अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिये – भाग 10
आज बात करते हैं पन्द्रह लीटर दूध उत्पादन वाली गाय के भरण पोषण की।
स्थितियां वही तीन हो सकती हैं….
1. आपके पास हरा चारा बहुत कम है और जो हरा चारा उपलब्ध है वह गैर दलहनी चारा है और आपके पास पर्याप्त भूसा और प्रचुर मात्रा में रातिब मिश्रण उपलब्ध है
2. आपके पास ग़ैरदलहनी हरा चारा भी पर्याप्त मात्रा में है और भूसा भी और रातिब मिश्रण भी
3. आपके पास दलहनी और ग़ैरदलहनी हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, भूसा भी है मगर रातिब मिश्रण लिमिटेड है या बिल्कुल नहीं है।
स्थिति 1: इस स्थिति में पन्द्रह लीटर दूध देने वाली गाय को 15 किलोग्राम गैर दलहनी हरा चारा, 3 किलोग्राम भूसा और 10 किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण देना होगा। चूंकि इसमें रातिब मिश्रण की मात्रा अधिक है इसलिए यह अधिक महंगा साबित होगा और उत्पादन लागत बहुत अधिक होगी। इसकी उत्पादन लागत सभी खर्चे जोड़कर लगभग 28 रुपये प्रति लीटर होगी। लागत मूल्य से अधिक विक्रय मूल्य होने पर ही आप कुछ कमाई कर पाएंगे।
सोलह प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाले रातिब मिश्रण को बनाने की विधि हम पहले भी बता ही चुके हैं। चलो एक बार फिर बता ही देते हैं। सोलह प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला 100 किलोग्राम रातिब मिश्रण बनाने के लिए मक्का 40 किलोग्राम, गेहूँ का चोकर 40 किलोग्राम, सरसों की खली 17 किलोग्राम, अच्छी गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर 2 किलोग्राम और साधारण नमक 1 किलोग्राम को भली भांति मिलाने की आवश्यकता होगी।
स्थिति 2: इस स्थिति में पन्द्रह लीटर दूध वाली गाय को 10 किलोग्राम दलहनी चारा, 20 किलोग्राम गैर दलहनी हरा चारा, 2 किलोग्राम भूसा और 7 किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण प्रतिदिन देंगे। इसकी उत्पादन लागत सभी खर्चे जोड़कर लगभग 25 रुपए प्रति लीटर होगी। दूध चालीस रुपये प्रति लीटर बेचकर भी आप कुछ ना कुछ बचा ही लेंगे।
स्थिति 3: इस स्थिति में पन्द्रह लीटर दूध देने वाली गाय को 22 किलोग्राम दलहनी हरा चारा, 22 किलोग्राम गैर दलहनी हरा चारा, 2 किलोग्राम भूसा, 3.5 किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण और मात्र 50 ग्राम अच्छी गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर प्रतिदिन देने से भी सभी पोषण आवश्यकताएं पूरी हो जाएंगी और यह सबसे सस्ता भी होगा। इसकी उत्पादन लागत सभी खर्चे जोड़कर लगभग 22 रुपये प्रति लीटर होगी। यह सबसे अधिक लाभ देने वाली स्थिति है।
अब डिसाइड आपको करना है कि आपके पास किस प्रकार का चारा और कितनी मात्रा में उपलब्ध है।
आज के लिए बस इतना ही। कल बात करेंगे इससे आगे के पोषण प्रबंधन की।
क्रमशः
डॉ संजीव कुमार वर्मा
प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ