नवीनिकरण जैविक उत्पाद है| अधिकाधिक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी में जीवांश कार्बन का स्तर लगातार कम होता जा रहा है और कृषि रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से मिटटी के जीव भी नष्ट होते जा रहे हैं|

इसलिए भविष्य में मिटटी उर्वरता को संरक्षित रखने और इसकी निरन्तरता को बनाये रखने के लिए जीवांश खादों की नितान्त आवश्यकता है| जीवांश खादों में केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) का विशिष्ट स्थान है, क्योंकि इसे तैयार करने की विधि सरल तथा गुणवत्ता काफी बेहतर होती है|

केंचुआ खाद क्या है?

केंचुओं द्वारा निगला हुआ गोबर, घास-फूस, कचरा आदि कार्बनिक पदार्थ इनके पाचन तंत्र से पिसी हुई अवस्था में बाहर आता है, उसे ही केंचुआ खाद कहते हैं|

केंचुआ खाद बनाने के लिए स्थान का चुनाव

केंचुआ खाद बनाने के लिए छायादार व नम वातावरण की आवश्यकता होती है| इसलिए घने छायादार पेड़ के नीचे या हवादार फूस के छप्पर के नीचे केंचुआ खाद बनाना चाहिये| स्थान के चुनाव के समय उचित जल निकास व पानी के स्त्रोत के नजदीक का विशेष ध्यान रखना चाहिए|

केंचुआ खाद बनाने का उचित समय

वैसे तो किसान भाई केंचुआ खाद वर्ष भर बना सकते हैं| लेकिन 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर केंचुए अधिक कार्यशील होते हैं|

केंचुओं की प्रजाति का चुनाव

वैसे तो केंचुआ खाद बनाने में कई प्रजातियों को काम में लाया जाता है, किन्तु कृषकों के लिए आइसीनिया फोटिडा प्रजाति सर्वदा उपयुक्त है| इस प्रजाति का रख-रखाव भी आसान होता है|

केंचुआ और केंचुआ खाद की उपयोगिता

केंचुए मिटटी निर्माण और मिटटी की उत्पादकता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं| ये मिट्टी में छेद करते हैं, जिससे उसके अन्दर वायु संचार बढ़ता है| केंचुए मिट्टी को खाकर बाहर निकालते हैं, जिससे मिट्टी पलटने का कार्य भी होता है फलस्वरुप मिट्टी भुरभुरी हो जाती है| केंचुए तथा अन्य सूक्ष्म कीट एक साल में 50,000 किलोग्राम प्रति हेक्टेअर कार्बनिक पदार्थों को विघटित कर खेत को उपयोगी बनाते हैं| किसानों की जानकारी के लिए केंचुआ खाद और गोबर की खाद का तुलनात्मक विवरण दर्शाया गया है|

READ MORE :  हाईड्रोपोनिक्स हरा चारा उत्पादन तकनीक

केंचुआ खाद और गोबर की खाद का तुलनात्मक विवरण

तत्व केंचुआ खाद (प्रतिशत मात्रा) गोबर खाद (प्रतिशत मात्रा)
नाइट्रोजन 1.00 – 1.60 0.40 – 0.75
फास्फोरस 0.50 – 5.04 0.17 – 0.30
पोटाश 0.80 – 1.50 0.20 – 0.55
कैल्शियम 0.44 0.91
मैगनीशियम 0.15 0.19
लोह (पीपीएम) 175.20 146.50
मैंगनीज (पीपीएम) 96.51 69.00
जिंक (पीपीएम) 24.43 14.50
कापर (पीपीएम) 4.89 2.80
कार्बन- नाइट्रोजन अनुपात 15.50 31.28
खाद बनाने में लगने वाला समय 3 महीने 12 महीने
कीड़े और बीमारियों के लिये प्रतिरोधकता विकसित हो पाती है विकसित नही हो पाती है

 

केचुआ खाद बनाने की बिधि एवं उससे होने वाली आय

केचुआ खाद (vermicompost) एक प्रकार का जैविक खाद या उर्वारक है. जोकि केचुए और अन्य प्रकार के कीड़ो के द्वारा जैविक अवशिष्ट पदार्थो को विघटित करके बनाया जाता है. ये एक प्रकार की गंधहीन, स्वच्छ और कार्बनिक पदार्थ(Organic material) से बना खाद है. इसमें कई प्रकार की सूक्ष्म पोषक तत्व( Micro Nutrient Element) जैसे – नाइट्रोजन, कैल्शियम, पोटाश जैसे आवश्यक तत्व इसमें पाये जाते है. केचुआ खाद (Vermicompost) प्राकृतिक विधि से बने जाती है, इसीलिए इससे न ही खेतो को नुक्सान होता होता है और ना ही रासायनिक खाद का उपयोग जिससे खेतो की उर्वरक क्षमता बनी रहती है और खेत बंजर नही होते है. रासायनिक खाद का उपयोग ना करने से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.

केचुआ खाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री :

केचुआ खाद वैसे तो सभी लोग पुरे वर्ष बनाया करते है लेकिन सबसे उचित समय जब होता है जब मुसहर का तापमान लगभग 15 से 25 डिग्री हो. इस तापमान पर केचुए बहुत ही क्रियाशील होते है और खाद जल्दी बन जाती है. केचुआ खाद बनाने के लिए कई प्रकार के सामग्री की आवश्यकता पड़ती है जैसे –
केचुआ खड्ड बने के लिए अपने सुविधा अनुसार या 2 से 3 मीटर का गड्ढा
1 सेंटीमीटर आकर के छोटे छोटे कंकड़ और पत्थर गड्ढे को 3 इंच भरने के लिए.
बालू मिट्टी गड्ढे को 3 इंच भरने के लिए
गोबर की खाद – 50 से 80 किलो
सूखे कार्बनिक – 40 से 60 किलोग्राम
खेती से निकला हुआ खास और कचरा – 120 से 140 किलोग्राम
2000 केचुए
पानी सुविधा के अनुसार

READ MORE :  जैविक खेती हेतु जीवामृत एवं नीमामृत बनाने की विधि एवं उपयोग

केचुआ खाद बनाने की बिधि :

केचुआ खाद को बनाने के लिए 6X3X3 फीट बने गड्ढे या लकड़ी के बक्से या प्लास्टिक के बने कैरेट का भी प्रयोग कर सकते है लेकिन पानी निकास का आवश्यक ध्यान रखना होगा.
सबसे पहले 2 से 3 इंच मोटी एक परत ईट या पत्थर के छोटे छोटे टुकड़ों को बिछाएं.
इसके बाद पत्थर के ऊपर बालू की 3 इंच मोटी एक परत और बिछाएं.
अब इसके बाद दोमट मिट्टी की 5 इंच की परत को बिछाते है.
मिट्टी की इस परत को पानी से नम करते है, और लगभग 50 से 60 % नम करते है.
पानी से नम मिट्टी में प्रति वर्ग मीटर की डर से 1000 केचुओं को मिट्टी में डाल देते है.
इसके बाद मिट्टी के ऊपर ही गोबर के खाद को थोडा थोडा करके कई जगहों पर डाल देते है. इसके बाद गोबर के ऊपर घास, सूखे पत्ते डाल देते है.
अब इसको बोर या टाट से ढँक देते है और रोज उसमे पानी डालते रहते है. ये क्रिया लगभग एक महीने तक चलता रहता है
एक महीने के बाद ढंके टाट या बोर को हटा कर इससमे वानस्पतिक कचरा 6:4 के अनुपात में मिलाते है इसको 2 से 3 इंच मोटे परत के रूप में फैला देते है.
कचरे को डालते समय इसमें से प्लास्टिक, धातु और शीशे के टुकड़ों को निकाल देना चाहिये. इसके बाद पुनः ढक देना चाहिये तथा मिट्टी को नम रखने के लिये पानी डालते रहना चाहिय.
कचरे को हर सप्ताह में डालते रहना चाहिए और पानी को प्रतिदिन नमी के अनुसार डालते रहना चाहिए .
गड्ढा भर जाने के 45 दिन बाद केंचुआ खाद तैयार हो जाती है. इन 45 दिनों में कूड़े कचरे को सप्ताह में एक बार पलटते रहें तथा पानी देते रहें, 45वें दिन पानी देना बन्द कर दें, दो-तीन दिन बाद केंचुए वर्मीबेड में चले जायेंगे. ऐसा करने से बचे हुए केचुआ निचले पथरीले भाग में चले जायेंगे और आप खाद को निकाल सकते है.
केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) का उपयोग जरुरत के अनुसार करे. पहले उसे खुली हवा में सुखाकर 20 से 25 प्रतिशत नमी के साथ प्लास्टिक के थैले में भर लेते हैं.

केचुआ खाद बनाते समय सावधानियां :

गड्ढा छायादार और थोडा ऊँचे स्थान पर होना चाहिये.
लकड़ी के बक्से या प्लास्टिक कैरेट में छेद आवश्य करे ताकि पानी न रुके.
गड्ढे में हमेशा नमी बनाये रखे.
केचुआ खाद में किसी भी तरह के रासायन का इस्तेमाल न करे.
खाद को हाथ से अलग करे तंत्र का प्रयोग न करे. जिससे केंचुए मरे ना.

READ MORE :  नादेव कम्पोस्ट (नाडेप खाद) बनाने की विधि

केचुआ खाद के फायदे:

केचुए के खाद को उपयोग करने के बहुत से फायदे है जो इस प्रकार है-
इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व, हार्मोन्स व जैम भी पाये जाते है. जबकि उर्वरकों में केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश ही मिलते है.
केचुए के खाद का प्रभाव खेत में ज्यादा दिन तक बना रहता है और पौधों को पोषक तत्व मिला करता है जबकि उर्वरक का प्रभाव शीघ्र ही ख़त्म हो जाता है.
इसके प्रयोग से भूमि का विन्यास तथा संरचना सुधरती है, जबकि उर्वरक इसको बिगाड़ते हैं|
इससे भूमि जल्दी बंजर नही होगी जबकि उर्वर से जल्दी बंजर हो जाती है.
फसलों के लिये पूर्णतया नैसर्गिक खाद है, इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है.
भूमि अपरदन को कम करता है और पर्यावरण को सुरक्षित करता है.
फसलों के आकार, रंग, चमक तथा स्वाद में सुधार होता है, जमीन की उत्पादन क्षमता बढ़ती है, फल स्वरूप उत्पाद गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है.
जमीन के अन्दर हवा का संचार बढाती है।

केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) के उपयोग की मात्रा और विधि
संख्या फसल का नाम मात्रा
1 गन्ना 5.00 टन प्रति हैक्टेयर
2 कपास 3.75 टन प्रति हैक्टेयर
3 चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, मक्का 2.50 टन प्रति हैक्टेयर
4 मूंगफली, अरहर, उर्द, मूंग 2.50 टन प्रति हैक्टेयर
5 सब्जियाँ (आलू, टमाटर, बैंगन, गाजर, फूलगोभी, प्याज, लहसुन आदि) 1.87 टन प्रति हैक्टेयर
6 गुलाब, चमेली, गेंदा फूल आदि 3.75 टन प्रति हैक्टेयर
7 मिर्च, अदरक, हल्दी आदि 3.75 टन प्रति हैक्टेयर
8 अंगूर, अनन्नास, केला आदि 3.75 से 5.00 टन प्रति हैक्टेयर
9 नारियल, आम 4 से 5 किलोग्राम प्रति पौधा (5 वर्ष से कम)8 से 10 किलोग्राम प्रति पौधा (5 बर्ष से अधिक)
10 नींबू, सन्तरा, मुसम्मी, अनार 3 से 4 किलोग्राम प्रति पौधा (5 बर्ष से कम)6 से 8, किलोग्राम प्रति पौधा (5 बर्ष से अधिक)
11 गमले में लगने वाले पौधे 250 ग्राम प्रति गमला

केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) को खेत में छिटककर फैलाना चाहिये, मंशा यह होनी चाहिये कि केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) पूरे खेत में समान रुप से फैल जाये और मिट्टी में मिल जाए|

 

संकलन -डॉ राजेश कुमार सिंह, पशु चिकित्सक ,जमशेदपुर, झारखंड ,

94313 09542

 

 

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON