मध्य प्रदेश की प्रमुख पशु पालन योजनाएं
ANIMAL HUSBANDRY SCHEMES OF MADHYA PRADESH (MP)
डॉ रश्मि कुलेश
प.चि स.श., प.चि. उकवा, (म. प्र.)
डॉ राकेश वारेशवा
प.चि. वि. अधिकारी. प.चि. मोहगांव जिला बालाघाट (म. प्र.)
डॉ. अलका सुमन
सहायक प्राध्यापक, पशु शरीर रचना विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय, महू, (म. प्र.)
पशु पालन योजना का उद्देश्य पशुओं की नस्ल में सुधार करना एवं प्रदेश दूध, डेरी, मांस एवं अन्य पशु से सम्बंधित उद्योग का विकास करना है। इस योजना के माध्यम से पशुओं के नस्ल में सुधार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसका उद्देश्य पशुपालकों की आर्थिक स्तर में वृद्धि करना है। इस योजना अंतर्गत प्रदेश के पशुपालको को अपने पशुओं के नस्ल में सुधार हेतु राज्य सरकार की ओर से उन्नत नस्ल के पशु अनुदान पर उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान किया गया है।
नंदीशाला योजना
इस योजना का क्रियान्वयन ग्राम पंचायत स्तर पर प्रदेश के पशुपालकों को अपने गायों के नस्ल में सुधार हेतु प्राकृतिक गर्भाधान सेवाओं हेतु उन्नत नस्ल के सांड -साहीवाल, थरपारकर,हरियाणा, मालवी, निमाडी,केनकथा आदि सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किया गया है।
- राज्य के सभी वर्ग के पशुपालक जिनके पास पर्याप्त कृषि भूमि के साथ न्यूनतम पांच गाय हों।
- या जिनके पास कृषि भूमि नहीं परन्तु 20 गाय हो।
- योजना के तहत योजना स्थापित करने की कुल लागत रूपए 25720 है सरकार द्वारा कुल लागत का 75 % दिया जायेगा 25 % राशि लाभार्थी को अपने पास से लगाना होगा।
- आवेदक को चयन के लिए आवेदन अपने ग्राम पंचायत को प्रस्तुत करना होगा।
- खण्ड स्तरित पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी संबंधित जनपद पंचायत मे आवेदनों पर अनुमोदन प्राप्त करेगे ।
- उपसंचालक प्राप्त प्रकरणों को उपलब्ध बजट अनुसार जिला पंचायत की कृषि स्थाई समिति में अनुमोदनार्थ प्रस्तुत कर अनुमोदन प्राप्त करेगे ।
- चयनित लाभार्थी को पशु चिकित्सा विभाग से अनुबंध करना अनिवार्य होगा।
बकरी पालन योजना
देश के बकरियों के नस्ल में सुधार एव्म आर्थिक स्थिति मे सुधार हेतु इच्छुक बकरी पालक को एक उन्नत नस्ल का बकरा एव्म 10 देसी नस्ल की बकरिया प्रदाय की जाती है । इस योजना का उद्देश्य मांस एवंम दूध के उत्पादन में वृद्धि करना एवं बकरियों के नस्ल में सुधार के माध्यम से बकरी पालक के आय में वृद्धि करना।
- इस योजना की पात्रता मध्य प्रदेश के सभी वर्ग के भूमिहीन, लघु एवं सीमांत कृषक,मजदूर एवं बकरी पालन का अनुभव आवश्यक है।
- इकाई स्थापित करने की कुल लागत रूपए 77456 है।
- अनुसूचित जाति/जन जाति के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी कुल लागत का 60% है।
- सामान्य वर्ग के लिए कुल लागत का 40% है।
- हितग्राहियों का ग्राम सभा में अनुमोदन होना है । ग्राम सभा से अनुमोदित हितग्राहियों का जनपद पंचायत की सभा में अनुमोदन होगा । जनपद पंचायत के अनुमोदन उपरांत जिले के उप संचालक पशुपालन विभाग अनुमोदित प्रकरण को स्वीकृति हेतु बैंक को प्रेषित कर स्वीकृति प्राप्त करेगें।
सूकरों के नस्ल में सुधार हेतु योजना
इस योजना के तहत सूकरो के नस्ल में सुधार हेतु अनुसूचित जाति के सूकर पालक को उन्नत नस्ल का एक नर मिडिल सफेद यार्कशायर एवं अनुसूचित जनजाति के सूकर पालक को दो मिडिल सफेद यार्कशायर मादा नस्ल के सूकर सब्सिडी दर पर प्राकृतिक गर्भाधान सेवा हेतु प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है।
- योजना का संचालन प्रदेश के केवल अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिले में किया जायेगा।
- इस योजना की पात्रता मध्य प्रदेश राज्य के अनुसूचित जाति / जनजाति को है।
- इसका मुख्य उद्देश्य देशी /स्थानीय सूकर के नस्ल में सुधार करना है। इकाई स्थापित करने की कुल लागत रूपए 15000 एवं सरकार द्वारा सब्सिडी कुल लागत का 75% है शेष 25 प्रतिशत हितग्राही का अंशदान होगा ।
- चयन के लिए आवेदन ग्राम सभा में प्रस्तुत करना होगा।
- ग्राम सभा से अनुमोदन होने के बाद जनपद पंचायत से अनुमोदन फिर अंत में जिला पंचायत की कृषि स्थायी समिति की बैठक से अनुमोदन के पश्चात बैंक से ऋण की सुविधा प्राप्त होगा।
कुक्कुट पालन योजना
इस योजना के तहत कडकनाथ नस्ल के कुक्कुट की जनसँख्या को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक गर्भाधान हेतु 28 दिन के 40 कडकनाथ चूजे सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराना है व कुक्कुट पालन के माध्यम से हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति मे सुधार एवं कडकनाथ नस्ल के संरक्षण एंव संवर्धन हेतु है ।
- इस योजना का उद्देश्य कुक्कुट पालकों के आर्थिक स्तर में सुधार लाना है।
- योजना प्रदेश के समस्त जिलों मे संचालित है।
- इस योजना की पात्रता सभी वर्ग के हितग्राहियों को है ।
- इस योजना अंतर्गत इकाई स्थापित करने की कुल लागत रूपए 4400 है, सरकार द्वारा सब्सिडी कुल लगत का 75 %एवं लाभार्थी को 25 % देना होगा।
- आवेदक का अपने ग्राम सभा में आवेदन प्रस्तुत कर अनुमोदन कराना होगा। अनुमोदित हितग्राहियों का जनपद पंचायत और फिर जिला ग्राम पंचायत कृषि स्थायी समिति के बैठक में अनुमोदन होगा।
https://mp.gov.in/animal-husbandry-and-dairy-farming-department
वत्स पालक प्रोत्साहन योजना
इस योजना के तहत उन्नत नस्ल के गाय हैं एवं उनका दूध उत्पादन उस नस्ल के अन्य गायों से 30% अधिक है, और उनका वत्स उच्च अनुवांशिक क्षमता वाले भारतीय नस्ल के सांड के वीर्य से प्राकृतिक अथवा कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पैदा हुआ है। ऐसी गायों के पशुपालकों को प्रोत्साहन हेतु रूपए 5000 हज़ार का पुरूस्कार दिया जाने का प्रावधान किया गया है। उनके वत्सो के संरक्षण हेतु औषधि/पशु आहार के लिए 0-4 महीने की उम्र तक रूपए 500 ( दो वर्षो तक ) सरकार द्वारा दिए जाने का निर्धारण किया गया है।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय नस्ल के गोवंश के पशुपालको को बढ़ावा देना हैऔरउनके पास उपलब्ध उच्च अनुवांशिक गुण वाले वत्स का संरक्षण एवं वृद्धि के लिए प्रोत्साहित करना है।
- इस योजनाकी पात्रता प्रदेश के सभी वर्ग के गौ पशुपालकों के लिए है।
- योजना के तहत इकाई स्थापित करने की लागत रूपए 17000/- ।
- सभी पात्र आवेदक पंजीयन व चयन के लिए पशुपालन विभाग द्वारा किया जाएगा |
- गायों के तीन बार दोहन के पश्चात दूध की मात्रा के उच्च क्रम के आधार पर उपलब्ध बजट के अनुसार सब्सिडी की राशि निर्धारित किया जायेगा।
https://www.pashudhanpraharee.com/deshi-gou-plalan/