गौ संरक्षण संवर्धन का द्वार खोलती गौशालाएं

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गौ संरक्षण संवर्धन का द्वार खोलती गौशालाएं

डॉ. अलका सुमन

मानव जीवन मे गौ का विशिष्ट महत्व है, परित्यक्त गौ व गौवंश की सुरक्षा व संवर्धन के लिये गौशाला का अधिक योगदान है । गाय पालन के लिए प्रयुक्त घर गौशाला कहलाता है। गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। जैसे हमारे देश के लिए गांवो का महत्व है, उसी प्रकार गांवो के लिए गायों का महत्व है। भारत में बहुत गौशालाऐं हैं इन्हें संचालित करने के लिए सरकार भी धन देती है तथा गऊ प्रेमी भी दान करते हैं कुछ धनी व्यक्ति भी गौशाला चलाते हैं। भारतवर्ष में उपलब्ध गौशालाओं का समुचित विकास आज की महती आवश्यकता है इससे गौशालाओं पर शुद्ध नस्ल की गाय उपलब्ध होंगी एवं आमदनी का जरिया भी उपलब्ध होगा। गाय का दूध और दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि सभी बहुत ही उपयोगी एवं लाभदायक है इसके अलावा गाय के विभिन्न उप – उत्पादों का निर्माण जैसे कि औषधीय उत्पाद, सौंदर्य उत्पाद, ईधन, गोबर गैस, खाद, बैल शक्ति आदि का उत्पादन कर गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ग्रामीण गोबर धन योजना की शुरुआत की है। ग्रामीण गोबर धन योजना के मुख्यत: दो उद्देश्य हैं गाँवों को स्वच्छ बनाना एवं पशुओं और अन्य प्रकार के जैविक अपशिष्ट से अतिरिक्त आय तथा ऊर्जा उत्पन्न करना। इस योजना में गोबर से अनेक उत्पाद जैसे कि गोबर गैस, जैविक खाद, केंचुआ खाद, जीवामृत, गोबर के गमले, गोबर के कंडे, आदि बनाकर ग्रामीण जीवन में सामाजिक उन्नति, उन्नत खेती, पर्यावरण सुरक्षा एवं गोबर से उत्पादित बायोगैस ईंधन ऊर्जा के उत्पादन से बिजली की बचत होगी। इन गौशालाओं पर गोमूत्र से बनने वाले निम्न उत्पादों की इकाई स्थापित कर लाभ कमाया जा सकता है। गौशालाओं पर गोमूत्र अर्क बनाने की इकाई की स्थापना की जा सकती है। औषधीय उत्पादों का निर्माण, जैसे कि गोमूत्रअर्क, गोमूत्र आधारित मधुमेह चूर्ण, कब्ज चूर्ण, पेट, अस्थमा, यकृत हेतु घनवटी, दंतमंजन, जोड़ों के दर्द निवारण हेतु तेल का निर्माण आदि के अतिरिक्त कीटनासी, रोगनाशी, घरों की सफाई हेतु प्रयोग में लाए जा रहे रसायनों, साबुन, गोनाइल आदि बनाने की भी इकाई स्थापित की जा सकती है। गोमूत्र में नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिक एसिड, सोडियम, पोटेशियम, और यूरिया होता है और कुछ परीक्षणों में यह पाया गया है की जिस कृषि भूमि में गोमूत्र एवं गोबर डाला जाता है उस भूमि में उपस्थित जीवाणु सक्रिय होकर फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवाणुओं पर अंकुश लगा देते हैं । देसी गाय के मूत्र एवं गोबर का उपयोग पूजा सामग्री जैसे कि हवन सामग्री, धूपबत्ती, पंचगव्य आदि का निर्माण देश की कई गौशालाओं पर किया जा रहा है यह आमदनी का एक सशक्त माध्यम है।गोबर से बने उपले या कंडो का उपयोग ईंधन निर्माण एवं गोबर गैस ऊर्जा के रूप में हो रहा है गोबर गैस प्लांट का निर्माण भी किया जा सकता है एवं इससे उत्पन्न गैस का प्रयोग गौशाला हेतु खाना पकाने एवं रोशनी आदि के लिए किया जा सकता है गौशाला पर उपलब्ध अपशिष्टो का प्रयोग करके जैविक खाद एवं केंचुआ खाद का निर्माण करके अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है। कुछ गौशालाओं पर सींग गोबर एवं मिट्टी का प्रयोग करके सींग खाद का निर्माण किया जा रहा है एवं उचित आमदनी प्राप्त की जा रही है। गौशालाओं में गौ संरछित रहेंगी साथ ही महिलाओ और बेरोजगारों के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे।

गौ संरक्षण-संवर्धन के सफल कार्यों को सुनकर मुख्यमंत्री प्रभावित हुए: गिरीश जे. शाह

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