सर्दियों के मौसम में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें ?

0
2181

सर्दियों के मौसम में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें ?


डॉ जितेंद्र सिंह ,पशु चिकित्सा अधिकारी ,कानपुर देहात ,उत्तर प्रदेश

मुर्गी पालन अच्छे मुनाफे वाले व्यवसायों में से एक है। मुर्गी पालन अण्डा और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। इनके लिए अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना होता है। इस व्यवसाय की खासियत है कि इसे कम लागत से शुरू किया जा सकता है और इसमें कमाई जल्दी शुरू हो जाती है, क्योंकि मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियां 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती हैं। सर्दी का आगमन हो चुका है , अतः मुर्गीपालक भाईयो के लिए निम्नलिखित सुझाव बताया जा रहा है जिसे अपनाकर वे ईस मौसम मे उतम प्रबंधन कर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते है ।

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय कुछ विशेष ध्यान रखने की आवश्यधकता होती है।अगर हम जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन से अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित बातें ध्यान में अवश्य। रखनी चाहिए।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन के लिए चूजे लाने से पहले या बाद में

निम्नलिखित बातें ध्यान में अवश्यर रखनी चाहिए:———-

जाड़े के मौसम मुर्गीपालन करते समय चूजों को ठंड से बचाने के लिए गैस ब्रूडर, बांस के टोकने के ब्रूडर, चद्दर के ब्रूडर, पट्रोलियम गैस, सिगड़ी, कोयला, लकड़ी के गिट्टे, हीटर इत्यादी की तैयारी चूजे आने के पूर्व ही कर लेना चाहिए। जनवरी माह में अत्यधिक ठंड पड़ती है अत: इस माह में चूजा घर का तापमान ९५ डिग्री फेरनहाईट होना अतिआवश्यीक है। फिर दूसरे सप्ताह से चौथे सप्ताह तक ५-५ डिग्री तापमान कम करते हुए ,ब्रूडर का तापमान उतना कर देना चाहिए की चूजें ठंढ से बचे रहें और उन्हें ठंढ ना लगे । सामान्यतः ब्रूडर का तापमान कम करते हुए ८० डिग्री फारेनहाइट तक कर देना चाहिए।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय चूज़ों की डिलीवरी सुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिलकुल नहीं कराएँ क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है। शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें।चूजों के आने के कम से कम २ से ४ घंटे पहले ब्रूडर चालू किया हुआ होना चाहिए।
पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें, इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा। अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के लिए पोलिथीन के छोटे गोल शेड से ढक कर, हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं।
जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन में चूजों को ठण्ड लगने से सर्दी-खांसी की बीमारी होने का डर रहता है इसलिए जाड़ें में मुर्गियों को अधिक से अधिक ध्यान देने की जरूरत पड़ती है ।

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन के लिए मुर्गी आवास का प्रबंधन:——–

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गी आवास को गरम रखने के लिए हमे पहले से ही सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि जब तापमान १० डिग्री सेण्टीग्रेड से कम हो जाता है तब मुर्गीपालन के आवास में ओस की बूंद टपकती है इससे बचने के लिए मुर्गीपालकों को अच्छी ब्रूड़िग करना तो आवश्यंक है ही ,साथ ही मुर्गी आवास के ऊपर प्लास्टिक ,बोरे, फट्टी आदी बिछा देना चाहिए एवं साइड के पर्दे मोटे बोरे और प्लास्टिक के लगाना चाहिए, ताकि वे ठंडी हवा के प्रभाव को रोक सकें। रात में जाली का लगभग २ फीट नीचे का हिस्सा पर्दों से ढक दें। इसमें खाली बोरी और प्लास्टिक आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे अंदर का तापमान बाहर की अपेक्षा ज्यादा रहेगा। साथ ही यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि मुर्गीघर में मुर्गियों की संख्या पूरी हो। जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय एक अंगीठी या स्टोव मुर्गीघर में जला दें।इस बात का ध्यान रखें की अंगीठी अंदर रखने से पहले इसका धुऑं बाहर निकाल दें ।
इस प्रकार से दी गई गर्मी से न केवल मुर्गीयाँ आराम से रहती हैं बल्कि मुर्गीघर का वातावरण भी खुश्कर और गर्म बना रहता है। खासकर ठण्ड के मौसम में सुबह में मुर्गीघर के अन्दर कम से कम दो घंटों तक धूप का प्रवेश वांछनीय है। अत: मुर्गीघर का निर्माण इस बिन्दू को ध्यान में रखते हुए उसकी लंबाई पूर्व से पश्चियम दिशा की ओर होनी चाहिए।
जाड़ें में कम से कम 3 से 5 इंच की बिछाली मुर्गीघर के फर्श पर डालें जो की अच्छी गुणवत्ता की हो ,अच्छी गुणवत्ता की बिछाली मुर्गियों को फर्श के ठंढ से बचाता है और तापमान को नियंत्रित किये रहता है।

READ MORE :  POULTRY FARMING: BACKBONE OF INDIAN ECONOMY

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन हेतु मुर्गीघर की सफाई :——–

जाड़े के मौसम आने से पहले ही पुराना बुरादा, पुराने बोरे, पुराना आहार एवं पुराने खराब पर्दे इत्यादि बदल देना चाहिए । वर्षा का पानी यदि मुर्गीघर के आसपास इक्क्ठा हो तो ऐसे पानी को निकाल देना चाहिए और उस जगह पर ब्लीचिंग पावडर या चूना का छिड़काव कर देना चाहिए। मुर्गीघर के चारों तरफ उगी घास, झाड़, पेड़ आदि को नष्ट कर देना चाहिए। दाना गोदाम की सफाई करनी चाहिए एवं कॉपर सल्फेट युक्त चूने के घोल से पुताई कर देनी चाहिए ऐसा करने से फंगस का प्रवेश मुर्गीदाना गोदाम में रोका जा सकता है। कुंआ, दीवाल आदि की सफाई भी ब्लीचिंग पावड़र से कर लेना चाहिए।

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन में दाने एवं पानी की खपत :——-

शीतकालीन मौसम में मुर्गीदाना की खपत बढ़ जाती है यदि मुर्गीदाना की खपत बढ़ नही रही है तो इसका मतलब है कि मुर्गियों में किसी बीमारी का प्रकोप चल रहा है। जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गियों के पास मुर्गीदाना हर समय उपलब्ध रहना चाहिए।
शीतकालीन मौसम में पानी की खपत बहुत ही कम हो जाती है क्योंकि इस मौसम में पानी हमेशा ठंडा ही बना रहता है इसलिए मुर्गी इसे कम मात्रा में पी पाती हैं इस स्थिति से बचने के लिए मुर्गीयों को बार-बार शुद्ध और ताजा पानी देते रहना चाहिए।

जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन से संबन्धित कुछ महत्वपूर्ण कार्य——

 शीतऋतु के आगमन से पहले मुर्गियों के बाड़े की मरम्मत करवायें. खिड़कियाँ तथा दरवाजे ठीक-ठाक हालत में होने चाहिए. यूं तो मुर्गीफार्म पर मुर्गियों के बाड़ों की बगलों पर डालियां लगी होती हैं. जहां से शाम तथा रात्रि में ठंडी बर्फीली हवाओं से बाड़े के भीतर का तापक्रम गिरता हैं.
 मुर्गियों से सर्वाधिक उत्पादन लेने हेतु 85 डिग्री से 95 डिग्री फॅरनहीट तापक्रम आवश्यक होता हैं. अर्थात् उत्तर भारत में शीतऋतु में जब वातावरण का तापक्रम 13 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता हैं तब अंडा उत्पादन पर विपरीत असर पड़ सकता हैं. ऐसी स्थिति में बचाव हेतु बाड़े की बगलों पर मोटे टाट (बारदान) से बने पर्दे इस तरह लगवायें ताकि ठंडी हवाओं के झोकों से मुर्गियों को बचाया जा सके.
 पर्दों की निचली जगह पर बाँस बांध दें ताकि वे तेज हवाओं से ना उड़े और मुर्गियों को ठंडी हवाएं ना लगें.
 इसके अलावा अंडा उत्पादन बरकरार रखने हेतु तथा मुर्गियों को ठंड से बचाने हेतु बाड़े में बिजली के बल्ब (लट्टू) लगाना जरूरी हैं. यह उजाला उन्हें दिन का प्रकाश का समय मिलाकर 16 घंटों तक मिलना जरूरी हैं तभी वे दाना अच्छी तरह चुगकर अंडा देती रहती हैं. 200 वर्गफीट जगह में कृत्रिम प्रकाश प्रदान करने हेतु 400 वॉट क्षमता के बिजली के बल्ब लगाना जरूरी हैं. इसके लिए 200 वर्गफीट जगह में 100 वॉट क्षमता के चार बिजली के बल्ब लगाने से काम बन जायेगा। अंधेरे में मुर्गियां दाना नहीं चुगती हैं और इससे अंडा उत्पादन में कमी आ जाती हैं.
 शीतऋतु में मुर्गियों को ज्यादा ठंडा जल ना पिलाये बल्कि गुनगुना पानी देना बेहतर होगा.
 शीतऋतु में मुर्गियों की भूख बढ़ जाती है अत: उनके दोने (फीड ट्रफ) हमेशा दाने (मॅश) से भरे होने चाहिए। साधारणत: एक संकर मुर्गी को रोजाना 110 से 140 ग्राम दाना जरूरी होता हैं। पर्याप्त मात्रा में दाना ना मिलने पर अंडों की तादाद तथा वजन में गिरावट आती हैं. अत: उनके पोषण पर समुचित ध्यान दें.
 डीप लीटर पद्धति में रखी मुर्गियों के बाड़े में जो भूसा (लिटर) जमीन पर बिछा होता है वह सूखा होना चाहिए। उस पर पानी रिस जाये तो तुरन्त गीला बिछावन (लिटर) हटाकर वहां सूखा बिछावन डाल दें अन्यथा: मुर्गियों को ठंड लग सकती है.
 मुर्गियों का रोजाना निरीक्षण करें. सुस्त मुर्गियों की पशुओं के डाक्टर द्वारा जांच करवाकर दवा दें.
 मुर्गीघर में साफ-सफाई का ध्यान रखें.
 रोजाना सबेरे सूरज निकलने के बाद ही टाट (बारदान) के पर्दे ऊपर लपेटकर रखें तथा वायुवीजन होने दें.
 मुर्गीघर से मुर्गियों की चिचड़ी निरन्तर निकासी करें तथा वहाँ साफ-सफाई रखें इससे मुर्गियों का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहने में मदद मिलेगी।
 सर्दियों के महीने में चूज़ों की डिलीवरी सुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिल कुल नहीं क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है।
 शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें।
 चूजों के आने के कम से कम 2-4 घंटे पहले ब्रूडर ON किया हुआ होना चाहिए।
 पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा।
 अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं किसी भी पोलिथीन से छोटे गोल शेड को ढक कर।

READ MORE :  आज के परिवेश में पशुओं के लिए आहार संतुलन, कार्यक्रम का महत्व

ब्रूडिंग ———-

चूजो का जाड़े के मौशम मे सही तरीके से ब्रूडिंग ही मूल मंत्र है मुर्गीपालन मे सफलता का ।
• चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।
• जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रख कर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।
• ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है – बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।

बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग————-

इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर।
गैस ब्रूडर द्वारा ब्रूडिंग
जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000 औ 2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है।
अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग
ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर। लेकिन इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकता है।
इस प्रकार से जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय अगर उपरोक्त बातों को ध्यान में रखा जाए तो हमारे मुर्गीपालक जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गीयों को ठंड से तो बचाएंगे ही पर साथ ही अच्छा उत्पादन कर अधिक लाभ भी कमा सकेंगे।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON