मनाया गया वर्ल्ड जूनोसिस डे
पटना: जानवरों के खून, लार और टिशूज से कई बीमारियां मनुष्यों में पहुंचती हैं, जानवर से इंसान के बीच संक्रमित होने वाली इन बीमारियों को जूनोटिक डिसीस कहा जाता है, जो हवा, पानी, भोजन किसी भी माध्यम से हो सकती है। जूनोटिक बीमारियों और उनके बचाव के बारे में जागरूक करने के लिए हर वर्ष यह दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अधीन बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में जागरूकता सह टीकाकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे पदाधिकारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों को मिलाकर कुल 53 लोगो को एंटी रेबीज का टीका लगा गया, साथ ही 30 पालतू कुत्तों को एंटी रेबीज वैक्सीन दिया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार मौजूद थे, उन्होंने कहा की रेबीज और पशुओं से होने वाले अधिकांश रोगों का मनुष्य के शरीर में बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है जो कभी कभी नियंत्रण से बाहर हो जाता है, जिससे जान चली जाती है। ऐसे रोगों से बचने के लिए मनुष्य को काफी सतकर्ता बरतने की जरुरत है, साथ ही पशुओं द्वारा दांत लगाना, या पंजो से खरोंचने जैसे चीजों को नजरंदाज ना करते हुए नजदीकी अस्पताल या चिकित्सक से मिलकर उचित चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए। पशुजन्य रोगों की ज्यादा केस गाँव और उन वर्गों से आती है जिनमे शिक्षा की कमी है, ऐसे में जागरूकता फैलाना ही एक मात्र उपाय है, इन रोगों के रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगो को जागरूक करना हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए। कभी-कभी लोग पशुओं के द्वारा चोट या खरोच लगने को हल्के में लेते है और नज़र अंदाज़ कर देते है जो आगे चलकर जानलेवा साबित होती है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की इस दिन का बहुत ही बड़ा महत्व है, पशुजन्य रोग एक पशु से दुसरे पशु को संक्रमित करता है साथ ही यह संक्रमण मनुष्य जन जीवन को भी प्रभावित करता है। भारत में ऐसे कई केस देखने को मिल रहे है जिनमे मनुष्य की मौत रेबीज, ईबोला और अन्य फ्लू जैसे जूनोसिस वायरस के कारण हो रही है, और यह जूनोसिस रोग समय-समय पर समाज को प्रभावित कर रहा है जो हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इन रोगों के रोकथाम के लिए कई संस्थाओं से सहयोग लेने की जरुरत है, पशुचिकित्सा विभाग को मानव चिकित्सा विभागों के साथ मिलकर जागरूकता और रोकथाम के लिए काम करना चाहिए। टीकाकरण ऐसे रोगों से बचाव का सबसे अच्छा माध्यम है, पशुचिकित्सक और जो व्यक्ति पशुपालन या पशुओं से जुड़े क्षेत्रों में काम कर रहे है उनका टीकाकरण होना अतिआवश्यक है। इस अवसर पर बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के. प्रसाद ने कहा की वर्त्तमान में सौ अधिसूचित ज़ूनोटिक रोग है जो मनुष्य के लिए घातक है, इसके रोकथाम के लिए टीकाकरण को बढ़ावा देने की जरुरत है, लोगों तक यह सन्देश जाना चाहिए की पशुओं द्वारा संक्रमित रोगों का परिणाम समाज के लिए नुक्सानदेह साबित हो सकता है, लोग में जागरूकता आने से इस ज़ूनोटिक बीमारियों से हम खुद को बचा सकते है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन निदेशक छात्र कल्याण डॉ रमन कुमार त्रिवेदी ने किया, मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ रविंद्र कुमार, डॉ चंद्रमणि सहित सभी विभागध्यक्ष, और छात्र मौजूद थे।
Satya Kumar
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