पशुओं में जेर रुकने की समस्या, लक्षण, उपचार एवं बचाव

0
6519

पशुओं में जेर रुकने की समस्या- लक्षण- उपचार एवं बचाव

डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी चोमूहां मथुरा, उत्तर प्रदेश

सामान्यत: पशुओं के ब्याने के लगभग 4 से 5 घंटे में जेर स्वयं बाहर निकल जाती है। लेकिन कभी-कभी ऐसा देखने में आता है कि ब्याने के बाद पशुओं में कई घंटों तक यह बाहर नहीं निकलती जोकि गर्भाशय के अंदर अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न कर देती है। इससे उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ब्याने के 8 से 12 घंटे तक जेर यदि अपने आप नहीं निकलती तभी इसे जेर का रुकना माना जाता है।
लक्षण:
१. गर्भाशय से बाहर जेर का लटकना देखा जा सकता है।
२. जेर के टुकड़े गर्भाशय के अंदर होने पर हाथ डालकर महसूस किए जा सकते हैं।
३. पशु द्वारा पेट पर बार-बार पैर मारना तथा दर्द का अनुभव करना।
४. बुखार होना तथा दूध की मात्रा एकदम कम हो जाना।
५. गर्भाशय के बाहर दुर्गंध का आना।
६. अधिक समय बीतने पर मवाद का बाहर निकलना।
७. पशु का जेर रुकने के कारण पशु का बेचैन होना।
८. पशु का बार-बार बैठना तथा उठना ।
९. पशु का सुस्त होना तथा आसपास के वातावरण की तरफ आकर्षित न होना।

प्राथमिक उपचार:

१. जेर रुकने की अवस्था में, बच्चेदानी में हाथ डालकर देख लेना चाहिए। यदि जेर आसानी से निकल जाए तभी उसे निकालना चाहिये, अत्यधिक बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भाशय की गांठों के उखड़ने एवं गर्भाशय में जख्म होने की संभावना रहती है जो आगे चलकर कई विकार उत्पन्न कर सकती है, एवं गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकती है।
२. बांस की पत्ती, धान की भूसी या मूंग एवं दलिया आदि का मिश्रण देना चाहिए।
३. आयुर्वेदिक औषधियों जैसे युटेरोटोन, यूट्रासेफ, या युटेरोटोनेक्स, 200 मिली दिन में तीन बार एवं जेर निकलने के बाद100 मिली प्रतिदिन मुंह द्वारा देना चाहिए जिससे गर्भाशय की सफाई हो सके।
४. यदि जेर का कुछ भाग बाहर निकला हुआ है तो उसमें कोई वजन वस्तु जैसे ईंट आदि बांधने से भी कई बार जेर बाहर निकल आती है।
५. जेर के बाहर निकल जाने पर गर्भाशय की सफाई करना अत्यधिक आवश्यक होता है। इसके लिए लाल दवा (पोटेशियम परमैंगनेट) का 1:1000 घोल, स्वच्छ पानी में बनाकर बच्चेदानी की सफाई किसी योग्य पशु चिकित्सक से करानी चाहिए।
६. जेर रुकने वाले पशुओं में दूध की मात्रा कम हो जाती है अतः खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फास्फोरस आदि उचित मात्रा में पशु को देना चाहिए।
७. अक्सर यह देखा गया है जेर रुके पशु को गर्भाशय शोथ या गर्भाशय में सूजन आ जाती है। जिसका उचित उपचार किसी योग्य पशु चिकित्सक से करवाना चाहिए ।
बचाव हेतु सलाह:

READ MORE :  GASTROESOPHAGEAL REFLUX DISEASE IN DOGS

अधिकांश पशुपालकों में यह धारणा है कि बिना जेर निकले पशु का दूध न निकाला जाए और नहीं बच्चे को पिलाया जाए। जबकि यह धारणा सर्वथा अनुचित एवं अनर्थकारी है। अत: पशुपालकों को, यह सलाह दी जाती है कि उन्हें पशु के
ब्याने के आधे घंटे के भीतर बच्चे को दूध पिलाना चाहिए और पशु का आधा दूध निकाल लेना चाहिए । बच्चे को दूध पिलाने एवं दूध निकालने के कारण पशु की पिट्यूटरी ग्रंथि से ऑक्सीटॉसिन हार्मोन स्रावित होता है जोकि गर्भाशय में संकुचन पैदा करता है और जेर आसानी से बाहर निकल जाती है । अधिक दूध देने वाले पशुओं में यदि पूरा दूध निकाल लिया जाएगा तो उसमें हाइपोकैल्सीमिया/ मिल्क फीवर नामक बीमारी होने की संभावना प्रबल होती है। पशु के प्रथम दूध या खीस/पेवसी/ कोलोस्ट्रम में इम्यूनोग्लोबुलिंस के रूप में रोग प्रतिरोधक तत्व होते हैं जो बच्चे की आंतों द्वारा मात्र 24 घंटे तक ही अवशोषित हो सकते हैं। अतः पशुपालकों को बच्चे को शीघ्र अति शीघ्र मां का पहला दूध पिलाना चाहिए जिससे बच्चे को पूरे जीवन भर रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त हो सके और मादा पशु का जेर, समय से निकल सके। कोलोस्ट्रम दस्तावर होता है अतः बच्चे का पेट भी साफ हो जाता है। मेरा यह व्यक्तिगत अनुभव है यदि पशुपालक इस सलाह को अपनाता है तो 90% जेर रुकने की समस्या नहीं होगी।

दुधारू पशुओं में जेर रुकने की समस्या एवं प्रबन्धन

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON