दूध में Aflatoxin M1: एक खतरनाक जोखिम
Dr. Gaurav Patel and Mr. Tanveer Jaskaran
National Dairy Research Institute, Karnal (Haryana)
Abstract =
यह लेख दूध और दूध से बने उत्पादों के महत्व के बारे में है, लेकिन इसमें मौजूद “Aflatoxin M1” जैसे खतरनाक रसायन के विषय में भी चर्चा की गई है। Aflatoxin M1 दूध में कैसे पहुँचता है और इसके पशुओं और मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव हो सकता है, इसका विवेचन किया गया है। भारत में एफलाटोक्सिन M1 के मानकों का भी उल्लेख किया गया है। लेख में बताया गया है कि एफलाटोक्सिन M1 को कैसे कम किया जा सकता है, जैसे कि उच्च गुणवत्ता वाले पशु चारा का उपयोग करना और फार्मिंग प्रैक्टिसेस को सुरक्षित बनाए रखना। आखिर में, लेख ने दूध और दूध से बने उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए सभी को सावधान रहने की आवश्यकता को बताया है।
Key Words = एफलाटोक्सिन M1, डेयरी उत्पाद, खाद्य सुरक्षा
दूध और दूध से बने उत्पाद हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह हमारे स्वास्थ्य और पोषण के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दूध में कई प्रकार के खतरनाक रसायन हो सकते हैं, जिनमें से एक है “Aflatoxin M1”? यह लेख हमें Aflatoxin के बारे में जागरूक करेगा, इसके दूध में आने के कारण, इसके पशुओं और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव, और फार्म फीडिंग प्रैक्टिसेस के माध्यम से दूध में Aflatoxin को कैसे कम किया जा सकता है।
Aflatoxin क्या है?
Aflatoxin जिसे आम भाषा में उल्ली जहर या फफूंदी जहर भी कहा जाता है, एक प्रकार की माइकोटॉक्सिन होती है, जो कवको के द्वारा बनती है और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों, खासकर खाद्य अनाजों और दानों में पाई जाती है। Aflatoxin की कई प्रकार होती हैं, जिनमें Aflatoxin B1, B2, G1, G2, और M1 शामिल हैं, लेकिन हम इस लेख में “Aflatoxin M1” पर ही विचार करेंगे। Aflatoxin M1 विशेष रूप से दूध और दूध से बने उत्पाद में पाया जाता है, और यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
Aflatoxin M1 दूध में कैसे पहुँचता है?
Aflatoxin M1 दूध में कैसे पहुँचता है, इसकी समझने के लिए हमें देखना होगा कि यह किस तरह से पशुओं के आहार में प्रवेश कैसे करता है, यह जानने से पहले हमें Aflatoxin की उत्पत्ति की प्रक्रिया समझनी चाहिए। Aflatoxin कवको के द्वारा उत्पन्न होती है। इनमे से मुख्य कवक Aspergillus flavus और Aspergillus parasiticus हैं, और ये खाद्य पदार्थों में अपनी विकास प्रक्रिया को पूरा करते समय Aflatoxin बनाते है। जो की Aflatoxin B1, B2, G1, एवम G2 होते है।
जब गाय और भैंस इन Aflatoxin प्रदूषित खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, उनके यकृत में यह Aflatoxin M1 मे परिवर्तित होता है, यह प्रक्रिया बहुत ही सामान्य होती है और उसके बाद जब ये पशुओं द्वारा दूध दिया जाता है, तो यह Aflatoxin M1 उपदान में प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में, Aflatoxin M1 को खाद्य पदार्थ से पशुओं के शरीर में प्रवेश करने की प्रक्रिया “बायोट्रांसफर” कहलाती है। आफलाटोक्सिन B1 जो चारे में होता है, वह मिल्क में आफलाटोक्सिन M1 के रूप में पाया जाता है, और यह कितने प्राकृतिक आदान प्रदान के कारकों के आधार पर 1.0 से 6.0% तक हो सकता है, जैसे कि पशु के जीनेटिक्स, मौसम में परिवर्तन, दुग्ध समृद्धि प्रक्रिया और पर्यावरणीय स्थितियाँ। आफलाटोक्सिन का व्यापारिक दूध और दूध के उत्पादों में प्राप्ति खतरनाक होती है, क्योंकि दूध मानवों के लिए महत्वपूर्ण पोषण स्रोत होता है।
भारत में एफलाटोक्सिन M1 के मानक:
भारत में खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने दूध में एफलाटोक्सिन M1 के लिए अधिकतम स्वीकृत स्तर को 0.5 µg/kg (ppb) निर्धारित किया है, जिसका मतलब है कि एक टन दूध में 500 माइक्रॉग्राम से अधिक एफलाटोक्सिन M1 नहीं होना चाहिए। भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards – BIS) ने डेयरी चारा में एफलाटोक्सिन B1 के लिए 20 µg/kg या ppb का अधिकतम स्तर निर्धारित किया है। यूएसए के खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) ने भी इसी तरह की सीमा निर्धारित की है।
पशु स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- Repeat Breeding: एफलाटोक्सिन M1 के सेवन से पशु में फिरने (Repeat breeding) की समस्या हो सकती है।
- गर्भपात (Abortion): एफलाटोक्सिन M1 की मौजूदगी से पशु में गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।
- दूध के उत्पादन में कमी (Drop in Milk Production): एफलाटोक्सिन M1 के सेवन से पशु के दूध के उत्पादन में कमी हो सकती है।
- यकृत की क्षति (Liver Damage): यह पशु के जिगर को नुकसान पहुँचा सकता है।
- आंत की सूजन (Inflammation of the Intestine): एफलाटोक्सिन M1 से पशु की आंत में सूजन हो सकती है।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- यकृत की क्षति (Liver Damage): एफलाटोक्सिन M1 मानव यकृत को नुकसान पहुँचा सकता है, छोटे बच्चो में कैंसर (Hepatocellular carcino) भी कर सकता हैं।
- किडनी की क्षति (Kidney Damage): यह किडनी को प्रभावित कर सकता है।
- कैंसर (Cancer): एफलाटोक्सिन M1 का सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
- प्रतिरोधक शक्ति में कमी (Decrease in Immunity): इसका सेवन मानव प्रतिरोधक शक्ति को कम कर सकता है।
- प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव (Affect Reproductive Health): एफलाटोक्सिन M1 प्रजनन स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है और जन्म में दिवांगता का खतरा बढ़ा सकता है।
एफलाटोक्सिन M1 को कम कैसे करें:
- पशु चारा तैयार करते समय फफूंदी लगे अनाज, मक्का, गेहूं, मूँगफली की खल (Groundnut cake), और कपास की खल (Cottonseed cake) का उपयोग न करे l
- उच्च गुणवत्ता वाला पशु चारा खरीदें: अफलाटोक्सिन स्तर 20 ppb से कम होने वाले उच्च गुणवत्ता वाले पशु चारा खरीदें।
- पशु चारा को सही तरीके से भंडारित करें: नमी कम होने वाली जगह पर पशु चारा को भंडारित करें और इसे सीधे जमीन पर न रखें, बल्कि पहले एक लकड़ी का कार्डबोर्ड रखें और फिर पशु चारा रखें।
- बरसाती मौसम में पशु चारा को 15 दिन से अधिक न भंडारित करें ।
- पानी की ट्रफ साफ रखें: पानी की ट्रफ को साफ रखें और उसमें कोई फंगस न होने दें।
- फंगस से प्रभावित साइलेज का उपयोग न करें।
Conclusion
आजकल, दूध और दूध से बने उपादान हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और हमें उनके स्वस्थ और सुरक्षित सेवन के लिए सावधान रहना चाहिए। Aflatoxin M1 जैसे खतरनाक रसायन की मौजूदगी दूध में हमारे लिए एक जोखिम हो सकती है, लेकिन हम उनको फार्म फीडिंग प्रैक्टिसेस का पालन करके कम कर सकते हैं।
इसलिए, हमें अपने खाद्य के स्रोतों को सावधानी से चुनने और अपने पशुओं का ध्यान रखने का महत्व समझना चाहिए ताकि हम और हमारे परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।
Reference
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