गाय की भारतीय नस्लें – भाग 7
*सिक्किम* में गाय की एक नस्ल *सीरी* का विकास हुआ।
*सिक्किम* के गंगटोक, ग्यालसिंग, नामची, नार्थ सिक्किम, साउथ सिक्किम, ईस्ट सिक्किम और वेस्ट सिक्किम जिलों में *भारवाहक* सीरी नस्ल विकसित हुई। इस नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 425 लीटर दूध देती हैं।
*तमिलनाडु* में गाय की कुल चार नस्लें विकसित हुई। इस इलाके के लोगों की फ़ूड हैबिट के अनुसार ही यहां *केवल भारवाहक नस्लें* विकसित की गई।
तमिलनाडु के इरोड जिले की बारगुर पहाड़ियों में और भवानी तालुका में भारवाहक *बारगुर* नस्ल विकसित हुई। इस नस्ल के बैल खेती का कार्य करने के लिए उपयुक्त है और गायें एक ब्यान्त में लगभग 350 लीटर दूध देती हैं। वैसे 1300 लीटर तक दूध देने वाली गायें भी देखी गई हैं।
तमिलनाडु के कोयम्बटूर, डिंडीगुल, इरोड, करूर और नामक्कल जिलों में भारवाहक *कंगायम* नस्ल का विकास हुआ। इस नस्ल का औसत दुग्ध उत्पादन 540 लीटर है।
तमिलनाडु के मदुरै, शिवगंडा और विरुधुनगर जिलों में *पुलिकुलम* नस्ल का विकास हुआ। इस नस्ल के बैल *जलीकट्टू* के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किये जाते हैं।
तमिलनाडु के नागपट्टनम और थिरुवरूर जिलों में भारवाहक *उम्बलाचेरी* नस्ल का विकास हुआ। इस नस्ल के गायें एक ब्यान्त में औसतन 500 लीटर दूध देती हैं।
*तेलंगाना* में गाय की एक भारवाहक नस्ल विकसित हुई।
*तेलंगाना* के नागरकुरनूल जिले में भारवाहक *पोड़ा थुरपु* नस्ल विकसित हुई। इस नस्ल में गर्मी सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है और इस नस्ल के पशु बहुत कम चारे और पानी की स्थिति में भी जिंदा रहते हैं। इस नस्ल की गायों का औसत दुग्ध उत्पादन 570 लीटर प्रति ब्यान्त पाया गया है।
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*डॉ संजीव कुमार वर्मा*
*प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)*
*भाकृअनुप – केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान*
*मेरठ छावनी – 250001*
*9933221103*