१. डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चौमुंहा मथुरा
२. डॉ विकास सचान सहायक आचार्य
मादा पशु रोग विज्ञान विभाग दुवासु मथुरा
गाय-भैंसों में गर्भाशय ग्रीवा की सूजन , गर्भाशयशोथ के कारण होती है। इसके अतिरिक्त असामान्य प्रसव, गर्भपात, समय से पहले बच्चा देना, कठिन प्रसव या फिटोटोमी के समय, बच्चे की ज्यादा खींचतान करने से गर्भाशय ग्रीवा में घाव व सूजन हो जाती है। जेर के रुकने व ब्याने के बाद गर्भाशय शोथ से भी गर्भाशय ग्रीवा की सूजन होने की संभावना अधिक होती है। योनि का संक्रमण आगे गर्भाशय ग्रीवा तक पहुंच जाता है और गर्भाशय ग्रीवा शोथ हो जाता है। कृत्रिम गर्भाधान के समय अधिक ताकत के साथ ए.आई.गन को गर्भाशय ग्रीवा में डालने से भी गर्भाशय ग्रीवा में घाव और सूजन हो सकती है। इसीलिए कृत्रिम गर्भाधान के समय वीर्य गर्भाशय ग्रीवा के अंत में डालें आगे गर्भाशय के श्रंग तक गन नहीं ले जाएं। गर्भाशय ग्रीवा में घाव या सूजन ब्याने के समय ही होती है।
रोग का निदान:
इसके लिए योनि का परीक्षण करें। इसके लिए योनि के स्पैकुलम द्वारा योनि को चौड़ा कर टॉर्च की रोशनी से गर्भाशय ग्रीवा का परीक्षण करें। गर्भाशय ग्रीवा पर, प्रकाश फोकस करने पर गर्भाशय ग्रीवा की सूजन स्पष्ट नजर आती है। सामने से अॉश, का रंग गुलाबी लाल तथा सलवटो युक्त नजर आता है। गर्भाशय ग्रीवा से म्यूकस मिली हुई हल्की मवाद बाहर निकलती नजर आती है। जब गर्भाशय ग्रीवा का शोथ बहुत अधिक होता है, तो गर्भाशय शोथ, होने की संभावना बनी रहती है। गंभीर गर्भाशय ग्रीवा के शोथ, मे गर्भाशय ग्रीवा बहुत मोटी हो जाती है और जगह-जगह से म्यूकस झिल्ली के टुकड़े उखड़ते रहते हैं। यदि गर्भाशय ग्रीवा को चोट ज्यादा हुई है या संक्रमण अधिक हैं तो गर्भाशय ग्रीवा का मार्ग बंद सा हो जाता है और एक बैंड बन जाता है, जिसे किंक कहते हैं। इसके कारण कृत्रिम गर्भाधान गन भी अंदर प्रवेश नहीं कर पाती है। गर्भाशय ग्रीवा की ऐसी स्थिति होने पर ब्याने के समय कठिन प्रसव हो जाता है। इस स्थिति में बच्चे को खींचकर बाहर निकाला जाता है तो गर्भाशय ग्रीवा कुछ स्थानों पर फट जाती है।
रोग का भविष्य :
अधिकांशत: गर्भाशय ग्रीवा के शोथ में , भविष्य अच्छा ही होता है अर्थात ठीक हो जाता है। यदि गर्भाशय ग्रीवा के साथ गर्भाशय शोथ व भगशोथ, भी हो तो यह स्थितियां जितनी जल्दी ठीक होंगी गर्भाशय ग्रीवा का शोथ भी उतनी ही जल्दी ठीक हो जाएगा। वैसे शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण भी हल्का गर्भाशय ग्रीवा शोथ, स्वत: ही ठीक हो जाता है और यदि गर्मी निश्चित अंतराल पर आती है तो भी गर्भाशय ग्रीवा शोथ स्वत: ही जल्दी ठीक हो जाता है। गंभीर गर्भाशय ग्रीवा शोथ में फाइब्रोसिस या किंक के कारण रास्ता बंद हो जाए तो उपचार का अधिक असर नहीं पड़ता है। और गर्भाशय ग्रीवा बंद ही रहती है। फिर अगले ब्यॉत में, बंद गर्भाशय ग्रीवा के कारण कठिन प्रसव की स्थिति बनती है। गायों में यदि गर्भाशय ग्रीवा में फोल्ड बन जाते हैं और इन फोल्ड का प्रोलेप्स हो जाता है तो यह मुश्किल से ठीक होते हैं और लटकते रहते हैं तथा अगले ब्यॉत में और अधिक ढीले होते रहते हैं। भैंसों में गर्भाशय ग्रीवा का आकार बेलनाकार होता है और ऐसे फोल्ड कम ही होते हैं। गर्भाशय ग्रीवा जनन अंग का वह भाग है जो ब्याने के समय व गर्मी के अलावा बंद रह कर गर्भाशय में संक्रमण होने से रोकता है लेकिन यदि स्वयं गर्भाशय ग्रीवा में सूजन, चोट आदि से रोग ग्रस्त हो जाती है तो इसी कारण से गर्भाशय में संक्रमण हो जाता है और ऐसा प्रायः गायों में अधिक होता है।
उपचार:
अधिकांशत गर्भाशय ग्रीवा के शोथ, के साथ साथ गर्भाशय शोथ एवं योनि शोथ भी जुड़े होते हैं, सभी भागों का उपचार करना चाहिए जैसे कि गर्भाशय शोथ में करते हैं।
ऐसा बहुत कम होता है कि अकेले गर्भाशय ग्रीवा का शोथ हो और इसका अकेले इलाज करना भी मुश्किल है इसलिए प्राया गर्भाशय ग्रीवा के साथ आगे पीछे के भागों में भी संक्रमण होता है और सभी का एक साथ उपचार करना चाहिए। योनि एवं गर्भाशय में संक्रमण होने पर तथा इनका उपचार करने पर गर्भाशय ग्रीवा शोथ, का स्वत:उपचार हो जाता है। प्रतिजैविक औषधि के साथ-साथ यदि आवश्यकता हो तो कारटिकोस्टेरॉयड भी देते हैं। गर्भाशय में प्रतिजैविक औषधि रखने के साथ-साथ इंटरामस्कुलर प्रतिजैविक औषधि , अवश्य दें। गर्भाशय ग्रीवा को चोट और सूजन से बचाने के लिए बच्चा देते समय, कठिन प्रसव, कृत्रिम गर्भाधान के समय विशेष सावधानी रखें।