जेर /फूल(Placenta) खाद
डॉ जितेंद्र सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी ,कानपुर देहात, पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश
जेर खाद किसानों के लिए एक चमत्कारी नुस्खा:
जब भी आपकी गाय या भैंस बच्चा देने वाली हो तो पशु ब्याते समय खास निगरानी रखें। पशु ब्याने की शुरुआत में जब Water balloon या जैव रस की थैली बाहर आने लगे तभी एक टोकरी राख छानकर तैयार रखेंl
जैसे ही यह पानी की थैली जमीन पर गिरे तुरन्त टोकरी की राख इसपर डाल दें। जिससे जानवर के सरीर से जो जैवरश का पानी वेस्ट न होकर राख सोख ले। इसके बाद जब पशु बच्चा देने के बाद जेर डाले।
इस जेर तथा जैवरस युक्त राख को एक मिट्टी के घड़े में भरकरं ढकते हुए यह घड़ा किसी बड़े छायादार फलवृक्ष के नीचे 60-70 दिन के लिए दबा दें। 70 दिन बाद इसे निकालने पर इसमे नम सीमेन्ट जैसा पाउडर मिलेगा। इसका एक चम्मच भर मात्र से 10 किलो बीज का बीजउपचार कर सकते हैं।
इस पाउडर को 10 लीटर पानी मे घोलकर छानने के बाद आवश्यक पानी के साथ फसल पर छिड़काब करें।या सिचाई के साथ प्रती एकड़ में प्रयोग करें। इससे फसल बढवार तथा उत्पादन में चममत्कारिक लाभ मिलेगा। फलदार वृक्षों में 15-25 ग्राम मात्रा के घोल अथवा इसी मात्रा के पेड़ पर छिड़काव करने से इसके परिणाम आपकी सोच से भी ज्यादा बढकर होगें।
इसका प्रयोग गेहूँ,सॉफ, धान, सरसों, ज्वार तथा सब्जियों पर हमने करके देखा फलों में खजूर अमरूद, जामुन,आम तथा चीकू पर करके देखा।बहुत ही शानदार परिणाम मिला।
इस जेर खाद को किसान मित्र बरसाती फसलों ज्वार, बाजरा,तिल, तिल्ली,ग्वार, मूंग मोठ में भी उपयोग ले सकते हैं।
यह खाद बहुत ही असरदार होती है रिजके की फसल में पानी देते समय 5 किलो प्रति बीघे के हिसाब से सुखी कम्पोस्ट खाद या अतिरिक्त राख मिलाकर
छिड़काव करें।उत्तम परिणाम मिले व मिलेंगे।
सावधानी
खाद 70 दिनों के बाद पूर्णरूप से पककर तैयार हो जाने के बाद मटके से खाद निकालते वक्त सावधानिया जरूरी बरते
✒हाथों की साफ सफाई हो ,नाखून बढ़े हुए नही होने चाहिए ।
✒मटका खोलते समय हवा का रुख देखकर बैठे ।क्योकि इसमे बहुत ही तेज बैक्टीरियल अमृतधारा के समान गंध होती है ।जो नाक की इन्द्रियों में तेज प्रवाह करती है।
✒जेर खाद की गंध रासायनिक D,A,P, की तरह होती है ।
✒छलनी से छानकर बड़े कोई ढक्कन वाले काँच के पात्र में इकट्ठा करें।
✒ उपयोग लेने के बाद उस पात्र को ज्यादा समय तक खुला नही छोड़े।