*अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिये – भाग 16*
आपकी गाय ने अभी अभी बच्चा दिया है। प्रसव के समय वह बहुत तनाव में थी। बच्चा देखकर अब वह कुछ रिलेक्स है। उसको थोड़ा नार्मल होने दीजिये। उसके बाद वह अपने बच्चे को चाट चाट कर साफ करेगी। यह कुदरती मातृत्व भाव है उसके अंदर। बच्चे को चाटने की इस क्रिया के दौरान ही बच्चे और मॉं के बीच एक बॉन्डिंग बनेगी जो आने वाले दुग्धकाल के लिए भी बेहतर साबित होगी।
वैसे आजकल व्यावसायिक डेरी फार्म्स में बच्चे को जन्म के साथ ही माँ से अलग कर देते हैं। यहां तक कि खीस भी उनको कटोरे में लेकर पिलाते हैं। खैर दोनों पद्धतियों के अपने अपने गुण दोष हैं। इनका विस्तार पूर्वक वर्णन किसी अन्य पोस्ट में करेंगे।
इस समय गाय को हल्का गर्म पानी पीने के लिए दीजिये… मगर ध्यान रहे कि पानी बहुत अधिक गर्म ना हो। इस समय गाय को भूख भी उतनी नहीं लगेगी जितनी उसे लगनी चाहिए। इस समय उसे ऊर्जा की बहुत आवश्यकता होती है और प्रोटीन की भी। मगर भूख कम लगने के कारण वह उतना अधिक नहीं खा पाती। इसलिए ब्याने के तुरंत बाद उसे कुछ ऐसा खाने को देना चाहिए जो उसे तुरंत ऊर्जा प्रदान करें।
प्रसव के तनाव से गुजरने के बाद गाय को हल्का, सुपाच्य और हल्का दस्तावर खाद्य पदार्थ देना चाहिए जैसे चावल, गेहूं, मोटे अनाज को मिलाकर बनाये गए दलिया को उबालकर उसमें गुड़, सरसों का तेल, थोड़ी मेथी, काला जीरा, अदरख और हींग आदि मिलाकर जितनी मात्रा वह आसानी से खा सके उतनी देनी चाहिए। इसके अलावा मुलायम हरा चारा और पीने के लिए साफ हल्का गर्म पानी दिया जाना चाहिए। साथ ही कम से कम 100 ग्राम अच्छी गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर भी दिया जाना चाहिए।
यह विशेष व्यवस्था कम से कम दो से तीन दिन जारी रहनी चाहिए। चौथे दिन से गाय अपने रूटीन चारे, भूसे और रातिब मिश्रण पर आ जाएगी। उसके बाद दूध की मात्रा के हिसाब से उसका भरण पोषण जारी रखना चाहिए। जैसे जैसे दूध की मात्रा बढ़ेगी उसको दिए जाने वाले चारे भूसे और रातिब की मात्रा भी बढ़ती चली जायेगी। आने वाले 60 दिनों में उसका दूध उत्पादन हर दिन बढ़ेगा और लगभग 50 से 60 दिन में अपने उच्चतम स्तर को प्राप्त कर लेगा। उसके बाद कुछ दिन उसी स्तर पर रहेगा और फिर थोड़ा घटना आरम्भ होगा।
ब्याने के चौथे दिन से खान पान की व्यवस्था वैसी ही रहेगी जैसी हम पहले ही बता चुके हैं।
आज के लिए बस इतना ही। कल बात करेंगे जेर गिराने के सम्बन्ध में और गाय अगर समय से जेर ना गिराए तो क्या करना है!!!
क्रमशः
*डॉ संजीव कुमार वर्मा*
*प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)*
*केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ*