कृषि बिल 2020 : भारतीय कृषि जगत में ऐतिहासिक कदम
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विगत दिनों भारतीय कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव करने हेतु तीन अध्यादेश लेकर आए, ये तीन अध्यादेश हैं -1.उत्पाद,व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा)अध्यादेश 2020,
2.मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौत बिल-2020,
3.आवश्यक वस्तु (संसोधन) बिल-2020.
इन तीनों अध्यादेश में से प्रथम दो को लोकसभा तथा राज्यसभा से पारित कर दिया गया तथा इसको बिल के रूप में मान्यता शीघ्र ही महामहिम राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के उपरांत मिल जाएगी। टेलीविजन तथा सोशल मीडिया पर बहुत से लोग इस बिल के विरोध में तथा समर्थन में अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। बहुत लोग तो ऐसे भी हैं जो इस बिल के विषय में जानकारी ना रखते हुए भी इसका विरोध कर रहे हैं । इस प्रथम दो बिल के विषय में मैं अपना मंतव्य शेयर करना चाहता हूं। हम सभी जानते हैं कि भारत में कृषि से ज्यादा पशुपालन समृद्ध है, पशुपालक अपने कार्यों के प्रति ज्यादा जानकारियां रखते हैं तथा पशु पालन का योगदान भारतीय जीडीपी में कृषि से कहीं ज्यादा है यदि सही से मूल्यांकन किया जाए तो। उदाहरण के तौर पर हम देखे तो सन 2019 में भारत में कुल दूध के उत्पादन का मूल्य उस साल के उत्पन्न कुल धान तथा गेहूं के संयुक्त मूल्य से लगभग 2 गुना है। यानी कि सन 2018 में भारत में दूध तथा दूध पदार्थों का कुल मूल्य लगभग 700000 करोड़ रुपया से अधिक था जबकि धान तथा गेहूं दोनों को मिलाकर इसका मूल्य लगभग चार लाख करोड़ रुपया का था। जबकि इसमें मांस का उत्पादन नहीं जोड़ा गया है। आज पूरे विश्व में भारत का स्थान दूध उत्पादन में प्रथम, मछली उत्पादन में दूसरा, अंडा उत्पादन में तीसरा तथा मांस उत्पादन में चौथा है। यह संभव हो पाया है भारतीय पशुपालन सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स के आने के बाद नई नई तकनीकी आइ, स्किल पर्सन आए तथा साथ-साथ पशुपालकों को उनके पशुधन प्रबंधन के संबंध में जानकारियां विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध कराई गई या कराई जा रही है जिससे कि आज के दिन में हमारे देश के पशुपालक, कृषि कार्य में लगे कृषकों से कहीं ज्यादा जानकारी रखते हैं अपने कार्यों के प्रति। आप बात कर लीजिए कोई भी मुर्गी पालक चाहे ब्रायलर मुर्गी फार्मर हो या लेयर फार्मर हो,उसको इतना ज्यादा ज्ञान है अपने कार्यों में कि वह एक सामान्य विषय वस्तु विशेषज्ञ के बराबर जानकारी रखता है। यदि खेती किसानी कर रहे कृषकों को भी इस तरह की जानकारियां उपलब्ध कराई जाए तो कृषि क्षेत्र में बेतहाशा परिवर्तन देखने को मिल सकता है । ऐसे तो कहने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र , किसान कॉल सेंटर है पशुपालकों/ कृषकों को जानकारी देने के लिए लेकिन हकीकत से बहुत दूर है। आज कुछ वैसे लोग कृषि वैज्ञानिक बन कर बैठे हैं एसी कमरों में जो कभी मिट्टी अपने हाथों में नहीं उठाएं , ना ही कभी इसको जानने का कोशिश किया। नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 12 करोड़ लोग पशुपालन से सीधे जुड़े हुए हैं, तथा यह उनका जीवकोउपार्जन का साधन है। भारत में विगत जितनी भी सरकारें आई किसी ने पशुपालन पर ध्यान नहीं दिया फिर भी यह सेक्टर अपने बलबूते खड़ा हुआ और आज पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहा है वही हम देखे तो दिन प्रतिदिन लोग कृषि के प्रति अपना झुकाव कम करते जा रहे हैं। किसान अपने बेटे को किसान बनाना नहीं चाहता। इसके कई कारण भी है। भारत की जनसंख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है तथा कृषि जोत का आकार सीमित होते जा रहा है ऐसी में खाद्यान्न का संकट को दूर करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री का यह एक दूरदर्शी भरा कदम है। हमने देखा है पशुपालन में कॉपरेटिव मॉडल तथा कांट्रैक्ट फार्मिंग मॉडल बहुत ही सक्सेसफुल है और आज यह सेक्टर अपने बुलंदियों पर है इस सेक्टर में नई नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है तथा भारत विश्व के अग्रणी देशों में अपना स्थान बना चुका है। कारण है कि इस क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियां प्रवेश कर चुकी है तथा वे अपने नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल करके इस क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ा रही है जिससे कि पशुपालकों को फायदा तो हो ही रहा है उन कंपनियों को भी फायदा हो रहा है। कृषि में भी कांटेक्ट फार्मिंग होती है तो यह बहुत ही फायदेमंद साबित होगा किसानों के लिए, इसमें किसान को जोखिम से मुक्ति मिल जाएगी साथ ही वे नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे तथा भंडारण की समस्या से निजात पा जाएंगे। मेरा मानना है कि जब तक हम कारपोरेट सेक्टर को कृषि एवं पशुपालन में अवसर नहीं देंगे तब तक इस सेक्टर का कायाकल्प होना मुश्किल है । उदाहरण के तौर पर यदि हम देखें तो जितने भी एयरपोर्ट्स है , मॉल , हॉस्पिटल हैं, बड़े बड़े अच्छे जो कॉलेज ,स्कूल हैं वह सभी प्राइवेट सेक्टर के द्वारा मेंटेन होती है जिससे कि उनकी गुणवत्ता बनी रहती है । यदि इन सब चीजों को सरकारी तंत्र के माध्यम से मेंटेन कराया गया होता तो क्या आप और हम इसका इस्तेमाल कर पाते । यह जमीनी हकीकत है जिसको हमें स्वीकार करना होगा । हमने देखा है सरकार के द्वारा मेंटेन पीडीएस सिस्टम , फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया का क्रियाकलाप तथा और भी कृषि से संबंधित जो संस्थाएं हैं जैसी की सरकारी मंडी, कैसे कार्य करती हैं, यह किसी से छुपा नहीं है ।आने वाले समय में हमारे पड़ोसी देशों को कृषि के क्षेत्र में भारत पर निर्भरता दिलाने हेतु जरूरी है कि भारत में बुनियादी ढांचा कृषि एवं पशुपालन से संबंधित बने तथा विश्व स्तरीय लैब का व्यवस्था हो जिससे कि इन कृषि तथा पशुपालन उत्पादों को विदेश में निर्यात किया जा सके अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के अनुरूप। हम सभी जानते हैं कि मात्र 5 से 6% बड़े किसान मंडियों का इस्तेमाल करते थे बाकी 95% किसान मंडियों तक अपना उत्पाद नहीं पहुंचा पाते थे, इस बिल के आने के बाद उनका रास्ता साफ हो जाएगा तथा बिचौलियों का बोलबाला खत्म होगा ।अब किसानों तक बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना पहुंच बनाएंगी तथा किसान उनसे कांटेक्ट कर सकते हैं। शुरुआती दौर में जब कांट्रैक्ट फार्मिंग पशुपालन के क्षेत्र में खासकर मुर्गी पालन के क्षेत्र में आया था तो उसका काफी विरोध हुआ था लेकिन अब पशुपालक भाई यह समझ गए हैं कि यदि पशुपालन के क्षेत्र में रहना है, मुर्गी पालन / दूध उत्पादन करना है तो हमें कांट्रैक्ट फार्मिंग ही करना होगा अन्यथा संभव नहीं है। कोरोना कालखंड में हो रही आर्थिक मंदी तथा बेरोजगारी से निजात दिलाने के लिए कृषि एवं पशुपालन पर ध्यान देना अति आवश्यक था तथा इसी क्रम में माननीय प्रधानमंत्री जी का यह दूरदर्शी भरा कदम एक ऐतिहासिक कदम है जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित होगा। अब जब कि भारत सरकार ने इस बात को साफ कर दिया है कि किसानों को मिल रहे एमएसपी पर कोई बदलाव नहीं होगा, मंडियों में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा तो आंदोलन कर रहे जानकारी के अभाव में वैसे कृषकों को अब चुप हो जानी चाहिए। हम सभी जानते हैं कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां तो अपनी रोटी सेकते है लेकिन बिचौलिए भी इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं भ्रामक स्थिति जनमानस में पैदा करने के लिए। यह बिल भारतीय कृषक को सशक्त बनाएगा तथा भारतीय कृषि क्षेत्र को विश्व स्तर पर अपना एक पहचान दिलाएगा।
हमें इस बिल को समझने की जरूरत है ना कि विपक्ष का काम विरोध करना है तो अच्छी चीज के लिए भी विरोध करें। हम आह्वान करते हैं पशुधन विशेषज्ञों एवं कृषि विशेषज्ञों से कि इस बिल पर अपना मंतव्य दें तथा इस बिल की हकीकत जनता के सामने लाएं जिससे कि जनता में व्याप्त भ्रामक स्थिति जो कि विपक्ष के द्वारा फैलाई जा रही है उस पर विराम लगाया जा सके।
डॉ राजेश कुमार सिंह, पशुधन विशेषज्ञ, संपादक -पशुधन प्रहरी
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